Uttar Pradesh

Chanduali

CC/6/2015

CHANDRA SHEELA DEVI - Complainant(s)

Versus

Dr. A.K Tiwari - Opp.Party(s)

NANDLAL

26 Sep 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Complaint Case No. CC/6/2015
 
1. CHANDRA SHEELA DEVI
Vill-vsartiya,dhus, sakaldiya chandauli
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. Dr. A.K Tiwari
Shashvat,haspital.andtram center Alinagar sakaldiha Mughalsarai Chandauli
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 26 Sep 2016
Final Order / Judgement

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 06                                सन् 2015ई0
चन्द्रशीला देवी(मृतक) पत्नी श्याम नरायन यादव 
1/1 श्याम नरायन यादव पुत्र स्व0 अमरदेव यादव उम्र लग0 49वर्ष
1/2 बृजेश कुमार उम्र 21 वर्ष पुत्र श्यामनरायन यादव
1/3 विनीत कुमार पुत्र श्यामनरायन यादव उम्र 16 वर्ष
1/4पुनीत कुमार यादव पुत्र श्यामनरायन यादव उम्र 14 वर्ष 
1/5 कुमारी प्रियंका पुत्री श्यामनरायन यादव उम्र 12 वर्ष विधिक संरक्षक पिताखास साकिनान वसरतियां परगना धूस तहसील सकलडीहा जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादीगण                                                                                                                                    बनाम
।-डा0 ए0के0तिवारी
2-डा0 सरिता तिवारी(प्रबन्ध निदेशक)
3-डा0 विनोद मिश्रा (निदेशक)पुत्र अमरनाथ हालपता ग्राम अमोघपुर जिला चन्दौली। हाल पता-शाश्वत हास्पिटल अलीनगर जी0टी0रोड मुगलसराय जिला चन्दौली।
                                            .............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
लक्ष्मण स्वरूप,सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादी पक्ष ने यह परिवाद विपक्षीगण से दवा इलाज में हुए खर्च हेतु रू0 700000/- तथा हर्जाना स्वरूप रू0 700000/- कुल रू0 1400000/-  दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2- संक्षेप में परिवादी पक्ष का अभिकथन है कि परिवादिनी चन्द्रशीला देवी (अब मृतक) के पेशाब के रास्ते से सफेद पानी आ रहा था जिसके इलाज हेतु वह दिनांक 13-7-2014 को विपक्षीगण के शाश्वत हास्पिटल एण्ड ट्रामा सेन्टर अलीनगर मुगलसराय में भर्ती हुई। भर्ती के समय विपक्षीगण ने परिवादी पक्ष से रू0 29500/- जमा कराया। तत्पश्चात दिनांक 23-7-2014 को विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी चन्द्रशीला देवी (अब मृतक) के बच्चेदानी का आपरेशन करने हेतु रू0 20000/-एवं रू0 26000/- दवा का जमा कराया और तब उसकी बच्चेदानी का आपरेशन विपक्षी संख्या 1 ने किया तथा मरीज की हालत गम्भीर होने पर चन्द्रशीला देवी को विपक्षी संख्या 1 ने  एपेक्स हास्पिटल वाराणसी के लिए रेफर कर दिया। एपेक्स हास्पिटल के डाक्टर ने कहा कि मरीज को कैसर हो गया है तथा वायस्पी की रिर्पोट मांगी तो परिवादी ने कहा कि विपक्षी संख्या 1 डाक्टर ए0के0 तिवारी ने वायस्पी की जांच नहीं करायी है। विपक्षी संख्या 1 न तो सर्जन है और न तो उनका हास्पिटल कैसर का है। एपेक्स हास्पिटल में इलाज के दौरान परिवादी का कुल रू0 150000/- खर्च हो गया। तत्पश्चात दिनांक 29-1-2015 को परिवादी के पत्नी की मृत्यु हो गयी। विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी के पत्नी के बच्चेदानी का आपरेशन नहीं किया गया होता तो कैसर नहीं होता और मरीज ठीक हो सकता था। परिवादी के पत्नी के बच्चेदानी का आपरेशन  विपक्षी संख्या 1 द्वारा
