जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
चान्दमल सारस्वत पुत्र श्री सोहन लाल, जाति- ब्राह्मण,आयु-68 वर्ष, निवासी- 36, गायत्री नगर, अजमेर रोड, ब्यावर(राजस्थान) 305901
प्रार्थी
बनाम
1. जिला कलेक्टर,, अजमेर ।
2. सदस्य सचिव एवं निदेषक, न्यासी बोर्ड, राजस्थान राज्य पेंषनर चिकित्सा रियायत योजना व निदेषालय, पेंषन एवं पेंषनर्स वेतफेयर विभाग, राजस्थान, वित्त व पेंषन भवन, ज्याूति नगर, जयपुर - 3020051.
3. कोषाधिकारी, कार्यालय कोषाधिकारी, राजस्थान सरकार, ब्यावर, जिला-अजमेर ।
अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 03/2014
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री प्रेमस्वरूप दगदी, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री अजय वर्मा, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 16.04.2015
1. परिवाद के तथ्योंनुसार प्रार्थी राजकीय सेवा से सेवानिवृत्त पेंषनधारी है । प्रार्थी का एक पुत्र अहमदाबाद रहता है । अतः अपने पत्र. के बुलावे पर प्रार्थी को दिनंाक 22.1.2012 को अहमदाबाद पहुंचने की सूचना अपने पुत्र को दी किन्तु किराया राषि का प्रबन्ध नहीं होने से प्रार्थी दिनंाक 25.1.2012 को रवाना होकर दिनंाक 26.1.2012 को अहमदाबाद पहुंचा । इससे पहले ही चूंकि प्रार्थी को दिनंाक 22.1.2012 को अहमदाबाद पहुंचना था । अतः उक्त सूचना अनुसार प्रार्थी के पुत्र ने दिनांक 23.1.2012 को अहमदाबाद के साल अस्पताल में रू. 800/- की रसीद चेक अप हेतु कटवा ली । प्रार्थी का पुत्र अहमदाबाद में साल अस्पताल के पास ही रहता है । दिनंाक 26.1.2012 को प्रार्थी की तबियत असामान्य हो गई एवं अत्यधिक खराब एवं गम्भीर हो जाने पर उसे आपातकालीन स्थिति में साल अस्पताल, अहमदाबाद में भर्ती करवाया गया जहां प्रार्थी का इलाज चला व आवष्यक षारीरिक जांच की गई । जांचों के बाद उक्त अस्पताल के चिकित्सकों ने प्रार्थी के पुत्र को बतलाया कि प्रार्थी की हालत ठीक नहीं होने से तुरन्त ही हृदय का आपरेषन करने की सलाह दी गई । अतः प्रार्थी के पुत्र ने रू. 50,000/- प्रथम पार्ट अमाउण्ट के दिनंाक 27.1.2012 को जमा कराए तथा आपरेषन राषि भी जमा कराई गई । दिनंाक 30.1.2012 को प्रार्थी का कोरोनरी अर्टेरी बायपास सर्जरी का आपेषन किया गया । प्रार्थी का यह प्रथम आपरेषन था अतः अस्पताल पैकेज के रू. 1,46,000/- तथा 27.1.2012 व 6.2.2012 तक का खर्च व दवाईया व अन्य जांचों में रू. 11,000/- इस प्रकार कुल रू. 1,57,000/- के लगभग खर्च हुइ । दिनांक 6.2.2012 को उक्त अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिए जाने के बाद कुछ दिन अहमदाबाद रहने के बाद प्रार्थी वापस ब्यावर आया लेकिन उसकी तबियत अत्यधिक गम्भीर हो जाने पर दिनंाक 7.6.2012 को उक्त अस्पताल में चैक अप के लिए भेजना पडा एवं चिकित्सकों ने बतलाया कि आपरेषन सफल नहीं हुआ व टांकों में पस पड जाने से इलाज हुआ जिसमें रू. 27,057/- खर्च हुए । इसके बाद उक्त आपरेषन के टांकों में इन्फेक्षन हो जाने व दोबारा टांके खुल जाने से तीसरी बार आपरेषन दिनांक 22.8.2012 को हुआ जिसमें रू. 72,162/- खर्च हुए । परिवाद में आगे दर्षाया कि प्रार्थी द्वारा इस इलाज में खर्च हुई राषि के पुर्नः भुगतान हेतु अप्रार्थीगण को लिखा लेकिन अप्रार्थी कोषाधिकारी ने उनके कार्यालय पत्र संख्या 1594 दिनांक 18.6.2013 के यह कहते हुए क्लेम खारिज कर दिया कि राजस्थान चिकित्सा परिचर्या नियम 10 के अनुसार राज्य से बाहर उपचार कराने हेतु चिकित्सा बोर्ड की राय के आधार पर रेफर कराने के बाद ही राषि पुर्नर्भरण योग्य होती है ।
