Rajasthan

Kota

CC/115/2011

Shanta rani gulati - Complainant(s)

Versus

District Collector & Others, State of Rajasthan - Opp.Party(s)

Om Prakash Sharma

20 Jan 2016

ORDER

श्रीमति शांता रानी गुलाटी बनाम स्टेट आॅफ राजस्थान आदि 
परिवाद संख्या 115/2011

 

    20.01.2016     दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
परिवादिया ने विपक्षीगण का संक्षेप में यह सेवा-दोष बताया है कि उसने     जल-कनेक्शन ले रखा है जिसका खाता नं. 15445 है। मीटर चोरी होने व नया मीटर लगाने हेतु प्रार्थना-पत्र दिया गया लेकिन नया मीटर नहीं लगाया गया। उसे गत वर्षों के बिल वास्तविक उपभोग के बजाय औसत के आधार पर गलत दिये गये हेैं। नोटिस दिनांक 08.03.11, जिस पर किसी के हस्ताक्षर नहीं है, के जर्ये गलत रूप से मनमाने तौर पर 24707/-रूपये बकाया की मांग की गई है जिसका खुलासा भी नहीं बताया गया। उसे जो बिल दिये उनकी राशि जमा करा दी गई। दि. 27.01.09 को 2000/-रूपये भी अदा किये गये। गलत मांग करने से परिवादिया को शारीरिक व मानसिक वेदना हुई है।
विपक्षी-जन स्वास्थ्य अभियांन्त्रिक विभाग के जवाब का सार है कि परिवादिया ने 2006 से ही मासिक जल राशि की अदायगी नहीं की है। वर्ष 2009 में पार्ट पेमेन्ट के पेटे  की राशि 2000/-रूपये जमा कराये गये थे अन्य बकाया राशि जमा कराने के लिये अवसर दिया गया लेकिन कोई राशि अदा नहीं की। मीटर चोरी होने के लिये परिवादिया ही उत्तरदायी है। इसका कोई सबूत भी प्रस्तुत नहीं किया फिर भी दो माह के अन्तराल में नया मीटर लगा दिया गया। परिवादिया पर 2006 से जुलाई 11 तक जल उपभोग के लगभग 33000/-रूपये बकाया हैं जिसकी वसूली का सही नोटिस भेजा गया। इससे पूर्व भी बार-बार नोटिस भेजे गये लेकिन अदायगी नहीं की गई मीटर खराब होने पर अन्तिम रीडिंग के अनुसार व नियमों के अनुसार ऐवरेज के सही बिल दिये गये हैं। सेवा में कोई कमी नहीं की गई।
परिवादिया ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा विपक्षी विभाग से प्राप्त नोटिस दिनांक 08.03.11, विपक्षी को प्रेषित आवेदन-पत्र दिनांक 27.02.11, पोस्टल रसीद, 27.01.09 को अदा की गई राशि 2000/-रूपये  की रसीद आदि दस्तावेज प्रस्तुत किये हैं। विपक्षी ने साक्ष्य में सहायक  अभियंता ओमप्रकाश के शपथ-पत्र के अलावा परिवादिया के खाते का जुलाई 2006 से जुलाई 2011 तक का विवरण प्रस्तुत किया है। 
हमने विचार किया।
परिवादिया ने 27.02.11 को मीटर चोरी होने की लिखित सूचना विपक्षी को देने का दस्तावेज पेश किया है। विपक्षी ने जवाब में स्पष्ट किया है कि परिवादिया के यहाॅं  11.05.11 को नया मीटर  लगा दिया गया। इससे स्पष्ट है कि मीटर लगाने में अनावश्यक विलम्ब नहीं किया गया है। 
परिवादिया ने यह प्रकट नहीं किया है कि उसने कब तक जल उपभोग की मासिक राशि अदा की थी। अस्पष्ट तौर पर कहा है कि जो बिल मिले उनकी अदायगी कर दी जबकि विपक्षी ने जवाब में स्पष्ट कहा है कि जुलाई 2006 से मासिक बिलों की अदायगी ही नहीं की गई। 27.01.09 को 2000/-रूपये की अदायगी पार्ट पेमेन्ट के रूप में की गई जो परिवादिया द्वारा प्रस्तुत रसीद पर अंकन से स्पष्ट है अर्थात उस समय परिवादिया पर अन्य राशि भी बकाया थी जिसकी उसने अदायगी नहीं की। परिवादिया ने बकाया राशि बाबत् प्राप्त नोटिस दिनांक 08.03.11 को चुनोती दी है लेकिन यह प्रकट नहीं किया है कि 27.01.09 के पश्चात् नोटिस मिलने तक उसने जल उपभोग की मासिक राशि की अदायगी की थी जबकि उपभोक्ता का यह दायित्व है कि जल का उपभोग करने पर नियमित रूप से प्रतिमाह उपभोग राशि की अदायगी करे यदि बिल प्राप्त नहीं होता है तो डुप्लीकेट बिल लेकर राशि जमा करावे। परिवादिया का यह केस नहीं है कि कभी उसका जल-कनेक्शन बंद हुआ हो। ऐसी अवस्था में यह स्पष्ट है कि जल का नियमित उपभोग करने के बावजूद उसने जुलाई 2006 के पश्चात् उपभोग राशि की अदायगी नहीं की क्योकि इस बाबत् विपक्षी के जवाब का खण्डन भी नहीं किया हैं तथा अदायगी करने का प्रमाण भी नहीं दिया है।
जहां तक ऐवरेज बिल दिये जाने का प्रश्न है विपक्षी ने यह प्रकट किया है कि मीटर खराब होने पर ऐवरेज के बिल नियमानुसार दिये गये लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया है कि परिवादिया का मीटर कब खराब हुआ अर्थात मीटर से वास्तविक उपभोग की रीडिंग कब से कब तक नहीं  हो पाई जिसके लिये ऐवरेज बिल जारी किये गये। परिवादिया ने भी यह स्पष्ट नहीं किया है कि उसका बिल रीडिंग के अनुसार वास्तविक उपभोग जिसकी उसने अंतिम अदायगी की क्या रहा? इस प्रकार दोनोें पक्ष परिवादिया के मीटर के अनुसार  अंतिम  वास्तविक रीडिंग उपभोग की स्थिति स्पष्ट नहीं कर सके हैं।
 ऐसी स्थिति में न्याय हित में विपक्षी विभाग को निर्देश दिया जाता है कि  परिवादिया से जल उपभोग की बकाया राशि उसके द्वारा मीटर रीडिंग के आधार पर वास्तविक उपभोग की जो राशि अंत में अदा की गई तथा उसके पश्चात मीटर में अन्त तक खराब होने से पूर्व जो रीडिंग अंकित हुई उसके अनुसार पूर्व के गत तीन माह के उपभोग के औसत के अनुसार ही परिवादिया से नियमानुसार पेनल्टी सहित देय राशि ही वसूल की जावे। परिवादिया ने जल-उपभोग करते हुए भी राशि की अदायगी नहीं की तथा उसका जल संबंध भी विच्छेद नहीं हुआ था इसलिये मानसिक संताप या अन्य पीड़ा होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। मामले की परिस्थितियों में दोनों पक्ष परिवाद खर्चा वहन करने के लिये उत्तरदायी है।
परिवाद का उपरोक्तानुसार निस्तारण किया जाता है।
आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो।


(महावीर तॅंवर)                        (भगवान दास)
   सदस्य                                अध्यक्ष

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