Rajasthan

Kota

CC/204/2006

Chitarlal - Complainant(s)

Versus

Dr. Anil Varma - Opp.Party(s)

Ram Kishan Varma

26 Jun 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )

पीठासीन:- 

01.    अध्यक्ष    ः नंदलाल शर्मा            ,     
02.    सदस्य    ः महावीर तंवर        ः    

परिवाद संख्या:-204/06

छीतरलाल पुत्र डालूराम जाति लश्करी, निवासी ग्राम मोतीपुरा, पोस्ट सारोला वाया गडेपान (सीमलिया)तहसील दीगोद,जिला कोटा (राजस्थान)               परिवादी

                    बनाम

01.    डा. अनिल वर्मा, कोटा आई हास्पीटल एण्ड रिसर्च फाउन्डेशन, 88 शक्ति नगर,     कोटा-324009
02.    यूनाईटेड इंडिया इन्श्योरेन्स लि0 सी-97 सुभाश मार्ग सी स्कीम, जयपुर।
                                        अप्रार्थीगण

    प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति:-

01.     श्री रामकिशन वर्मा, अधिवक्ता, परिवादी की ओर सें।
02.    श्री महेश चन्द गुप्ता, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं.1 की ओर से ।
03.    श्री बी. एस. यादव, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं. 2 की ओर से।


            निर्णय             दिनांक 26.06.2015

    परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ, जिसमें अंकित किया कि उसने दिनांक 25.10.05 को अप्रार्थीसं. 1 को 70/- रूपये फीस देकर आंखों का चैक अप कराया तो परिवादी की दांयी आख में मवाद पायी, जिसको आपरेशन द्वारा साफ कर दिया जावेगा व अच्छा दिखाई देगा। अप्रार्थी सं0 1 ने परिवादी को उपचार लिखा,उन्ही के अनुसार उपचार लिया। अप्रार्थी सं. 1 ने कहा कि आपरेशन के समय 7,000/- रूपये व बाकी 1,600/- रूपये डिस्चार्ज के समय अदा कर देना। अप्रार्थी सं. 1 ने परिवादी से आपरेशन के पूर्व कुछ टेस्ट करवाये दिनांक 15.12.05 को परिवादी की दाई आंख का आपरेशन अप्रार्थी सं.1 ने कर दिया तथा दिनांक 17.12.05 को डिस्चार्ज कर दिया। अप्रार्थी सं. 1 ने फीस की 1,600/- रूपये नहीं लेकर परिवादी से 10,000/- रूपये ओर लिये, इस प्रकार अप्रार्थीसं. 1 ने परिवादी से 8,400/- रूपये अधिक प्राप्त किये। अप्रार्थी ने परिवादी के बीच हुई संविदा को तोडा है। परिवादी ने अप्रार्थी को दिखाया परन्तु परिवादी की दांई आखं से बिल्कुल दिखना बंद हो गया। अप्रार्थीसं. 1 ने परिवादी की दंाई आंख का आपरेशन में लापरवाही बरती जिससे उसकी आंख खराब हो गई। अप्रार्थी सं.1 ने परिवादी की आंख के आपरेशन में लापरवाही बरत कर उसकी सेवा में कमी की है, इसलिये परिवादी को अप्रार्थीसे उससे अधिक राशि प्राप्त की वह तथा मानसिक संताप, ईलाज खर्च, परिवाद खर्च दिलवाया जावे। 

    अप्रार्थी सं.1  ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया है कि परिवादी की आख का चैक आप दिनांक 12.11.05 को किया तो पाया कि परिवादी की दांई आख में मवाद आ रहा था,आंख का पर्दा उखडा हुआ था। परिवादी को हाथ की अगुलिया भी नजर नही आ रही थी। परिवादी की दांई आखं का आपरेशन पूर्व में किसी अन्य डाक्टर के द्वारा किया हुआ था। परिवादी मधुमेह से पीडित है और उक्त दिनांक को परिवादी के अटेडेन्ट रामहेत को उक्त आंख की बीमारी के आपरेशन के बाद भी नजर आने की संभावना अत्यधिक कम होने के बाबत बता दिया था। परिवादी की सहमति के बाद ही अप्रार्थी सं. 1 ने उसकी दांई आंख का आपरेशन किया था। परिवादी को 15.12.05 को आपरेशन किया तथा 17.12.05 को डिस्चार्ज कर दिया गया। परिवादी की आखं के आपरेशन में जिन उपकरण या अन्य का उपयोग में लाया गया जिसके खर्चे के 17,600/- रूपये फीस बताई थी, परिवादी के कहने पर 600/- रूपये कम करते हुये 17,000/- रूपये लिये थे, जिसकी रसीद परिवादी को अप्रार्थी सं.1 ने दी। आपरेशन से पूर्व जो जांचे आवश्यक थी वह करवाई उसे परिवादी कही से भी करवा कर ला सकता है। परिवादीको अप्रार्थी सं.1 ने आपरेशन के बाद दिनांक 25.03.06 को अपनी आंख दिखाई थी उस समय भी परिवादी की आंख में मवाद थी, जिसे अप्रार्थी सं. 1 ने एक छोटा आपरेशन कर उसे निकाल दिया गया । उसके बाद परिवादी अप्रार्थीसं. 1 को कभी भी आंख दिखाने नहीं आया, इसप्रकार परिवादी ने न तो अप्रार्थी सं. 1 को दिखाया और ना ही ईलाज समय पर लिया, यह परिवादी की ईलाज के प्रति लापरवाही है, इस प्रकार अप्रार्थी सं. 1 ने परिवादी के आपरेशन व ईलाज में कोई कमी नही रखी। परिवादी ने अप्रार्थी सं. 1 पर आरोप लगाया कि उसने आपरेशन में लापरवाही बरती परन्तु उसने यह नहीं बताया कि अप्रार्थी सं.1 ने क्या लापरवाही बरती, परिवादी ने विशेषज्ञ चिकित्सक की ऐसी भी कोई रिपोर्ट या शपथ-पत्र मंच में पेश नहीं किया जिससे परिवादी द्वारा लगाया गया लापरवाही का आरोप प्रमाणित होता है। परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे।  

    उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-
01.    आया परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है ?

    परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र, परिवादी के जवाब व चिकित्सक की ईलाज की पर्चिया व बिल की रसीदों कल फोटो कापी से परिवादी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है। 
02.    आया अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?
    उभय पक्षों को सुना गया। पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेजी रेकार्ड का अवलोकन किया गया तो स्पष्ट हुआ कि उभय पक्षो द्वारा यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी की दाई आंख का चैक आप दिनांक 12.11.05 को करना, उसमें मवाद का पाया जाना, परिवादी को मधुमेह रोग होना,दिनाक 15.12.05 को आपरेशन किया जाना तथा दिनांक 17.12.05 को डिस्चार्ज करना। परिवादी का परिवाद में कहना है कि परिवादी ने अप्रार्थी को उसकी दांई आखं दिखाई जिससे आपरेशन के बाद बिल्कुल दिखना बंद हो गया। अप्रार्थीसं. 1 ने परिवादी की दांई आंख के आपरेशन में लापरवाही बरती, जिससे उसकी आंख खराब हो गई। दूसरी तरफ अप्रार्थीगण का कहना है कि परिवादी की आख का चैक आप दिनांक 12.11.05 को किया तो पाया कि परिवादी की दांई आख में मवाद आ रहा था, परिवादी की आंख का पर्दा उखडा हुआ था। परिवादी को हाथ की अगुलिया भी नजर नही आ रही थी। परिवादी की दांई आखं का आपरेशन पूर्व में किसी अन्य डाक्टर के द्वारा किया हुआ था। परिवादी मधुमेह से पीडित है और उक्त दिनांक को परिवादी के अटेडेन्ट रामहेत को उक्त आंख की बीमारी के आपरेशन के बाद भी नजर आने की संभावना अत्यधिक कम होने के बाबत बता दिया था। परिवादी की सहमति के बाद ही अप्रार्थी सं. 1 ने उसकी दांई आंख का आपरेशन किया था। परिवादीको अप्रार्थी सं.1 ने आपरेशन के बाद दिनांक 25.03.06 को अपनी आंख दिखाई थी उस समय भी परिवादी की आंख में मवाद थी, जिसे अप्रार्थी सं. 1 ने एक छोटा आपरेशन कर उसे निकाल दिया गया । उसके बाद परिवादी अप्रार्थीसं. 1 को कभी भी आंख दिखाने नहीं आया, इसप्रकार परिवादी ने न तो अप्रार्थी सं. 1 को दिखाया और ना ही ईलाज समय पर लिया, यह परिवादी की ईलाज के प्रति लापरवाही है। परिवादी ने अप्रार्थीगण पर आपरेशन में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है, परन्तु अप्रार्थीगण ने परिवादी की दांई आंख का आपरेशन करने में क्या लापरवाही बरती,इस तथ्य को किसी विशेषज्ञ चिकित्सक की रिपोर्ट या उसका मंच में शपथ-पत्र पेश कर प्रमाणित नहीं किया है। इसलिये परिवादी का उक्त आरोप प्रमाणित नहीं होता है। उपरोक्त विवेचन, विश्लेषण को दृष्टिगत रखते हुये हमारे विनम्र मत में परिवादी अप्रार्थीगण का कोई सेवा दोष प्रमाणित नहीं कर पाया।  
03.    अनुतोष ?
    परिवादी का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है। 
 
                     आदेश 

     परिवादी  छीतरलाल का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवादी खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे। 


     (महावीर तंवर)                (नंदलाल शर्मा)
        सदस्य                       अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा           मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

    निर्णय आज दिनांक 26.06.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।

   सदस्य                              अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा            मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

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