राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-१४३/१९९८
(जिला फोरम, देवरिया द्वारा परिवाद सं0-४१२/१९९७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १६-१२-१९९७ के विरूद्ध)
१. लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया द्वारा सीनियर डिवीजनल मैनेजर, डिवीजन आफिस, जुबली मार्ग, गोरखपुर।
२. ब्रान्च मैनेजर, लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया, ब्रान्च आफिस, बस स्टेण्ड रोड, पोस्ट सलेमपुर, जिला देवरिया।
........ अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम्
डॉ0 प्रद्युम्न चन्द्र मिश्रा पुत्र स्व0 राम दरश मिश्रा, निवासी दुर्गा मन्दिर, मोहन रोड, देवरिया।
.......... प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्य ।
२- मा0 श्री जुगुल किशोर, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित :- श्री विकास अग्रवाल विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री बी0के0 उपाध्याय विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : २६-१२-२०१४
मा0 श्री जुगुल किशेर, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपील सुनवाई हेतु ली गयी। अपलार्थी भारतीय जीवन बीमा निगम की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल उपस्थित हैं और उन्होंने कहा कि अपीलार्थी भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा अधीनस्थ जिला फोरम देवरिया द्वारा परिवाद सं0-४१२/१९९७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १६-१२-१९९७ के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है, जिसके अन्तर्गत परिवादी को उसकी पत्नी के बीमा से सम्बन्धित रकम ५०,०००/- रू0 बोनस के साथ दिनांक ०१-०९-१९९५ से १० प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ आदेश के एक माह के अन्तर्गत अदा करने हेतु विपक्षीगण/अपीलार्थीगण को आदेशित किया गया था। श्री विकास अग्रवाल ने आज एक प्रार्थना पत्र भी इस आशय का प्रस्तुत किया है कि इस आयोग के अन्तरिम आदेश दिनांक ०६-०४-१९९८ के
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अनुपालन में आदेशित धनराशि जिला फोरम में जमा कर दी गयी है और उस धनराशि को परिवादी के पक्ष में अवमुक्त भी किया जा चुका है, अत: ऐसी स्थिति में वे अब इस अपील पर अब बल नहीं देना चाहते हैं और इसी आधार पर इस अपील को निस्तारित किया जाने हेतु उन्होंने प्रार्थना भी की है। इसके अतिरिक्त इस अपील पर बल न दिये जाने के सम्बन्ध में श्री विकास अग्रवाल ने मूल अपील के ज्ञापन के प्रथम पृष्ठ पर टिप्पणी भी अंकित की है। प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री बी0के0 उपाध्याय ने अपीलार्थी की ओर से प्रस्तुत उपरोक्त प्रार्थना पत्र पर इस आशय की टिप्पणी अंकित की है कि ‘’ कोई आपत्ति नहीं है ‘’। वर्णित परिस्थितियों में अपीलार्थी की ओर से बल न दिया जाने के कारण यह अपील निरस्त की जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी की ओर से बल न दिया जाने के कारण निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष इस अपील का व्यय भार स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(आलोक कुमार बोस)
पीठासीन सदस्य
(जुगुल किशोर)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-५.