Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/76/2010

Shri Pappu Singh - Complainant(s)

Versus

Dr. Ankur Goel - Opp.Party(s)

28 Apr 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/76/2010
 
1. Shri Pappu Singh
R/o Village Allhepur Shamspur Thana Islam Nagar Distt. Badaun
...........Complainant(s)
Versus
1. Dr. Ankur Goel
Add:- Shri Sai Hospital Trama Center Mansarover Colony, Delhi Road Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह अनुरोध किया है कि इलाज व आपरेशन में हुऐ व्‍यय तथा विपक्षी सं0-1 द्वारा की गई  चिकित्‍सीय लापरवाही के कारण क्षतिपूर्ति सहित विपक्षीगण से उसे  5,00,000/- रूपये 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलाऐ जाऐं।
  2.    संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि गम्‍भीर रूप से घायल स्थिति में अपनी टाँग का आरेशन कराने हेतु दिनांक 02/9/2009 को परिवादी विपक्षी सं0-1 के अस्‍पताल में भर्ती हुआ था। विपक्षी सं0-2 डाक्‍टरों द्वारा परिवादी की टांगों के घाव की सफाई करने के 3 दिन बाद उसकी टाँग में राड डाली गई। आपरेशन विपक्षी सं0-1 ने अपने जूनियर डाक्‍टरों से कराया। आपरेशन करने से पहले परिवादी को  दर्द निवारक इन्‍जेक्‍शन नहीं लगाया गया जिस कारण परिवादी दर्द से  तड़पता रहा। परिवादी के पैर में राड उचित सीमा से बड़ी डाली गई  और ऐसा करके विपक्षी सं0-1 ने चिकित्‍सीय लापरवाही की जिस कारण आज भी परिवादी के पैर से लगातार पस व खून आ रहा है। राड बड़ी होने के कारण वह चुभती है जिसके कारण इन्‍फेक्‍शन हो रहा है। गलत  आपरेशन की वजह से परिवादी टांगों से बेकार हो गया है और बैड पर  पड़ा हुआ है। परिवादी ने विपक्षी सं0-1 को कई बार टाँग में पस व खून  आने की समस्‍या बताई लेकिन वे बार-बार परिवादी को ठीक होने का  झूठा आश्‍वासन देते रहे और अवै| रूप से रूपया ऐंठते रहे। विपक्षीगण ने अपने कर्तव्‍यों में चिकित्‍सीय लापरवही की जिसके लिए वे पूरी तरह  जिम्‍मेदार हैं। परिवादी का अग्रेत्‍तर कथन है कि दिनांक 02/9/2009  से 22/2/2010 तक लगभग 5 माह 20 दिन परिवादी विपक्षी सं0-2  के अस्‍पताल में विपक्षी सं0-1  की देखरेख में रहा। इलाज, आपरेशन इत्‍यादि में परिवादी का लगभग 5-6 लाख रूपया खर्चा हो चुका है।  जब परिवादी ठीक नहीं हुआ तो मजबूरन दिनांक 23/2/2010 को उसे  इलाज हेतु जे0एन0 मेडिकल कालेज, अलीगढ़ ले जाना पड़ा जहॉं डा0  मौहम्‍मद खालिद ए शेरवानी ने बारीकी से उसका केस देखा और कहा  कि आपरेशन होने के करीब 5-6 घन्‍टे के भीतर राड को मांस में डाल  देना चाहिए था। दाहिने पैर में 3 दिन बाद राड डालने और राड की  माप सीमा से अधिक बड़ी होने तथा राड में पेचों के बड़े होने की वजह  से टाँग में इन्‍फेंशन हो गया है और राड के लगातार चुभने की वजह  से दाहिने पैर से पस व खून लगातार आता रहा है। डा0 खालिद ने यह  भी बताया कि यदि जल्‍दी आपरेशन नहीं किया गया तो पैर में गलाव पैदा हो जाऐगा और टाँग को काटना भी पड़ सकता है। दिनांक 09/3/2010 को परिवा‍दी की दाहिनीं टांग का एक्‍स-रे