उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या– 1147/2007 मौखिक
(जिला उपभोक्ता फोरम, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0- 198/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 30-04-2007 के विरूद्ध)
1- द जनरल मैनेजर रेलवे द्वारा डिवीजनल रेलवे मैनेजर, सहारनपुर डिवीजन सहारनपुर।
2- सहायक सेक्रेटरी, पब्लिक शिकायत हेड क्वार्टर आफिस बड़ौदा हाऊस न्यू दिल्ली।
...अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
डा0 डी0सी0 अग्रवाल पुत्र स्व0 चन्दन लाल निवासी प्रीतीबन्ब -7 शिव बिहार, दिल्ली रोड़, सहारनपुर यू0पी0।
..प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्य।
माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलकर्ता की ओर से उपस्थिति : श्री अजय सिंह, विद्वान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक- 04-01-2017
माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य, द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता फोरम, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0- 198/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 30-04-2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है, जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम के द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
परिवाद पत्र स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह इस निर्णय से 30 दिन के अन्दर परिवादी को सेवा में कमी के मद में 5,000-00 रूपये एवं वाद व्यय के मद में 1,000-00 रूपये अदा करें। निर्धारित अवधि में अदायगी न करनेपर इस निर्णय की तिथि से अंतिम अदायगी की तिथि तक 5000-00 की राशि पर 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी विपक्षीगण द्वारा परिवादी को देय होगा।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार से है कि परिवादी ने इलाहाबाद रेलवे जंक्शन से सहारनपुर के लिए नौचन्दीएक्सप्रेस ट्रेन सं0 4511 से दितीय श्रेणी स्लीपर कोच सं0 एस0-2 में बर्थ सं032 के लिये टिकट खरीदा, जिसका निर्धारित समय 17.30 बजे दिनांक 18-12-2002 था यह गाडी दिनांक 19-12-2002 को 1.32 बजे पर इलाहाबाद से रवाना हुई। निर्धारित अवधि से 08 घंटे लेट होने के बावजूद उक्त ट्रेन को कैंसिल नहीं किया गया और न यात्रियों की सुविधा के लिये कर्मचारियों द्वारा कोई अन्य सुविधा की गई। परिवादी को अन्य श्रोत से शीघ्र यात्रा के विकल्प को तलाशने में सफल हो पाता, किन्तु ऐसा न करने से परिवादी को कठिनाई हुई। इलाहाबाद से मेरठ सिटी पहुंचने तक कोच के टायलेट में पानी नहीं था, जिससे परिवादी को शौच आदि जाने में भी कठिनाई हुई। विपक्षीगण की उक्त लापरवाहीपूर्ण कृत्य से परिवादी को शारीरिक व मानसिक क्षति हुई, जिसकी पूति के लिए विपक्षीगण उत्तरदायी है।
(2)
जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष विपक्षीगण द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें कहा गया है कि परिवाद सक्षम व्यक्ति के विरूद्ध प्रस्तुत न किये जाने के कारण प्रथम दृष्टया मैनटेबिल नहीं है और खण्डित किये जाने योग्य है। प्रश्नगत ट्रेन दिनांक 18-12-2002 को इलाहाबाद रेलवे स्टेशन से सुबह 10.45 के स्थान पर मौसम खराब होने व घने कोहरे के कारण आठ घंटे बिलम्ब से यानि शाम 7.15 को पहुंची, जबकि इलाहाबाद से प्रस्थान का समय शाम 5.30 बजे है। उक्त ट्रेन की ट्रेन निरीक्षक द्वारा नियमित जॉच की गई और उसे रात्रि 12.35 पर प्लेटफार्म पर लगाया गया। यात्रियों की सुविधा के लिये ही उक्त् ट्रेन कैंसिल नहीं की गई। तीन घंटे बिलम्ब से चलती ट्रेन को कैंसिल करने व सूचित करने का कोई नियम रेलवे विभाग में नहीं है। परिवादी का यह कथन कि टायलेट में पानी नहीं था पूर्णतया गलत है। टायलेट में पूर्ण पानी उपलब्ध था। इस सम्बन्ध में अन्य किसी यात्री ने कोई शिकायत नहीं की। परिवाद पत्र गलत व आधारहीन तथ्यों पर आधारित है। परिवाद खण्डित होने योग्य है।
इस सम्बन्ध में अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अजय सिंह को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। पत्रावली का परिशीलन किया गया तथा जिला उपभोक्ता फोरम के निर्णय/आदेश दिनांक 30-04-2007 का अवलोकन किया गया।
केस के तथ्यों परिस्थितियों में हम यह पाते हैं कि उक्त ट्रेन दिनांक 18-12-2002 को इलाहाबाद रेलवे स्टेशन से सुबह 10.45 के स्थान पर मौसम खराब होने तथा घना कोहरा होने के कारण आठ घंटे बिलम्ब से यानि शाम 7.15 पर पहुंची, जबकि इलाहाबाद से प्रस्थान का समय शाम 5.30 बजे है। उक्त ट्रेन की ट्रेन निरीक्षक द्वारा नियमित जॉच की गई और उसे रात्रि 12.35 पर प्लेटफार्म पर लगाया गया। यात्रियों की सुविधा के लिये ही उक्त् ट्रेन कैंसिल नहीं की गई। यह तथ्य स्पष्ट है कि ट्रेन लेट होने के कारण परिवादी यदि यात्रा नहीं करना चाह रहा था तो परिवादी टिकट वापस करके भुगतान प्राप्त कर सकता था। ट्रेन के लेट होने का कारण घना कोहरा एवं मौसम खराब होना था। अत: हम यह पाते हैं कि यह उपभोक्ता विवाद नहीं है। यदि परिवादी को परेशानी थी तो वह अन्य साधन से भी जा सकता है। केस के तथ्यों परिस्थितियों में हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्ता फोरम के द्वारा जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह विधि सम्मत् नहीं है और निरस्त किये जाने योग्य है। अपीलार्थी की अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपीलकर्ता की अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता फोरम, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0- 198/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 30-04-2007 को निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय अपना-अपना वहन करेंगे।
(आर0सी0 चौधरी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर.सी.वर्मा, आशु. कोर्ट नं0-3