Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/657

Shubeydar Singh - Complainant(s)

Versus

Dr. K. Singh - Opp.Party(s)

T. C. Seth

04 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/657
( Date of Filing : 26 Mar 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Shubeydar Singh
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr. K. Singh
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Oct 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-657/2007

सुबेदार सिंह (मृतक) रामजीत सिंह पुत्र स्‍व0 सुबेदार सिंह बनाम डा0 के. सिंह तथा एक अन्‍य

समक्ष:-                                                               

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

दिनांक:  04.10.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-496/2003, सुबेदार सिंह बनाम डा0 के. सिंह में विद्वान जिला आयोग, देवरिया द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.2.2007 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी.सी. सेठ को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.    विद्वान जिला आयोग ने परिवादी की मृत्‍यु पर प्रतिस्‍थापन आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया कि वाद चालू रखने का अधिकार समाप्‍त हो चुका है।

3.    अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी की मृत्‍यु के पश्‍चात प्रतिस्‍थापन का अधिकार प्राप्‍त है। अपने तर्क के समर्थन में नजीर, Dr. Niraj Awashi Vs Jagdish Bharti (deceased) through Legal representative 2010 CTJ 656 (CP)(NCDRC) प्रस्‍तुत की गई, जिसमें व्‍यवस्‍था दी गई है कि परिवादी की मृत्‍यु के बाद उनके उत्‍तराधिकारियों को परिवाद के चालू रखने का अधिकार प्राप्‍त है, जबकि एक अन्‍य नजीर, Janak Kumari vs Dr Balvinder Kour Nagpal II (2003) CPJ 28 (NC) फुल बेंच में व्‍यवस्‍था दी गई है कि परिवाद के लम्बित रहते हुए परिवादी की मृत्‍यु पर वाद चालू रखने का अधिकार समाप्‍त हो जाता है, इसलिए उत्‍तराधिकारियों को प्रतिस्‍थापित नहीं किया जा सकता। अपीला‍र्थी की ओर से जो नजीर, डा0 नीरज अवस्‍थी उपरोक्‍त प्रस्‍तुत की गई है, यह निर्णय माननीय एनसीडीआरसी के दो सदस्‍यों द्वारा पारित किया गया है, जबकि जनक कुमारी बनाम डा0 बलविन्‍दर कौर नागपाल में निर्णय फुल बेंच द्वारा पारित किया गया है, इसलिए फुल बेंच द्वारा पारित निर्णय अधिभावी प्रभाव रखता है। इस निर्णय में दी गई व्‍यवस्‍था के अनुसार डा0 के विरूद्ध लापरवाही के आधार पर क्षतिपूर्ति के लिए प्रस्‍तुत किए गए परिवाद पर परिवादी की मृत्‍यु पर ही वाद समाप्‍त हो जाता है और right to sue सर्वाइव नहीं करता। अत: फुल बेंच द्वारा दिए गए निर्णय को मान्‍यता देना विधिसम्‍मत है। इस नजीर के आलोक में कहा जा सकता है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा विधिसम्‍मत निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जिसमें हस्‍तक्षेप अपेक्षित नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

4.    प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

      आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

(सुधा उपाध्‍याय)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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