Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/52/2016

St. Veerbala - Complainant(s)

Versus

Dr. Ajay Arora - Opp.Party(s)

Shri Shiv Hari Sharma

10 Apr 2018

ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद

परिवाद संख्‍या- 52/2016  

श्रीमती वीरवाला पत्‍नी श्री भूपेन्‍द्र सिंह निवासी इंदिरा कालोनी कटघर मुरादाबाद।

                                                       परिवादनी

बनाम

1-अजय अरोड़ा(पैथोलोजिस्‍ट) सुपरटैक पैथोलोजी 25 कोर्ट रोड मुरादाबाद।

2- डा.ए.के. सिंह(एम.डी.) बँगला गांव चौराहे के पास नीम वाली जारत मुरादाबाद।

                                                      विपक्षीगण

वाद दायरा तिथि: 29-06-2016                                  निर्णय तिथि: 10.04.2018         

उपस्थिति

श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष

श्री सत्‍यवीर सिंह, सदस्‍य

 (श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित)

निर्णय

  1. इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादनी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षी-1 से उसे उसके पति के विरूद्ध की गई चिकित्‍सीय लापरवाही की मद में क्षतिपूर्ति के रूप में 15,00,000/-रूपये दिलाये जायें। परिवाद व्‍यय परिवादनी ने अतिरिक्‍त मांगा है।
  2. संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादनी के पति की पित्‍त की थैली में पथरी थी। विपक्षी-2 को उन्‍हें दिखाया तो विपक्षी-2 ने तुरन्‍त आपरेशन कराने को कहा। विपक्षी-2 ने विपक्षी-1 से परिवादनी के पति का ब्‍लड ग्रुप चैक कराने के लिए कहा। वह अपने पति को लेकर विपक्षी-1 के पास गई। विपक्षी-1 ने उनके खून का नमूना लिया और रिपोर्ट दी कि परिवादनी के पति का ब्‍लड ग्रुप बी-निगेटिव है। विपक्षी-2 ने तुरन्‍त खून की व्‍यवस्‍था करने के लिए कहा। परिवादनी ने बड़ी मुश्किल से सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद से बी-निगेटिव खून की व्‍यवस्‍था की। परिवादनी ने अग्रेत्‍तर कथन किया कि विपक्षी-2 को ब्‍लड रिपोर्ट पर संदेह हुआ, इसलिए उन्‍होंने खून चढ़ाने से पूर्व ब्‍लड की दोबारा जांच कराने को कहा। विपक्षी-2 ने खून का नमूना लेकर पुन: जांच करायी तो परिवादनी के पति का ब्‍लड ग्रुप ए-निगेटिव निकला। परिवादनी ने एक अन्‍य चिकित्‍सक से जांच करायी तो पुष्टि हुई कि परिवादनी के पति का ब्‍लड ग्रुप ए-निगेटिव ही है। परिवादनी के अनुसार विपक्षी-1 ने चिकित्‍सीय लापरवाही की और गलत जांच रिपोर्ट दी। उसके अनुसार यदि दोबारा ब्‍लड की जांच न करायी जाती तो परिवादनी के पति का जीवन खतरे में पड़ जाता। उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार किये जाने की प्रार्थना की।
  3. परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादनी ने अपना शपथपत्र कागज सं.-3/4 दाखिल किया, उसके साथ अपने पति की पैथोलोजी रिपोर्ट कागज सं.-3/5 लगायत 3/7 भी दाखिल की।
  4. विपक्षी-1 डा. अजय अरोड़ा ने प्रतिवाद पत्र कागज सं.-5/1 लगायत 5/5 दाखिल किया, जिसमें परिवाद पत्र में लगाये गये आरोपों से इंकार किया गया और कहा कि परिवादनी उपभोक्‍ता अधिनियम के अधीन ’’उपभोक्‍ता’’ की श्रेणी में नहीं आती। उसे परिवाद योजित करने का कोई वाद कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ। अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि परिवादनी के पति के खून की समस्‍त जांचें उत्‍तरदाता विपक्षी ने की थीं, जांच रिपोर्ट परिवादनी को दिनांक 06-6-2016 की शाम को दी गई थी। परिवादनी का यह कथन गलत है कि उसने बी-निगेटिव ग्रुप के ब्‍लड की सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद से व्‍यवस्‍था की हो। परिवादनी ने जानबूझकर इस बात को