Uttar Pradesh

StateCommission

A/2014/578

Khairabad Eye Hospital Society - Complainant(s)

Versus

Dr Shaily Srivastava - Opp.Party(s)

A K Mishra

13 Oct 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2014/578
( Date of Filing : 20 Mar 2014 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Khairabad Eye Hospital Society
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr Shaily Srivastava
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 13 Oct 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

मौखिक

अपील संख्‍या-578/2014

खैराबाद आई हास्पिटल सोसायटी द्वारा डायरेक्‍टर व दो अन्‍य।

                                       .....अपीलार्थीगण@विपक्षीगण

बनाम

 

डा0 शैली श्रीवास्‍तव पुत्री डा0 एस0के0 श्रीवास्‍तव निवासी एच.आई.जी.

4, बर्रा कानपुर नगर, यू0पी0।                   .......प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

समक्ष:-

1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा, विद्वान

                           अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : कोई नहीं।

दिनांक 13.10.2022

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 582/09 डा0 शैली श्रीवास्‍तव बनाम खैराबाद नेत्र चिकित्‍सालय व दो अन्‍य में पारित निर्णय व आदेश दि. 21.02.14 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। जिला उपभोक्‍ता मंच ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया है कि परिवादिनी को मूल कागजात तथा प्रार्थना पत्र वापस करे एवं अंकन 32000/- क्षतिपूर्ति के रूप में रू. 220000/- क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करे।

2.   परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि प्रश्‍नगत विवाद उपभोक्‍ता प्रकृति का विवाद नहीं है, क्‍योंकि परिवादिनी द्वारा डी.एन.बी. के प्रशिक्षण हेतु शैक्षिक संस्‍थान में प्रवेश लिया था, परन्‍तु ज्ञात हुआ कि इस डिप्‍लोमा को अधिकृत करने के लिए मान्‍यता प्राप्‍त नहीं है, इसलिए धोखा देकर फीस प्राप्‍त की गई है, अत: जो संस्‍थान धोखा देकर फीस प्राप्‍त करता है उस संस्‍थान को शैक्षिक संस्‍था नहीं माना जा सकता। अपीलार्थी के

-2-

विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि जिला उपभोक्‍ता मंच ने प्रतिकर निर्धारित करते समय प्रतिकर की राशि का कोई आंकलन नहीं किया और मनमाने तौर पर जो प्रतिकर राशि मांगी गई उसको अदा करने का आदेश दिया है, जबकि संबंधित दस्‍तावेज उपलब्‍ध कराए जा चुके थे। परिवादिया द्वारा स्‍वयं त्‍याग पत्र दिया गया था, इसलिए क्षतिपूर्ति की राशि अत्‍यधिक अधिक है। जिला उपभोक्‍ता मंच के निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि कुल रू. 220000/- का आदेश दिया है, परन्‍तु यह आदेश पारित करते समय क्षति का कोई आंकलन नहीं किया गया। मानसिक प्रताड़ना के मद में केवल रू. 80000/- की मांग की गई है, अत: फीस वापस करने के अलावा अधिकतम रू. 80000/- मानसिक प्रताड़ना के मद में दिए जाने का आदेश दिया जा सकता था, अत: अपील इस प्रकार स्‍वीकार होने योग्‍य है कि परिवादिया द्वारा जमा कराई गई फीस वापस करने के अलावा केवल रू. 80000/- की राशि बतौर प्रतिकर परिवादिया को देय होगा।  

आदेश

3.   अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादिया को केवल फीस राशि अंकन रू. 32000/- के अलावा रू. 80000/- की राशि बतौर प्रतिकर देय होगा। इस राशि पर कोई ब्‍याज देय नहीं होगा।

     अपीलार्थी द्वारा धारा-15 के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की

 

 

 

 

-3-

वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

        (विकास सक्‍सेना)                        (सुशील कुमार)                                                                                                                                                   सदस्‍य                                 सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

  कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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