राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-1886/2016
(जिला फोरम, फिरोजाबाद द्धारा परिवाद सं0-122/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.8.2016 के विरूद्ध)
Shivam Computer, A House of All Computer Solution, Araon Road, Sirsaganj, District- Firozabad, through its Proprietor Praveen Yadav, S/o Sri Jaidev Singh Yadav, R/o Alampur Jhapta, Pargana and Tehsil- Shikohabad, District- Firozabad.
........... Appellant/ Opp. Party
Versus
Dr. Dheeraj Gupta, S/o Late Sri Suresh Chandra Gupta, R/o Itawah Road, Sirsaganj, Tehsil- Shikohabad, District- Firozabad.
…….. Respondent/ Complainant
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री आलोक यादव
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :-25-4-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-122/2015 डॉ0 धीरज गुप्ता बनाम शिवम कम्प्यूटर ए हाउस आफ आल कम्प्यूटर सलूशन अराव रोड, सिरसागंज, फिरोजाबाद में जिला फोरम, फिरोजाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 17.8.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
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आक्षेपित निर्णय के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
“परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी के प्रश्नगत कैंमरे ठीक करें तथा यदि कैंमरे ठीक न हो सकतें हो, तो बदलकर नये कैमरे परिवादी के हास्पीटल में लगाये जावे और खराब कैंमरे वापस विपक्षी प्राप्त करने लें, यदि यह भी सम्भव न हो, तो कैंमरों की कीमत मु0 38,000.00 रू0 का भुगतान विपक्षी परिवादी को करें और विपक्षी खराब कैंमरे प्राप्त कर लें। मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप में 1,000.00 रू0 तथा वाद व्यय के रूप में 1,000.00 रू0 का भुगतान विपक्षी, परिवादी को करें। उपरोक्त आदेश का पालन एक माह में किया जावे।”
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी शिवम कम्प्यूटर, ए हाउस आफ आल कम्प्यूटर सलूशन अराव रोड, सिरसागंज, फिरोजाबाद ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक यादव उपस्थित आये है। प्रत्यर्थी की ओर से नोटिस तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
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मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने अपने हॉस्पिटल में अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉ से कुल सात कैमरे, जिसमें दो कैमरे 2,400.00 रू0 प्रति कैमरे की दर से 4,800.00 रू0 तथा पॉच कैमरे 1,800.00 रू0 प्रति कैमरे की दर से 9,000.00 रू0 में क्रय किये और कैमरे के साथ अन्य सामान और लेवर चार्ज 39,325.00 रू0 का बिल बनाकर उक्त सभी कैमरे अपीलार्थी/विपक्षी ने 18 माह की गारण्टी देकर उसके हॉस्पिटल कस्वा सिरसागंज, जिला फिरोजाबाद में दिनांक 20.6.2014 को लगवाये।
परिवाद पत्र के अनुसार उपरोक्त 07 कैमरों को लगवाने की कुल कीमत 38,000.00 रू0 दिनांक 18.7.2014 को प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी को अदा कर बिल प्राप्त किया गया, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी के हॉस्पिटल में लगवाये गये सभी 07 कैमरों में रिकाडिंग नहीं हो रही है और सभी कैमरे बन्द पडे हुए हैं। प्रत्यर्थी/परिवादी ने
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अपीलार्थी/विपक्षी को स्वयं जाकर और मोबाइल के द्वारा सूचना दी, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया और कैमरों को ठीक नहीं किया। परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा 18 माह की झूठी गारण्टी परिवादी को देकर उसके साथ छल कपट किया है, क्योंकि इसी अवधि में कैमरे खराब हुए हैं, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी ने ठीक नहीं किया है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया है और कहा है कि उसने किसी बिल का 38,000.00 रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी से प्राप्त नहीं किया है और न ही यह धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी ने उसे अदा की है। लिखित कथन में उसने कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादी की मौखिक आंकाक्षा पर दिनांक 20.6.2014 को कुटेशन 416/20.6.2014 कीमत दर्शाते हुए डॉ0 केदार नाथ के अस्पताल सिरसागंज के नाम से जारी किया गया था और उसके बाद परिवादी विपक्षी से नहीं मिला और न कोई आर्डर कोटेशन में अंकित कैमरों का उसने दिया और न ही अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्यर्थी/परिवादी के अस्पताल में कैमरे लगवाये। प्रत्यर्थी/परिवादी ने जो अभिलेख दाखिल किया है वह बिल नहीं है, मात्र कोटेशन है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन और उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि रसीद पेपर सं0-5
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प्रश्नगत कैमरों का बिल है, जिसमें यह स्पष्ट रूप से अंकित है कि टी0पी0 अर्थात टोटल पेमेन्ट 38,000.00 रू0 का भुगतान किया गया। इस प्रकार परिवादी ने पेपर सं0-5 से कैमरे खरीदे हैं तथा बिल का भुगतान किया है। अत: जिला फोरम ने माना है कि प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षी का उपभोक्ता है और अपीलार्थी/विपक्षी सेवा प्रदाता है। अत: जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए उपरोक्त प्रकार से आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने कोटेशन को गलत तौर पर बिल मानकर आक्षेपित आदेश पारित किया है। जिला फोरम का निर्णय साक्ष्य और विधि के विरूद्ध है।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है।
जिला फोरम के निर्णय में उल्लिखित परिवाद पत्र की पत्रावली के उपरोक्त कागज सं0-5 की फोटो प्रति अपील की पत्रावली में अपील के साथ अपीलार्थी द्वारा संलग्न की गई है, जो अपील के पृष्ठ सं0-18 पर संलग्न है, इसमें आपूर्ति की गई वस्तुओं की संख्या, रेट और कुल देय मूल्य अंकित है, जिनका योग 38,925.00 रू0 अंकित है। इसमें नीचे टी0पी0 38,000.00 पी दिनांक 18.7.2014 अंकित है, जिसका अर्थ जिला फोरम ने
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यह निकाला है कि टोटल पेमेंट 38,000.00 रू0 की यह प्रविष्टि है। जिला फोरम द्वारा उपरोक्त प्रविष्टि का निकाला गया यह अर्थ आधार युक्त और तर्क संगत प्रतीत होता है। यह बिल दिनांक 20.6.2014 को जारी किया गया है और टी0पी0 38,000 पी0 की प्रविष्टि दिनांक 18.7.2014 की है, जिससे स्पष्ट है कि इस बिल के विरूद्ध प्रत्यर्थी/परिवादी ने 38,000.00 रू0 का भुगतान दिनांक 18.7.2014 को अपीलार्थी/विपक्षी को किया है। अत: जिला फोरम ने जो निष्कर्ष निकाला है वह आधार युक्त और विधि सम्मत है। उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। जिला फोरम ने कैमरे ठीक करने तथा ठीक न होने पर नये कैमरे लगाने और ऐसा सम्भव न हो तो कैमरों का मूल्य 38,000.00 रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को वापस करने का, जो आदेश पारित किया है, वह बहुत ही उचित है। जिला फोरम ने 1,000.00 रू0 वाद व्यय और 1,000.00 रू0 शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रदान की है वह भी उचित है, उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
कैमरे प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने अस्पताल की सुरक्षा की दृष्टि से लगवाये हैं और उनका उसके अस्पताल के व्यापार से कोई वाणिज्यिक सम्बन्ध नहीं है।
उपरोक्त विवेचना एवं सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत मैं इस मत का हॅू कि जिला फोरम ने जो
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आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है, उसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। अत: अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील बलरहित है और निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
अपील में उभय पक्ष अपना अपना वाद व्यय स्वयं बहन करेगें।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनिमय के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि 20,000.00 रू0 अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को आक्षेपित निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जायेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1