Uttar Pradesh

StateCommission

A/1752/2015

G.M. North Centre Railway - Complainant(s)

Versus

Dr. M.M. Paliwal - Opp.Party(s)

Amit Arora

07 Nov 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1752/2015
(Arisen out of Order Dated 31/07/2015 in Case No. C/66/2007 of District Etawah)
 
1. G.M. North Centre Railway
Allahabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr. M.M. Paliwal
Etawah
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 07 Nov 2017
Final Order / Judgement

सुरक्षि‍त

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                      अपील संख्‍या 1752/2015

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, इटावा द्वारा परिवाद संख्‍या-66/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 31-07-2015 के विरूद्ध)

 

1- जी0एम0 नार्थ सेन्‍टर रेलवे इलाहाबाद, उत्‍तर प्रदेश।

2- स्‍टेशन सुप्रीटेंडेट, इटावा रेलवे स्‍टेशन, इटावा उत्‍तर प्रदेश।

अपीलार्थी/विपक्षीगण

 

बनाम

डा0 एम0एम0 पालीवाल पुत्र स्‍व0 शिव नारायण, निवासी 106 न्‍यू कालोनी चौगुर्जी, इटावा।

                                                                                                                                                   प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :   विद्वान अधिवक्‍ता, श्री अमित अरोरा।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :    विद्वान अधिवक्‍ता, श्री अमित शुक्‍ला।

 

दिनांक: 21-12-2017

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                             निर्णय

 

परिवाद संख्‍या 66 सन् 2007 डा0 एम0एम0 पालीवाल बनाम महाप्रबन्‍धक, उत्‍तर मध्‍य रेलवे इलाहाबाद व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, इटावा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक       31-07-2015 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

 

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आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुये निम्‍न आदेश पारित किया है:- ‍  

     "परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एक लाख पॉंच हजार रू0 की वसूली हेतु स्‍वीकार किया जाता है। इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज देय होगा। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्‍तानुसार धनराशि परिवादी को निर्णय के एक माह में अदा करें।"

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी, जी0एम0 नार्थ सेन्‍ट्रल रेलवे इलाहाबाद, एवं महाप्रबन्‍धक, उत्‍तर मध्‍य रेलवे इलाहाबाद और स्‍टेशन अधीक्षक,  रेलवे स्‍टेशन इटावा ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अमित अरोरा और प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अमित शुक्‍ला उपस्थित आए।

     मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि वह पेशे से डाक्‍टर हैं और इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन की एक्‍सल कमेटी के उपाध्‍यक्ष रहे चुके हैं। आज भी मेडिकल ऐसोशिएशन काउंसिल और जनरल प्रैक्टिसनल के सह-सचिव के पद पर वह कार्यरत हैं। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि‍ डा0 एम0एल0 वाजपेयी भी शहर के प्रसिद्ध चिकित्‍सक हैं और इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के  उपाध्‍यक्ष  रह  चुके  हैं। दिनांक  06-01-2007 को  इण्डियन मेडिकल

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एसोसिएशन की मीटिंग में भाग लेने हेतु वे दोनों बनारस गये थे तथा मीटिंग के पश्‍चात डा0 एम0एल0 वाजपेयी के साथ उन्‍हें सुबह इटावा दिनांक 08-01-2007 को वापस आना था। अत: उन्‍होंने दिनांक 31-12-2006 को अपना और डा0 एम0एल0 वाजपेयी का आरक्षण वातानुकूलित शयनयान में दिनांक      07-01-2007 के लिए पूर्वा एक्‍सप्रेस से करवा लिया और दिनांक 07-01-2007  को करीब 08 बजे वह और डा0 एम0एल0 वाजपेयी पूर्वा एक्‍सप्रेस पर अपनी आरक्षित वातानु‍कूलित सीट पर वाराणसी से बैठे। पूर्वा एक्‍सप्रेस इटावा सुबह 3.00 बजे पहॅुचती है इसलिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कोच अटैण्‍डेंट से इटावा उतरने हेतु जगा देने हेतु कह दिया था।

     परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि इटावा उतरने हेतु वह और डा0 एम0एल0 वाजपेयी अपना सामान आदि पैक कर तैयार थे परन्‍तु ट्रेन इटावा स्‍टेशन पर नहीं रूकी और तेज गति से चलती हुयी सीधे टुण्‍डला स्‍टेशन पर जाकर रूकी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी और डा0 एम0एल0 वाजपेयी समय से घर नहीं पहुँचे जिससे उनके परिवार के सदस्‍य परेशान हो गये। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है वह और डा0 एम0एल0 वाजपेयी जब कोच अटैण्‍डेण्‍ट से ट्रेन न रूकने का कारण पूछने गये तो उन्‍होंने अनभिज्ञता जाहिर की। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी और डा0 एम0एल0 वाजपेयी करीब 6.00 बजे टुण्‍डला स्‍टेशन पर ट्रेन से उतरे। वहॉं पहॅुचने पर डा0 एम0एल0 वाजपेयी की तबियत बिगड़ गयी। उसके बाद वह दोनों टुण्‍डला से इटावा करीब 10.00 बजे पहुँचे।

     परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी संख्‍या 2 स्‍टेशन अधीक्षक, इटावा रेलवे स्‍टेशन के कर्मचारी ने  पूर्वा एक्‍सप्रेस ट्रेन का  आरक्षित  टिकट जारी किया

 

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था फिर भी ट्रेन इटावा नहीं रूकी और टुण्‍डला जाकर रूकी। ट्रेन से टुण्‍डला उतरने और इटावा वापस आने में विलम्‍ब होने के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपने नर्सिंग होम में इलाज करा रहे मरीजों को अपनी सेवा उपलब्‍ध नहीं करा सके जिससे कई मरीज अन्‍य स्‍थानों पर स्‍थानान्‍तरित हो गये जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को काफी मानसिक आघात लगा है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि‍ ट्रेन का आरक्षित टिकट इटावा के लिए जारी कर ट्रेन इटावा में न रोका जाना सेवा में त्रुटि है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद प्रस्‍तुत कर क्षतिपूर्ति एवं वाद व्‍यय की मांग की है।

     जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण ने लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी एवं डा0 एम0एल0 वाजपेयी का इटावा के लिए आरक्षण था। लिखित कथन में उन्‍होंने कहा है कि‍ ट्रेन संख्‍या 2381 पूर्वा एक्‍सप्रेस का प्रयोगात्‍मक ठहराव रेलवे बोड के पत्रांक 98/सी०एच०जी०11/13/एच/67-1 दिनांकित 05-12-2006 के अनुसार जारी किया गया था परन्‍तु यह पत्र उत्‍तर मध्‍य रेलवे के जोनल कार्यालय को दिनांक 08-01-2007 को प्राप्‍त  हुआ और संबंधित कन्‍ट्रोल को अवगत कराया गया। परन्‍तु यह सूचना इटावा रेलवे स्‍टेशन को प्राप्‍त नहीं हुयी। इस कारण दिनांक 08-01-2007 को प्रात: 3.00 बजे इटावा स्‍टेशन पर उक्‍त ट्रेन का ठहराव नहीं हुआ है।

     विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन में यह भी कहा गया है कि‍ यदि सूचना समय से मिल जाती तो ठहराव हो जाता। इसके साथ ही लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी कानपुर उतर सकते थे, उन्‍हें ट्रेन

 

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के ठहराव होने की जानकारी थी। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि‍  परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त यह निष्‍कर्ष निकाला है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी और डा0 एम0एल0 वाजपेयी का अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा आरक्षित टिकट इटावा के लिए उपरोक्‍त ट्रेन से जाने हेतु जारी किया गया था परन्‍तु ट्रेन इटावा नहीं रूकी। ऐसी स्थिति में जिला फोरम ने यह माना है कि‍ अपीलार्थी/विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है। अत: जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को हुए मानसिक कष्‍ट एवं ख्‍याति  की क्षति हेतु क्षतिपूर्ति 1,00,000/- रू० दिलाया जाना उचित माना है। इसके साथ ही जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 5,000/- रू० वाद व्‍यय भी दिया है।

     जिला फोरम ने क्षतिपूर्ति और वाद व्‍यय की धनराशि पर 07 प्रतिशत वार्षिक की दर से परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्‍याज भी दिया है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है। ट्रेन का ठहराव इटावा होने के सूचना समय से प्राप्‍त नहीं हुयी इस कारण ट्रेन का ठहराव दिनांक 08-01-2007 को इटावा नहीं किया गया है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ जिला फोरम ने जो क्षतिपूर्ति और वाद व्‍यय की धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान की है वह बहुत अधिक और आधार रहित है।