कराया गया और  उसके बाद उसका दोबारा आपरेशन किया गया। परिवादी ने आरोप लगाया है कि 5 माह 20 दिन तक विपक्षी सं0-1 व 2 के उपेक्षा पूर्ण  कृत्‍यों और इलाज में की गई लापरवाही के कारण परिवादी सदैव के  लिए चलने फिरने में असमर्थ हो गया है। इनकी लापरवाही की वजह  से परिवादी मजदूरी करने से भी वंचित हो गया है। परिवादी का यह  भी कहना है कि क्षतिपूर्ति के सम्‍बन्‍ध में उसने अपने अधिवक्‍ता के  द्वारा विपक्षी सं0-2 को नोटिस भेजा था जिसके जबाव में सारे चिकित्‍सीय अभिलेख जो उन्‍होंने ने मांगे थे परिवादी ने उन्‍हें उपलब्‍ध करा दिऐ। परिवादी के अनुसार विपक्षीगण ने परिवाद के पैरा सं0-13 में अनुरोधित 5,00,000/- रूपये की धनराशि देने से चॅूंकि इन्‍कार कर दिया है अत: उसे यह परिवाद योजित करने की आवश्‍यकता हुई। उसने परिवाद में  अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.    परिवाद के साथ परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 को भिजवाऐ गऐ  कानूनी नोटिस, उसे भेजे जाने की डाकखाने की रसीद, विपक्षीगण की ओर से परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता को भेजे गऐ जबाव नोटिस दिनांकि 06/4/2010, परिवादी के राशन कार्ड, परिवादी के इलाज एवं आपरेशन में हुऐ  खर्चों के बिल बाउचर तथा जे0एन0 मेडिकल कालेज, अलीगढ़ के चिकित्‍सीय पर्चों की नकलों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/6 लगायत 3/65 हैं।
  4.   विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-7/1 लगयत 7/5 दाखिल हुआ। प्रतिवाद पत्र में स्‍वीकार किया गया  है कि दिनांक 02/9/2009 को परिवादी पप्‍पू सिंह गम्‍भीर रूप से घायल स्थिति में अपनी टांगों का आपरेशन कराने के लिए विपक्षी सं0-2 में  भर्ती हुआ था। विपक्षीगण सं0-1 व 2 को यह भी स्‍वीकार है कि विपक्षी सं0-1 ने परिवादी के पैर का आपरेशन कर राड डाली थी, किन्‍तु  परिवादी द्वारा परिवाद में विपक्षीगण के विरूद्ध लगाऐ गऐ आरोपों से  स्‍पष्‍ट इन्‍कार किया गया है। विशेष कथनों में कहा गया है  कि परिवादी का यह कथन असत्‍य हैं कि आपरेशन से पहले उसे दर्द निवारक इन्‍जेक्‍शन नहीं लगाया गया था और परिवादी की टाँग में राड विपक्षी सं0-1 ने खुद न डालकर अपने जूनियर डाक्‍टरों से डलवाई थी। परिवादी के इस कथन से भी इन्‍कार किया गया है कि उसके पैर में डाली गई राड उचित सीमा से बड़ी थी और परिवादी का गलत आपरेशन किया गया। उत्‍तरदाता विपक्षीगण के अनुसार परिवादी दिनांक 31/8/2009 को दुर्घटना में घायल हुआ था जिसके 3 दिन बाद दिनांक 02/9/2009 को शाम 5 बजकर 25 मिनट पर वह विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में आया था। उसे बदायूँ के डाक्‍टर ने रेफर किया था उसकी दाहिंनी टाँग की न केवल हड्डी टूटी थी बल्कि उसकी टाँग में जगह-जगह खुले घाव थे जिनसे खून बह रहा था टाँग में सूजन भी थी जिस कारण उसका तत्‍काल आपरेशन कर राड डालना सम्‍भव नहीं था। उसका इलाज एवं आपरेशन करने में न तो कोई त्रुटि की गई और न ही कोई चिकित्‍सीय लापरवाही की गई। परिवादी की टाँग का आपरेशन करने से  पूर्व उसके