Jharkhand

Ramgarh

72/2015

Kamal Yadav - Complainant(s)

Versus

Director Shree ram Transport - Opp.Party(s)

16 Aug 2017

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 72/2015
( Date of Filing : 18 Dec 2015 )
 
1. Kamal Yadav
Hata Mor Digwar Thana Mandu
...........Complainant(s)
Versus
1. Director Shree ram Transport
Prabhu niwas market Ananda chowk Hazaribagh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. MRITYUNJAY MAHATO PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM SHUBHAG SHAMRMA MEMBER
 HON'BLE MRS. SHANDHYA SHANKAR MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 16 Aug 2017
Final Order / Judgement

                                                        निर्णय :-

  1. यह मुकदमा कमल यादव पिता चिन्नू यादव हटिया मोड़ दिगम्बर थाना मांडू द्रारा विपक्षी प्रबंध निदेशक श्री राम ट्रांसपोर्ट सर्विसेज कम्पनी एवं अन्यो पर 5,50,000/- रूपये गाडी के एवज में दिया गया अग्रिम एवं  200000/- रूपये गाडी की मराम्मती इन्सोरेन्स रोड टैक्स के रूप में किया गया खर्च  2,50,000/- रूपये दिया गया है, क़िस्त कुल 1200000/-रुपए तथा 1,50,000/- रूपये मानसिक परेशानी हेतु छतिपूर्ति एवं 2,50,000/- रूपये एवं मुकदमा खर्च सात सूत एवं अन्य अनुतोष के लिए दाखिल किया गया है.
  2.           परिवादी का अभिकथन है कि परिवादी गाडी संख्या  JH20A-2061 ट्रक का निबंधित मालिक है I जिन्होंने उक्त ट्रक कंपनी के एजेंट देवकुमार सिंह से एग्रीमेंट के तहत लिया था. जिसे विपक्षियो के लोगो द्रारा बिना पूर्व सुचना के जब्त कर लिया गया I  परिवादी का या भी कथन है की उक्त ट्रक को परिवादी अपनी जिविको पर्जन हेतु एग्रीमेंट के तहत लिया था I जिसे परिवादी विपक्षी संख्या 3 से कंपनी के अभीकर्ता निरझर कुमार एवं देव कुमार के समक्ष  300000/-  और 2,50,000/- दे कर खरीदा परिवादी का कथन है की विपक्षी 1 एवं 2 उक्त साक्ष्य के लिए वित्तीय सहायता देने के लिए तैयार हुआ I साथ ही कहे की वे ट्रक का निबंधन संख्या निबंधन  वही एवं अन्य कागजात जो की उनके पास अभी नहीं है बाद में दे देंगे I  परिवादी का कथन है की उन्होंने ट्रक को 15/7/2009 को कब्ज़ा लिया था तथा 400000/-  से उपर खर्चा किया I रोड पर चलाने लायक तैयार किया I परिवादी का या भी कथन है की मरम्मती के बाद विपक्षी 6,50,000/-  का वित्तीय सहायता दिए तथा निबंधन वही परिवादी को दिए I परिवादी के अनुसार गाड़ी संख्या JH20A-2061 का बन्धकी कागजात 24/7/2009  को कलकत्ता ऑफिस से दिए I परिवादी के अनुसार विपक्षी संख्या 2 ने जो कागजात परिवादी को दिए उसमे गाड़ी का निबंधन वही से गलती से कलकत्ता ऑफिस का नाम लिखा गया जो की विपक्षियो का सेवा में घोर कमी है I परिवादी को परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने विपक्षी को गाडी संख्या JH20A-2061 हेतु 10/7/09 को 28000/- रूपये 5/9/09 को 28000/- रूपये 5/10/09 को 28000/- रूपये 23/9/09 को 28000/- रूपये 21/12/09 को 28000/- रूपये 29/01/2010 को 28000/- रूपये 25/02/10 28000/- रूपये 27/3/2010 को 28000/-  रूपये और 14/4/2010 को 28000/- रूपये  का भुगतान किये