आदेश
1. परिवादी रामचंद्र साह ने इस आशय का परिवाद पत्र इस फोरम के समक्ष दाखिल किया कि उसके चेहरे में सूजन था। दिनांक 04.02.2009 को विपक्षी-1 के प्राइवेट नर्सिंग होम में इलाज कराने गया। विपक्षी-1 आवेदक का ब्लड शुगर जाँच विपक्षी-2 से करवाया जिसमें ब्लड शुगर रैंडम 114 आया, विपक्षी-1 के द्वारा जो दवा का पुर्जा लिखा गया उसमें प्रोपगेंडा की दवा थी जो वो अपने निजी दुकान से दिए और मांगने पर रसीद भी नहीं दिये।
2. परिवादी का यह भी कथन है कि वह दिनांक 04.02.2009 से 13.02.2009 के शाम 4 बजे तक विपक्षी-1 के इलाज में रहा लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिला अपितु परेशानी बढ़ती गई और मरणाशन्न स्थित में पहुँच गया दिनांक 09.02.2009 को विपक्षी-1 ने विपक्षी-2 से ब्लड यूरिया और सीरम क्रीटेनाइन का जाँच करवाया जो क्रमश: 78 तथा 2.2 पाया गया, दिनांक 13.02.2019 को विपक्षी-1 द्वारा विपक्षी-2 से परिवादी का ब्लड यूरिया तथा सीरम क्रीटेनाइन पुनः जाँच करवाया गया, जो क्रमश: 110 तथा 3.4 पाया गया इस तरह दवा के सेवन के पश्चात् भी परिवादी का ब्लड यूरिया तथा सीरम क्रीटेनाइन बढ़ता गया। इससे स्पष्ट है कि विपक्षी-1 द्वारा दिए गए दवा से परिवादी को लाभ की जगह हानि होती गयी। परिवादी का सारा शरीर फुल गया उसके हाइड्रोसील का वजन लगभग 2 किलोग्राम हो गया, पैशाब नली के अगले भाग में गांठ पड़ गया तथा पैशाब होने में कष्ट होने लगा तथा भूख भी चली गयी। अनेकों प्रकार के परेशानी शरीर में उत्पन्न हो गयी।
7. परिवादी का यह भी कथन है की दिनांक 09.02.2009 विपक्षी-1 ने दवा पुर्जा में दवा बदला तथा पानी चढ़वाया लेकिन ब्लड यूरिया क्रीटेनाइन बढ़ता ही गया। परिवादी को किसी प्रकार का कोई लाभ नहीं हो रहा था।जब परिवादी विपक्षी-1 से कहता कि दूसरे डॉ० से उसे दिखाना है तो वह कहते कि पानी नहीं चढ़वाएंगे तो मर जायेंगें तथा उन्होंने परिवादी को IGIMS पटना को रेफर कर दिया।
8. आवेदक का यह भी कथन है कि वह दिनांक 13.02.2009 को शाम 7 बजे डॉ० उमेश चंद्र झा के क्लिनिक में इलाज हेतु पहुंचा। डॉ० उमेश चंद्र झा ने आवेदक का वजन लिया जो 70 किलोग्राम था। उन्होंने क्लीनिकल जाँच किया और पैथोलोजिकल जाँच की सलाह दिया। दिनांक 14.02.2009 को दास पैथोलॉजी में मैंने ब्लड यूरिया तथा सीरम क्रीटेनाइन का जाँच करवाया जो क्रमश: 64 तथा 1.5 पाया गया। दिनांक 13.02.2009 को विपक्षी-2 के पैथोलोजिकल रिपोर्ट में परिवादी का ब्लड यूरिया तथा सीरम क्रीटेनाइन क्रमश: 110 तथा 3.4 दर्शया गया इस आधार पर परिवादी का इलाज विपक्षी-1 करते रहे, जिसके कारण परिवादी को अनेक समस्या हो गया।यह बात डॉ० यु०सी० झा बतौर विशेषज्ञ मुझसे बताया डॉ० यु०सी० झा इलाज के दौरान आवेदक का अनेको जाँच जैसे ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, यूरिया कल्चर, अल्ट्रा साउंड, एक्स-रे आदि कराया उसके पश्चात् इलाज सम्बंधित दवा लिखा जो विपक्षी-1 के द्वारा लिखे दवा से भिन्न था। विपक्षी-1 ने बिना आवश्यक जाँच कराए दवा लिखा जिससे शिकायतकर्ता के शरीर में अनेकों समस्या पैदा हो गया। डॉ० यु०सी० झा के इलाज से परिवादी को फायदा हुआ।दिनांक 01.03.2009 को परिवादी का वजन घटकर 58 किलोग्राम हो गया। दिनांक 01.03.2009 को डॉ० यु०सी० द्वारा शिकायतकर्ता का विभिन्न प्रकार का जाँच कराया गया ब्लड यूरिया 28 पाया सीरम क्रीटेनाइन 1.1 पाया गया। यह बाते शर्मा डागोनोसिस के पैथोलोजिकल रिपोर्ट से स्पष्ट है।