भाई और पिता को आपरेशन से होने वाले सम्‍भावित खतरों  से अवगत करा दिया गया था। उनकी लिखित सहमति के उपरान्‍त ही  परिवादी का आपरेशन किया गया। परिवादी के अनुरोध पर दिनांक 09/9/2009 को उसे अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गई। इसके बाद पुन: वह  दिनांक 29/11/2009 को विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में भर्ती होने आया था, किन्‍तु चिकित्‍सकों की सलाह के विपरीत अस्‍पताल छोड़कर उसी दिन कुछ समय इलाज कराने के बाद अपने पिता एवं  भाई सोमपाल की लिखित सहमति देने के उपरान्‍त अस्‍पताल से चला   गया था। परिवादी का यह कथन असत्‍य है कि दिनांक 02/9/2009 से  22/2/2010 तक वह उत्‍तरदाता विपक्षीगण के अस्‍पताल में रहा था  और वहां उसके इलाज में लगभग 5-6 लाख रूपया खर्चा हो गया था।   उत्‍तरदाता विपक्षीगण ने अग्रेत्‍तर यह भी कथन किया कि परिवाद प्रस्‍तुत करते समय कोई चिकित्‍सीय विशेषज्ञ आख्‍या दाखिल नहीं की  गई अत: परिवाद पोषणीय नहीं है। यह भी कहा गया कि परिवाद को  सुनने का इस फोरम को क्षेत्राधिकार नहीं है क्‍योंकि वि|मान विवाद हेतु विस्‍तृत साक्ष्‍य की आवश्‍यकता होगी। विकल्‍प में यह भी कहा गया कि  यदि फोरम की राय में उत्‍तरदाता विपक्षीगण की कोई त्रुटि अथवा लापरवाही मानी जाऐ जो उत्‍तरदाता विपक्षीगण को स्‍वीकार नहीं है,  तो उस दशा में क्षतिपूर्ति अदा करने का उत्‍तरदायित्‍व विपक्षी सं0-3   का होगा क्‍योंकि प्रश्‍नगत अवधि में उत्‍तरदाता विपक्षीगण विपक्षी संख्‍या-3 से बीमित थे। उक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
  5.   विपक्षीगण सं0-1 व 2 ने अपने प्रतिवाद पत्र के साथ विपक्षी सं0-3 से ली गई बीमा पालिसी की फोटो प्रति को बतौर संलग्‍नक  दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज संख्‍या-7/6 लगायत 7/7  हैं।
  6.   विपक्षी सं0-3 की ओर से  प्रतिवाद पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/3 दाखिल किया गया जिसमें उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-3 ने विपक्षी सं0-1 व 2 के प्रतिवाद पत्र में उल्लिखित कथनों को अंगीकृत करते हुऐ  और यह कहते हुऐ कि परिवाद में उत्‍तरदाता विपक्षी के विरूद्ध कोई   कथन नहीं किया गया है, परिवाद को  खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
  7.   परिवादी ने  अपना साक्ष्‍य  शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/8 प्रस्‍तुत किया। उसके समर्थन में उसके पिता श्री झांझन सिंह का  सक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14/9 लगायत 14/11 और साक्षी सुरेश चन्‍द्र गुप्‍ता का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14/12 लगायत 14/13  दाखिल हुआ। सुरेश चन्‍द्र गुप्‍ता ने अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र के साथ परिवादी के पिता द्वारा उसके पक्ष में दिनांक 05/5/2010 को निष्‍पादित बैयनामे की फोटो प्रति कागज संख्‍या-14/14 लगायत 14/23 को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया।
