Dolat singh filed a consumer case on 08 Jan 2016 against Dr. Ashok tiwari, Orthopaedic Department in the Kota Consumer Court. The case no is CC/350/2008 and the judgment uploaded on 11 Jan 2016.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा।
पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।
प्रकरण संख्या- 350/2008
दौलत सिंह पुत्र श्री हीरा सिंह राजपूत निवासी- फ्रेण्ड्स काॅलोनी प्लाट नंबर 52 ग्रामीण पुलिस लाईन रोड, कोटा। (राज0)।
-परिवादी।
बनाम
1 डा0 अषोक तिवारी सहआचाय अस्थि विभाग एम बी एस अस्पताल, कोटा।
2 आर पी मीणा सहायक आचार्य महाराव भीमसिंह अस्पताल कोटा राज0
3 रघुनन्दन कम्पाउण्डर हाल सर्विस महाराव भीमसिंह अस्पताल कमरा नंबर 119 कोटा।
4 स्टेट आॅफ् राजस्थान जरिये अधीक्षक राजकीय महाराव भीमसिंह चिकित्सालय एवं संलग्न चिकित्सा समूह, कोटा।
-विपक्षीगण।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
13 श्री ओमप्रकाष षर्मा, प्रतिनिधि ओर से परिवादी।
14 श्री एस पी गौतम,अधिवक्ता ओर से विपक्षी-1 व 3
15 श्री दीपक बबलानी,अधिवक्ता विपक्षी-2 की ओर से।
निर्णय दिनांक 08.01.2016
यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच झालावाड केम्प कोटा को प्राप्त हुई है।
प्रस्तुत परिवाद ब्च् ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 21-07-2008 को परिवादी ने इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि परिवादी का दिनंाक 15-10-2006 को मोटरसाइकिल से एक्सिडेंट हो गया तथा परिवादी का दाहिना पैर फ्रेक्चर हो गया जिसका इलाज परिवादी ने दिनंाक 18-10-2006 को आॅपरेषन किया गया जो कि डा0 आर पी मीणा और उपचार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। आॅपरेषन में नेग्लीजेंसी होने से पैर में डिफेक्ट रह गया। जब डाॅक्टर से बातचीत की और दूसरे डाॅक्टर को दिखाया तो डाॅक्टर सौरभ माथुर ने दिनंाक 09-03-2007 को नट वोल्ट जो कि पैर की राड में लगे थे उन्हें खोला उसका आॅपरेषन करते हुए उपचार कर टांके लगा दिये तथा पंाच दिन बाद चेक
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कराने के लिए कहा। जब पैर में दर्द षुरू हुआ तो दिनंाक 17-03-2007 को चैक कराने महाराव भीम सिंह अस्पताल में कमरा नंबर 119 में आया तो उन्होंने कहा कि यूनिट का आज दिन नहीं है यदि यूनिट वाला लिख देंगे तो उसे चैक कर लिया जायेगा। तत्पष्चात् परिवादी ने यूनिट डाॅक्टर सरदारजी से मार्क कराया उसके पष्चात डा0 अषोक तिवारी ने कम्पाउण्डर रघुनंदन से पट्टियां खुलवाकर चेक किया और उन्होंने कहा कि टांके लगे हुए आठ दिन हो गये हैं इनको काट देते हैं। जब परिवादी ने बताया कि अभी दो दिन षेश हैं तो उन्होंने नहीं सुनी और टांके कटवा दिये गये। टांके काटे जाने पर खून की बडी नस कट गई और एकदम खून का फब्बारा निकल गया और खून नहीं रूकने पर एमरजेंसी में भर्ती कर लिया और उसका उपचार किया गया तथा दिनंाक 18-03-2007 को डिस्चार्ज कर दिया और दिनांक 19-03-2007 को ही पैर में लगी