Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/690

Allahabad Development Authority - Complainant(s)

Versus

Dr Shashi Mishra - Opp.Party(s)

Akhand Pratap Singh, Dilip Kumar Shukla

13 Feb 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/690
( Date of Filing : 03 Apr 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Allahabad Development Authority
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr Shashi Mishra
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 13 Feb 2023
Final Order / Judgement

( मौखिक )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्‍या :690/2013

 

इलाहाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा उपाध्‍यक्ष, इन्दिरा भवन, सिविल लाइन्‍स, इलाहाबाद।

अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्

श्रीमती डॉ0 शशि मिश्रा पत्‍नी श्री रमा शंकर मिश्रा एडवोकेट, निवासिनी-44 सी0वाई0 चिन्‍तामणि रोड, जार्जटाउन, इलाहाबाद

                              प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष  :-

     1-मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार,       अध्‍यक्ष।

     2-मा0 श्री विकास सक्‍सेना,             सदस्‍य।

 

     उपस्थिति :

     अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित-   श्री दिलीप कुमार शुक्‍ला।

     प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित-         कोई नहीं।

 

दिनांक : 13-02-2023

 

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष  द्वारा उदघोषित निर्णय

     परिवाद संख्‍या-29/2011 श्रीमती डा0 शशि मिश्रा बनाम उपाध्‍यक्ष इलाहाबाद विकास प्राधिकरण  में जिला उपभोक्‍ता आयोग, इलाहाबाद  द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 11-01-2013  के विरूद्ध  यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत की गयी है।

 

 

 

 

-2-

     ‘’आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए  निम्‍न आदेश पारित किया है :-

  •  

      जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी की ओर से यह अपील प्रस्‍तुत की है।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादिनी ने विपक्षी द्वारा जारी विज्ञापन के अनुसार उच्‍च आय वर्ग टाइप द्धितीय प्रतिष्‍ठानपुरी झूंसी, इलाहाबाद में रहने के लिए फ्लैट हेतु आवेदन किया। उक्‍त फ्लैट की कीमत विपक्षी द्वारा 3,30,000/-रू0 निर्धारित की गयी थी। परिवादिनी ने दिनांक 07-10-1991 को 35,000/-रू0 पंजीकरण शुल्‍क विपक्षी के यहॉं जमा कर दिया। उक्‍त फ्लैट विपक्षी द्वारा एक वर्ष के अंदर तैयार करने की बात बतायी गयी थी।  विपक्षी द्वारा परिवादिनी के पक्ष में

 

-3-

प्रतिष्‍ठानपुरी झूंसी आवास योजना में उच्‍च आय वर्ग टाइप द्धितीय बी-8 फ्लैट आवंटित किया। उक्‍त फ्लैट में काफी कमियॉं थी जिसकी शिकायत परिवादिनी ने कई बार विपक्षी से किया और जब विपक्षी ने उक्‍त कमियों को दूर नहीं किया तो परिवादिनी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष परिवाद संख्‍या-973/98 दाखिल किया जो परिवादिनी के पक्ष में निर्णीत हुआ, किन्‍तु विपक्षी द्वारा उक्‍त कमियों को दूर नहीं किया। विपक्षी द्वारा उक्‍त फ्लैट की कीमत 3,30,000/- निर्धारित की गयी थी। परिवादिनी ने विपक्षी के यहॉं विभिन्‍न तिथियों में उक्‍त फ्लैट हेतु 5,23,000/-रू0 जमा कर दिया है। विपक्षी द्वारा उक्‍त भवन पर कब्‍जा परिवादिनी को लगभग तीन वर्ष बाद दिनांक 10-11-1994 को दिया गया लेकिन उक्‍त फ्लैट की रजिस्‍ट्री परिवादिनी के पक्ष में आज तक विपक्षी द्वारा नहीं की गयी गयी। विपक्षी द्वारा जारी एक अशुद्ध डिमाण्‍ड नोटिस दिनांकित 04-10-2010 रू0 9,71,000/- परिवादिनी को प्राप्‍त हुई। उक्‍त डिमाण्‍ड नोटिस की शिकायती पत्र परिवादिनी ने विपक्षी को दिनांक 04-01-2011 को प्रेषित किया। उक्‍त शिकायत पत्र देने के उपरान्‍त विपक्षी परिवादिनी को धमकी दे रहे हैं कि यदि एक माह के अंदर धनराशि जमा नहीं की गयी तो फ्लैट का रजिस्‍ट्रेशन निरस्‍त कर किसी अन्‍य को एलाट कर दिया जायेगा। उक्‍त तथ्‍यों के आधार पर परिवादिनी ने  परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है। 

     विपक्षी की ओर से जिला आयोग के समक्ष लिखित उत्‍तर प्रस्‍तुत करते हुए परिवाद पत्र के तथ्‍यों को अस्‍वीकार किया और कथन किया कि विज्ञापन की अवधि दिनांक 26-01-1991 से 28-02-1991 थी। विज्ञापन अवधि समाप्‍त हो जाने के पश्‍चात परिवादी द्वारा 35,000/-रू0 पंजीकरण

 

-4-

शुल्‍क जमा किया गया था। उक्‍त भवन का कब्‍जा परिवादिनी को संतोषजनक स्थिति में दिनांक 10-11-1994 को दिया गया। कब्‍जा प्राप्‍त करते समय परिवादिनी द्वारा किसी भी कमी को कब्‍जा प्रमाण पत्र में उल्‍लेख नहीं किया गया। उनकी ओर से सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है। 

     विद्धान जिला आयोग द्वारा उभयपक्ष को विस्‍तार से सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त  प्रपत्रों का परिशीलन करने के उपरान्‍त विपक्षी प्राधिकरण के स्‍तर पर सेवा में कमी पाते हुए परिवाद स्‍वीकार करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है।

      अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री दिलीप कुमार शुक्‍ला  उपस्थित। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

         अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय साक्ष्‍य एवं विधि के विरूद्ध है अत: अपील स्‍वीकार करते हुए विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को निरस्‍त किया जावे।

          मेरे द्वारा अपीलार्थी  के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन किया गया।

     अपीलार्थी  के विद्धान अधिवक्‍ता को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध  समस्‍त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के उपरान्‍त विधि

 

 

-5-

अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     आदेश

     अपील निरस्‍त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि जाती है।

     अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                       (विकास सक्‍सेना)

        अध्‍यक्ष                                      सदस्‍य

प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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