  8.   विपक्षी सं0-1 डा0 अंकुर गोयल ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-15/1 लगायत 15/4 दाखिल किया जिसके साथ उन्‍होंने परिवादी पप्‍पू सिंह के इलाज एवं आपरेशन से सम्‍बन्धित चिकित्‍सीय प्रपत्रों को  बतौर संलग्‍नक दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-15/5  लगायत 15/33 हैं।
  9.   प्रत्‍युत्‍तर में परिवादी ने रिज्‍वांइडर शपथ पत्र कागज सं0-17/1  लगायत 17/7 दाखिल किया जिसके साथ उसने जे0एन0 मेडिकल कालेज, अलीगढ़ के चिकित्‍सक डा0 खालिद ए शेरवानी का चिकित्‍सीय  पर्चा मूल रूप में दाखिल किया, यह चिकित्‍सीय पर्चा पत्रावली का  कागज सं0-17/8 है।
  10.    सुनवाई के दौरान परिवादी ने दिनांक 22/2/2012 को एक  प्रार्थना पत्र कागज सं0-19 प्रस्‍तुत कर फोरम से अनुरोध किया कि विशेषज्ञ  चिकित्‍सीय आख्‍या मंगा ली जाऐ। परिवादी के इस प्रार्थना पत्र को स्‍वीकार करते हुऐ दिनांक 10/7/2012 को आदेश दिऐ गऐ कि मेडिकल  बोर्ड गठित कराकर मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी, मुरादाबाद से एक्‍सपर्ट  रिपोर्ट मंगाई जाऐ। उक्‍त आदेशों के अनुपालन में मुख्‍य  चिकित्‍साधिकारी, मुरादाबाद से एक्‍सपर्ट रिपोर्ट कागज सं0-31 लगायत 33  प्राप्‍त हुई। इस एक्‍सपर्ट रिपोर्ट के विरूद्ध परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत  आपत्ति कागज सं0-34 के आधार पर फोरम ने दिनांक 13/1/2015 के  आदेश द्वारा मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी, मुरादाबाद से इस बिन्‍दु पर स्‍पष्‍ट  आख्‍या मांगी कि परिवादी पप्‍पू सिंह के इलाज  व आपरेशन में क्‍या विपक्षी सं0-1 डा0 अंकुर गोयल द्वारा कोई  चिकित्‍सीय लापरवाही अथवा सेवा में कमी की गई थी अथवा नहीं ? फोरम के इस आदेश के अनुपालन में मेडिकल बोर्ड की अतिरिक्‍त  आख्‍या कागज संख्‍या- 46/2 दिनांकित 06/6/2015 प्राप्‍त हुई।
  11.   परिवादी की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई। विपक्षीगण  की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई।
  12.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।
  13.    परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवाद में उल्लिखित कथनों पर बल देते हुऐ तर्क दिया कि गम्‍भीर रूप से घायल स्थिति में अपनी टांगो के आपरेशन के लिए परिवादी दिनांक 02/9/2009 को विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में भर्ती हुआ था जहॉं विपक्षी सं0-1 की देखरेख में वह दिनांक 22/2/2010 तक लगभग 5 माह 20 दिन रहा। उसकी टाँग का आपरेशन किया गया जिसमें उसके पैर में निर्धारित सीमा से बड़ी राड डाल दी गई। राड बड़ी होने के कारण वह परिवादी के पैर में चुभती थी जिस कारण उसके पैर से पस और खून आता था। घाव में इन्‍फेक्‍शन हो गया। बार-बार शिकायत करने के बावजूद सही तरीके से परिवादी का इलाज नहीं किया गया और झूठे आश्‍वासन देकर उससे अवैध रूप से पैसा ऐंठा जाता रहा। परिवादी के  विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी आरोप है कि आपरेशन के समय परिवादी को दर्द निवारक इन्‍जेक्‍शन भी नहीं लगाया और आपरेशन के दौरान  परिवादी दर्द से तड़पता रहा। राड विपक्षी सं0-1 ने अपने जूनियर डाक्‍टरों से डलवाई। