Uttar Pradesh

Mahoba

91/2014

Smt. RAMA DEVI - Complainant(s)

Versus

DISTRICT MAJISTRAITE - Opp.Party(s)

G.L. PANDEY

09 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 91/2014
 
1. Smt. RAMA DEVI
KULPAHAR
...........Complainant(s)
Versus
1. DISTRICT MAJISTRAITE
MAHOBA
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Mr. BABULAL YADAV PRESIDENT
 HON'BLE MR. SIDDHESHWAR AWASTHI MEMBER
 HON'BLE MRS. NEELA MISHRA MEMBER
 
For the Complainant:G.L. PANDEY, Advocate
For the Opp. Party: NONE, Advocate
ORDER

समक्ष न्‍यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा

परिवाद सं0-91/2014                              उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्‍यक्ष,

                                                     डा0 सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी, सदस्‍य,

                                                        श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्‍य

श्रीमती रमादेवी पत्‍नी स्‍व0 श्री हरीशंकर निवासी ग्राम सुगिरा तहसील व परगना कुलपहाड जिला महोबा                                                              ....परिवादिनी                                          

बनाम

उ0प्र0 शासन द्वारा जिलाधिकारी महोबा जनपद महोबा                         .....विपक्षी

निर्णय

श्री बाबूलाल यादव,अध्‍यक्ष द्वारा उदधोषित

      परिवादिनी श्रीमती रमादेवी पत्‍नी स्‍व0 हरीशंकर ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षी उ0प्र0 शासन द्वारा जिलाधिकारी महोबा जनपद महोबा बाबत दिलाये जाने बीमित धनराशि मु0 5,00,000/- रूपये व अन्‍य अनुतोष हेतु प्रस्तुत किया है।

      संक्षेप में परिवादिनी का कथन इस प्रकार है कि परिवादिनी के पती हरीशंकर पुत्र ग्‍यासीलाल ग्राम सुगिरा तहसील  कुलपहाड जिला महोबा का एक कृषक था तथा कृषि कार्य कर‍के अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करता था तथा उसके नाम खाता खतौनी संख्‍या 00346 में कृषि भूमि 0.578 हे0 से खातेदार के रूप में दर्ज थी जिसका परिवादी नियमानुसार लगान विपक्षी को अदा करता था। उ0प्र0 शासन द्वारा पंजीक़त किसान दुर्घटना बीमा योजना चलायी गयी है जिसके अनुसार उ0प्र0 के समस्‍त कृषकों जिनका खतौनी में नाम दर्ज है, को पांच लाख रू0 का किसान दुर्घटना बीमा कराया जाता है। जिसकी एक मुश्‍त रकम बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रदान की जाती है और यदि राज्‍य सरकार कृषकों का बीमा नही कराती तो स्‍वयं पांच लाख रू0 दुर्घटना बीमा के फलस्‍वरूप म़तक के आश्रित/वारिस को देती है। परिवादिनी के स्‍व0 पति की हत्‍या दिनांक 15.06.2012 को अज्ञात लोगों द्वारा कर दी गयी थी तथा उनके टेक्‍टर को मय ट्राली के लूट लिया गया था जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना जालौन में अन्‍तर्गत धारा 302/394 भा0दं0सं0 मृतक के भाई हरीशरण द्वारा दर्ज करायी गयी थी। हरीशंकर की दुर्घटना के समय आयु लगभग 35 वर्ष थी, जो कि 12 वर्ष से अधिक तथा र‍के  का एक कृषक था तथा कृष्‍ि 70 वर्ष से कम है। इस दुर्घटना की सूचना परिवादिनी द्वारा विप‍क्षी को तत्‍काल दी गयी। उन्‍होने मोजा लेखपाल को भेजकर घटना की सत्‍यता की जांच करायी। मोजा लेखपाल द्वारा परिवादिनी का क्‍लेम फार्म भराया गया जिसके साथ मृत्‍यु प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट, पंचनामा, शपथ पत्र आदि संलग्‍न किये तथा लेखपाल द्वारा परिवादिनी से यह कहा गया कि उसका क्‍लेम फार्म जिलाधिकारी  के कार्यालय में जमा कर दिया जायेगा और वहां से निस्‍तारण हेतु बीमा कम्‍पनी को भेज दिया जायेगा। इसके बाद तुम्‍हे पांच लाख रू0 की चैक प्रदान कर दी जायेगी। परिवादिनी करीब 6 माह बाद विपक्षी के पास अपने पति की बीमित धनराशि की चैक लेने गयी तो वह किसी न किसी बहाने टालता रहा। अतंत: उन्‍होने यह कह कर भगा दिया कि तुम्‍हारे पती का यहा कोई रिकार्ड नही है। अत: कोई बीमित धनराशि नही दी जा सकती। एसी परिस्थितियों में परिवादिनी ने यह परिवाद मा0 फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