परिवाद में प्रार्थी का कथन रहा है कि राजस्थान सरकार के आदेष - निर्देष क्रमांक प.6(4)वित्त/नियम/2003 पार्ट दिनंाक 6.2.2009 व 16.12.2009 व दिनंाक 27.11.2009 तथा राजस्थान राज्य पेंषनर्स चिकित्सा रियायत योजना, 2009 के पैरा 8(2) के परिपत्र सं. 01- 2010 के अनुसार राज्य तथा राज्य के बार राजकीय व विनिर्दिष्ट में कराए गए इलाज से संबंधित नियमों के तहत आपातलकाल परिस्थिति में निजी एवं चेरिटेबल अस्पताल में कराए गए उपचार आदि में व्यय हुई राषि का पुर्नभरण देय योग्य हेाता है । इसके उपरान्त भी अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के क्लेम को अस्वीकार कर दिया । अतः प्रार्थी द्वारा यह परिवाद पेष करते हुए रू. 2,56,999/- की राषि की मांग अप्रार्थीगण से की है ।
3. अप्रार्थीगण की ओर से जवाब पेष हुआ जिसमें मुख्य रूप से यही बतलाया कि प्रार्थी का इलाज कोई आपातकालीन स्थिति में नहीं करवाया गया बल्कि प्रार्थी अपने पुत्र के पास इस बीमारी का इलाज कराने हेतु ही गया था । दिनांक 23.1.2012 की रसीद जो चैक अप हेतु कटवाई है इसी तथ्य से पता चलता है कि प्रार्थी को ह तकलीफ दिनांक 27.1.2012 को अचानक हुई हो । रसीद दिनांक 23.1.2012 को देखने से प्रार्थी ओपीडी में भर्ती हुआ है एवं उसके टेस्ट आदि होने के बाद दिनंाक 27.1.2012 को किए गए आपरेषन संबंधित निर्णय चिकित्सगण द्वारा लिया गया । अतः प्रार्थी का इलाज आपात स्थिति में नहीं होना पाया गया । जवाब में आगे दर्षाया कि प्रार्थी द्वारा इस इलाज हेतु किसी मेडिकल बोर्ड की अनुषंसा भी नहीं करवाई गई है एवं जिस अस्पताल से ईलाज कराया गया उक्त अस्पताल भी अनुमोदित अस्पतलों की सूची में नहीं है । अपने अतिरिक्त कथन में बतलाया कि प्रार्थी अधिक से अधिक राजस्थान परिचर्या नियम , 2008 एवं वित्त विभाग के आदेष क्रमांक प.6(4)वित्त/नियम/2003 पार्ट दिनंाक 6.2.2009 के अनुसार ह्दय रोग व बाईपास हेतु अधिकतम पैकज राषि रू. 44,000/- ही देय होती है जो प्रार्थी प्राप्त कर सकता है ।
4. परिवाद के समर्थन में प्रार्थी स्वयं ने तथा अपनी पत्नी तथा पुत्र का ष्षपथपत्र पेष किया है । दस्तावेजी साक्ष्य में संबंधित नियम व स्वय की सेवानिवृत्ति संबंधी नियम व साल अस्पताल की रसीदे व इलाज की डिस्चार्ज समरी तथा अप्रार्थीगण से जो पत्र व्यवहार हुआ की प्रतियां पेष की है ।
5. अप्रार्थीगण की ओर से राजस्थान सिविल सेवा (मेडिकल अटेण्डेड) नियम, 2008 के नियम 10 , 10(3) तथा वित्त विभाग का आदेष दिनंाक 16.12.2009 की प्रति पेष की है । षपथपत्र जो प्रार्थी ने दिया उसकी फोटोप्रति भी पेष की है ।
6. हमारे समक्ष निर्णय हेतु यही बिन्दु है कि क्या प्रार्थी द्वारा अपने हृदय रोग के संबंध में करवाए गए आपरेषन में खर्च हुई राषि रू. 2,56,999/- का जो क्लेम अप्रार्थीगण के यहां पेष किया उसे अप्रार्थी विभाग ने गलत रूप से अस्वीकार किया ? एवं क्या प्रार्थी यह राषि प्राप्त करने का अधिकारी है ?
