M.K. Khanna filed a consumer case on 13 Feb 2015 against Dish T.V. India Ltd. in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/548/2013 and the judgment uploaded on 16 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ.अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-548/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1096/2011)
श्री एम.के.खन्ना पुत्र स्वर्गीय श्री एन.आर.खन्ना, उम्र 65 वर्ष, निवासी- सी-41, हरि मार्ग, मालवीय नगर, जयपुर (राजस्थान) ।
परिवादी
बनाम
01. श्री योगेश खण्डेलवाल, एस.एस.एन्टरप्राईजेज, 28, शिव शक्ति नगर, नियर इण्डो-भारत स्कूल, निर्माण विहार, जयपुर ।
02. डिश टी.वी. इण्डिया लिमिटेड, एफ.सी.-19, सेन्टर-16ए, फिल्म सिटी, नोएडा, उत्तर प्रदेश
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री एस.के.हरित, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री बलविन्दर सिंह, एडवोकट
निर्णय
दिनांकः- 13.02.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 30.06.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने 6 वर्ष पूर्व डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवा को लेने का मन बनाया । विपक्षीगण ने इस सेवा के तहत राष्ट्रीय चैनल के अलावा कुछ चैनल्स की सेवाऐं परिवादी को मुफ्त उपलब्ध कराने का वायदा किया था । परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 के यहां 3,000/-रूपये की राशि जमा करवाकर विपक्षीगण की डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवा प्राप्त की । परिवादी को विपक्षीगण ने यह भी बताया था कि निश्चित अवधि के बाद डिश टी.वी. की सेवा वापस लेने पर विपक्षीगण डिश एवं यंत्र आदि लेकर आधी राशि परिवादी को वापस लौटा देंगे । चंूकि परिवादी विपक्षीगण की सेवाओं से संतुष्ट था और उसने विपक्षीगण की उक्त सेवाओं को जारी रखने का निर्णय लिया । परन्तु 2-3 वर्ष पश्चात् विपक्षीगण ने परिवादी को उपलब्ध करवाई गई मुफ्त चैनल की सेवाऐं माह अक्टूबर,2008 में बन्द कर दी । जब परिवादी ने विपक्षीगण को याद दिलाया तो विपक्षीगण ने तीन माह बाद अपनी गलती को स्वीकार करते हुए उसकी सेवाऐं पुनः चालू कर दी । लेकिन मई,2009, नवम्बर,2009 एवं फरवरी,2011 में विपक्षीगण ने पुनः परिवादी के मुफ्त सेवा वाले चैनल बन्द कर दिये । इस बिन्दु पर परिवादी द्वारा विपक्षीगण से पत्राचार किया गया तो विपक्षीगण ने अपनी असमर्थता जताई ।
इस प्रकार विपक्षीगण ने डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवा के तहत परिवादी को दी जाने वाली मुफ्त चैनल्स की सुविधा मई,2009, नवम्बर,2009 एवं फरवरी,2011 में बन्द करके सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 11 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षी संख्या 1 के विरूद्ध दिनांक 02.05.2012 को एकतरफा कार्यवाही अमल में लाने के आदेश दिये गये ।
विपक्षी संख्या 2 की ओर से अंग्रेजी भाषा में जवाब दिया गया है जिसका सार संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी को डिश फ्री स्कीम के कस्टमर के रूप में स्पमि ज्पउम के लिए सुविधाऐं नहीं दी गई थी बल्कि यह सुविधा परिवादी को तब तक उपलब्ध थी जब तक परिवादी ैनइेबतपइमत के रूप में अपनी डीटीएच सेवा को त्मदमू नहीं करवाता है और स्कीम त्मदमू करवाने पर उसे त्मदमूंस थ्ममे देनी हो । इसलिए विपक्षीगण ने परिवादी को बाद में डीटीएच सेवा उपलब्ध नहीं करवाकर कोई सेवादोष कारित नहीं किया हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री एम.के.खन्ना ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 19 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि विपक्षी संख्या 2 की ओर से जवाब के तथ्यों की पुष्टि में ईशा गुप्ता का अंग्रेजी भाषा में शपथ पत्र एवं प्रदर्श ए-1 एवं ए-2 दस्तावेज प्रस्तुत किये ।
परिवादी की ओर से विपक्षी संख्या 2 द्वारा दिये गये जवाब का त्म.रवपदकमत प्रस्तुत किया गया ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में विपक्षीगण ने परिवादी को जो डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवा प्रदान की थी वह समस्त स्थितियों में परिवादी को त्मदमू होने तक उपलब्ध करवानी थी । इस तथ्य से विपक्षीगण ने इन्कार नहीं किया हैं । लेकिन विपक्षी संख्या 2 ने अपने जवाब में यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि परिवादी द्वारा अपनी डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवा कब-कब त्मदमू करवाई गई हैं । इसके साथ ही विपक्षीगण ने जब परिवादी की उक्त डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवा पर उपलब्ध फ्री चैनल्स की सेवा को प्रथम बार बन्द किया था तो विपक्षीगण ने परिवादी को भेजे अपने ई-मेल दिनंाकित 19.10.2009 के माध्यम से अपनी गलती स्वीकार की थी और परिवादी को दी जा रही फ्री चैनल्स की सुविधा को स्टार्ट करने के लिए चैनल को रिफ्रेश करने के तथ्य से विपक्षीगण डिश टी.वी. केे कस्टमर सर्विस इंजार्ज शालिन सक्सैना की ओर से सूचना दी गई थी । यह तथ्य पत्रावली के पृष्ठ 10 एवं 11 पर उपलब्ध ई-मेल में अंकित हैं । विपक्षीगण ने इे-मेल के तथ्यों को किसी दस्तावेजी साक्ष्य के माध्यम से खण्डित भी नहीं किया हैं । जो इस बात का द्योतक हैं कि विपक्षीगण ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि परिवादी डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवा के फ्री चैनल्स प्राप्त करने का अधिकारी हैं और विपक्षीगण के स्तर पर उसे यह सेवा बार-बार यानि मई,2009, नवम्बर,2009 एवं फरवरी,2011 में अवरूद्ध कर प्रदान की गई हैं । जो निर्विवाद रूप से विपक्षीगण का सेवादोष हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी विपक्षीगण से स्वयं को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप मंें 7,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये अर्थात् कुल 10,000/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं । विपक्षीगण को यह भी आदेश दिया जाता है कि वे परिवादी को उक्त सेवाऐं निर्बाध रूप से जारी रखें ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि परिवादी विपक्षीगण से उसके द्वारा प्राप्त की गई डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवा के फ्री चैनल्स विपक्षीगण द्वारा बार-बार अवरूद्ध करने से स्वयं को कारित आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप मंें 7,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये अर्थात् कुल 10,000/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं । विपक्षीगण को यह भी आदेश दिया जाता है कि वे परिवादी को उक्त सेवाऐं निर्बाध रूप से जारी रखें ।
विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेंगे ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 13.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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