Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

cc/49/2012

Ghanshyam - Complainant(s)

Versus

Dr. Abha baijar - Opp.Party(s)

18 Feb 2017

ORDER

 

                                                जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

                   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
                                        श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या    
                
    

                                                                          उपभोक्ता वाद संख्या-49/2012


घनष्याम वर्मा पुत्र स्व0 बच्चू लाल वर्मा निवासी मकान नं0-12/206 ग्वालटोली, थाना ग्वालटोली, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादी
बनाम
प्रबन्धक/प्राचार्य डा0 आभा बैजर, आभा कानपुर विद्या मंदिर महिला इण्टर कॉलेज, स्वरूप नगर, थाना स्वरूप नगर, कानपुर नगर।
                           ...........विपक्षी
परिवाद दाखिला तिथिः 31.01.2012
निर्णय तिथिः 27.03.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी से रू0 1830.00 फीस का, रू0 3000.00 किताबें व कापी तथा स्कूली ड्रेस का रू0 800.00 आय, जाति, निवास, प्रमाण पत्र बनवाने का तथा रू0 2000.00 अधिवक्ता फीस व रू0 2000.00 परिवाद व्यय तथा परिवादी की पुत्री के भविश्य के साथ अंधकार मय हुआ है, उसकी क्षतिपूर्ति हेतु रू0 40,000.00 व आर्थिक, मानसिक व सामाजिक नुकसान हेतु रू0 50,000.00 दिलाया जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी द्वारा अपनी पुत्री का प्रवेष विपक्षी के कॉलेज में विज्ञान वर्ग की फीस रू0 1830.00 जमा कर विज्ञान वर्ग में आवेदन पत्र भरकर दिनांक 08.07.11 को आवेदन पत्र स्टाफ के यादव को दिया था और प्राचार्य डा0 आभा बैजर से बात करने के बाद पूर्ण संतुश्ट किया गया था। परिवादी ने दिनांक 12.07.11 को स्कूल की किताबें तथा ड्रेस भी अपनी पुत्री के लिए रू0 3000.00 की क्रय किया था।  दिनांक 18.07.11 को जब परिवादी की 
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पुत्री कक्षा में विज्ञान वर्ग में गयी तो बताया गया कि उसका प्रवेष कक्षा- 9 सेक्सन-सी कला वर्म में हुआ है। दिनांक 19.07.11 को जब परिवादी ने प्रधानाचार्य डा0 आभा बैजर से बात की तो प्रधानाचार्य ने कहा कि परिवादी की पुत्री को प्रवेष विज्ञान वर्ग में नहीं हो सकता है। परिवादी ने जब प्रधानाचार्य से कहा कि उसने अपनी पुत्री का प्रवेष विज्ञान वर्ग में कराया था। यदि वह विज्ञान वर्ग में उसकी पुत्री का प्रवेष नही दे सकते तो उसकी फीस वापस कर दें। प्रधानाचार्य ने विज्ञान वर्ग में प्रवेष और फीस वापस करने से मना कर दिया और कहा कि कॉलेज में उसकी मनमानी चलती है। इस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में घोर लापरवाही करते हुए परिवादी की पुत्री के भविश्य के साथ खिलवाड़ किया हैं फलस्वरूप परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया।
3.    विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति/छात्र की इच्छा के अनुसार उसका प्रवेष विज्ञान तथा कला वर्ग में नहीं होता हैं वास्तव में प्रवेष लेने वाले को स्कूल के द्वारा बनाये गये निर्धारित मानदण्डों को पास करना होता है और जब आवेदक का नाम मेरिट में आ जाता है, तो उक्त मेरिट के अनुसार आवेदक को प्रवेष कला अथवा विज्ञान संकाय में दिया जाता हैं प्रवेष के लिए प्रबन्धक कमेटी का निर्णय अंतिम होता है। आवेदक के द्वारा जमा की गयी फीस उसके द्वारा विपक्षी के स्कूल में प्रवेष लेने हेतु प्राप्त की गयी है, न कि उसकी स्वेच्छा के अनुसार उसे संकाय आवंटित करने के लिए। चूॅकि परिवादी की पुत्री द्वारा विज्ञान संकाय में प्रवेष हेतु निर्धारित मानदण्डों को पूरा नहीं किया जा सका, इसलिए उसका प्रवेष विज्ञान संकाय में नहीं लिया जा सका। विपक्षी ने किसी भी स्कूल में प्रवेष लेने हेतु जमा की गयी फीस वापस नहीं की जाती है। यह उत्तरदायित्व छात्र या उसके वार्ड का है। प्रवेष षुल्क जमा करने से पूर्व वह यह सुनिष्चित कर ले कि उसके उक्त विद्यालय में  प्रवेष लेना है या 
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नहीं। विपक्षी की ओर से सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। परिवादी की पुत्री का प्रवेष उसके द्वारा पूर्ण किये गये मानदण्डों के आधार पर कला संकाय में किया गया है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद आधारहीन, काल्पनिक, झूठे एवं मनगढंत कथन के आधार पर प्रस्तुत किया गया है। चूॅकि परिवादी की पुत्री का विपक्षी के कॉलेज में प्रवेष कक्षा-9 बी में किया जा चुका है, इसलिए उसके द्वारा प्रवेष के दौरान जमा की गयी टी0सी0 अथवा अन्य अभिलेख अब मानदण्डों के अनुसार वापस नहीं किये जा सकते। क्योंकि अब वे अभिलेख कालेज के अभिलेख हो गये हैं। अब परिवादी कॉलेज के सभी देय अदा करके टी0सी0 प्राप्त कर सकता है। वास्तविकता यह है कि परिवादी की पुत्री जुलाई 2011 से सितम्बर 2011 तक षांतिपूर्वक कला संकाय में पढ़ती रही है। किन्तु उसके बाद वह अनुपस्थित रहती रही, जिसका कारण परिवादी स्वयं जान सकता है। परिवादी की पुत्री के लगातार विपक्षी को बिना सूचना दिये हुए अनुपस्थित रहने पर उसका नाम काट दिया गया था। इसलिए परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षी को हैरान, परेषान व तंग करने की मंषा से प्रस्तुत किया गया है।
