राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 36 सन 2009 सुरक्षित
(जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी के परिवाद संख्या-25/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17-11-2008 के विरूद्ध)
1-युनियन आफ इंडिया द्वारा सचिव, रेल मंत्रालय, रेल भवन बड़ौदा हाऊस न्यू दिल्ली।
2-जी0एम0नार्दन रेलवे, रेल भवन बड़ौदा हाऊस न्यू दिल्ली।
3- डी0आर0एम0, नार्दन रेलवे, वाराणसी। ....अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
डा0 एल0 डी0 मिश्रा पुत्र स्व0 शिव कुमार मिश्रा, निवासी- बी/99-बिज इनक्लेब, सुन्दरपुर, वाराणसी। ......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य।
2-मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
अधिवक्ता अपीलार्थी : श्री पी0पी0 श्रीवास्त, विद्वान अधिवक्ता।
अधिवक्ता प्रत्यर्थी : कोई नहीं।
दिनांक:01-01-2015
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य, द्वारा उदघोषित।
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी ने विद्वान जिला मंच, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्या-25/2003 डा0 एल0बी0 मिश्रा बनाम युनियन आफ इंडिया आदि में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17-11-2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है, जिसमें आदेश किया गया है कि परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को उससे ली गई 420-00 रूपये की अर्थदण्ड की धनराशि तथा शारीरिक, मानसिक उत्पीड़न के लिये 2000-00 व 1000-00 रूपये वाद व्यय के रूप में परिवादी को इस निर्णय की तिथि के दो माह के भीतर भुगतान करें अन्यथा अवधि बीत जाने पर उक्त धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी परिवादी पाने का अधिकारी होगा।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि विपक्षी के कर्मचारी ने मेल टिकट के स्थान पर फीमेल टिकट निर्गत किया, जिसके फलस्वरूप यात्रा के दौरान
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परिवादी को 420-00 रूपये पेनाल्टी के रूप में देना पड़ा तथा आर्थिक,मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न सहन करना पड़ा। परिवादी ने विपक्षीगण को आवश्यक कार्यवाही हेतु नोटिस दिया, कोई कार्यवाही नहीं किया। फलस्वरूप विवश होकर यह परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा।
विपक्षीगण ने प्रतिवाद पत्र दाखिल करते हुए परिवाद के कथनों को इंकार किया है। परिवादी ने सम्बन्धित कर्मचारी की सलाह के बावजूद कैंसिलेशन/रिजर्वेशन फार्म में अपना नाम काटकर मिसेज मंजू मिश्रा के नाम फार्म दूसरा भर दिया। इसलिए परिवादी द्वारा गलत भरे गये फार्म के कारण गलत टिकट जारी हो गया जो परिवादी की आर्थिक क्षति उठानी पड़ी, वह उसी की गलती के कारण हुई। विपक्षी के कर्मचारी ने कोई गलती नहीं किया। इस संदर्भ में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहागया है कि इस गलती के लिए परिवादी भी समान रूप से जिम्मेदार है, इसलिए कोई क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। फलत: परिवाद खण्डनीय है।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी ने काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस से सण्डीला से वाराणसी के लिए दिनांक-16-01-2003 को ए0सी0 थ्री टियर से यात्रा करने के लिए दो यात्रियों का रिजर्वेशन टिकट स्वयं तथा अपनी पत्नी के नाम से खरीदा था तथा दूसरा टिकट अपनी साली ( पत्नी की बहन श्रीमती मंजू मिश्रा) के नाम खरीदा। दिनांक 15-01-2003 को प्रत्यर्थी ने दोनों टिकटों को कैंसिल करके दिनांक 16-01-2003 को लखनऊ से वाराणसी तक की यात्रा के लिए तीन ए0सी0 चेयरकार की सीट वरूणा एक्सप्रेस में रिर्जव कराने के लिए टिकट कैंसिल कर रिजर्वेशन फार्म भर कर दिया। दो टिकट होने के कारण आरक्षण र्क्लक ने प्रत्यर्थी से दोनों टिकटों के लिए अलग- अलग कैंसिलेशन कम रिजर्वेशन फार्म भर कर देने की सलाह दी, परन्तु प्रत्यर्थी ने पहले से भरे गये फार्म में से श्रीमती मंजू मिश्रा का नाम काटने के बजाए अपना नाम काट कर श्रीमती एम0 मिश्रा, स्त्री उम्र 40 वर्ष एवं श्रीमती मंजू स्त्री उम्र 45 वर्ष भरकर दिया तथा दूसरा कैंसिलेसन कम रिजर्वेशन का एक फार्म श्रीमती
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मंजू स्त्री उम्र 45 वर्ष भर कर दिया। इस पर आरक्षण र्क्लक ने नियमानुसार कार्यवाही करते हुए टिकटों को कैंसिल करके वरूणा एक्सप्रेस में दिनांक-16-01-2003 की यात्रा के लिए तीन ए0सी0 चेयरकार की सीट के दो टिकट पहले फार्म से दो महिलाओं तथा दूसरे फार्म से एक महिला को यात्रा के लिए जारी कर दिया, जिसकी कि फोटो प्रति दाखिल की है। इस प्रकार अपीलार्थीगण द्वारा कोई भी सेवाओं में कमी नहीं की गई है। अत: वह कोई क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है।
प्रश्नगत निर्णय एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया। पत्रावली में दाखिल किये गये कैंसिलेशन टिकटों की फोटो प्रति का अवलोकन किया गया, जिससे विदित होता है कि महिलाओं का दो टिकट व एक अन्य महिला का एक टिकट कैंसिल किया गया। अत: ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच के द्वारा पारित किये गये आदेश का कोई न्यायोचित आधार नहीं है और परिवादी/प्रत्यर्थी का भी दायित्व था कि वह यात्रा करते समय एवं आरक्षण को कैंसिल कराते समय यह सुनिश्चित करता कि सही टिकटों का आरक्षण कैंसिल किया गया है। अत: ऐसी परिस्थितियों में अपील स्वीकार किये जाने योग्य है एवं प्रश्नगत निर्णय निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थीगण की अपील स्वीकार की जाती है तथा विद्वान जिला मंच वाराणसी के परिवाद संख्या-25/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17-11-2008 निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेगें।
उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाय।
( अशोक कुमार चौधरी ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर0सी0वर्मा, आशु. ग्रेड-2
कोर्ट नं0-3