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बिना जांच एवं वायस्पी जांच कराये और बिना योग्य सर्जन के मात्र पैसा वसूलने के चक्कर में किया गया है। इस आधार पर परिवादी द्वारा क्षतिपूर्ति हेतु यह परिवाद दाखिल किया गया है।
3-    विपक्षीगण पर नोटिस का तामिला पर्याप्त रूप से हुआ किन्तु वे न तो फोरम के समक्ष उपस्थित हुए और न ही कोई आपत्ति/जबाबदावा दाखिल किये। अतः मुकदमा उनके विरूद्ध एक पक्षीय रूप से चल रहा है। 
4-    परिवादी पक्ष की एक पक्षीय बहस सुनी गयी। पत्रावली का पूर्णरूपेण परिशीलन किया गया।
5-    परिवादी पक्ष के अधिवक्ता की ओर से तर्क दिया गया कि वादिनी चन्द्रशीला देवी को इलाज हेतु दिनांक 13-7-2014 को विपक्षीगण के शाश्वत हास्पिटल एण्ड ट्रामा सेन्टर अलीनगर मुगलसराय चन्दौली में भर्ती किया गया वहाॅं केे डाक्टर ए0के0 तिवारी ने चन्द्रशीला देवी के बच्चेदानी का आपरेशन किया और इसके लिए कुल रू0 75500/- आपरेशन व दवा के खर्च के रूप में जमा कराया। आपरेशन के बाद चन्द्रशीला देवी की हालत गम्भीर होने लगी तो विपक्षी डाक्टर ए0के0 तिवारी ने इलाज हेतु उसे एपेक्स हास्पिटल वाराणसी के लिए रेफर कर दिया वहाॅं के डाक्टर ने मरीज को देखने के बाद कहा कि इसे कैसर हो गया है और वायस्पी की रिर्पोट मांगी लेकिन डाक्टर ए0के0 तिवारी ने चन्द्रशीला देवी की वायस्पी नहीं करवाया था अतः वह रिर्पोट एपेक्स हास्पिटल के डाक्टर को नहीं दिखायी जा सकी इसके बाद चन्द्रशीला का एपेक्स हास्पिटल में कैसर के लिए इलाज होता रहा और कीमोथरैपी तथा दवा आदि में उसका रू0 700000/- खर्च हो गया लेकिन अन्ततः चन्द्रशीला देवी को नहीं बचाया जा सका और उसकी मृत्यु हो गयी। परिवादी पक्ष के अधिवक्ता का तर्क है कि जब परिवादिनी चन्द्रशीला देवी को पहली बार विपक्षीगण के शाश्वत हास्पिटल एण्ड ट्रामा सेन्टर अलीनगर मुगलसराय में दिखाया था तो डाक्टर ने उनकी कई जांच करवाया था। प्रकाश रेडियोलाजी जो लंका वाराणसी में स्थित है में भी विपक्षी डाक्टर ए0के0 तिवारी के कहने के अनुसार चन्द्रशीला की जांच करायी गयी थी जिसकी जांच रिर्पोट कागज संख्या 3/6 व 3/7 के रूप में दाखिल है। इस रिर्पोट में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि चन्द्रशीला देवी के गर्भाशय के मुख पर 37/56 मिली मीटर की काफी बढी हुई रसौली पायी गयी थी और रेडियोलाजिस्ट ने इसकी वायस्पी जांच कराने की सलाह दिया था यह जांच दिनांक 15-7-14 को हुई थी लेकिन डाक्टर ए0के0 तिवारी ने चन्द्रशीला देवी की कोई वायस्पी जांच नहीं करवाई और बिना जांच के ही उसका आपरेशन कर दिया जबकि विपक्षी का हास्पिटल कैसर का हास्पिटल नहीं है और डाक्टर ए0के0 तिवारी सर्जन भी नहीं है उनके द्वारा आपरेशन किये जाने के कारण चन्द्रशीला देवी का कैसर काफी फैल गया और बाद में काफी इलाज कराने के बावजूद अच्छा नहीं हुआ और अन्ततः उसकी मृत्यु हो गयी। यदि विपक्षी डाक्टर ने वायस्पी जांच कराकर कैसर का पता लगा लिया होता और कैसर की कीमोथरैपी और विकिरण से सेकाई की गयी होती तो चन्द्रशीला देवी का कैसर अच्छा हो गया
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 होता लेकिन विपक्षी डाक्टर की घोर लापरवाही और गलत ढंग से आपरेशन करदेने के कारण चन्द्रशीला देवी का कैसर काफी फैल गया और इलाज के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका और अन्ततः उसकी मृत्यु हो गयी उसके इलाज में परिवादी पक्ष का रू0 700000/- खर्च हुआ है अतः परिवादी पक्ष इलाज की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 700000/- तथा चन्द्रशीला की मृत्यु के कारण परिवादी पक्ष को जो क्षति हुई है उसके एवज में रू0 700000/- अर्थात कुल 1400000/- क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है।