4.    परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और स्वयं के द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 13.01.12 एवं 30.09.13 व दीप चन्द्र का षपथपत्र दिनांकित         30.09.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगायत् 1/5 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.    विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 03.02.14 दाखिल किया है।
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निष्कर्श
7.    फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने अपनी पुत्री का प्रवेष विपक्षी विद्यालय में कक्षा-9 विज्ञान वर्ग में वर्श 2011-12 के सत्र में कराने हेतु आवेदन पत्र भरकर जमा किया और रू0 1830.00 षुल्क के रूप में जमा किया। परिवादी द्वारा विज्ञान संकाय में अपनी पुत्री के प्रवेष के सम्बन्ध में रू0 3000.00 की कापी-किताबें, रू0 800.00 की स्कूल ड्रेस ली गयी और आय, जाति व निवास प्रमाण पत्र बनवाने हेतु रू0 2000.00 खर्च किया गया। किन्तु विपक्षी के द्वारा परिवादी की पुत्री का प्रेवष विज्ञान संकाय में न करके, कला संकाय में किया गया। विपक्षी की ओर से यह कथन किये गये हैं कि परिवादी द्वारा विपक्षी के स्कूल में प्रवेष करने हेतु रू0 1830.00 जमा की है न कि उसकी पुत्री को विज्ञान संकाय प्रदत्त करने हेतु। स्कूल के मानदण्डों के अनुसार सभी प्रवेष लेने वाले छात्रों की एक मेरिट बनायी जाती है और मेरिट के अनुसार ही छात्र को कला अथवा विज्ञान संकाय दिया जाता है, इसलिए परिवादी की पुत्री का नाम मेरिट के अनुसार कला संकाय में प्रवेष हेतु आता है। इसलिए परिवादी की पुत्री को प्रवेष कला संकाय में दिया गया। परिवादी कोई भी अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा उपरोक्त किये गये कथन के अनुसार जमा की गयी किसी भी धनराषि के सम्बन्ध में कोई बिल प्रस्तुत नहीं किया गया है। विपक्षी द्वारा परिवादी की ओर से अपनी पुत्री के प्रवेष हेतु जमा की गयी धनराषि रू0 1830.00 से इंकार नहीं किया गया है। किन्तु उक्त धनराषि को विपक्षी द्वारा स्कूल में प्रवेष लेने        से सम्बन्धित धनराषि बतायी गयी है, न कि विज्ञान संकाय में  प्रवेष लेने 
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हेतु। किन्तु विपक्षी द्वारा अभिकथित किसी भी विद्यार्थी के विज्ञान संकाय में प्रवेष हेतु किसी मानदण्ड का उल्लेख नहीं किया गया है और न ही तत्सम्बन्धी कोई साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है। विपक्षी द्वारा कोई मानदण्ड न बताने के कारण तथा मानदण्ड से सम्बन्धित कोई साक्ष्य प्रस्तुत न करने के कारण विपक्षी का यह कहना मान्य नहीं है कि समस्त छात्रों का उसके स्कूल में प्रवेष एक विषेश मानदण्ड के अनुसार किया जाता है। जिससे यह अवधारणा बनती है कि विपक्षी द्वारा परिवादी की पुत्री का प्रवेष विज्ञान संकाय के बजाय कला संकाय में करके सेवा में कमी कारित की गयी है। परिवादी का यह कहना है कि उसके द्वारा अपनी पुत्री का प्रवेष विज्ञान संकाय में करने हेतु आवेदन पत्र भरकर दिया गया था। अतः परिवादी जमा की गयी फीस व परिवाद व्यय प्राप्त करने का अधिकारी हैं प्रथम दृश्टया प्रतीत होता है कि परिवादी द्वारा अन्य किये गये खर्चो से सम्बन्धित कोई साक्ष्य प्रस्तुत न करने के कारण अन्य कोई व्यय अथवा अन्य याचित कोई क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
    उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से परिवादी को रू0 1830.00, अपनी पुत्री के प्रवेष हेतु जमा की गयी षुल्क मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से दौरान मुकद्मा तायूम वसूली तथा परिवाद व्यय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है।    
ःःआदेषःःः
8.     परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादी को, रू0 1830.00, अपनी पुत्री के प्रवेष हेतु जमा की गयी षुल्क मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से दौरान मुकद्मा तायूम वसूली अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।

          ( सुधा यादव )                                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
           सदस्या                                                        अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश              जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       
       फोरम कानपुर नगर                                  फोरम कानपुर नगर।

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    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


        ( सुधा यादव )                                    (डा0 आर0एन0 सिंह)
           सदस्या                                                    अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश              जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       
       फोरम कानपुर नगर                         फोरम कानपुर नगर।

 

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