3. आवेदक का यह भी कथन है की डॉ० यु०सी० झा को उसने पुनः दिखया तो उन्होंने ने मेरा वजन लिया जो घटकर 55 किलोग्राम हो गया और मेरा विभिन्न प्रकार का जाँच करवाया एक जाँच रिपोर्ट सीरम हार्मोन जाँच रिपोर्ट कलकत्ता से भी आया जिसमें TSH-4.02 पाया गया। सभी रिपोर्ट को देखने के बाद डॉ० यु०सी० झा से कहा कि यदि आप पहले आ गए होते, सही जाँच सही इलाज कराए होते तो इस प्रकार का समस्या पैदा नहीं होता। यह विपक्षी-2 के गलत जाँच रिपोर्ट के आधार पर गलत दवा लिखे जाने का परिणाम है। आवेदक ने उनसे लिखित रिपोर्ट माँगा तो उन्होंने कहा कि जूनियर डॉ० के खिलाफ लिखना ठीक नहीं है।
4. परिवादी का यह भी कथन है कि दिनांक 03.06.2009 को पुनः डॉ० यु०सी० झा को दिखाने गया उन्होंने पुनः पैशाब की जाँच कराया और कहा की इस दवा पुर्जा के तमाम दवाई का सेवन आजीवन करना होगा नहीं तो पुनः समस्या उत्पन्न हो जाएगा।
5. परिवादी का यह भी कथन है कि विपक्षी-1 और 2 के पास इलाज कराने से उसका 35000 रु० खर्चा हुआ तथा डॉ० यु०सी० झा से दिनांक 03.06.2009 तक दवा कराने मे डॉ० फी, जाँच खर्चा, आने-जाने तथा रहने का खर्चा कुल मिलकर 105000 रु० का खर्चा हुआ। यह विपक्षी सं०-1 के गलत इलाज के कारण हुआ। परिवादी द्वारा विपक्षी-1 और विपक्षी-2 को निबंधित डाक से नोटिस भेजा गया।जिसका प्रतिउत्तर विपक्षीगण ने दिया जिसमें कुछ आधारहीन बातें लिखी थी। जिसका जबाब परिवादी के अधिवक्ता द्वारा दिनांक 04.08.2009 को भेजा गया इस प्रकार से विपक्षी-1 द्वारा किए गए गलत इलाज तथा विपक्षी-2 द्वारा दिए गए पैथोलोजिकल रिपोर्ट से परिवादी को काफी मानसिक, आर्थिक क्षति पहुंचा।
अतः अनुरोध है कि परिवादी द्वारा इलाज में किए गए खर्चा 105000 रु०, मानसिक, आर्थिक तनाव के हर्जाना के रूप में 100000 रु०, वाद खर्चा 10000 रु० कुल 215000 रु० विपक्षीगण से परिवादी को दिलाने का आदेश देने की कृपा करे ।
6. विपक्षी-1 कि तरफ से उनके विद्धवान अधिवक्ता उपस्थित होकर अपना व्यान तहरीर दाखिल किया। उन्होंने अपने व्यान तहरीर में स्पष्ट किया है कि परिवादी ने जैसा परिवाद पत्र लाया है वह झूठा बनावटी आधारहीन तथा बिना किसी कारण के है, जिसका विधि की निगाह में कोई मूल्य नहीं है। परिवादी को यह वाद लाने का कोई वाद कारण नहीं था। परिवादी ने यह परिवादी पत्र विपक्षी को परेशान करने के नियत से लाया है। चिकित्सीय विधिशास्त्र में असावधानी पूर्वक किये गए कार्य का कोई वैज्ञानिक कारण नहीं दिया गया है क्यूंकि चिकित्सीय जाँच विपक्षी-1 द्वारा पूरा सावधानी के साथ किया गया था।परिवादी से यह स्पष्ट नहीं हो सका कि विपक्षी-1 ने किस प्रकार से उसके इलाज में असावधानी वार्ता, विपक्षी-1 द्वारा किस स्टेज पर असावधानी वर्ती गयी, क्या करना था क्या नहीं करना था। यह विशिष्ट रूप से परिवादी द्वारा स्पष्ट नहीं किया गया। परिवादी ने फोरम के समक्ष बिना किसी विशेषज्ञ के राय के समर्थन के यह परिवाद पत्र फाइल कर दिया। शिकायतकर्ता द्वारा लाया गया यह शिकायत पत्र आधारहीन है। विपक्षीगण को ब्लैकमेल करने की नियत से सोची समझी चाल के तहत दाखिल किया। जो ख़ारिज होए योग्य है।
