राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2442/2006
(जिला उपभोक्ता फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या-483/2004 में पारित निर्णय दिनांक 17.08.2006 के विरूद्ध)
प्रबंधक मे0 विश्वनाथ कोल्ड स्टोरेज एण्ड आइस फैक्ट्री पादरी बाजार
गोरखपुर। .....अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
डा0 सुरेश सिंह सी/ओ श्री महेन्द्र सिंह, ग्राम व पोस्ट अमहिया जनपद
गोरखपुर। ......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आदित्य कुमार श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री टी0एच0 नकवी, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 06.04.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 483/2004 डा0 सुरेश सिंह बनाम मै0 विश्वनाथ कोल्ड स्टोरेज में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 17.08.2006 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया गया है कि परिवादी को रू. 250000/- बीज मूल्य एवं रू. 800/- मानसिक कष्ट तथा रू. 500/- परिवाद व्यय के रूप में एक माह के अंदर अदा करें। इस अवधि के पश्चात 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज देय होगा।
2. परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में 15 बोरा ब्लेडियस फूल के कंद तथा कमलेट रसीद सं0 292 तथा 635 से क्रमश: दि. 07.07.04 व दि. 23.07.04 को जमा किया और विपक्षी का देय शुल्क अदा किया। ब्लेडियस फूल के कंद रू. 220000/- के तथ कमलेट की कीमत
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रू. 30000/- थी। दि. 07.11.04 को ब्लेडियस के कंद व कमलेट निकालते समय परिवादी ने गेट पास पर इस आशय का इंडोसमेंट किया कि सड़ा कंद व कमलेट प्राप्त किया, जिससे संबंधित रसीद व गेट पास विपक्षी के प्रबंधक ने अपने पास रख लिया और शिकायत पर विचार करने को कहा। परिवादी ने विपक्षी द्वारा कोई क्षतिपूर्ति न दिये जाने पर दि. 09.11.04 को जिलाधिकारी एवं उद्यान अधिकारी को पत्र प्रेषित कर क्षतिपूर्ति दिलाने की प्रार्थना की गई।
3. विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया, अत: एकतरफा सुनवाई करते हुए उपरोक्त वर्णित निर्णय व आदेश पारित किया गया।
4. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय विधि विरूद्ध है। परिवादी की सूचना कभी भी प्राप्त नहीं हुई, इसलिए अपना पक्ष नहीं रखा जा सका। सुनवाई का अवसर दिए बिना परिवाद का निस्तारण किया गया है। दि. 17.08.06 के माध्यम से उस निर्णय की जानकारी समाचार पत्र के माध्यम से दि. 30.08.06 को हुई। दि. 19.09.06 को प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त हुई। जिला उपभोक्ता मंच ने अपने निर्णय में स्पष्ट नहीं किया है कि ब्लेडियस फूल के कंद का मूल्य रू. 220000/- एवं कमलेट की कीमत रू. 30000/- होने का आंकलन किस प्रकार किया गया है और अनुचित रूप से फूलों के मूल्य का आंकलन रू. 250000/- कर दिया गया। फूलों के खराब होने और सड़ने का कथन दि. 07.11.04 के बीज निकासी के समय किया गया है। दि. 03.09.04 को 6 बोरा बीज निकासी के समय खराब होने का कथन परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में नहीं किया, परन्तु जिला उपभोक्ता मंच ने सभी बीजों
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के प्राप्ति को मान लिया है। दि. 03.09.04 के निकासी के समय बीज खराब नहीं था। पुन: 07.11.04 को भी 9 बोरे बीज निकाले गए। इस तिथि को भी बीज खराब नहीं थे। किराया अदा न करने के कारण झूठा परिवाद प्रस्तुत किया गया। चूंकि किराया अदा नहीं किया गया, इसलिए उपभोक्ता का संबंध नहीं है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्त होने योग्य है।
5. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना। प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।
6. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि चूंकि भाड़ा अदा नहीं किया गया है, इसलिए परिवादी तथा अपीलार्थी के मध्य उपभोक्ता के संबंध नहीं थे। किसी भी कोल्ड स्टोरेज में माल रखते समय भाड़ा अग्रिम रूप से या जमा करते समय या माल निकालते समय दिया जा सकता है। यह भाड़ा बकाया भी हो सकता है, परन्तु बकाया होने मात्र से कोल्ड स्टोरेज मालिक अपना उत्पाद कोल्ड स्टोरेज में रखने वाले व्यक्ति के मध्य उपभोक्ता संबंध समाप्त नहीं होते, अत: इस तर्क में कोई बल नहीं है कि परिवादी अपीलार्थी का उपभोक्ता नहीं है।
7. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा दूसरी बहस यह की गई है कि अपीलार्थी को कभी इस संबंध में तामीला नहीं हुई है, परन्तु जिला उपभोक्ताम मंच ने अपने निर्णय में स्पष्ट उल्लेख किया है कि तामीला के बावजूद विपक्षी अनुपस्थित रहा है, इसलिए इस तथ्य की उपधारणा की जाएगी कि सभी न्यायिक कार्य वैधानिक रूप से संपादित हुए हैं, यानी समन की तामीला पर कार्यवाही की है, इस निर्णय में इस तथ्य का उल्लेख किया गया है।
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8. अब इस बिन्दु पर विचार किया जाता है कि क्या जिला उपभोक्ता मंच द्वारा कीमत अदा करने के संबंध में साक्ष्य पर आधारित निर्णय पारित किया है। जिला उपभोक्ता मंच ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि रसीद संख्या 292 एवं 635 की छायाप्रति इस तथ्य को साबित करती है कि 12 बोरे ब्लेडियस फूल तथा 3 बोरा कमलेट के फूल गोदाम में रखे गए। इस प्रकार कुल 15 बोरा बीज गोदाम में रखा जाना पाया गया। जिला उपभोक्ता मंच ने अपने निर्णय में यह उल्लेख किया गया कि इन बीजों की निकासी दि. 03.09.04, 07.11.04 को की गई है। दि. 07.09.04 की निकासी के संबंध में बीज सड़ने की कोई टिप्पणी अंकित नहीं है। जिला उपभोक्ता मंच ने केवल इस आधार पर परिवादी के पक्ष में निणर्य पारित किया कि परिवाद के समर्थन में प्रस्तुत किए गए शपथपत्र का कोई खंडन नहीं है, परन्तु अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क विचारणीय है कि दि. 03.09.04 को जब पहली बार बीज निकाला गया तब यह बीज खराब नहीं हो सकता था, क्योंकि यदि इस तिथि को बीज खराब होता तब उसी समय शिकायत की जाती और शेष बीज के रखरखाव का उचित प्रबंध करने का प्रयास किया जाता या शेष बीज को विक्रय करने का प्रयास किया जाता, अत: इस तिथि को जो बीज निकाले गए उस बीज को खराब नहीं कहा जा सकता। परिवाद पत्र में यह स्पष्ट नहीं है कि इस तिथि को कितना बीज निकाला गया। अपील के ज्ञापन में यह उल्लेख है कि दि. 03.09.06 को 6 बोरा बीज निकाले गए थे, इसलिए 6 बोरे बीज के संबंध में क्षतिपूर्ति का आदेश नहीं दिया जा सकता। दि. 07.11.04 को शेष 9 बोरे बीज निकाले गए हैं। इन 9 बोरे बीज के संबंध में स-शपथपत्र साबित किया गया है कि दि. 07.11.04 को कोल्ड स्टोरेज में रखे गए बीज खराब हो चुके थे,
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इसलिए केवल दि. 07.11.04 को निकाले गए 9 बोरे बीज के संबंध में ही क्षतिपूर्ति का आदेश दिया जा सकता था, क्योंकि इस तथ्य का कोई खंडन पत्रावली पर मौजूद नहीं है। चूंकि 6 बोरे निकाल लिए गए, इसलिए स्वयं परिवाद पत्र में दिए गए विवरण के अनुसार अंकन एक लाख रूपये के बीज का प्रयोग स्वयं परिवादी द्वारा कर लिया गया है। जिला उपभोक्ता मंच ने अपने निर्णय में अंकन रू. 250000/- अदा करने के लिए आदेश दिया है, जबकि स्वयं परिवादी द्वारा दिए गए विवरण के अनुसार अंकन एक लाख रूपये बीज का मूल्य तथा निकासी 6 बोरों के माध्यम से दि. 03.09.04 को की जा चुकी थी, अत: अंकन रू. 250000/- में से एक लाख रूपये की यह राशि घटने योग्य है। परिवाद पत्र में यह उल्लेख नहीं है कि परिवादी द्वारा जो बीज रखा गया उसका भाड़ा अदा कर दिया गया। परिवाद पत्र में भाड़े की दर का विवरण भी प्रस्तुत नहीं किया गया है, इसलिए परिवादी से क्या भाड़ा वसूल किया है, इस बिन्दु पर निष्कर्ष जिला उपभोक्ता मंच द्वारा नहीं किया जा सकता, परन्तु अपीलार्थी को यह अधिकार सुरक्षित रहेगा कि यदि परिवादी द्वारा भाड़ा अदा नहीं किया गया है तब वह दोनों पक्षकारों के मध्य तय की गई शर्तों के अनुसार भाड़े की राशि अंकन रू. 150000/- अदा करते समय समायोजित कर ले और यदि भाड़ा अदा कर दिया गया है तब अपीलार्थी को भाड़े की राशि का समायोजन का अधिकार प्राप्त नहीं होगा। यदि भाड़े की अदायगी तथा प्राप्ति के संबंध में आपसी समझ से विवाद का निस्तारण नहीं किया जाता तब अपीलार्थी को यह अधिकार उपलब्ध रहेगा कि वह सिविल न्यायालय के माध्यम से अपना भाड़ा वसूल कर ले, परन्तु जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित किए गए निर्णय एवं इस निर्णय में किए
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गए सुधार के अनुसार अंकन रू. 150000/- की राशि परिवादी को अदा करने के लिए उत्तरदायी रहेगा।
आदेश
9. अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को केवल अंकन रू. 150000/- फूलों के मूल्य के रूप में देय होंगे। शेष निर्णय पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2