      इसके विरूद्ध विपक्षी द्वारा जवाबदावा दाखिल किया गया है जिसमें उन्‍होने परिवादिनी के परिवाद को गलत व असत्‍य तथ्‍यों के आधार पर दायर किया जाना बताया है। जिसमें उन्‍होने यह भी स्‍वीकार किया है कि उ0प्र0 सरकार द्वारा कृषक दुर्घटना बीमा योजना चलायी गयी है जिसका प्रीमियम कृषकों को अदा नही करना पडता इस योजना के अन्‍तर्गत अब तक सरकार द्वारा किसी बीमा कम्‍पनी से एग्रीमेंट नही किया गया अपितु शासन द्वारा जारी नियमों एवं शर्तों के अन्‍तर्गत यह योजना संचालित है। जिसमें यह प्राविधान है कि मृतक के वारिस द्वारा दावा प्रस्‍तुत किये जाने पर जिलाधिकारी की अध्‍यक्षता में गठित समिति द्वारा दावा की समीक्षा करके पात्र दावों को भुगतान हेतु राजस्‍व परिषद को भेजा जायेगा और उ0प्र0 सरकार द्वारा स्‍वीकृत दावों के आधार पर बजट आवंटित किया जाता है। इस प्रकार यह धनराशि बीमा अधिनियम के अन्‍तर्गत नही है। राज्‍य और कृषक परिवार के मध्‍य उपभोक्‍ता का सम्‍बन्‍ध स्‍थापित न‍ही है। इस कारण यह परिवाद मा0 फोरम के क्षेत्राधिकार के अन्‍तगर्त नही आता। परिवादिनी के पति हरीशंकर की मृत्‍यु 12.06.2012 को हुयी थी और उसके द्वारा आज तक कोई आवेदन मय प्रपत्रों के नही दिया गया जिसकी अवधि विलम्‍बतम एक वर्ष है तथा विलम्‍ब क्षमा करते हुये सम्‍बन्धित दावा हेत बजट आवंटित करने हेतु पत्र भेजने का अधिकार जिलाधिकारी को प्राप्‍त है। एसी परिस्थितियों में उन्‍होने परिवादिनी का परिवाद इस आधार पर खारिज किये जाने की प्रार्थना की है। उसने निर्धारित अवधि के अन्‍तर्गत बीमा क्‍लेम का दावा जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्‍तुत नही किया। उनका अन्‍त में यह कथन है कि फिर भी यदि परिवादिनी चाहे तो अपना दावा मा0 राजस्‍व परिषद को भेज स‍कती है। यदि राजस्‍व परिषद द्वारा दावा जिला स्‍तरीय समिति को अपने निर्देश के साथ भेजा जाता है तो जिला स्‍तरीय समिति द्वारा सहानुभूति पूर्वक परिवादिनी का दावा निस्‍तारण किया जायेगा। इन परिस्थितियों में उन्‍होने परिवादिनी का परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की है।

