राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1194/2019
(जिला उपभोक्ता फोरम, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-130/2015 में पारित निर्णय दिनांक 11.06.2019 के विरूद्ध)
बी.आर. होण्डा प्रीमियर कार सेल्स प्रा0लि0। .........अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम
दिवाकर पाण्डेय व अन्य। ....प्रत्यर्थीगण/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री हरिशंकर, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : सुश्री पूर्णिमा पाण्डेय।
दिनांक 04.08.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 130/2015 दिवाकर पाण्डेय बनाम बी0आर0 होण्डा प्रीमियर व एक अन्य में पारित निर्णय/आदेश दि. 11.06.2019 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया है कि परिवादी की संतुष्टि के अनुसार ए. स्कूटी 15 दिन के अंदर दुरूस्त कराई जाए। बी. मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन रू. 10000/- की क्षति अदा की जाए या यदि स्कूटी की मरम्मत नहीं कराई जाती तब मरम्मत की कीमत अंकन रू. 8625/- 30 दिन के अंदर अदा किया जाए। 30 दिन के पश्चात 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देय होगा।
2. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच ने तथ्य एवं विधि के विपरीत निर्णय पारित किया है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय में वर्णित उपरोक्त त्रुटि के अलावा
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सत्य, अहिंसा से संबंधित सिद्धांतों का उल्लेख किया गया है जो इस अपील के निस्तारण के लिए सुसंगत नहीं है, अत: इस संबंध में वर्णित लेख का कोई उल्लेख इस निर्णय में नहीं किया जा रहा है।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री हरिशंकर एवं प्रत्यर्थी की ओर से सुश्री पूर्णिमा पाण्डेय को सुना। प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को निम्न तथ्य स्वीकार है, जिस पर विस्तृत चर्चा की आवश्यकता नहीं है।
ए. परिवादी द्वारा विपक्षीगण से एक्टिवा गाड़ी नं0 यूपी 32 बीपी4293 क्रय की गई।
बी. दि. 01.11.13 को इस गाड़ी के इंजन की मरम्मत कराई गई, जिसके लिए रू. 8625/- का भुगतान किया गया।
5. परिवादी का कथन है कि वारंटी अवधि के दौरान ही गाड़ी दि. 21.12.13 को स्टार्ट नहीं हुई और विपक्षी ने त्रुटि दूर किए बिना वाहन वापस कर दिया। दि. 26.06.14 को गाड़ी पूरी तरह बदं हो गई, पुन: विपक्षी के वर्कशाप पर भेजा गया, इसके बाद भी गाड़ी को भेजा गया, परन्तु गाड़ी ठीक नहीं हुई और अंतत: दि. 21.11.14 को बता दिया गया कि वारंटी पीरियड समाप्त हो चुकी है। जिला उपभोक्ता मंच ने वारंटी अवधि में स्कूटी खराब होने पर मरम्मत में आए खर्च को अदा करने का आदेश दिया है तथा प्रताड़ना के मद में अंकन रू. 10000/- अदा करने का आदेश दिया है। चूंकि वारंटी अवधि के दौरान परिवादी को उपरोक्त राशि खर्च करने के लिए बाध्य होना पड़ा, अत: इस बिन्दु पर जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय
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पूर्णतया विधिसम्मत है, इसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, अत: यह निर्णय पुष्ट किया जाता है।
6. जिला उपभोक्ता मंच ने अपने निर्णय में स्पष्ट उल्लेख किया था कि वारंटी अवधि के दौरान स्कूटी खराब होने पर अंकन रू. 8625/- प्राप्त कर लिए गए तथा स्कूटी पूर्णता ठीक नहीं की गई, इसलिए स्कूटी ठीक कराने तथा मरम्मत की कीमत रू. 8625/- ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया। इस आदेश में किसी प्रकार की त्रुटि नहीं थी। इसी प्रकार बार-बार परेशानी होने के कारण मानसिक प्रताड़ना के मद में रू. 10000/- का आदेश दिया गया था, इस आदेश में भी किसी प्रकार की त्रुटि नहीं थी, परन्तु अपीलार्थी द्वारा आदेश का अनुपालन करने के बजाए निरर्थक आधारों पर अपील प्रस्तुत की गई और निर्णय में त्रुटियां इंगित करने के बजाय सत्य और अहिंसा के संबंध में साहित्य का उल्लेख अपने अपील के ज्ञापन में किया गया, अत: यह अपील अंकन रू. 10000/- हर्जे सहित निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. अपील अंकन रू. 10000/- हर्जे साहित निरस्त की जाती है। पुन: स्पष्ट किया जाता है कि अपीलार्थी जिला उपभोक्ता मंच के द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अनुपालन, इस आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में अधिरोपित रू. 10000/- की अदायगी तुरंत करना सुनिश्चित करें।
अपीलार्थी द्वारा धारा-15 के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
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वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार) अध्यक्ष सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-1