भी छिपाया है कि उसके पति की शल्‍य क्रिया कब हुई। जांच रिपोर्ट से प्रकट है कि परिवादनी के पति को पीलिया की बीमारी भी थी, जिसके कारण पथरी हेतु उसका तुरन्‍त आपरेशन नहीं किया जा सकता था, तत्‍संबंधी परिवादनी के कथन असत्‍य हैं। किसी भी मरीज को खून चढ़ाने से पूर्व ब्‍लड ग्रुप के अतिरिक्‍त अन्‍य जांचें भी मरीज के खून के नमूने से मैच करने के लिए की जाती हैं, जिसमें काफी समय लगता है। परिवादनी का यह कथन असत्‍य है कि उसके पति का तत्‍काल ऑपरेशन होने वाला था। उत्‍तरदाता विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया कि उसके टाईपिस्‍ट द्वारा टंकण त्रुटि की वजह से परिवादनी के पति की जांच रिपोर्ट में उसका ब्‍लड ग्रुप ए-निगेटिव के स्‍थान पर बी-निगेटिव टंकित हो गया था, उत्‍तरदाता द्वारा कंप्‍युटर में उपलब्‍ध रिपोर्ट का मिलान जब संबंधित रजिस्‍टर से किया तो इस टंकणीय त्रुटि का पता चला, उत्‍तरदाता विपक्षी ने तुरन्‍त उक्‍त टंकणीय त्रुटि को ठीक करते हुए विपक्षी-2 के पास संशोधित रिपोर्ट भेजी और मरीज को भी अवगत करा दिया था। वास्‍तविकता यह है कि परिवादनी ने अन्‍य किसी चिकित्‍सक से खून की जांच नहीं करायी। खून की संशोधित जांच रिपोर्ट की छायाप्रति प्रतिवाद पत्र के साथ बतौर संलग्‍नक प्रस्‍तुत करते हुए उत्‍तरदाता विपक्षी ने चिकित्‍सीय लापरवाही के आरोपों से इंकार किया और परिवाद को विशेष व्‍यय सहित खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
  5. विपक्षी-2 डा. ए.के. सिंह ने अपना प्रतिवाद पत्र कागज सं.-7/1 लगायत 7/2 दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि परिवादनी ने उत्‍तरदाता विपक्षी-2 के विरूद्ध किसी प्रकार का कोई आरोप नहीं लगाया है। उन्‍हें  अनावश्‍यक रूप से पक्षकार बनाया गया है। उत्‍तरदाता विपक्षी ने अग्रेत्‍तर यह भी कथन किया कि दिनांक 06-6-2016 को बी-निगेटिव ग्रुप की ब्‍लड रिपोर्ट जब उत्‍तरदाता को प्राप्‍त हुई, तभी विपक्षी-1 का उनके पास फोन आया कि रिपोर्ट में टंकणीय त्रुटि हो गई है और इसके अगले 15 मिनट में ही विपक्षी-1 ने संशोधित रिपोर्ट उत्‍तरदाता विपक्षी के पास पहुंचा दी थी और गलती के लिए माफी भी मांग ली थी। उत्‍तरदाता की ओर से यह भी कहा गया कि परिवादनी के पति को न तो खून चढ़ना था और न ही उसकी जरूरत थी और न ही परिवादनी से कहीं से खून मंगवाया गया। विपक्षी-2 की ओर से उक्‍त कथनों के आधार पर यह कहते हुए कि परिवादनी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आती, परिवाद को विशेष व्‍यय सहित खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
  6. परिवादनी ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-9/1 लगायत 9/6 दाखिल किया।
  7. विपक्षी-1 ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-10/1 लगायत 10/4 दाखिल किया, जिसके साथ विपक्षी-1 द्वारा सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद को लिखे गये पत्र, उसके सापेक्ष सांई अस्‍पताल की ओर से प्राप्‍त उत्‍तर की नकलें बतौर संलग्‍नक दाखिल की गईं। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-11/5 लगायत 11/11 हैं।
  8. विपक्षी-2 ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-13/1 लगायत 13/2 दाखिल किया।
  9. परिवादनी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
  10. हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  11. परिवादनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि उसके पति के खून की गलत रिपोर्ट देकर विपक्षी-1 ने गंभीर चिकित्‍सीय लापरवाही की। विपक्षी-1 ने गलत तरीके से परिवादनी के पति का ब्‍लड ग्रुप बी-निगेटिव होना पैथोलोजी रिपोर्ट कागज सं.-3/5 में दर्शाया, जबकि अन्‍यत्र जांच कराने पर यह पाया गया कि उसके पति का ब्‍लड ग्रुप ए-निगेटिव है। परिवादनी के विद्वान अधिवक्‍ता का अग्रेत्‍तर तर्क है कि यदि परिवादनी के पति को विपक्षी-1 की ब्‍लड रिपोर्ट के आधार पर बी-निगेटिव खून चढ़ा दिया जाता तो उसके पति की जान खतरे में पड़ जाती। उन्‍होंने परिवाद में अनुरोधित क्षतिपूर्ति विपक्षी-1 से दिलाये जाने की प्रार्थना की।