चोट से ब्लीडिंग चालू हो गया तो परिवादी को डा0 सौरभ माथुर ने भर्ती कर लिया तथा सोनोग्राफी की सलाह पर दिनंाक 22-03-2007 को सोनोग्राफी करायी गई। सोनोग्राफी के डाॅक्टर ने घाव से पट्टी हटाई तो पुनः ब्लीडिंग षुरू हो गया और बन्द नही हुआ जिससे प्रार्थी मरणासन्न स्थिति में आ गया। खून की बोतल मंगवाकर परिवादी के चढाई गई। कुछ ठीक होने पर दोपहर को आॅपरेषन कर दिया। इस प्रकार तीनों अप्रार्थी की गलतियों से प्रार्थी को काफी षारीरिक कश्ट भोगना पडा और धन खर्च हुआ। परिवादी दिनंाक 05-07-2007 तक बेड रेस्ट पर रहा और विभाग से भी अनुपस्थित रहना पडा और प्रार्थी को डिस्एबिलिटी का सर्टिफिकेट नहीं दिया और बार बार परेषान करके तारीख देते रहे और राजीनामा के लिए दबाव बनाते रहे और डिस्एबिलिटी सर्टिफिकेट के बार बार कहा तो मेडीकल बोर्ड में भी डा0 अषोक तिवारी को सदस्य रखा। इस प्रकार जानबूझकर परिवादी को परेषान किया गया। विपक्षीगण का यह कृत्य सेवामें कमी की श्रेणी में आता है। परिवादी ने विपक्षीगण से 3,50,000/-रूपये की सहायता दिलाने का अनुतोश चाहा है।
विपक्षी-2 ने परिवाद का यह जवाब दिया है कि परिवादी ने उनको नहीं दिखाया और न ही उन्होंने कोई प्रिस्क्रिप्षन लिखा है। परिवादी ने विपक्षी को ब्लेकमेल करने के आषाय से तथा मंच को गुमराह करने के लिए यह परिवाद पेष किया है। परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है।
विपक्षी-3 ने परिवाद का यह जवाब दिया है कि उसकी ड्यूटी प्लास्टर व डेªसिंग रूम में थी। इस रूम में जिस डाॅक्टर का मरीज आता है, उस डाॅक्टर के निर्देष पर ही काम करना होता है। डाॅक्टर अषोक तिवारी यूनिट बी’’ के डाॅक्टर हैं परन्तु परिवाद में जिस डाॅक्टर के लिए सरदारजी षब्द का प्रयोग किया है वे यूनिट ’’ए’’ में नियुक्त थे। उनके
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निर्देष पर ही टांके काटे गये होंगे। जहां तक टांके काटने से नस कटने का प्रष्न है, यह नस नहीं कट सकती है क्योंकि टांके सुपरफिषियल चमडी के ऊपर होते हैं तथा रक्त प्रवाह की धमनियां चमडी के नीचे गहराई में होती है इस प्रकार यह गलत आक्षेप है। विपक्षी ने मय हरजाने के परिवाद निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है।
परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं का षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.17 दस्तावेज तथा विपक्षीगण की ओर से जवाब के समर्थन में डा0 आरपी मीणा तथा रघुनन्दन कम्पाउण्डर के षपथपत्र प्रस्तुत हुए हैं तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्गक.1 लगायत म्गक.10 दस्तावेज प्रस्तुत किये हंै।
उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
1 क्या परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है ?
परिवादी का परिवाद,विपक्षीगण का जवाब,दस्तावेजात की फोटो काॅपी आदि के आधार पर परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता प्रमाणित पाया जाता है।
2 क्या विपक्षीगण ने सेवामें कमी की है ?