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी आरोप है कि  राड 3 दिन बाद डाली गई जबकि आपरेशन होने के 6-7 घण्‍टे के भीतर राड डाल दी जानी चाहिए थी। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि विपक्षी सं0-1 ने परिवादी का केस बुरी तरह बिगाड़ दिया तब परिवादी को अलीगढ़ मेडिकल कालेज के डा0 खालिद ए शेरवानी को दिखाया गया जिन्‍होंने परिवादी की जांच करके बताया कि यदि परिवादी के दाहिनें पैर का आपरेशन दोवारा नहीं किया गया तो पैर में गलाव पैदा हो जाऐगा और टाँग काटनी पड़ेगी। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता  ने अग्रेत्‍तर कहा कि इस पर परिवादी की टाँग का दोवारा आपरेशन किया गया। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार परिवादी के  इलाज, आपरेशन इत्‍यादि में लगभग 5-6 लाख रूपया खर्च हुऐ। परिवादी के पिता श्री झांझन सिंह और साक्षी सुरेश चन्‍द्र गुप्‍ता के साक्ष्‍य शपथ  पत्र कागज सं0-14/9 लगायत 14/13  की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित  करते हुऐ यह भी तर्क दिया गया कि पैसे के इन्‍तजाम हेतु मजबूरन परिवादी के  पिता को अपनी जमीन साक्षी सुरेश चन्‍द्र गुप्‍ता को बेचनी पड़ी। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने कहा कि पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य सामग्री से विपक्षीगण के विरूद्ध लगाऐ गऐ उपरोक्‍त आरोप प्रमाणित करने में  परिवादी सफल रहा है अत: उसे परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाऐं।
  14.    विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने पत्रावली में दाखिल साक्ष्‍य  तथा चिकित्‍सीय अभिलेखों की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुऐ   परिवादी द्वारा लगाऐ गऐ समस्‍त आरोपों का खण्‍डन किया और कहा  कि परिवादी द्वारा लगाऐ गऐ सभी आरोप आधारहीन एवं मिथ्‍या हैं। उक्‍त आरोप परिवादी ने अपने परोक्ष उद्देश्‍य की पूर्ति हेतु विपक्षी सं0-1 व 2 को  बदनाम करने और उन से अवैध तरीके से रूपया लेने के उद्देश्‍य से  झूठे लगाऐ हैं। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार यह तो  सही है कि परिवादी विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में गम्‍भीर रूप से  घायल स्थिति में अपनी टाँग के आपरेशन हेतु दिनांक 02/9/2009 को  लाया गया था किन्‍तु परिवादी का यह कथन नि:तान्‍त असत्‍य है कि  वह दिनांक 22/2/2010 तक लगभग 5 माह 20 दिन विपक्षी सं0-2  के अस्‍पताल में  विपक्षी सं0-1 की देखरेख में इलाज हेतु रहा था।   विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार दिनांक 07/9/2009 को  जनरल एनेस्थिसिया में परिवादी की टाँग का आपरेशन कर विपक्षी सं0-1 ने उसमें राड डाली थी और आपरेशन सफल रहा था। दिनांक 09/9/2009 को परिवादी को अस्‍पताल से छुट्टी दी गई। उसके बाद  वह दोवारा स्‍वयं विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में दिनांक 29/11/2009 को आया था किन्‍तु उसके साथ आये उसके पिता और भाई उसे उसी  दिन अपने साथ अस्‍पताल से वापिस ले गऐ। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार परिवादी केवल 7 दिन आपरेशन के सिलसिले में विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में भर्ती रहा था। उन्‍होंने यह  भी कहा कि परिवादी ने इलाज एवं आपरेशन हेतु एकमुश्‍त 10,000/-  रूपया का पैकेज लिया था। परिवादी का यह कथन बिल्‍कुल असत्‍य है  कि उसके इलाज पर लगभग 5-6 लाख रूपया खर्च हुऐ। अलीगढ़ मेडिकल कालेज के हड्डी रोग विशेषज्ञ डा0 खालिद ए शेरवानी के  चिकित्‍सीय पर्चे कागज सं0-17/8 की ओर विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने हमारा ध्‍यान आकर्षित किया और कहा कि इस  चिकित्‍सीय पर्चे में ऐसा कोई उल्‍लेख  नहीं है जिसके आधार पर इन  कथनों पर विश्‍वास किया जा सकें कि परिवादी की टाँग का यदि दोवारा आपरेशन नहीं कराया  गया  तो उसकी टाँग में गलाव पैदा हो जाऐगा और टाँग को काटना पड़ेगा। उन्‍होंने यह भी कहा कि परिवादी य|पि अपनी टाँग का दोवारा आपरेशन होना कहता है किन्‍तु कथित रूप से यदि उसका दूसरा आपरेशन हुआ तो कब और किससे उसने यह आपरेशन कराया इसका कोई चिकित्‍सीय प्रमाण परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार परिवादी के इलाज व आपरेशन में विपक्षी सं0-1 व 2 द्वारा किसी प्रकार की चिकित्‍सीय  लापरवाही नहीं बरती गई। परिवादी की ओर से लगाऐ गऐ आरोप आधारहीन एवं मिथ्‍या हैं उन्‍होंने परिवाद को विशेष व्‍यय सहित खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  15.   पत्रावली पर जो साक्ष्‍य सामग्री उपलब्‍ध है उससे परिवादी द्वारा विपक्षीगण पर लगाया गया कोई भी आरोप प्रमाणित नहीं हुआ है। पत्रावली पर उपलब्‍ध चिकित्‍सीय प्रपत्रों से यह स्‍पष्‍ट है कि दिनांक 07/9/2009 को परिवादी की टाँग का आपरेशन विपक्षी सं0-1 डा0 अंकुर गोयल ने किया था। ऐसा नहीं है कि विपक्षी सं0-1 ने  आपरेशन नहीं किया हो बल्कि उसके जूनियर डाक्‍टरों ने परिवादी के  पैर का आपरेशन करके राड डाली हो।
  16.    विपक्षीगण की लिखित बहस के साथ दाखिल डिस्‍चार्ज समरी कागज सं0-48/4 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी विपक्षी सं0-2  के अस्‍पताल में दिनांक 02/9/2009 को भर्ती हुआ था जहां से उसे  दिनांक 09/9/2009 को छुट्टी दे दी गई थी। पत्रावली में अवस्थित चिकित्‍सीय प्रपत्र कागज सं0/15/30 लगायत 15/33 के अनुसार परिवादी विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में दिनांक 29/11/2009 की सुबह पुन: अपनी दाहिनीं टाँग के इलाज के सिलसिले में आया था किन्‍तु उसी दिन उसके साथ  आये उसके पिता और भाई उसे अपनी मर्जी से और अपने रिस्‍क पर  वापिस ले गऐ थे। डिस्‍चार्ज समरी तथा चिकित्‍सीय प्रपत्र कागज सं0-15/30 लगायत 15/33 से प्रकट है  कि विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल  में परिवादी केवल 7 दिन भर्ती रहा था। पत्रावली में परिवादी ने ऐसा कोई प्रलेख दाखिल नहीं किया जिससे प्रकट हो कि विपक्षी सं0-2 के  अस्‍पताल में वह लगभग 5 माह 20 दिन विपक्षी सं0-1 की देखरेख में  इलाज हेतु भर्ती रहा था।
