राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1877/2003
1.यूनियन आफ इंडिया द्वारा जनरल मैनेजर नार्दन रेलवे बड़ोदा
हाउस न्यू दिल्ली।
2.सुपरिटेन्डेन्ट नार्दन रेलवे सिटी स्टेशन मेरठ। .........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
डा0 अनीता शर्मा पत्नी डा0 रमन लाल शर्मा निवासी डी-215, शास्त्री
नगर मेरठ। ........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री उमेश कुमार बाजपेयी, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 27.05.2015
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला फोरम मेरठ द्वारा परिवाद संख्या 922/98 में पारित निर्णय/आदेश दि. 24.04.2003 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला मंच का आदेश निम्न प्रकार है:-
'' एतद्द्वारा परिवादिनी का परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वे परिवादिनी को अंकन 5000/- रूपये बतौर हर्जाना एवं अंकन रू. 3000/- इस परिवाद का व्यय कुल अंकन 8000/- की राशि एक माह में अदा करें। यदि उपरोक्त राशि एक माह में अदा नहीं की जाती है तो इस राशि पर निर्णय की तिथि से भुगतान की तिथि तक पन्द्रह प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी देया होगा। इस निर्णय की एक प्रति जी0एम0 उत्तर रेलवे नई दिल्ली को भेजी जाए।''
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादिनी की मेडिकल प्रवेश परीक्षा दि. 11.01.98 को लखनऊ में होनी थी। परिवादिनी ने मेरठ से लखनऊ दि. 10.01.98 का आरक्षण नौचन्दी एक्सप्रेस से कराया था। उक्त तिथि को यात्रा शुरू की लेकिन ट्रेन लखनऊ लगभग 335 मिनट विलम्ब से प्रात: 11.10 बजे पहुंची। विपक्षीगण की लापरवाही के कारण परिवादिनी को प्रथम पेपर में बैठने की अनुमति नहीं दी गई।
विपक्षी की ओर से वादोत्तर दाखिल किया गय जिसमें वाद पत्र के तथ्यों को स्वीकार नहीं किया गया और कहा कि विलम्ब के लिए रेलवे प्रशासन उत्तरदायी नहीं है।
-2-
विपक्षी का समस्त यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधा का ध्यान रखना पहला कर्तव्य है। प्राकृतिक कारणों से जैसे कोहरा, वर्षा, ट्रैक की मरम्मत, सिगनल फेल होना अथवा गाडि़यों का क्रास तथा सुपर फास्ट गोडि़यों को प्राथमिकता दिया जाना शामिल है के कारणों से विलम्ब होता है, जिसके लिए विपक्षी जिम्मेदार नहीं है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हैं। पीठ ने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस का सुना एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया गया।
जिला मंच ने यह निष्कर्ष दिया है कि मौजूदा मामले में विपक्षी की लापरवाही के कारण प्रश्नगत गाड़ी नौचन्दी एक्सप्रेस अपने निर्धारित स्थान पर निर्धारित समय से लगभग साढ़े पांच घण्टे देरी से पहुंची, अत: उसका अपने गन्तव्य स्थान पर इतने अधिक विलम्ब से पहुंचाना अपने आप में विपक्षी द्वारा बरती गयी लापरवाही एवं अकर्मण्यता का स्पष्ट उदाहरण है और जिला फोरम ने पाया कि विलम्ब की अवधि अधिक थी जो कतई स्वीकार होने योग्य नहीं है। जिला फोरम ने परिवादी के परिवाद को स्वीकार करते हुए रू. 5000/- हर्जाना एवं रू. 3000/- परिवाद व्यय कुल रू. 8000/- एक माह में अदा करने का आदेश दिया है। अपीलकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि यह गाड़ी 10.01.98 को जाड़े में कोहरे के कारण लेट हो गई होगी यह अलग से मामला नहीं है।
यह सत्य है कि भारतीय रेल से बहुत से यात्रियों की शिकायत रहती है और कभी-कभी यात्रियों को सीट न मिलना, विलम्ब से ट्रेनों का चलना, सामान चोरी हो जाना आदि परन्तु यह भी सत्य है कि इसी भारतीय रेल से लगभग 2.5 करोड़ यात्री प्रतिदिन सफर करते हैं। कभी-कभी मानवीय कारणों व कभी-कभी प्राकृतिक कारणों से ट्रेने विलम्ब से चलती है, जिसके लिए पूरी रेल व्यवस्था को दोषी नहीं कहा जा सकता। जाड़ों के मौसम में अधिकांशत: नौचन्दी एक्सप्रेस कोहरे के कारण विलम्ब से अपने गंतव्य पर पहुंचती है, परन्तु कुछ यात्रियों को देर से पहुंचने पर असुविधा होगी, इसके लिए सैकड़ों लोगों की जान को खतरे में नहीं डाला जा सकता। पत्रावली पर इस तरह का कोई साक्ष्य नहीं है कि रेलवे प्रशासन ने जानबूझकर लापरवाही बरती, जिससे परिवादिनी अपनी प्रतियोगी परीक्षा में नहीं बैठ सकी।
-3-
केस के तथ्य एवं परिस्थिति के आधार पर व अपीलकर्ता को सुनने तथा जिला फोरम के निर्णय एवं आदेश के अवलोकन के उपरांत हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा जो निर्णय दिया गया है वह विधिनुकूल नहीं है। तदनुसार अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है और जिला मंच का निर्णय दि. 24.04.2003 निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय-व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5