Uttar Pradesh

StateCommission

A/692/2019

Makemy Trip (India) Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

Dr. Ashok Kumr Dixit - Opp.Party(s)

Angrej Nath Shukla

05 Jul 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/692/2019
( Date of Filing : 29 May 2019 )
(Arisen out of Order Dated 09/04/2019 in Case No. C/059/2018 of District Etawah)
 
1. Makemy Trip (India) Pvt Ltd
DLF Building No. 5 Tower B DlF Cyber City Dlf Phase 2 Sector 25 Gurugram Haryana 122002
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr. Ashok Kumr Dixit
S/O Sri S.C. Dixit R/O 170 New Colony Kutchery road Ps Civil Lines Distt. Etawah
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 05 Jul 2019
Final Order / Judgement

सुरक्षि‍त

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                    अपील संख्‍या- 692/2019

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, इटावा द्वारा परिवाद संख्‍या- 59/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09-04-2019 के विरूद्ध)

 

मेकमाई ट्रिप इण्डिया प्रा०लि० DLF बिल्डिंग नं०5 टावर बी, DLF साइबर सिटी, DLF फेस 2 सेक्‍टर- 25, गुड़ग्राम, हरियाणां 122002

                                                                                                                       अपीलार्थी/विपक्षी

                              बनाम 

डा० अशोक कुमार दीक्षित, उम्र 65 वर्ष, पुत्र श्री एस०सी० दीक्षित, निवासी- 170, न्‍यू कालोनी कचेहरी रोड, थाना सिविल लाइन्‍स डिस्ट्रिक इटावा।

                                                                                                                       प्रत्‍यर्थी/परिवादी

मक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री अंग्रेज नाथ शुक्‍ला

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री उमेश कुमार शर्मा

 

दिनांक- 05-08-2019

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                       निर्णय

 

परिवाद संख्‍या– 59 सन् 2018 डा० अशोक कुमार दीक्षित बनाम मैसर्स मेक माई ट्रिप इण्डिया प्रा०लि० में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, इटावा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 09-04-2019 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

     आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

 

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" अत: प्रस्‍तुत परिवाद यथा-विरचित, उपरोक्‍त विपक्षी मेसर्स मेक माई ट्रिप इण्डिया प्रा0लि0 द्वारा प्रबंधक, प्रो0 टावर ए0एस0पी0 इन्‍लोसिटी, 19वॉं तल, फ्लोर टावर बी0 बिल्डिंग, साइवर सिटी, गुडगांव हरियाणा, पिन 122016 के विरूद्ध ससंघर्ष, सवाद व्‍यय, स्‍वीकार किया जाता है और तद्नुसार विपक्षी मैसर्स मेक माई ट्रिप इण्डिया प्रा0लि0 द्वारा प्रबन्‍धक प्रो0 टावर ए0एस0पी0 इन्‍लोसिटी 19वॉ तल फ्लोर टावर बी0 बिल्डिंग, साइवर सिटी, गुडगांव, हरियाणा पिन नम्‍बर-122016 को यह निर्देश दिया जाता है कि वह आज दिनांक से दो माह के अंदर परिवादी को निर्धारित पर्यटन यात्रा में सेवा में कमी के लिए रू0 50,000/- मानसिक एवं शारीरिक पीडा के लिए रू0 40,000/- एवं वाद व्‍यय एवं अधिवक्‍ता शुल्‍क इ‍त्‍यादि के लिए रू0 8,000/- कुल रू0 98,000/- एक मुश्‍त अदा करें। ऐसा न करने की स्थिति में, विपक्षी के द्वारा उक्‍त समस्‍त क्षतिपूर्ति की धनराशि पर परिवाद दाखिल करने की तिथि की दिनांक 07-03-2018 से भुगतान की दिनांक तक, 08 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी अदा करना होगा।

पक्षकारों को निर्णय की एक-एक प्रतिलिपि नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करायी जावे।"

जिला फोरम के निर्णय व आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी मेक माई ट्रिप इण्डिया प्रा०लि० ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अंग्रेज नाथ शुक्‍ला और प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री उमेश कुमार शर्मा उपस्थित आए हैं।

 

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मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

          अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने अपीलार्थी/विपक्षी से स्‍वयं एवं अपने परिवार के पांच लोगों के पर्यटन के लिए दिनांक 15-06-2017 को 1,54,154/-रू० देकर एक रात बंगलौर, एक रात मैसूर और दो रात ऊटी के लिए बुकिंग कराया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी एवं उसके परिवार की यह यात्रा दिनांक 18-06-2017 से दिनांक 22-06-2017 की अवधि तक थी और यात्रा दिल्‍ली से शुरू होनी थी। दिल्‍ली से बंगलौर, बाई प्‍लेन जाना था और उसके बाद यात्रा के अंत में बंगलौर से दिल्‍ली बाई प्‍लेन आना था। शेष स्‍थानों पर पर्यटन यात्रा टैक्‍सी से कराया जाना था।

     परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी एवं उसके परिवार जन तयशुदा प्रोग्राम के अनुसार पर्यटन यात्रा पर निकले परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी ने पर्यटन करार का पालन नहीं किया। ऊटी में प्रत्‍यर्थी/परिवादी एवं उसके परिवार को मात्र एक दिन रोका गया जबकि तय शुदा प्रोग्राम के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी एवं उसके परिवार को ऊटी से कुन्‍नूर जाना था, परन्‍तु कुन्‍नूर भी अपीलार्थी/विपक्षी उन्‍हें नहीं ले गया। परिवाद-पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि तय यात्रा के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी को प्रत्‍यर्थी/परिवादी एवं उसके परिवार को ऊटी में लंच व दो नास्‍ता, और एक ब्रेकफास्‍ट देना था जो उसने नहीं दिया। इसके साथ ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी एवं उसके  परिवार  को  बंगलौर  के  होटल  का  चार्ज स्‍वंय  देना पड़ा जो

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अपीलार्थी/विपक्षी से हुए पर्टयन करार का उल्‍लंघन है। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी ने सेवा में कमी की है। अत: क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

     जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि परिवाद बिना किसी वाद कारण के गलत आधार पर प्रस्‍तुत किया गया है। परिवाद की सुनवाई का स्‍थानीय क्षेत्राधिकार जिला फोरम को नहीं है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि परिवाद में आवश्‍यक पक्षकार न बनाए जाने का दोष है। जिस होटल ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके परिवार की सेवा में कमी की है उसे परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने एक टूर पैकेज बंगलौर, मैसूर, ऊटी इत्‍यादि की यात्रा के लिए दिनांक           18-06-2017 से 22-06-2017 तक के लिए उससे बुक कराया था जिसके अनुसार उसका पहला स्‍टे दिनांक 18-06-2017 से दिनांक 19-06-2017 तक बंगलौर का था, दूसरा स्‍टे दिनांक 19-06-2017 और दिनांक 20-06-2017 को मैसूर में था। बाकी दो स्‍टे दिनांक  20-06-2017 से दिनांक 22-06-2017 तक ऊटी में था और उनकी रिटर्निंग फ्लाइट दिनांक 22-06-2017 को 12.20. बजे थी। ऊटी से बंगलौर बाई रोड करीब 6 घण्‍टे लगते हैं।

     लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि दिनांक 19-06-2017 को ट्रैवल्‍स कम्‍पनी से प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने सम्‍पर्क किया और कहा कि अंतिम दिन का उसका ऊटी में स्‍टे बदल दिया जाए क्‍योंकि ऊटी में रोड 6.00 बजे सुबह ही खुलती है और 6.00 बजे सुबह ऊटी से चलकर बंगलौर में 12.20 बजे

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फ्लाइट पकड़ना सम्‍भव नहीं है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी के प्रबन्‍धक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुरोध पर मैसूर में होटल चेक किया परन्‍तु वहॉं व्‍यवस्‍था नहीं हो सकी। उसके बाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने बंगलौर में ही रूकने का अनुरोध किया। परिवाद पत्र के अनुसार क्‍लब महिन्‍द्रा, ऊटी ने अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा बुक धनराशि देने से मना कर दिया इसलिए अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथन के अनुसार उसकी सेवा नहीं कर पाया। इसमें अपीलार्थी/विपक्षी का कोई दोष नहीं है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने यात्रा पूर्ण हो जाने के पश्‍चात सोच-समझकर, कुविचार, से नाजायज लाभ प्राप्‍त करने के लिए गलत कथन के साथ परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

     जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त परिवाद स्‍वीकार करते हुए आक्षेपित आदेश पारित किया है जो ऊपर अंकित है।

     अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि एक रात ऊटी में स्‍टे का प्रोग्राम स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके परिवार के अनुरोध पर कम किया गया है परन्‍तु ऊटी में प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके परिवार के आवास हेतु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा बुक होटल ने धनराशि वापस करने से इन्‍कार कर दिया है इसमें अपीलार्थी/विपक्षी का कोई हस्‍तक्षेप नहीं है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी की सेवा में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कोई कमी नहीं की गयी है। जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दोषपूर्ण है। अत: निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

    

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अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि जिला फोरम को परिवाद सुनने का भौमिक अधिकार नहीं है। अत: जिला फोरम का निर्णय विधि विरूद्ध और अधिकार रहित है।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश तथ्‍य और विधि के अनुकूल है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी और अपीलार्थी/विपक्षी के बीच प्रश्‍नगत पर्यटन के टूर पैकेज का प्रोग्राम इटावा से ही तय किया गया है और अपीलार्थी/विपक्षी को इटावा से ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने बैंक आफ बड़ौदा के एकाउंट से आर०टी०जी०एस० के माध्‍यम से धनराशि प्रेषित की है। अत: वाद हेतुक आंशिक रूप से जनपद इटावा में उत्‍पन्‍न हुआ है और जिला फोरम, इटावा को परिवाद ग्रहण करने का अधिकार प्राप्‍त है। अत: यह कहना उचित नहीं है कि जिला फोरम को परिवाद की सुनवाई का  क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है।

     मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी को प्रश्‍नगत पर्यटन टूर पैकेज के लिए अपने बैंक आफ बड़ौदा, इटावा के एकाउंट से आर०टी०जी०एस० के माध्‍यम से धनराशि प्रेषित की है। अत: वाद हेतुक आंशिक रूप से जनपद इटावा में  उत्‍पन्‍न हुआ है। ऐसी स्थिति में परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जनपद इटावा को प्राप्‍त है। अत: यह कहना उचित नहीं है कि जिला फोरम, इटावा को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है।

     परिवाद पत्र के कथन से स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने स्‍वयं अपने और अपने परिवार के पॉंच लोगों की पर्यटन यात्रा हेतु अपीलार्थी/विपक्षी से

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जनपद इटावा से ही संविदा की है और अपीलार्थी/विपक्षी को 1,54,154/-रू० अदा किया है।

    परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि परिवादी व उसके परिवार को दो रात ऊटी में रहने का प्रोग्राम टूर पैकेज के अनुसार था परन्‍तु ऊटी में प्रत्‍यर्थी/परिवादी एवं उसके परिवार को एक रात ही रोका गया है। इस सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कहा गया है कि बंगलौर से दिल्‍ली वापसी की यात्रा हेतु फ्लाइट का समय 12.20 बजे था और ऊटी में सड़क सुबह 6.00 बजे ही खुलती थी। ऐसी स्थिति में 6.00 बजे ऊटी से चलकर बंगलौर में विमान पकड़ना सम्‍भव नहीं था। इस कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके परिवार के अनुरोध पर ऊटी स्‍टे एक दिन कम किया गया है।

     मैंने अपीलार्थी/विपक्षी के इस कथन पर विचार किया है।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके परिवार के सदस्‍यों का प्रश्‍नगत टूर पैकेज व प्रोग्राम अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा तैयार किया गया था। अपीलार्थी/विपक्षी का यह कथन उचित है कि सुबह 6.00 बजे ऊटी से चलकर बंगलौर 12.20 बजे फ्लाइट पकड़ना सम्‍भव नहीं था परन्‍तु यहॉं यह उल्‍लेख करना आवश्‍यक है कि टूर का प्रोग्राम अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा बनाया गया था। अत: उसको टूर प्रोग्राम इस प्रकार तैयार करना चाहिए था कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके परिवार को प्रोग्राम के अनुसार ऊटी से चलकर विमान पकड़ना सम्‍भव हो सके। ऐसी स्थिति में यह मानने हेतु उचित आधार है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने  प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके परिवार के पर्यटन हेतु जो टूर प्रोग्राम बनाया है वह दोषपूर्ण रहा है। ऐसी स्थिति में अपीलार्थी/विपक्षी की सेवा में कमी मानने हेतु उचित आधार है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके परिवार को एक रात ऊटी में

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स्‍टे न करने व बंगलौर में स्‍टे करने से जो क्षति हुयी है उसकी पूर्ति हेतु अपीलार्थी/विपक्षी से क्षतिपूर्ति दिलाया जाना उचित है। परन्‍तु उपरोक्‍त विवरण से स्‍पष्‍ट है कि पॉंच दिन के टूर प्रोग्राम का अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से 1,54,154/-रू० चार्ज किया है। ऐसी स्थिति में ऊटी में स्‍टे एक दिन कम करने व बंगलौर में एक दिन प्रत्‍यर्थी/परिवादी एवं उसके परिवार द्वारा अपने खर्च पर स्‍टे करने के आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षी से 25,000/-रू० क्षतिपूर्ति दिलाया जाना उचित है। अत: जिला फोरम ने जो 50,000/-रू० क्षतिपूर्ति दिलाया है उसे कम कर 25,000/-रू० किया जाना उचित है।

     जिला फोरम ने 40,000/-रू० शारीरिक और मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति दिलाया है जो उपरोक्‍त तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए बहुत अधिक प्रतीत होती है। इसे कम कर 10,000/-रू० किया जाना उचित है। जिला फोरम ने जो प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 8,000/-रू० वाद व्‍यय दिलाया है वह उचित है।

     जिला फोरम ने आदेशित धनराशि पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 08 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज दिया है। ब्‍याज दर भी अधिक प्रतीत होती है।  इसे कम कर ब्‍याज दर 06 प्रतिशत वार्षिक किया जाना उचित है।

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके परिवार की सेवा में कमी हेतु 25,000/-रू० क्षतिपूर्ति प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करें। इसके साथ ही उसे मानसिक और शारीरिक कष्‍ट हेतु 10,000/-रू०

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क्षतिपूर्ति अदा करें। अपीलार्थी/विपक्षी जिला फोरम द्वारा आदेशित 8,000/-रू० वाद व्‍यय की धनराशि भी प्रत्‍यर्थी/‍परिवादी को अदा करेगा।

     अपीलार्थी/विपक्षी प्रत्‍यर्थी/परिवादी व उसके परिवार की सेवा में की गयी कमी हेतु क्षतिपूर्ति की धनराशि 25,000/-रू० और मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति की धनराशि 10,000/-रू० पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करेगा।

     अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000/-रू० अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                                                                                                         अध्‍यक्ष                                                             

         

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट नं01

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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