Jagannath panchal filed a consumer case on 21 Jan 2016 against Dr Megha Gupta in the Kota Consumer Court. The case no is CC/266/2011 and the judgment uploaded on 22 Jan 2016.
जगन्नाथ पांचाल
बनाम
डा. मेघा गुप्ता व डा. मोर्या गुप्ता ,कृष्णा डेन्टल हाॅस्पिटल कोटा
परिवाद संख्या 266/2011
21.01.2016 प्रकरण की बहस अंतिम स्टेज पर परिवादी अथवा उसके वकील 06.10.15, 27.11.15, 22.12.15 व 07.1.16 को उपस्थित नहीं हुये, वकील विपक्षीगण को सुना गया। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
परिवादी ने विपक्षीगण का यह दोष बताया है कि दिनांक 05.04.11 को असली दाॅंतो को निकालने के 1600/-रूपये व नकली दाॅंत बनाकर लगाने के 5000/-रूपये अदा किये लेकिन नकली दाॅंत मुंह में पूरी तरह फिट नहीं हुये इसकी शिकायत कई बार विपक्षीगण को की गई लेकिन सुनवाई नहीं की। विपक्षीगण को दाॅंत बदलने के लिये कहा लेकिन अभद्र व्यवहार किया दांत भी रख लिये। विपक्षीगण को नोटिस भेजा गया जिसका जवाब दिया लेकिन सुनवाई नहीं की, इससे शारीरिक, मानसिक पीड़ा के साथ-साथ आर्थिक नुकसान हुआ है।
विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत जवाब का सार है कि परिवाद झूंठा पेश किया गया है। परिवादी का ईलाज पूरी दक्षता, कुशलता व सावधानी से किया गया। उसकी बत्तीसी भी नाप के अनुसार सही बनाई गई तथा परिवादी के मुंह में लगाकर उसे संतुुष्ट किया गया। 20-25 दिन बाद परिवादी चेकअप कराने आया तब भी वह पूरी तरह संतुष्ट था। उसके बाद वह आया तब पाया गया कि उसकी बत्तीसी घिसी हुई है। वह संतुष्ट होकर गया । पुनः 8-10 दिन बाद आया तब पाया गया कि उसकी बत्तीसी टूटी हुई व घिसी हुई थी जो जुड़ नहीं सकती थी। वह उन्हें उनकी क्लिनिक पर फेंक कर चला गया तथा धमकी भी दी। उनकी ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई ।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा विपक्षीगण की पर्ची व उनको प्रेेषित नोटिस, प्राप्त जवाब आदि की प्रतियां प्रस्तुत की हैं। विपक्षीगण ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा परिवादी को प्रेषित जवाब नोटिस की प्रति प्रस्तुत की।
हमने विचार किया।
विपक्षीगण ने स्पष्ट किया है कि परिवादी ने बत्तीसी तोड़ दी व घिस दी, इसलिये खराब हुई। विपक्षीगण ने सही बनाकर फिट करके दी थी। विपक्षीगण ने यह स्थिति नोटिस प्राप्त होने पर जवाब में भी स्पष्ट कर दी। इसलिये यदि बत्तीसी खराब हुई तो इसके लिये स्वयं परिवादी उत्तरदायी है। विपक्षीगण का कोई दोष सिद्ध नहीं है। परिवाद खारिज होने योग्य है।
अतः परिवाद खारिज किया जाता है।
आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो।
(हेमलता भार्गव) (महावीर तॅंवर) (भगवान दास)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
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