      परिवादिनी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्‍वयं का शपथ पत्र कागज सं0-4ग व 21ग प्रस्‍तुत किया है तथा अभिलेखीय साक्ष्‍य में उसके द्वारा छायाप्रति खतौनी 7ग/1 लगायत 7ग/3,प्रथम सूचना‍ रिपोर्ट की छायाप्रति कागज सं0 8ग,पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट की छायाप्रति 9ग,आरोप पत्र की छायाप्रति कागज सं0 10ग,पंचनामा की छायाप्रति कागज सं011ग व 11ग/2,मृत्‍यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति कागज सं0 12ग,पहचान पत्र की छायाप्रति कागज सं013ग व जिलाधिकारी,महोबा को दिये गये पत्र की छायाप्रति कागज सं023ग/1 व 23ग/2 दाखिल की गई है ।

      विपक्षी की और से शपथ पत्र द्वारा श्री रिजवान,उपजिलाधिकारी,कुलपहाड कागज सं0 18ग/1 व 18ग/2 दाखिल किया गया है तथा अभिलेखीय साक्ष्‍य में धर्मराज सिंह लेखपाल द्वारा तहसीलदार,कुलपहाड को प्रेषित रिपोर्ट की असल प्रति 19ग तथा के खातेदार/सहखातेदार कृषकों के लिये संचालित बीमा योजना के संबंध में दाखिल नियमावली 20ग/1 लगायत 20ग/4 दाखिल की गई है ।

      चूंकि विपक्षी की ओर से सूचना प्रस्‍तुत करने के उपरांत से कोई उपस्थित नहीं आया । अत: उनके खिलाफ सुनवाई एकपक्षीय रूप से की गई । फिर भी फोरम द्वारा परिवादिनी एवं विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य का भली-भांति विश्‍लेषण किया गया है ।

      परिवादिनी तथा विपक्षी दोनों को यह तथ्‍य स्‍वीकार है कि परिवादिनी के पति की मृत्‍यु जालौन में हत्‍या एवं लूट के दौरान दि0 15.06.2012 को अज्ञात लोगों द्वारा कर दी गई थी,जिसकी सूचना तत्‍काल थाना-जालौन में की गई थी,जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति कागज सं08ग तथा पोस्‍टमार्टम की छायाप्रति कागज सं09ग,आरोप पत्र 10ग से साबित है । मृतक की मृत्‍यु दुर्घटना में ही मानी जायेगी । इस संबंध में विपक्षी का यह कथन है कि चूंकि परिवादिनी के पति की मृत्‍यु हत्‍या के फलस्‍वरूप हुई थी,स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है । परिवादिनी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0 4ग द्वारा यह अभिकथन किया गया है कि उसके पति की हत्‍या की सूचना तत्‍काल विपक्षी को दे दी गई थी और विपक्षी द्वारा मौजा लेखपाल को भेजकर घटना की सत्‍यता की जांच कराई गई और मौजा लेखपाल द्वरा उसका क्‍लेमफार्म भरवाया गया और उसके साथ मृत्‍यु प्रमाण पत्र,परिवार रजिस्‍टर की नकल,राशनकार्ड,प्रथम सूचना रिपोर्ट,पंचनामा आदि अभिलेख लगाये गये थे और उसका निस्‍तारण 6 माह के अंदर किये जाने की बात कही गर्इ्र थी । परिवादिनी द्वारा इस संबंध में दि027.07.2012 व 08.08.2012 को जिलाधिकारी,महोबा को लिखित रूप से प्रार्थना पत्र भी दिया गया था और यह प्रार्थना पत्र पंजीकृत डाक से भेजे गये थे,जिसकी छायाप्रति कागज सं0 23ग/1 व 23ग/2 है । ऐसी परिस्थिति में यह नहीं कहा जा सकता है कि परिवादिनी को कृषक बीमा दुर्घटना योजना के अंतर्गत धनराशि प्राप्‍त करने हेतु कोई प्रार्थना पत्र विपक्षी के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया गया । इस तथ्‍य का समर्थन उसने अपने शपथ पत्र के माध्‍यम से किया है,जिसका खण्‍डन विपक्षी द्वारा शपथ पत्र कागज सं018ग/1 व 18ग/2 तथा धर्मराज सिंह लेखपाल की रिपोर्ट 19ग से किया गया है । इस प्रकार इस प्रकरण से यह तथ्‍य फोरम के समक्ष उभरकर आते हैं कि परिवादिनी के पति की मृत्‍यु 15.06.2012 को जनपद-जालौन में लूट के दौरान हुई थी जैसा कि उद्धहरण खतौनी 7ग/1 लगायत 7ग3 से स्‍पष्‍ट है । मात्र यही प्रश्‍न विवादित है कि परिवादिनी को क्‍या कोई बीमित धनराशि प्राप्‍त करने हेतु संबंधित प्रपत्र सहित जिलाधिकारी,महोबा को दी थी और यदि नहीं दी थी तो इन परिस्थिति में उसके साथ क्‍या किया जा सकता है । जिलाधिकारी,महोबा को परिवादिनी ने दिनांक:27.07.2012 व 08.08.2012 को प्रार्थना पत्र बीमित धनराशि दिलाये जाने के संबंध में प्रस्‍तुत किया है । अत: यह नहीं कहा जा सकता है कि परिवादिनी जिलाधिकारी महोबा के संज्ञान में अपने पति की मृत्‍यु की सूचना नहीं लाई । जब परिवादिनी ने जिलाधिकारी महोबा को इस संबंध में प्रार्थना पत्र दिया था तो उनको संबंधित अधिकारी को सूचित करना चाहिये था तो वह नियमानुसार जिलाधिकारी के माध्‍यम से राजस्‍व परिषद अपना दावा विचारार्थ पेश कर सकती थी,जिसके लिये विपक्षी आज भी अपने जबाबदावा एवं शपथ पत्र में सहमति दे रहा है ।