  17.    पत्रावली में अवस्थित कागज सं0-15/6 एवं 15/7 के अनुसार परिवादी को विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में इस्‍लामनगर बदायूँ के  चिकित्‍सक ने दिनांक 02/9/2009 को रेफर किया था। दिनांक 02/9/2009 को परिवादी विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में आया गया। कागज संख्‍या-15/6 के अनुसार परिवादी की दाहिनीं टाँग में फ्रैक्‍चर था उसमें सूजन थी और उसकी जांघ और घुटने पर खुले घाव थे। यह चोटें परिवादी को दिनांक 31/8/2009 को हुई सड़क दुर्घटना में आई थीं ऐसा चिकित्‍सीय पर्चे कागज सं0-15/6 में उल्‍लेख है। कहने का आशय यह  है कि सड़क दुर्घटना में आई चोटों के 2 दिन बाद परिवादी विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में लाया गया था। डिस्‍चार्ज समरी कागज सं0-48/4  में यह स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि परिवादी के पैर में बड़ा घाव था उसकी दाहिनीं जांघ की त्‍वचा फट गई थी और घाव कन्‍टेमीनेटिड था। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता इस तर्क में बल है कि ऐसी दशा में आपरेशन से पूर्व घाव की सफाई और ड्रेसिंग इत्‍यादि किया जाना आवश्‍यक था और जब मरीज आपरेशन के लायक हो जाता तभी  उसका आपरेशन किया जा सकता था। पत्रावली में अवस्थित चिकित्‍सीय प्रपत्र कागज सं0-15/11 लगायत 15/21 के अवलोकन से प्रकट है कि विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में भर्ती रहने के दौरान परिवादी की निरन्‍तर चिकित्‍सीय जॉंच और निगरानी की जाती रही थी।  दिनांक 07/9/2009 को उसका आपरेशन जनरल इनेस्थिसिया में किया गया  था जैसा कि डिस्‍चार्ज समरी कागज सं0-48/4 तथा कागज सं0-15/12 के अवलोकन से स्‍पष्‍ट है। परिवादी का यह कथन नि:तान्‍त असत्‍य प्रमाणित हुआ है कि आपरेशन के समय उसे दर्द निवारक इन्‍जेंक्‍शन तक नहीं दिया गया और परिवादी दर्द से तड़पता रहा था। सड़क दुर्घटना के 2 दिन बाद परिवादी विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में लाया गया था और जब वह विपक्षी सं0-2 के अस्‍पताल में लागया गया था तो उसके दाहिनें घुटने और दाहिनी जांघ में खुला घाव था जो कन्‍टेमीनेटिड था ऐसी दशा में मात्र 6-7 घण्‍टे में उसकी टाँग में राड डालना हमारे विनम्र अभिमत में चिकित्‍सीय दृष्टिकोण से उचित नहीं था। 
  18.    पत्रावली में अवस्थित कागज सं0-15/10 के अवलोकन से प्रकट है कि दिनांक 07/9/2009 को परिवादी का आपरेशन करने से पूर्व उसके पिता और भाई की लिखित सहमति ली गई थी और उन्‍हें आपरेशन से  होने वाले सम्‍भावित परिणामों से उन्‍हें अवगत करा दिया गया था। कहने का  आश्‍य यह है कि किसी भी स्‍तर पर परिवादी के इलाज एवं आपरेशन में कोई चूक अथवा चिकित्‍सीय लापरवाही किया जाना प्रमाणित नहीं हुआ है। 
