Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/221

Vashishath Pandey - Complainant(s)

Versus

District Co Oprative Bank - Opp.Party(s)

H K Srivastav

04 Jul 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/221
( Date of Filing : 11 Feb 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Vashishath Pandey
a
...........Appellant(s)
Versus
1. District Co Oprative Bank
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Jul 2024
Final Order / Judgement

                                                 (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-221/2009

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, चन्‍दौली द्वारा परिवाद संख्‍या-81/2003 में पारित निणय/आदेश दिनांक 2.1.2009 के विरूद्ध)

 

वशिष्‍ठ पाण्‍डेय पुत्र श्री मारकण्‍डेय पाण्‍डेय, निवासी ग्राम इलिया, तहसील चकिया, जिला चन्‍दौली।

अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

1.    डिस्ट्रिक्‍ट कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड, ब्रांच साहबगंज, जिला चन्‍दौली, द्वारा ब्रांच मैनेजर।

2.    इलिया किसान सेवा सहकारी समि‍ति लिमिटेड, साहबगंज, जिला चन्‍दौली, द्वारा सेक्रेटरी।

3.    डिस्ट्रिक्‍ट असिस्‍टण्‍ट रजिस्‍ट्रार, कोआपरेटिव सोसायटीज, चन्‍दौली।

4.    रजिस्‍ट्रार, कोआपरेटिव सोसायटीज, यू.पी., लखनऊ।

                                      प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित             : श्री एच.के. श्रीवास्‍तव।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित           : कोई नहीं।

दिनांक:   04.07.2024  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-81/2003, वशिष्‍ठ पाण्‍डेय बनाम जिला सहकारी बैंक लि0 तथा तीन अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, चन्‍दौली द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 2.1.2009 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.         परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी कृषि कार्य हेतु खाद एवं बीज की खरीद हेतु विपक्षी सं0-2 का सदस्‍य बना। वर्ष 2002 में जो ऋण प्राप्‍त किया गया था, वह अदा कर दिया गया था। ऋण अदायगी के बाद दिनांक 25.6.2002 को भुगतान निल दर्शाते हुए परिवादी को पासबुक वापस किया गया। परिवादी द्वारा पुन: कोई ऋण नहीं लिया गया, परन्‍तु अंकन 1200/-रू0 की राशि अवशेष दर्शायी जा रही है। पूछने पर बताया गया कि विपक्षी सं0-3 के पत्र दिनांक 22.5.2003 के आधार पर यह राशि अवशेष दर्शायी जा रही है, इसलिए इस प्रविष्टि को निरस्‍त कराने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.         विपक्षीगण की ओर से प्रस्‍तुत लिखित कथन में यह कथन किया गया है कि ऋण तथा उसकी अदायगी की गणना के अनुसार परिवादी पर अंकन 1200/-रू0 बकाया हैं। पासबुक में निल का इंद्राज करने का तात्‍पर्य यह नहीं है कि त्रुटि का सुधार नहीं किया जा सकता। यह भी कथन किया गया कि परिवाद कालबाधित है। वसूली को रोकने के लिए विद्वान जिला आयोग के समक्ष परिवाद संधारणीय नहीं है। विपक्षीगण द्वारा दिए गए तर्कों को विद्वान जिला आयोग द्वारा स्‍वीकार किया गया तथा निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी के विरूद्ध ऋण वसूली की कार्यवाही की गई थी। वसूली की कार्यवाही में जो शुल्‍क अंकन 1200/-रू0 आया है, उस शुल्‍क की अदायगी परिवादी द्वारा नहीं की गई है, इस‍ीलिए इसी राशि को वसूल करने के लिए नोटिस भेजा गया। तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।

4.         अपीलार्थी का तर्क है कि उसके द्वारा समस्‍त ऋण का भुगतान कर दिया गया है। विपक्षीगण द्वारा पासबुक पर ऋण शून्‍य होने का उल्‍लेख किया गया है, इसलिए बाद में किसी राशि की वसूली नहीं की जा सकती। अपीलार्थी की ओर से दस्‍तावेज सं0-18 पर पासबुक का विवरण प्रस्‍तुत किया गया है, जिसके अवलोकन से ज्ञात होता है कि सदस्‍य पर समिति के ऋण के सामने शून्‍य अंकित किया गया है, परन्‍तु परिवादी द्वारा ऋण राशि स्‍वेच्‍छा से जमा नहीं कराई गई, अपितु ऋण की वसूली प्रक्रिया अपनाते हुए की गई है, इसलिए संग्रह शुल्‍क अधिरोपित किया जाना विधिसम्‍मत है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में कोई हस्‍तक्षेप अपेक्षित नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

5.         प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला  आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

दिनांक  04.07.2024

  लक्ष्‍मन, आशु0,

      कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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