Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/1604

Uniquie Traders Fire Security Engineer - Complainant(s)

Versus

Dr S K Tyagi - Opp.Party(s)

V S Bisaria

03 Nov 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/1604
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Uniquie Traders Fire Security Engineer
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr S K Tyagi
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखन

अपील संख्‍या-1604/2005

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, मेरठ नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-59/2004 में पारित आदेश दिनांक 15.09.2005 के विरूद्ध)

         

यूनिक ट्रेडर्स फायर सिक्‍योरिटी इन्‍जीनियर्स 10, वंदना काम्‍प्‍लेक्‍स, सूरजकुण्‍ड, मेरठ।                             

                                               अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

डा0 एस0 के त्‍यागी द्वारा मूर्ति हास्पिटल, 44, साकेत मेरठ।

                                               प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी     सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी0 एस0 विसारिया।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : कोई नहीं।

दिनांक: 11-02-2016

माननीय श्रीमती बाल कुमारी सदस्‍य द्वारा उदघोषित निर्णय

      अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, मेरठ नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-59/2004 में पारित आदेश दिनांक 15.09.2005 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है। विवादित आदेश निम्‍नवत् है:-

       '' एतद् द्वारा परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। परिवादी अंकन 9,510/-रूपये मय बारह प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज दिनांक 30-01-2004 से देय तिथि के लिए डिग्री किया जाता है इसके अलावा परिवादी अंकन 1100/-रू0 वाद व्‍यय भी पाने का हकदार है। विपक्षी एक माह में भुगतान करें।''

      श्री वी0 एस0 विसारिया विद्वान अधिवक्‍ता अपीलार्थी उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता को विस्‍तारपूर्वक सुना गया और अभिलेख का अवलोकन किया गया।

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी एक डाक्‍टर है तथा मूर्ति हास्पिटल के नाम से अपना कार्य करता है। दिनांक 18-07-2003 को अस्‍पताल के लिए दो फायर एक्‍सटिगुइसर रिफिल करके लगवाये थे जिसमें एक कैमिकल पाउडर टाइप तथा दूसरा फायर टाइप था जिसकी कीमत अंकन 700/-रू0 विपक्षी को अदा की थी दिनांक 21-07-2003 को अस्‍पताल में आग लग गयी तो आग बुझाने के लिए एक्‍सविगुइसर चलाया गया किन्‍तु दोनों में से किसी ने कार्य नहीं किया जिसके फलस्‍वरूप मीटर एवं आपूर्ति केबिल जलने लगे, मेन लाइन बंद की गयी। परिवादी को जला सामान आदि ठीक कराने में अंकन 8,810/-रू0 खर्च करने पड़े तथा मानसिक कष्‍ट हुआ। विपक्षी की लापरवाही के कारण यह घटना हुई। विपक्षी को दिनांक 22-07-03 एवं दिनांक 30-07-03 को विपक्षी को पत्र लिखे जिसका उत्‍तर दिनांक 30-07-03 को विपक्षी ने दिया और कहा कि भविष्‍य में ऐसा नहीं होगा तथा एक्‍सटिंगुइसर मुफ्त में भरने का आश्‍वासन दिया। किन्‍तु कोई क्षतिपूर्ति नहीं दी। परिवादी को अंकन 8,810/-रू0 व 700/-रू0 कुल 9510/-रू0 मय ब्‍याज व 20,000/-रू0 क्षतिपूर्ति तथा 5000/-रू0 वाद व्‍यय दिलाया जाए।

      विपक्षी की ओर से सेवादोत्‍तर दाखिल किया गया और कहा गया कि परिवादी को मूर्ति अस्‍पताल की ओर से दावा प्रस्‍तुत करने का अधिकार नहीं है किन्‍तु फायर एक्‍सटिंगुइसर रिफिल करना स्‍वीकार किया है। दिनांक 21-07-03 को आग नहीं लगी। विपक्षी को कोई सूचना नहीं दी गयी। परिवादी ने यह दावा फर्जी क्‍लेम के लिए प्रस्‍तुत किया है। परिवादी का कोई सामान नहीं जला। एक्‍सटिंगुइसर ठीक से रिफिल किये गये। परिवादी ने विपक्षी की अनुपस्थिति में उसके मैनेजर को डरा-धमकाकर दिनांक 30-07-03 का पत्र लिखवाया जिसके लिए मैनेजर अधिकृत नहीं है। रिफिलिंग में कोई कमी नहीं थी। परिवादी के स्‍टाफ की मिसहैण्डिलिंग के कारण आग पर काबू नहीं पाया गया। परिवादी का परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

      अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री वी0 एस0 विसारिया उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं।

      हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क सुने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य एवं जिला मंच द्वारा पारित निर्णय का परिशीलन किया।

      अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता ने लिखित तर्क योजित किया और जिसमें आग लगने की घटना, क्षतिपूर्ति आदि को स्‍पष्‍ट रूप से इंकार किया गया और कहा कि परिवादी ने आग लगने व क्षति का कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया और न ही क्षति के संबंध में कोई बिल आदि प्रस्‍तुत किया जिसके अभाव में फोरम द्वारा रू0 9,510/- जो दिलवाया गया है वह अनुचित है एवं कहा गया कि मामला माल की खराबी या गलत रिफिलिंग का था। धारा-13(सी) सी0पी0 एक्‍ट-1986 से परिवादी का वाद बाधित है तथा फोरम ने बिना एक्‍सपर्ट ओपीनियन के परिवाद स्‍वीकार करके त्रुटि की है और कहा गया कि जिला मंच ने दिनांक 30-07-2003 के पत्र का संज्ञान लेते हुए परिवाद स्‍वीकार करके त्रुटि की है उनकी तरफ से कोई त्रुटि नहीं की गयी है अत: परिवाद खारिज करते हुए अपील स्‍वीकार की जाए।

      पत्रावली का परिशीलन यह दर्शाता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी की ओर से न तो कोई उपस्थित आया और न ही लिखित बहस दाखिल की गयी।     अपीलार्थीके विद्धान अधिवक्‍ता द्वारा अपनी अपील मेमों तथा लिखित बहस में यह तर्क लिया गया परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा अपने प्रतिष्‍ठान में आग लगने का कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया है और न ही आग लगने की सूचना अपीलार्थी/विपक्षी तथा  पुलिस को ही दी गयी और न ही इस बात का कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किया गया कि क्‍या सामान जला है और न ही इसका साक्ष्‍य पत्रावली पर है एवं इस संबंध में विशेषज्ञ की कोई रिपोर्ट भी दाखिल नहीं की गयी है। अत: जिला मंच ने बिना किसी तथ्‍य एवं साक्ष्‍य के आदेश पारित किया है जो निरस्‍त होने योग्‍य है। तद्नुसार अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                                    आदेश

      प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार करते हुए विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम, मेरठ नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-59/2004 में पारित आदेश दिनांक 15.09.2005 निरस्‍त किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

 

 

( जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा )                                     ( बाल कुमारी )

   पीठासीन सदस्‍य                                            सदस्‍य

 

कोर्ट नं0-2 प्रदीप मिश्रा

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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