  19. जहॉं तक परिवादी के इस आरोप का प्रश्‍न है कि उसकी टाँग में  निर्धारित सीमा से बड़ी राड डाली गई यह आरोप भी आधारहीन प्रमाणित  हुआ है। परिवादी के अनुरोध पर सरकारी अस्‍पताल, मुरादाबाद में गठित मेडिकल बोर्ड से इस प्रकरण के सिलसिले में एक्‍सपर्ट रिपोर्ट मंगाई गई  थी। एक्‍सपर्ट रिपोर्ट दिनांक 27/7/22013 प्राप्‍त हुई जो पत्रावली का  कागज सं0-31/1 लगायत 31/3 है। इस रिपोर्ट में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि परिवादी की जांच करने के बाद मेडिकल बोर्ड ने पाया कि उसके इलाज एवं आपरेशन में किसी प्रकार की कोई चिकित्‍सीय चूक नहीं की  गई और उसकी टाँग में राड पैर की लम्‍बाई के अनुरूप डाली गई थी।  परिवादी द्वारा आपत्ति करने पर मेडिकल बोर्ड से अतिरिक्‍त रिपोर्ट इस बिन्‍दु मांगी गई कि क्‍या परिवादी के आपरेशन एवं इलाज में विपक्षी सं0-1 डाक्‍टर अंकुर गोयल ने कोई चिकित्‍सीय लापरवाही अथवा सेवा  में कमी की थी अथवा नहीं ? इस बिन्‍दु पर मेडिकल बोर्ड ने अतिरिक्‍त रिपोर्ट कागज सं0-46/2 प्रेषित की। इस आख्‍या में मेडिकल बोर्ड ने  उल्‍लेख किया है कि परिवादी बोर्ड के समक्ष उपस्थित हुआ था  उसके शारीरिक परीक्षण, उपचार सम्‍ब्‍न्‍धी पत्रावली में एक्‍स-रे इत्‍यादि के  अवलोकन से पाया गया कि विपक्षी सं0-1 डा0  अंकुर गोयल द्वारा परिवादी को दिऐ गऐ इलाज समुचित थे और इसमें डा0 अंकुर गोयल ने किसी प्रकार की कोई चिकित्‍सीय लापरवाही नहीं की थी।
  20.   अलीगढ़ मेडिकल कालेज के हड्डी रोग विशेषज्ञ डा0 खालिद ए शेरवानी के चिकित्‍सीय पर्चे कागज सं0-17/8 में ऐसा कोई उल्‍लेख नहीं  है कि परिवादी का यदि पुन: आपरेशन नहीं किया गया तो उसके पैर   में गलाव हो जाऐगा और उसकी टाँग काटनी पड़ेगी। डा0 खालिद ए शेरवानी ने परिवादी के पुन: आपरेशन की सलाह तो दी थी किन्‍तु परिवादी द्वारा कथित दूसरा आपरेशन कराऐ जाने से सम्‍बन्धित कोई चिकित्‍सीय प्रपत्र परिवादी ने दाखिल नहीं किया जिससे यह प्रमाणित होता कि उसने दूसरा आपरेशन नहीं कराया।
  21.     पत्रावली पर जो चिकित्‍सीय प्रपत्र एवं साक्ष्‍य सामग्री उपलब्‍ध  है उन से यह प्रमाणित नहीं हुआ कि परिवादी के इलाज एवं आपरेशन में विपक्षी सं0-1 एवं विपक्षी सं0-2 ने किसी प्रकार की कोई चिकित्‍सीय  लापरवाही की थी। हमारे अभिमत में परिवाद खारिज होने  योग्‍य है।
  •  

परिवाद  खारिज किया  जाता  है।

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)  (सुश्री अजरा खान)   (पवन कुमार जैन)

     सामान्‍य सदस्‍य          सदस्‍य            अध्‍यक्ष

  •   0उ0फो0-।। मुरादाबाद   जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     28.04.2016        28.04.2016        28.04.2016

 

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 28.04.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

   (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)  (सुश्री अजरा खान)   (पवन कुमार जैन)

     सामान्‍य सदस्‍य          सदस्‍य            अध्‍यक्ष

  •   0उ0फो0-।। मुरादाबाद   जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

       28.04.2016       28.04.2016        28.04.2016

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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