9. विपक्षी-1 एक चिकित्सक है, चिकित्सीय व्यवसाय के प्रकाश में जो भी आरोप लाएगा गया है वह उसके असवधानी अथवा सेवा की त्रुटि की परिधि में नहीं आता है, मरीज का दूसरा बेहतर इलाज का उपाय था और विपक्षी-1 द्वारा उसका प्रयोग नहीं किया गया यह चिकित्सीय व्यवसाय में असावधानी की श्रेणी में नहीं आता है। विपक्षी-1 द्वारा जो भी बेहतर इलाज हो सकता था किया गया और उससे बेहतर इलाज के लिए प्रतिष्ठित प्रतिष्ठान IGIMS रेफर कर दिया गया। जिस भी दवा को विपक्षी एक द्वारा लिखा गया है उसमें कोई भी प्रोपगेंडा ड्रग कंपनी नहीं है। सभी ड्रग कंपनी सोसाइटी ऑफ़ इंडिया द्वारा लाइसेंस प्राप्त है। असावधानी और सेवा शर्तों में उल्ल्घन की बात आधारहीन एवं झूठा है। परिवादी का दावा उचित खर्चा पर ख़ारिज होने योग्य है।
10. विपक्षी-2 एवं अन्य द्वारा अपना व्यान तहरीर इस आशय का दाखिल किया गया कि झूठा मनगढंत तथा आधारहीन परिवाद पत्र उनलोगों के विरुद्ध दाखिल किया गया है, जो विधि एवं तथ्य के अनुसार चलने योग्य नहीं है। परिवादी को परिवाद पत्र लाने का कोई विधिक अधिकार विपक्षी-2 एवं अन्य के विरुद्ध नहीं था उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(D) के अनुसार परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। इस कारण उसे परिवाद पत्र दाखिल करने का अधिकार नहीं था। धारा-2(C) के अनुसार परिवादी को कोई भी मामला लाने का वाद कारण नहीं था। वह मात्र विपक्षी-2 एवं अन्य को परेशान एवं अपमानित करने के नियत से अवैध तरीके से फोरम के समक्ष यह मुकदमा लाया है।
11. विपक्षी-2 एवं अन्य द्वारा किस प्रकार से असावधानी पूर्वक काम किया गया इसका स्पष्ट उल्लेख परिवाद पत्र में नहीं किया। विपक्षी-2 एवं अन्य द्वारा पूरी सावधानी के साथ परिवादी को चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराया गया। विपक्षी-2 एवं अन्य को क्या करना चाहिए था क्या नहीं करना चाहिए था। इसका उल्लेख परिवादी द्वारा नहीं किया गया है। परिवादी ने बिना किसी विशेषज्ञ के राय के यह झूठा एवं मनगढंत केस दाखिल कर दिया। उसने विपक्षीगण को ब्लैकमेल करने की नियत से यह मुकदमा दाखिल किया है। परिवादी द्वारा जो भी आरोप विपक्षीगण के विरुद्ध लाया गया वह सारहीन है। उसके आधार पर परिवादी कोई भी अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं किया गया न तो कोई असावधानी वार्ता गया है।
12. परिवादी ने अपने केस के समर्थन में मौखिक साक्षी के रूप में रामचंद्र साह का परिक्षण कराया। साक्षी का प्रतिपरीक्षण विपक्षी द्वारा किया गया। इसके अलावा परिवादी ने दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में एनेक्सचर-1 डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ का दवा का पुर्जा, एनेक्सचर-2, एनेक्सचर-3, एनेक्सचर-4, सभी आर्य पैथो क्लिनिक बहेड़ा दरभंगा का पैथोलोजिकल रिपोर्ट, एनेक्सचर-5 डॉ० यु०सी० झा का दवा का पुर्जा, एनेक्सचर-6, एनेक्सचर-7, एनेक्सचर-8 सभी दास पैथोलोजिकल लेबोरेट्री का रिपोर्ट, एनेक्सचर-9 शर्मा डायग्नोसिस का रिपोर्ट, एनेक्सचर-10 चौधरी स्कैनिंग सेण्टर का रिपोर्ट, एनेक्सचर-11 डॉ० यु०सी० झा का दवा का पुर्जा, एनेक्सचर-12, एनेक्सचर-13, एनेक्सचर-14, एनेक्सचर-15 सभी शर्मा डायग्नोसिस