    

 

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प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है और इसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

     मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

     उभय पक्ष के अभिकथन से यह स्‍पष्‍ट है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने पूर्वा एक्‍सप्रेस ट्रेन से वाराणसी से इटावा का रिजर्वेशन वातानुकूलित तृतीय श्रेणी का दिनांक 07-01-2007 के लिए कराया था जिसके अनुसार दिनांक 07-01-2007 को वाराणसी बोर्डिंग के बाद दिनांक 08-01-2007 को भोर में इटावा पहॅुंचना था। तदनुसार वे उक्‍त ट्रेन पर वाराणसी से सवार होकर इटावा आए। परन्‍तु ट्रेन इटावा में नहीं रूकी। ट्रेन आगे जाकर टुण्‍डला में रूकी। अपीलार्थी/विपक्षीगण ने लिखित कथन में स्‍पष्‍ट रूप से यह कहा है कि‍  प्रश्‍नगत ट्रेन संख्‍या 2381 पूर्वा एक्‍सप्रेस का प्रयोगात्‍मक ठहराव रेलवे बोर्ड के पत्रांक 98/सी०एच०जी०11/13/एच/67-1 दिनांकित 05-12-2006 के अनुसार जारी किया गया था परन्‍तु यह पत्र उत्‍तर मध्‍य रेलवे के जोनल कार्यालय को दिनांक 08-01-2007 को प्राप्‍त हुआ। अत: समय से इटावा स्‍टेशन को सूचना नहीं दी जा सकी जिससे ट्रेन का ठहराव दिनांक 08-01-2007 को इटावा में नहीं किया गया है। अपीलार्थी/विपक्षीगण ने लिखित कथन में स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि‍ पत्र दिनांक 05-12-2006 के द्वारा इटावा रेलवे स्‍टेशन पर प्रश्‍नगत पूर्वा एक्‍सप्रेस का प्रयोगात्‍मक ठहराव किया गया था और निर्विवाद रूप से इस ट्रेन का आरक्षित टिकट वाराणसी से इटावा के लिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिनांक      08-01-2007 को इटावा पहॅुचने के लिए जारी किया गया है।  रेलवे बोर्ड द्वारा ठहराव किये जाने और तदनुसार टिकट जारी किये जाने के बाद भी ट्रेन का इटावा  स्‍टेशन  पर  न  रोका  जाना  और  इस  सन्‍दर्भ  में  समय से

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सूचना संबंधित स्‍टेशन के अधिकारी को प्रेषित न किया जाना निश्चित रूप से रेलवे की सेवा में कमी का परिचायक है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षीगण को जो सेवा त्रुटि का दोषी माना है वह उचित और युक्तिसंगत है।  

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी प्रतिष्ठित चिकित्‍सक हैं, इस बात से इन्‍कार नहीं किया गया है और उभय पक्ष के अभिकथन से यह स्‍पष्‍ट है कि‍ ट्रेन इटावा स्‍टेशन पर न रूककर अगले स्‍टेशन टुण्‍डला पर रूकी है। टुण्‍डला से इटावा वापस आने में करीब सात घण्‍टे का समय प्रत्‍यर्थी/परिवादी का व्‍यर्थ गया है। साथ ही शारीरिक और मानसिक कष्‍ट भी हुआ है। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हॅूं कि‍ अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा सेवा में की गयी त्रुटि को देखते हुए प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षीगण से शारीरिक और मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति दिलाया जाना उचित है। मेरी राय में सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी के व्‍यवसाय को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 30,000/- रू० क्षतिपूर्ति दिलाया जाना उचित है।

     सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हॅूं कि‍ जिला फोरम ने जो 1,00,000/- रू० क्षतिपूर्ति दिलाया है वह बहुत अधिक है। उसे संशोधित करते हुये क्षतिपूर्ति की धनराशि 30,000/- रू० किया जाना उचित है।

     जिला फोरम ने जो 5,000/- रू० वाद व्‍यय दिलाया है वह उचित है उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और  जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश संशोधित करते

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हुए अपीलार्थी/विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि‍ वे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 30,000/- रू० क्षतिपूर्ति, परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज सहित अदा करें। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षीगण, प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा आदेशित 5,000/- रू० वाद व्‍यय की धनराशि भी अदा करेंगे।

     अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000/- रू० अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए

 

                                                                          (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

अध्‍यक्ष

            

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट 01

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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