राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 1712 सन 2008
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, बलिया द्वारा परिवाद संख्या 246 सन 2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.5.2008 के विरूद्ध)
सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया, माइनर ब्रांच, जिला बलिया द्वारा शाखा प्रबन्धक।
.............अपीलार्थी
बनाम
1 दिवाकर सिंह पुत्र स्व0 रामजनम सिंह, ग्राम एवं पो0 Bhiakaria, Paragna Kharid, District Ballia .
2 Regional Manager Agriculture Insurance Company of India 2nd Floor, 'Meri Gold' 4' Shahnajaf Road Lucknow .
.................प्रत्यर्थी
समक्ष:-
1 मा0 श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
विद्वान अधिवक्ता अपीलार्थी : श्री गौरव गुंजन ।
विद्वान अधिवक्ता प्रत्यर्थी : श्री सी0एल0 वर्मा ।
दिनांक: 07-05-2015
श्री चन्द्रभाल श्रीवास्तव, सदस्य (न्यायिक) द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, बलिया द्वारा परिवाद संख्या 246 सन 2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.5.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है, जिसके द्वारा जिला फोरम ने परिवाद को स्वीकार करते हुए विपक्षी संख्या- 1, अपीलार्थी को बीमित धनराशि 80,000.00 रू0 मय 09 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने का निर्देश दिया है तथा 2000.00रू0 वादव्यय भी स्वीकार किया है।
संक्षेप में, इस प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया से 81,000.00 रू0 का ऋण कृषि कार्य हेतु लिया था। उक्त ऋण राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के अन्तर्गत लिया गया
था। बीमित धनराशि 80,000.00 रू0 मानते हुए परिवादी के खाते से 2000.00 रू0 प्रीमियम भी काटा गया था। वर्ष 2004 में शासन द्वारा बलिया जनपद को सूखा-ग्रस्त घोषित किया गया । परिवादी ने बीमित धनराशि की मांग की क्योंकि उसकी खरीफ की फसल पूर्ण रूप से सूखे की चपेट में आ गयी थी, किन्तु परिवादी की मांग का कोई जबाव नहीं दिया गया, जिससे परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत किया। जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्या-1, बैंक की ओर से यह कहा गया कि बीमा की धनराशि अदा करने का उत्तरदायित्व विपक्षी संख्या-2, एग्रो इंश्योरेंस कम्पनी आफ इण्डिया का है। विपक्षी संख्या-2, बीमा कम्पनी द्वारा जिला फोरम के समक्ष यह कहा गया कि परिवादी के बीमा के संबंध में कई स्पष्टीकरण सेन्ट्रल बैंक से मांगे गए थे जिसका जबाव बैंक द्वारा नहीं दिया गया और न ही प्रीमियम आदि के सबंध में कोई विवरण ही विपक्षी संख्या-2 को भेजा गया। विपक्षी संख्या-1 के यहां से कुछ फसलों का क्लेम भेजा भी गया था। जिला फोरम ने समस्त तथ्यों को विवेचित करते हुए यह पाया कि विपक्षी संख्या-1, सेन्ट्रल बैंक द्वारा सेवा में कमी की गयी है, जिससे कि बीमा कम्पनी द्वारा बीमित धनराशि का भुगतान परिवादी को नहीं हो सका और जिला फोरम ने परिवाद को स्वीकार करते हुए विपक्षी संख्या-1, सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया को बीमित धनराशि 80,000.00 रू0 मय 09 प्रतिशत ब्याज के अदा करने का निर्देश दिया, जिससे क्षुब्ध होकर सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया द्वारा यह अपील दाखिल की गयी है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुन ली है एवं अभिलेख का अनुशीलन कर लिया है।
सर्वप्रथम हमारे समक्ष यह तर्क लिया गया है कि अपील विलम्ब से दाखिल की गयी है। जिला फोरम द्वारा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 28.5.2008 की प्रमाणित प्रति अपीलार्थी को दिनांक 04.7.2008 को प्राप्त हो गयी थी, इसके बावजूद अपीलार्थी द्वारा एक माह के भीतर अपील दाखिल न करके 03.9.2008 को दाखिल की गयी है जिसका कारण यह बताया गया कि विभागीय स्वीकृति में देरी हुयी, किन्तु विलम्ब क्षमा आवेदन में अपीलार्थी यह बताने में असमर्थ रहा कि किस अधिकारी द्वारा किन कारणों से देर हुयी। इस प्रकार अपीलार्थी, अपील प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब का समुचित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा। अपीलार्थी की अपील इस आधार पर ही अग्राह्य किए जाने योग्य है।
जहां तक गुण-दोष का प्रश्न है, अभिलेख एवं जिला फोरम के प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादी को राष्ट्रीय कृर्षि बीमा योजना के अन्तर्गत ऋण दिया गया था और इस संबंध में कई बार पूछताछ एग्रो इन्श्योरेंस कं0 आफ इण्डिया और अपीलार्थी सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया से की गयी, किन्तु बैंक द्वारा कोई समुचित उत्तर बीमा कम्पनी को नहीं दिया गया जिससे बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को बीमित धनराशि का भुगतान नहीं हो सका । अपीलार्थी बैंक द्वारा हमारे समक्ष कोई ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे स्पष्ट हो कि उन्होंने बीमा कम्पनी द्वारा लगाई गई आपत्तियों का निराकरण किया हो। ऐसी स्थिति में सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया द्वारा सेवा में घोर कमी की गयी है और बैंक की असावधानी के कारण ही परिवादी को बीमित धनराशि नहीं मिल पाई। ऐसी स्थिति में जिला फोरम ने सही आधार पर बैंक को उत्तरदायी मानते हुए बीमित धनराशि अदा करने का निर्देश दिया है, जोकि न्यायोचित है।
परिणामत:, यह अपील तदनुसार निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील तदनुसार निरस्त करते हुए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, बलिया द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.5.2008 सम्पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष इस अपील का अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करा दी जाए।
(चन्द्र भाल श्रीवास्तव) (बाल कुमारी)
पीठा0 सदस्य (न्यायिक) सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA-2)