का जाँच रिपोर्ट, एनेक्सचर-16 डॉ० यु०सी० झा का दवा का पुर्जा एनेक्सचर-17 मेडी सिटी कोलकत्ता का रिपोर्ट, एनेक्सचर-18 न्यू मनीष जाँच घर का रिपोर्ट, एनेक्सचर-19 मेडी सिटी द्वारा सीरम हार्मोन का रिपोर्ट, एनेक्सचर-20 गीता डाइग्नोस्टिक का रिपोर्ट, एनेक्सचर-21 एवं एनेक्सचर-22 दवा खरीद का पुर्जा, एनेक्सचर-23 डॉ० यु०सी० झा का चिकित्सीय पुर्जा, एनेक्सचर-24 एनेक्सचर-25 दोनों न्यू मनीष जाँच घर का रिपोर्ट, एनेक्सचर-26 डॉ० यु०सी० झा का चिकित्सीय पुर्जा, एनेक्सचर-27 विधिक नोटिस, एनेक्सचर-28 विधिक नोटिस का जबाब, एनेक्सचर-29 दूसरा क़ानूनी नोटिस दाखिल किया। विपक्षी एक द्वारा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया लेकिन मौखिक साक्षी के रूप में साक्षी डॉ० यु०सी० झा का परिक्षण कराया गया। साक्षी डॉ० यु०सी० का प्रतिपरीक्षण परिवादी द्वारा किया गया। साक्षी को उन्मोचित किया गया।
फोरम ने उभयपक्षों के तर्क को सुना तथा अभिलेख का अवलोकन किया परिवादी रामचंद्र साह का इलाज, विपक्षी-1 डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ के द्वारा किया गया इस बिंदु पर कोई विवाद नहीं है। इस बिंदु पर भी कोई विवाद नहीं है कि डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ ने परिवादी का इलाज विपक्षी-2 सुधीर एवं वरुण कुमार DMLT आर्य पैथो क्लिनिक के प्रतिवेदन पर किया इस विषय पर भी कोई विवाद नहीं है कि डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ ने डॉ० रामचंद्र साह को बेहतर इलाज के लिए IGMIS रेफर कर दिया ।विवाद का विषय यह है कि आर्य पैथो क्लिनिक द्वारा जो रिपोर्ट दिया गया था जिसको आधार मानकर विपक्षी-1 डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ ने परिवादी का इलाज किया वह रिपोर्ट सावधानी पूर्वक योग्य एवं समक्ष लोगों द्वारा तैयार किया गया था कि नहीं, एनेक्सचर-2, एनेक्सचर-3 एवं एनेक्सचर-4 को देखने से स्पष्ट है कि आर्य पैथो क्लिनिक ने जो प्रतिवेदन दिया वह डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ द्वारा रेफर करने पर दिया है लेकिन एनेक्सचर-2 से 4 तक जो प्रतिवेदन है, उसके आधार पर यह निष्कर्ष नहीं निकला जा सकता कि विपक्षी-1 डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ ने आर्य पैथो क्लिनिक से जाँच कराने को कहा। इस प्रतिवेदनों में डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ का नाम डॉ० के रूप में टंकित है। बिना किसी अन्य साक्ष्य के इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता कि डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ ने आर्य पैथो क्लिनिक से जाँच कराने के लिए कहा था।
13. विपक्षी-1 द्वारा साक्षी डॉ० यु०सी० झा का परिक्षण कराया गया जिन्होंने परिवादी का इलाज डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ के बाद किया और परिवादी उसी से ठीक हुआ, ने अपने परिक्षण में स्पष्ट किया है कि यह कथन सही नहीं है कि गलत दवा और गलत इलाज के कारण परिवादी के बीमारी में बढ़ोतरी हो गया। साक्षी ने अपने परिक्षण में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि विपक्षीगण द्वारा इलाज में किसी प्रकार का चूँक अथवा लापरवाही नहीं हुई। साक्षी अपने परिक्षण में यह भी स्पष्ट किया है कि उसने कभी यह नहीं कहा था कि परिवादी के इलाज में चूँक के कारण बीमारी बढ़ा है। साक्षी का यह भी कथन है कि विपक्षियों द्वारा परिवादी के इलाज में कोई असावधानी नहीं वार्ता गया। इस साक्षी का विस्तृत प्रतिपरीक्षण परिवादी द्वारा किया गया। लेकिन उसके प्रतिपरीक्षण से ऐसा कुछ भी नहीं निकल कर आया जिससे साक्षी के विश्वसनीयता पर संदेह किया जाए।