  12. विपक्षी-1 के विद्वान अधिवक्‍ता ने प्रतिउत्‍तर में तर्क दिया कि विपक्षी-1 द्वारा कोई चिकित्‍सीय लापरवाही नहीं बरती गई। उनका यह भी तर्क है कि परिवादनी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अधीन ‘’उपभोक्‍ता’’ की श्रेणी में नहीं आती। अतएव परिवाद पोषणीय नहीं है। उन्‍होंने यह भी कहा कि उनके टाईपिस्‍ट की टंकणीय त्रुटि की वजह से ब्‍लड ग्रुप में ए-निगेटिव के स्‍थान  पर ब्‍लड ग्रुप बी-निगेटिव टाईप हो गया था और यह टंकणीय त्रुटि सामने आते ही विपक्षी-1 ने तत्‍काल 15 मिनट के भीतर संशोधित ब्‍लड रिपोर्ट विपक्षी-2 को उपलब्‍ध करा दी थी, जिसे विपक्षी-2 ने अपने साक्ष्‍य शपथपत्र में स्‍वीकार भी किया है कि पहली रिपोर्ट प्राप्‍त होने के लगभग 15 मिनट के भीतर ही उन्‍हें विपक्षी-1 द्वारा संशोधित ब्‍लड रिपोर्ट उपलब्‍ध करा दी थी। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार विपक्षी-1 ने कोई चिकित्‍सीय लापरवाही नहीं बरती।
  13. हम विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों से सहमत हैं।
  14. स्‍वीकृत रूप से दिनांक 06-6-2016 को विपक्षी-1 ने अन्‍य के अतिरिक्‍त परिवादनी के पति श्री भूपेन्‍द्र सिंह के खून की जांच की थी। इस संदर्भ में परिवादनी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-2(डी)(II) के अन्‍तर्गत ‘’Beneficiary’’ की श्रेणी में नहीं आती। परिवादनी विपक्षीगण की ‘’उपभोक्‍ता’’ है, ऐसा नहीं माना जा सकता। चूंकि परिवादनी ‘’उपभोक्‍ता’’ नहीं थी, अतएव इसी आधार पर परिवाद खारिज होने योग्‍य है।
  15. पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों से यह स्‍पष्‍ट है कि ब्‍लड रिपोर्ट कागज सं.-3/5 जारी करने के तुरन्‍त बाद जैसे ही विपक्षी-1 के संज्ञान में यह आया कि इस रिपोर्ट में टंकक की टंकणीय त्रुटि की वजह से परिवादनी के पति का ब्‍लड ग्रुप ‘’ए-निगेटिव’’ के स्‍थान पर बी-निगेटिव टंकित हो गया है तो उन्‍होंने तत्‍काल इस गलती को संशोधित करके, संशोधित ब्‍लड रिपोर्ट विपक्षी-2 के पास 15 मिनट के भीतर पहुंचा दी थी और इस तथ्‍य को विपक्षी-2 ने अपने साक्ष्‍य शपथपत्र में स्‍वीकार भी किया है। संशोधित ब्‍लड रिपोर्ट की नकल पत्रावली का कागज सं.-5/6 है। कदाचित रिपोर्ट में टंकणीय त्रुटि होने पर बिना किसी देरी के उसे जब ठीक करके संशोधित ब्‍लड रिपोर्ट विपक्षी-1 ने विपक्षी-2 को उपलब्‍ध करा दिया था तो हमारे विनम्र अभिमत में यह मामला चिकित्‍सीय लापरवाही की श्रेणी में नहीं आता।
  16. उपरोक्‍त विवेचन के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे हैं कि परिवाद खारिज होने योग्‍य है।      
  17.  

परिवाद खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

(सत्‍यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)

  •       अध्‍यक्ष

आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्‍ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्‍यायालय में उद्घोषित किया गया।

 

(सत्‍यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)

  •      अध्‍यक्ष

दिनांक: 10-04-2018

 

परिवाद संख्‍या-52/2016

  1.  

  निर्णय घोषित। आदेश हुआ कि परिवाद खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

  • ,                                                           अध्‍यक्ष,  

 

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