6-    परिवादी पक्ष की ओर से अपने अभिकथन के समर्थन में वादिनी चन्द्रशीला देवी (अब मृतक) का शपथ पत्र दाखिल किया गया है जिससे वाद पत्र के अभिकथनों का समर्थन होता है इसके अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में परिवादी पक्ष की ओर से कागज संख्या 3/1 लगा0 3/12 के रूप में परिवादिनी के इलाज व जांच से सम्बन्धी पर्चे व रिर्पोटें दाखिल की गयी हैं तथा कागज संख्या 12/4 लगा0 12/37 के रूप में चन्द्रशीला देवी के दवा इलाज के खर्च की रसीदें दाखिल की गयी है इसके अतिरिक्त कागज संख्या 15/1 ता 15/3 के रूप में चन्द्रशीला देवी की हिस्टोलाजी रिर्पोट,डिस्चार्ज काई तथा मुख्य चिकित्साधिकारी चन्दौली द्वारा जन सूचना अधिकारी के तहत दी गयी सूचना भी दाखिल की गयी है। परिवाद पत्र में यह कहा गया है कि जब विपक्षीगण से चन्द्रशीला देवी के इलाज से सम्बन्धित डिस्चार्ज कार्ड मांगा गया तो विपक्षी ने यह कहा कि उनके अलीनगर वाले हास्पिटल के नाम पते का लेटर पैड खत्म हो गया है इसलिए उन्होनें अपने दूसरे हास्पिटल के पैड पर डिस्चार्ज कार्ड बनाकर दिया। परिवादी पक्ष की ओर  से उक्त डिस्चार्ज कार्ड कागज संख्या 15/2 के रूप में दाखिल है जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि चन्द्रशीला देवी  विपक्षी के अस्पताल में दिनांक 14-7-2014 को भर्ती हुई और दिनांक 29-7-2014 को उन्हें डिस्चार्ज किया गया।
7-    परिवादी पक्ष के उपरोक्त शपथ पत्र व दस्तावेजी साक्ष्य के खण्डन में विपक्षीगण की ओर से कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया है अतः परिवादी पक्ष का उपरोक्त साक्ष्य अखण्डित है अतः विधिक रूप से साक्ष्य में ग्राह्य एवं विश्वसनीय पाया जाता है। 
    उपरोक्त साक्ष्य के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि चन्द्रशीला देवी विपक्षीगण के हास्पिटल में दिनांक 14-7-2014 को इलाज हेतु भर्ती की गयी थी । दिनांक 15-7-2015 को उसके पेट का सी0टी0 जांच प्रकाश रेडियोलाजिस्ट,लंका वाराणसी में करायी गयी थी जिसकी रिर्पोट कागज संख्या 3/6 व 3/7 है। इस रिर्पोट के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि चन्द्रशीला देवी के गर्भाशय के मुख पर 56/37 मिली मीटर के आकार की रसौली पायी गयी थी और इसके लिए वायस्पी जांच कराने की सलाह रेडियोलाजिस्ट द्वारा दी गयी लेकिन विपक्षीगण द्वारा चन्द्रशीला देवी की कोई वायस्पी जांच नहीं करायी गयी और बिना जांच कराये उसका आपरेशन कर दिया गया जैसा कि परिवादी के परिवाद एवं शपथ पत्र से स्पष्ट है।
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 इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह स्पष्ट होता है कि विपक्षीगण द्वारा चन्द्रशीला के इलाज में घोर लापरवाही बरती गयी है। यहाॅं यह भी तथ्य उल्लेखनीय है कि डाक्टर ए0के0 तिवारी जिनके द्वारा आपरेशन किया जाना कहा गया है एम0डी0 डाक्टर है, विशेषज्ञ सर्जन नहीं है। परिवादी द्वारा दाखिल कागज संख्या 15/3 जो मुख्य चिकित्साधिकारी चन्दौली द्वारा जन सूचना अधिकार के तहत दी गयी सूचना की छायाप्रति है के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि विपक्षीगण का हास्पिटल मुख्य चिकित्साधिकारी चन्दौली के कार्यालय में पंजीकृत नहीं है और विपक्षी डाक्टर ए0के0 तिवारी तथा डा0 विनोद मिश्रा के विषय में भी उक्त कार्यालय को कोई जानकारी नहीं