      ऐसी परिस्थिति में यह फोरम इस मत का है कि परिवादिनी को इस परिवाद में दिये गये निर्णय को अंदर एक माह जिलाधिकारी महोबा के समक्ष समस्‍त प्रपत्रों सहित बीमा दावा संबंधी प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत करने का अवसर दिया जाता है और जिला स्‍तरीय समिति इस संबंध में सहानुभूति पूर्वक विचार कर के परिवादिनी के दावा का निस्‍तारण करे,जैसा कि उन्‍होंने अपने जबाबदावा में कह रखा है ।

                                आदेश     

      परिवादिनी का परिवाद खिलाफ विपक्षी आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। परिवादिनी को निर्देशित किया जाता है कि वह अपने पति हरीशंकर की मृत्‍यु के संबंध में पंजीकृत किसान दुर्घटना योजना के अंतर्गत बीमित धनराशि पांच लाख रूपया प्राप्‍त करने हेतु समस्‍त प्रपत्र सहित दावा प्रपत्र जिलाधिकारी,महोबा के समक्ष इस निर्णय के एक माह के अंदर प्रस्‍तुत करे जिस पर वह सहानुभूतिपूर्वक विचार कर के अग्रिम कार्यवाही करे । उपरोक्‍त के अलावा परिवादिनी विपक्षी वाद व्‍यय के एवज में मु0 2,500/- रूपये पाने की हकदार होगी।

 

(डा0सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी)         (श्रीमती नीला मिश्रा)               (बाबूलाल यादव)

    सदस्‍य,                       सदस्‍या,                       अध्‍यक्ष,

जिला फोरम,महोबा।            जिला फोरम,महोबा।             जिला फोरम,महोबा।

  22.12.2015                  22.12.2015                   22.12.2015

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Mr. BABULAL YADAV]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. SIDDHESHWAR AWASTHI]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. NEELA MISHRA]
MEMBER

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