Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/793

Satya Prakash - Complainant(s)

Versus

Dr Rajeev Kulshreshth - Opp.Party(s)

Arun Tandon

20 Dec 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/793
( Date of Filing : 12 May 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Satya Prakash
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr Rajeev Kulshreshth
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Dec 2023
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-793/2006

Satya Prakash Saxena R/O Mohalla Shastri Nagar  

Versus

Dr. Rajeev Kulshreshtha, Senior Consultant Surgeon

समक्ष:-                                                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अरूण टण्‍डन, विद्धान अधिवक्‍ता                   

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री मोहन अग्रवाल, विद्धान अधिवक्‍ता

दिनांक :20.12.2023 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.     परिवाद संख्‍या-108/2000, सत्‍य प्रकाश सक्‍सेना बनाम डॉ0 राजीव कुलश्रेष्‍ठ में विद्वान जिला आयोग, एटा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.02.2006 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया। निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। 
  2.                        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने अपनी पत्‍नी का लीवर, गॉल ब्‍लेडर, किडनी का अन्‍ट्रासाउण्‍ड दिनांक 23.11.1999 को डॉक्‍टर राजीव कुलश्रेष्‍ठ के नर्सिंग होम में कराया था। इस रिपोर्ट के आधार पर डॉक्‍टर कुलश्रेष्‍ठ द्वारा पेट में सूजन का इलाज किया गया। इसके बाद आवेदक ने डॉ0 असोंपा एवं डॉ0 आहूजा से अल्‍ट्रासाउण्‍ड कराया और उसके बाद डॉक्‍टर शर्मा कैंसर रोग विशेषज्ञ के यहां 19 दिन इलाज कराया। उसके बाद गुजरात स्थित डॉक्‍टर ए0के0 सक्‍सेना से भी इलाज कराया। बड़ौदा में परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु हो गयी। परिवादी का कथन है कि डॉक्‍टर राजीव कुलश्रेष्‍ठ द्वारा अल्‍ट्रासाउण्‍ड की गलत रिपोर्ट दी गयी तथा गलत इलाज करते रहे और कैंसर बढ़ गया और रोगी की मृत्‍यु हो गयी।
  3.        लिखित कथन में उल्‍लेख है‍ कि डॉक्‍टर कुलश्रेष्‍ठ ने परिवादी की पत्‍नी का इलाज नहीं किया। यद्यपि अल्‍ट्रासाउण्‍ड से इंकार नहीं किया गया। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा साक्ष्‍य का विश्‍लेषण करते हुए यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी ने डॉक्‍टर के स्‍तर से किसी प्रकार की लापरवाही के तथ्‍य को साबित नहीं किया है। तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया। 
  4.        अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि अल्‍ट्रासाउण्‍ड की रिपोर्ट पत्रावली पर दस्‍तावेज सं0 24 पर उपलब्‍ध है। इसमें गॉल ब्‍लेडर में किसी प्रकार का Calculus बढ़े होने का उल्‍लेख नहीं है, जबकि दूसरी रिपोर्ट जो दस्‍तावेज सं0 29 पर मौजूद है तथा जे अशोपा अल्‍ट्रासाउण्‍ड से करायी गयी है, उसमें गॉल ब्‍लेडर में Large size का Calculus मौजूद पाया गया, इसलिए डॉक्‍टर द्वारा दी गयी गलत रिपोर्ट के कारण सही इलाज नहीं हो सका और यह Calculus बाद में कैंसर में परिवर्तित हो गया, जिसके कारण मरीज की मृत्‍यु कारित हुई। दोनों रिपोर्ट में एक माह का अंतर है। यह आवश्‍यक नहीं है कि प्रथम रिपोर्ट तैयार करते समय गॉल ब्‍लेडर में Calculus मौजूद हो यदि 23.11.1999 के तुरंत पश्‍चात कोई रिपोर्ट प्राप्‍त की जाती और उस रिपोर्ट में Calculus की मौजूदगी पायी जाती तब रिपोर्ट को लापरवाही से तैयार किया गया माना जा सकता है, परंतु चूंकि दोनों रिपोर्ट में एक माह का अंतर मौजूद है, इसलिए प्रथम रिपोर्ट को लापरवाही से तैयार किया गया नहीं माना जा सकता। इस रिपोर्ट के आधार पर चूंकि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की कोई कल्‍पना नहीं की जा सकती थी, इसलिए इस बीमारी के उल्‍लेख का कोई औचित्‍य रिपोर्ट तैयार करने वाले डॉक्‍टर के पास नहीं था। अत: इस तर्क में कोई बल नहीं है कि डॉक्‍टर की लापरवाही के कारण कैंसर की बीमारी विकसित हुई, जिसके कारण परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु हो गयी। अत: जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्‍य है।  
  5.  

           अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

         

      (सुधा उपाध्‍याय)                         (सुशील कुमार)                           

          सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

  

        संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3

 

 

 

 

 

         

  

           

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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