इसी साक्षी के कथनों को आधार मानकर यह परिवाद पत्र दाखिल किया लेकिन इस साक्षी ने फोरम के समक्ष उपस्थित होकर स्पष्ट कर दिया कि विपक्षी द्वारा कोई गलत इलाज नहीं किया गया उसने गलत इलाज की बात कभी नहीं कहा, यह साक्षी एक विशेषज्ञ साक्षी है जिसने अपने परिक्षण में स्पष्ट कर दिया कि विपक्षी एक डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ द्वारा कोई गलत इलाज नहीं किया गया। उनके द्वारा पैथोलॉजिकल प्रतिवेदन के आलोक में सही इलाज किया गया। चूँकि एक विशेषज्ञ साक्षी तथा परिवादी के सबसे महत्वपूर्ण साक्षी ने फोरम के समक्ष उपस्थित होकर फोरम के समक्ष स्पष्ट कर दिया कि डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ द्वारा परिवादी के चिकित्सा में कोई लापरवाही एवं सेवा शर्तों में उल्लंघन नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ विपक्षी-1 के विरुद्ध परिवादी द्वारा लाया गया यह वाद पोषणीय नहीं है। जहां तक विपक्षी-2 एवं अन्य के विरुद्ध असावधानी एवं सेवा शर्तों में उल्लंघन का प्रश्न है तो परिवादी द्वारा दाखिल एनेक्सचर-2 से 4 जो कि विपक्षी-2 एवं अन्य का पैथोलोजिकल सेण्टर आर्य पैथो क्लिनिक के नाम से है, द्वारा जो रिपोर्ट दिया गया वह रिपोर्ट दास पैथोलोजिकल लेबोरेट्री जो एनेक्सचर-6 से 8 एवं शर्मा डाइग्नोस्टिक एनेक्सचर-9,12,13,14 एवं 15 है से काफी विभिन्न है निश्चित रूप से विपक्षी-2 एवं अन्य द्वारा जो पैथोलोजिकल के प्रतिष्ठान के मालिक हैअपने दायित्व से उऋण नहीं हो सकते सबसे आश्चर्यजनक पहलु यह है कि विपक्षी-2 एवं अन्य द्वारा जिस समय यह प्रतिवेदन तैयार किया गया उस समय उनके पास इसका लाइसेंस भी नही था। इस प्रकार से बिना सक्षम प्राधिकार के विपक्षी-2 ने एनेक्सचर-2 से 4 तक तैयार किया इससे स्पष्ट है कि विपक्षी-2 एवं अन्य द्वारा असावधानी एवं त्रुटि पूर्वक काम किया गया।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह फोरम इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि परिवादी विपक्षी-1 डॉ० नागेंद्र नारायण लाभ के विरुद्ध लाए गए किसी आरोप को साबित करने में पूर्णतः विफल रहा है। लेकिन यहाँ तक विपक्षी-2 एवं अन्य का प्रश्न है तो परिवादी विपक्षी-2 एवं अन्य के विरुद्ध लाए गए शिकायत को साबित करने में पूर्णतः सफल रहा है। विपक्षी-2 एवं अन्य को फोरम द्वारा यह आदेश दिया जाता है कि वह आवेदक को उनके रिपोर्ट के कारण जो गलत इलाज हो गया है उसके खर्चा के रूप में 50000 रु० मानसिक एवं आर्थिक क्षति के क्षतिपूर्ति के रूप में 10000 रु० एवं वाद खर्चा के रूप 2000 रु० कुल 62000 रु० इस आदेश के पारित होने 3 माह के अंदर कर दें। ऐसा नहीं करने पर उक्त धनराशि विधिक प्रक्रिया द्वारा विपक्षी-2 से वसूला जायेगा तदनुसार परिवादी के दावा को आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है।