7. उपरोक्त कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं पर हमने पक्षकारान को सुना ।
8. निर्विवाद रूप से प्रार्थी ने अपना यह इलाज अर्थात बायपास सर्जरी साल अस्पताल, अहमदाबाद जो कि एक प्राईवेट अस्पताल है, से करवाया है एवं यह तथ्य भी निर्विवादित है कि प्रार्थी ने इस हेतु मामले को नियमानुसार रेफर भी नहीं करवाया है । अधिवक्ता प्रार्थी की बहस रही है कि राजस्थान सरकार के आदेष.- निर्देष दिनंाक 6.2.2009, 16.12.2009 व 27.11.2009 एवं वित्त विभाग, राजस्थान राज्य पेंषनर्स चिकित्सा रियायत योजना, 2009 के पैरा 8(2) के परिपत्र सं. 01- 2010 के अनुसार राज्य तथा राज्य के बाहर राजकीय व विनिर्दिष्ट में कराए गए इलाज से संबंधित नियमों के तहत आपातलकाल परिस्थिति में निजी एवं चेरिटेबल अस्पताल में कराए गए उपचार की राषि देय योग्य होती है । उनकी यह भी बहस रही है कि प्रार्थी अपने पुत्र के पास दिनांक 25.1.2012 को रवाना होकर दिनंाक 26.1.2012 को अहमदाबाद पहुंचा उस वक्त उसका स्वास्थ्य ठीक था लेकिन अहमदाबाद में अचानक उसकी तबियत असामान्य रूप से अत्यधिक खराब एवं गम्भीर हो जाने पर प्रार्थी को परिवाद में वर्णित अनुसार साल अस्पताल में भर्ती कराया एवं उसका इलाज अर्थात बाईपास सर्जरी हुई । अतः प्रार्थी का मामला आपातकालीन स्थिति का होना सिद्व है । अधिवक्ता की बहस है कि मांग की गई राषि प्रार्थी प्राप्त करने का अधिकारी है ।
9. अधिवक्ता अप्रार्थी की बहस रही है कि मामला आपातकालीन स्थिति का नही ंथा बल्कि प्रार्थी अपनी योजना अनुसार अपना इलाज कराने अहमदाबाद गया था । प्रार्थी ने अपने मामले को रेफर नहीं करवाया एवं राज्य के बाहर एक ऐसे अस्पताल से अपना इलाज करवाया जो राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित अस्पताल की सूची में भी नहीं है । अतः प्रार्थी का क्लेम सहीं रूप से अस्वीकार किया गया है ।
10. हमने गौर किया एवं संबंधित नियमों व वित्त विभाग के आदेष आदि का अध्ययन किया ।
11. सबसे पूर्व प्रार्थी को मामला आपातकालीन स्थिति का था , के संबंध में विवेचना करे तो हम पाते है कि परिवाद में वर्णित अनुसार प्रार्थी का दिनंाक 22.1.2012 को अहमदाबसद जाने का कार्यक्रम था और इसी क्रम में प्रार्थी के पुत्र ने दिनंाक 23.1.2012 के लिए प्रार्थी को ओपीडी में सामान्य जांच हेतु दिखाने के लिए रसीद कटवा ली थी । प्रार्थी दिनंाक 22.1.2012 को नहीं जाकर दिनंाक 26.1.2012 को अहमदाबाद पहुंचा एवं दिनंाक 27.1.2012 को प्रार्थी की तबियत अचानक असामान्य रूप से बिगड गई । अतः उसे साल अस्पताल अहमदाबाद ले जाया गया जहां प्रार्थी की हालत की गम्भीरता को देखते हुए उसे उसी वक्त भर्ती किया गया एवं उसका यह आपरेषन हुआ है । अतः हम प्रार्थी का मामला आपात स्थिति का पाते है ।
12. अब हमें यह अभिनिर्धारित करना है कि प्रार्थी अपने इलाज में हुई खर्च की राषि रू. 2,56,999/- प्राप्त करने का अधिकारी है ? प्रार्थी का मामला आपात स्थिति का होना माना गया है किन्तु प्रार्थी ने यह इलाज राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित अस्पताल से नहीं करवाया है । अतः प्रार्थी अपने इलाज की सम्पूर्ण राषि प्राप्त करने का अधिकारी नही ंहै किन्तु प्रार्थी इस मामले में चूंकि उसका मामला आपात स्थिति का होना सिद्व हुआ है । अतः वह राज्य सरकार के वित्त विभाग के आदेष क्रमांक प.6(4)वित्त/नियम/2003 पार्ट दिनंाक
16.12.2009 के अनुसार पैकेज राषि रू. 44,000/- प्राप्त करने का अधिकारी पाया जाता है । प्रार्थी के दो आपरेषन बाद में भी दिनंाक 7.6.2012 व 22.8.2012 को हुए हेै किन्तु वे दोनो ही आपरेषन फोलोअप उपचार की तारीफ में आते है । अतः प्रार्थी इस हेतु किसी प्रकार की राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं पाया जाता है । अतः प्रार्थी के इस परिवाद में लाए गए विवाद को निम्नतरह से निस्तारित किया जाता है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
13. (1) प्रार्थी अप्रार्थीगण से राषि रू. 44,000/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थीगण से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 3000/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थीगण प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।
(4) दो माह में आदेषित राषि का भुगतान नहीं करने पर प्रार्थी अप्रार्थीगण से उक्त राषियों पर निर्णय की दिनांक से ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
14. आदेष दिनांक 16.04.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्या अध्यक्ष