है। अतः उनके द्वारा कैसर जैसे भयानक रोग का आपरेशन किया जाना उचित नहीं था बल्कि उन्हें रोगी को विशेषज्ञता प्राप्त डाक्टर के यहाॅं रेफर करना चाहिए था जबकि उन्होंने ऐसा नहीं किया और स्वयं लगभग 15 दिनों तक रोगिणी को अपने हास्पिटल में भर्ती करके इलाज करते रहे और जब उसकी दशा काफी खराब हो गयी तब उसे एपेक्स हास्पिटल वाराणसी के लिए रेफर किया गया जहाॅं के डाक्टर ने यह पाया कि चन्द्रशीला देवी को कैसर है और कैसर का इलाज भी किया गया किन्तु चन्द्रशीला देवी को बचाया नहीं जा सका और अन्ततः दिनांक 29-1-2015 को उसकी मृत्यु हो गयी। इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध समस्त साक्ष्यों के परिशीलन से यह निष्कर्ष निकलता है कि विपक्षीगण द्वारा इलाज में की गयी लापरवाही के कारण चन्द्रशीला देवी की मृत्यु हो गयी क्योंकि यदि विपक्षी ने सही समय पर चन्द्रशीला देवी की वायस्पी की जांच करायी होती और उसके कैसर का सही समय पर इलाज किया गया होता तो सम्भव है कि उसके प्राणों की रक्षा हो गयी होती।
    परिवादी पक्ष ने प्रस्तुत मुकदमें में चन्द्रशीला देवी के दवा इलाज की जो पर्चियाॅं दाखिल की गयी है वह लगभग 140517/- की है। अतः मुकदमें के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए दवा इलाज के खर्च की क्षतिपूर्ति के रूप में परिवादी पक्ष को रू0 1,40000/- दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि चन्द्रशीला देवी लगभग 38 वर्षीय नवयुवती थी और उसकी असामयिक मृत्यु से परिवादी पक्ष को निश्चित रूप से आर्थिक,मानसिक क्षति कारित हुई है और परिवादी संख्या 1/1 पत्नी सुख से परिवादी संख्या 1/2 ता 1/4 मातृत्व सुख से वंचित हो गये है अतः इन समस्त के लिए फोरम की राय में परिवादी पक्ष को रू0 100000/- क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है इसके अतिरिक्त परिवादी पक्ष को वाद व्यय के रूप में भी रू0 2000/- दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है और इस प्रकार परिवादी पक्ष का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
    परिवादी पक्ष का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से व आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे इस निर्णय की तिथि से 2 माह के अन्दर परिवादी पक्ष को दवा इलाज में हुए खर्च की
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 क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 1,40000/-(एक लाख चालीस हजार)एवं चन्द्रशीला देवी के मृत्यु के कारण परिवादी पक्ष को जो आर्थिक,मानसिक क्षति हुई तथा परिवादी संख्या 1/1 पत्नी सुख से तथा 1/2 ता 1/4 मातृत्व सुख से वंचित हो गये है उसके एवज में रू0 100000/-(एक लाख) बतौर क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय के रूप में रू0 2000/-(दो हजार) अर्थात कुल रू0 2,42,000/-(दो लाख बयालिस हजार) अदा करें। यदि विपक्षीगण उक्त अवधि में उपरोक्त धनराशि अदा नहीं करते है तो उक्त धनराशि पर निर्णय की तिथि से पैसा अदा करने की तिथि तक 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से व्याज भी अदा करना होगा।

(लक्ष्मण स्वरूप)                                      (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्य                                                अध्यक्ष
                                                  दिनांकः 26-9-2016 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop]
MEMBER

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