Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/1115

M/S Pericom Systems - Complainant(s)

Versus

Dr. A N Vishnoi - Opp.Party(s)

S K Srivastava

05 Feb 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/1115
( Date of Filing : 05 May 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/S Pericom Systems
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr. A N Vishnoi
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Feb 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1115/2006

M/S Paricom Systems through Ramesh Priyadarshi

Versus

Dr. A.N. Vishnoi s/o late B.N. Vishnoi

समक्ष:-                                                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री एस0के0 श्रीवास्‍तव, विद्धान अधिवक्‍ता

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री विजय कुमार, विद्धान अधिवक्‍ता

दिनांक :05.02.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.       परिवाद संख्‍या-542/2001, डा0 ए0एन0 विश्‍नोई बनाम रमेश प्रिय दर्शी में विद्वान जिला आयोग, इलाहाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.04.2006 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.           जिला उपभोक्‍ता मंच ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी को आदेशित किया है कि परिवादी द्वारा भुगतान की गयी राशि अंकन 40,000/-रू0 10 प्रतिशत ब्‍याज सहित वापस लौटाया जाए साथ ही मानसिक प्रताड़ना के मद में 5,000/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है। 

3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने दिनांक 30.11.1998 को कम्‍प्‍यूटर लगाने हेतु 35,000/-रू0 का एक चेक दिया था। पुन: 5,000/-रू0 01.02.1999 को दिये गये, परंतु विपक्षी द्वारा कम्‍प्‍यूटर नहीं दिया गया। फलस्‍वरूप दिनांक 26.09.2000 को परिवादी ने नोटिस देकर भुगतान की गयी धनराशि वापस मांगी गयी, परंतु विपक्षी ने कोई कार्यवाही नहीं की। इसके बाद परिवादी ने 42,000/-रू0 खर्च कर दूसरा कम्‍प्‍यूटर लगाया। तदनुसार 40,000/-रू0 की मांग करते हुए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

4.        विपक्षी का कथन है कि परिवादी के अनुरोध पर दिनांक 28.11.1998 को हिमांशु तिवारी की उपस्थिति में कम्‍प्‍यूटर लगाया गया, पूर्ण संतुष्टि पर 3,500/-रू0 विपक्षी को दिनांक 03.11.1998 को सिस्‍टम फिट करने के लिए दिये गये तथा अवशेष राशि 01.02.1999 को 5,000/-रू0 का भुगतान चेक के द्वारा किया गया। दिनांक 28.12.1998 और 22.12.1998 को परिवादी के नाम बिल काटे गये। हिमांशु तिवारी को कोई कम्‍प्‍यूटर विक्रय नहीं किया गया। कम्‍प्‍यूटर अभी भी परिवादी के कब्‍जे में है। यह कम्‍प्‍यूटर सिस्‍टम कभी भी विपक्षी को वापस नहीं किया गया। परिवादी द्वारा कोई नया कम्‍प्‍यूटर नहीं खरीदा, वह उमेश विश्‍नोई के कम्‍प्‍यूटर को अपना बताता है।

5.        दोनों पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी ने अंकन 40,000/-रू0 का भुगतान किया है, परंतु कम्‍प्‍यूटर सिस्‍टम स्‍थापित नहीं किया और हिमांशु तिवारी के माध्‍यम से कम्‍प्‍यूटर देने का कोई सबूत नहीं है, इसलिए परिवादी द्वारा जमा राशि वापस करने का उपरोक्‍तानुसार आदेश पारित किया गया।

6.       अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता द्वारा परिवाद पत्र में 35,000/-रू0 एवं 5,000/-रू0 की अदायगी का कथन किया है, जबकि दिनांक 20.10.2000 को अपीलार्थी को जो पत्र लिखा गया है उसमें उल्‍लेख है कि हिमांशु तिवारी ने अपना कम्‍प्‍यूटर परीक्षण के उद्देश्‍य से दिया गया जो संभवत: आपने हिमांशु तिवारी को दिया था। इसके बाद माउस का परिवर्तन हिमांशु तिवारी के कहने पर आपके द्वारा कर दिया गया। हिमांशु तिवारी इस कम्‍प्‍यूटर को वापस ले गया, इसलिए आपसे कम्‍प्‍यूटर स्‍थापित करने के लिए कहा गया, जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया इसलिए आपसे अपेक्षित है कि आप सौ हजार रूपये प्रिंसिपल एमाउंट के रूप में ब्‍याज सहित तथा क्षतिपूर्ति को शामिल करते हुए अदा करे अन्‍यथा वैधानिक कार्यवाही की जायेगी। इस पत्र का उत्‍तर दिनांक 25.11.2000 को दिया गया, जिसकी प्रति पत्रावली पर दस्‍तावेज सं0 26 है, जिसमें उल्‍लेख है कि क्‍या आपके घर पर कम्‍प्‍यूटर दिनांक 28.11.1998 को स्‍थापित कर दिया गया है, जो हिमांशु तिवारी की उपस्थिति में लगाया गया है और आपके अनुरोध पर ही माउस परिवर्तित किया गया है। यदि आपने हिमांशु तिवारी को कम्‍प्‍यूटर वापस लौटा दिया गया है तब इसका कोई उत्‍तरदायित्‍व नहीं है। पक्षकारों के मध्‍य पत्राचारों के अवलोकन से यह तथ्‍य स्‍थापित होता है कि यथार्थ में परिवादी के घर कम्‍प्‍यूटर स्‍थापित किया गया, इसलिए परिवादी के अनुरोध पर कम्‍प्‍यूटर का माउस परिवर्तित किया गया, जिसका उल्‍लेख स्‍वयं परिवादी ने अपनी नोटिस दिनांक 20.10.2000 में किया है। यद्यपि परिवादी का कथन है कि हिमांशु तिवारी नामक व्‍यक्ति इस कम्‍प्‍यूटर को वापस ले गया। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी के घर पर स्‍थापित होने वाला कम्‍प्‍यूटर यदि हिमांशु तिवारी वापस ले गया है तब विपक्षी का उत्‍तरदायित्‍व है कि वह कम्‍प्‍यूटर की कुल कीमत परिवादी को वापस लौटाये, परंतु साक्ष्‍य से साबित है कि कम्‍प्‍यूटर की कीमत प्राप्‍त करने के पश्‍चात कम्‍प्‍यूटर परिवादी के घर स्‍थापित हो चुका है। कम्‍प्‍यूटर स्‍थापित होने के बाद से ही माउस चेंज हुआ है, इसलिए यदि परिवादी द्वारा यह कम्‍प्‍यूटर हिमांशु तिवारी को दिया गया है तब इसमें अपीलार्थी का कोई दोष नहीं है। अत: जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश तथ्‍य/साक्ष्‍य विहीन है, इसलिए अपास्‍त होने योग्‍य है।  

आदेश

           अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाता है।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

         

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3

  

 

 

 

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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