उभयपक्षों को सुना गया। पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी का तर्क है कि दिनंाक 18-10-2006 को अप्रार्थी-2 ने प्रार्थी के क्षतिग्रस्त पैर का आॅपरेषन किया लेकिन इस आॅपरेषन में डाॅक्टर की लापरवाही रही। तब दिनंाक 09-03-2007 को दूसरे डाॅक्टर सुरेष माथुर को दिखाया गया। उसने पैर में लगी राॅड के नट बोल्ट खोले और टांके लगा दिये। उसे बाद दिनंाक 17-03-2007 को एम बी एस अस्पताल कोटा में कमरा नंबर 119 में चेक करवाया तो वहां यूनिट डाॅक्टर नहीं था। जब डाॅक्टर सरदार जी को दिखाकर रघुनन्दन कम्पाउण्डर से टांके खुलवाये तब नस कट गई, खून के फब्बारे हो गये। डाॅक्टर सौरभ ने प्रार्थी को भर्ती किया ओर 22-03-2007 को सोनोग्राफी करवायी इससे ब्लीडिंग नहीं रूका और प्रार्थी मरणासन्न अवस्था में पहुंच गया।
इस प्रकार प्रस्तुत प्रकरण में डाॅक्टर सौरभ माथुर और डाॅक्टर सरदारजी इन दोनों व्यक्तियों का नाम भी आया है परन्तु इनको पक्षकार नहीं बनाया है। विपक्षीगण का निवेदन है कि परिवादी अप्रार्थी-1 डाॅक्टर अषोक तिवारी के पास डिसएबिलिटी सर्टिफिकेट बनवाने आया और जब सर्टिफिकेट नहीं दिया तो यह परिवाद पेष कर दिया क्योंकि सर्टिफिकेट देने में मेडीकल बोर्ड होता है उनमें तीन सदस्य होते हैं उन तीन में डाॅक्टर अषोक तिवारी विपक्षी-1 भी था इसलिए दबाव बनाने की बजह से यह प्रार्थना पत्र में पेष किया है।
उक्तानुसार उभयपक्षों की मौखिक बहस सुनने और प्रस्तुत दस्तावेजात का अध्ययन करने से स्पश्ट होता है कि मेडीकल बोर्ड के तीन सदस्य हैं जिनमें डाॅ0 अषोक तिवारी बोर्ड के मेम्बर नहीं है और सर्टिफिकेट देने के लिए वांछित दस्तावेजात लेकर उपस्थित होने का
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निर्देष दिया है इसलिए विपक्षीगण का यह तर्क मानने योग्य नहीं है कि प्रार्थी ने दबाव बनाने के लिए यह परिवाद पेष किया है लेकिन दिनांक 18-10-2006 को प्रार्थी के आॅपरेषन में विपक्षी-2 ने क्या लापरवाही की यह स्पश्ट नहीं किया है ओर न ही किसी विषेशज्ञ की रिपोर्ट है। टांके काटने में और ब्लीडिंग में डाॅक्टर और कम्पाउण्डर की क्या लापरवाही रही, यह स्पश्ट रूप से परिवादी ने नहीं बताया है। जब यूनिट नंबर 1 के कमरा नंबर 119 में परिवादी गया तो सरदारजी का निेर्देष था उसे पक्षकार नहीं बनाया और विपक्षी-1 डाॅ0 अषोक तिवारी यूनिट नंबर 1 का इन्चार्ज नहीं था। विपक्षी-1 का कोई पर्चा या प्रिस्क्रिप्षन पत्रावली में नहीं है। डाॅक्टर और कम्पाउण्डर द्वारा क्या लापरवाही बरती गई इस संबंध में किसी विषेशज्ञ की रिपोर्ट नहीं है। डाॅ0 सौरभ माथुर और सरदारजी को पक्षकार नहीं बनाया गया है। ऐसी स्थिति में उपरोक्त विवेचन और विष्लेशण के आधार पर हमारे विचार से परिवादी विपक्षीगण का कोई सेवादोश प्रमाणित करने में सफल नहीं रहा है।
3 अनुतोश ?
प्रार्थी का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण स्वीकार नहीं किये जाने से खारिज योग्य पाया जाता है।
आदेष
परिणामतः परिवाद परिवादी खारिज किया जाता है। प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए पक्षकारान अपना अपना खर्चा वहन करेंगे।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
झालावाड केम्प,कोटा (राज0) झालावाड केम्प,कोटा (राज0)
निर्णय आज दिनंाक 08.01.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
झालावाड केम्प,कोटा (राज0) झालावाड केम्प,कोटा (राज0)
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