Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/1977

Raj Kumar - Complainant(s)

Versus

Dr Anand Kumar - Opp.Party(s)

R K Mishra

06 Feb 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/1977
( Date of Filing : 07 Sep 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Raj Kumar
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr Anand Kumar
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 06 Feb 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1977/2007

राजकुमार पुत्र श्री श्‍याम लाल, निवासीगण ग्राम व पोस्‍ट उसका, तपना कटहरा, परगना हवेली, तहसील सदर, थाना पनियारा, जिला महराजगंज तथा दो अन्‍य

 

बनाम

 

डा0 आनन्‍द कुमार अग्रवाल (एम.एस.) आनन्‍द लोक हॉस्पिटल, गोरखनाथ मंदिर के उत्‍तरी गेट से 100 गज उत्‍तर गोरखपुर, जिला गोरखपुर

 

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित   : श्री आर.के. मिश्रा।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित        : श्री प्रत्‍यूष त्रिपाठी।

दिनांक : 06.02.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-11/2006, राजकुमार तथा दो अन्‍य बनाम डा0 आनन्‍द कुमार अग्रवाल में विद्वान जिला आयोग, महराजगंज द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 8.8.2007 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर.के. मिश्रा तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रत्‍यूष त्रिपाठी को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी सं0-1 के पुत्र के पेट में दर्द होने के कारण उसे दिनांक 2.1.2004 को विपक्षी के पास इलाज के लिए ले जाया गया। डा0 द्वारा पेट की आंतों में कुछ

-2-

खराबी बतायी गयी, जिसे आपरेशन के द्वारा ही ठीक करना कहा गया। जांच आदि की मद में अंकन 40,000/-रू0 जमा करने का खर्च बताया गया। दिनांक 2.10.2004 को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया तथा अंकन 40,000/-रू0 जमा किये गये। दिनांक 3.10.2004 को आपरेशन किया गया। दिनांक 12.10.2004 को डिसचार्ज किया गया तथा हर 15 दिन बाद जांच के लिए बुलाया गया और इस प्रकार बाद में 10,000/-रू0 और खर्च हुए। दिनांक 29.10.2004 तथा दिनांक 17.11.2004 को भी विपक्षी को दिखाया गया। दिनांक 29.9.2005 को गुरू गोरखनाथ ब्‍लड बैंक से ब्‍लड मंगाकर ब्‍लड चढ़ाया गया, जिसके कारण लैट्रीन के रास्‍ते काला खून आने लगा और मरीज की हालत दिन प्रति दिन खराब होती गयी। याची ने लड़के को पुन: दिनांक 26.11.2005 को दिखाया तब विपक्षी ने पुन: आपरेशन की सलाह दी और अंकन 20,000/-रू0 की मांग की। परिवादी ने अपना खेत रहन कर धनराशि की व्‍यवस्‍था की, परन्‍तु मरीज की हालत दिन प्रति दिन खराब होती गयी, इसके बाद एसजीपीजीआई में दिखाया गया और पुन: आपरेशन हुआ, जिसमें अंकन 60,000/-रू0 दवा आदि के साथ खर्च हुए तथा बेड चार्ज का अंकन 30,000/-रू0 खर्च बताया गया। विपक्षी से सही इलाज न करने की शिकायत की गयी, जिस पर विपक्षी तथा उसके स्‍टाफ द्वारा परिवादी के साथ दुर्व्‍यवहार किया गया। चूंकि रूपये का प्रबंध नहीं हो सका, इसलिए लगतार मरीज की हालत खराब हो रही है। अंकन 95,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

 

-3-

3.        विपक्षी का कथन है कि वह कुशल एवं योग्‍य डाक्‍टर है। सुनवाई का क्षेत्राधिकार गोरखपुर स्थित उपभोक्‍ता मंच को है, महराजगंज स्थित उपभोक्‍ता मंच को क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। लापरवाही के संबंध में कोई कथन नहीं किया गया। उनके द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।

4.        पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात यह निष्‍कर्ष दिया गया कि इलाज के दौरान किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गयी, इसलिए परिवाद खारिज कर दिया गया।

5.        अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि एक ही बीमारी के लिए दो-दो बार आपरेशन हुआ है। अत: स्‍पष्‍ट है कि विपक्षी डा0 द्वारा लापरवाही बरती गयी है।

6.        सर्वप्रथम इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि क्‍या विद्वान जिला आयोग, महराजगंज को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है ?

7.        परिवाद पत्र में क्षेत्राधिकार के संबंध में कोई उल्‍लेख नहीं किया गया है। विपक्षी द्वारा परिवादी के पुत्र का इलाज गोरखपुर में किया गया है और विपक्षी का हॉस्पिटल भी गोरखपुर में स्थित है। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधानों के अनुसार निवास के स्‍थान पर वादकारण उत्‍पन्‍न होने की व्‍यवस्‍था नहीं थी। यद्यपि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 2019 में निवास के आधार पर भी क्षेत्राधिकार उत्‍पन्‍न होने की व्‍यवस्‍था की गयी है, परन्‍तु तत्‍समय यह व्‍यवस्‍था न होने के कारण विद्वान जिला आयोग, महराजगंज को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं था।  अत: क्षेत्राधिकार

-4-

विहीन निर्णय/आदेश अपास्‍त होने और प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

8.        प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश 8.8.2007 क्षेत्राधिकार विहीन होने के कारण अपास्‍त किया जाता है तथा परिवादीगण/अपीलार्थीगण को यह अवसर प्रदान किया जाता है कि वह क्षेत्राधिकार रखने वाले उपभोक्‍ता मंच के समक्ष अपना उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत कर सकते हैं और संबंधित उपभोक्‍ता मंच उभय पक्ष को साक्ष्‍य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए उपभोक्‍ता परिवाद का गुणदोष पर निस्‍तारण, यथासंभव 06 माह में करना, सुनिश्चित करे। यहां यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत करने के लिए विद्वान जिला आयोग, महराजगंज या इस आयोग के समक्ष जो समय व्‍यतीत हुआ है, उस समय की गणना समयावधि सुनिश्‍चित करने के उद्देश्‍य स न की जाए।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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