इसके अलावे विपक्षी ने 7 खाली चेक दिये जिससे की विपक्षियो ने 6,50,000/- रुपए बैंक ऑफ़ बरोदा रामगढ कैन्टोमेंट से प्राप्त किये I परिवादी का कथन है की 05/4/2010 परिवादी को जानकारी हुई की जिस गाडी को उन्होंने ख़रीदा वित्तिये सहायता विपक्षी से लिया वह सही गाडी नहीं है I क्यों कि उस गाडी का चेसीस नo- जैसे की निबंधन बही में उल्लेख है टाटा निर्मित गाडियों की सूचि में नहीं है तथा विपक्षियो के द्रारा परिवादियो को छला गया है जो की विपक्षियो का गलत व्यापार का परिचायक है परिवादी के अनुसार उक्त ट्रक जाली है तथा इसका निबन्धनं बही जो विपक्षी संख्या 2 द्रारा दी गयी है जाली तथा गलत है स्वयं विपक्षी द्रारा ली गयी 5,50,000/- तथा 2,50,000/- जो ली गई गलत है परिवादी का यह भी कथन है कि विपक्षियो द्रारा गलत गाडी दी गयी, तथा किसी सूचना के 15/01/2011 को गाडी संख्या JH20A-2061 को बंटी कुमार सोनू कुमार डेमो टांड हजारीबाग में जब्त कर लिया गया I परिवादी के अनुसार गाडी की जब्ती के अनुसार विपक्षियो के आदमियों द्रारा गाडी में रखा हुआ सभी सामान करीब 1,50,000/- रूपये का सामान भी हड़प लिया I परिवादी के अनुसार विपक्षी को 15/4/10 से  25/8/2011 को एवं 30/3/13 को पत्र लिख कर ली गयी रकम को वापस करने के लिए कहा परन्तु विपक्षीगण वापस नहीं किया I परिवादी पत्र के अनुसार दिनांक 18/7/13 को परिवादी अधिवक्ता के माध्यम से पत्र पाया जिसमे परिवादी को बोकारो में आरबीटेसन हेतु उपस्थित रहेने के लिए कहा जो की गलत एवं स्थापित विधिं के विपरीत है परिवादी के अनुसार विपक्षियो का कृत परिवादी को धोखा देने का है एवं विपक्षियो के चलते परिवादी एवं उसके परिवार काफी तकलीफ में है परिवादी के अनुसार विपक्षीगण गाडी की कीमत तथा परिवादी द्रारा दी गयी खर्च को वापस नहीं कर रहे जो की परिवादियो के सेवा में की गए घोर अनिमयेता का घोतक परिवादी विपक्षियो से 15,50,000/- रूपये गाडी के लिए दी गयी अग्रिम मरम्मती खर्च इन्सोरेन्स टैक्स टोकन एवं अन्य खर्चा पाने का अधिकारी है I
  3.                        परिवादी या मुकद्दमा जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम हजारीबाग में दाखिल किये थे I जहाँ से ये मुकद्दमा स्थान्तरित होकर इस फोरम में 18/12/15 को प्राप्त हुआ है I विपक्षीगण इस फोरम में उपस्थित होकर अपनी प्रारम्भिक अर्जी दाखिल किया I विपक्षियो के अनुसार यह मुकद्दमा खारिज होने लायक है I विपक्षियो के अनुसार आवेदक का आवेदन पत्र वास्तविकता से परे है I और विपक्षीगण आवेदक के सभी बातो को अस्वीकार करते है I विपक्षियो के अनुसार परिवादी द्रारा पत्र उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के धारा 2 (1) (D) के द्रारा बाधित है I विपक्षियो के अनुसार सभी विपक्षीगण श्री राम ट्रान्सपोर्ट फाइनेंस लिमिटेड के कर्मचारी है I यह कंपनी भारत के विभिन्न शहरो में शाखा खोलकर कारोबार करते है I जिसमे की प्रभु निवास मार्किट अनंदा चौक हजारीबाग में भी एक शाखा है जहाँ से आवेदक को वित्तीय सहायता दी गयी I विपक्षियो के अनुसार विपक्षीगण अपनी सेवा किसी तरह की कमी नहीं किया है तथा मुकद्दमा चलने लायक नहीं है विपक्षीगण आवेदक के सभी दावों का अस्वीकार करते है विपक्षी के अनुसार आवेदक व्यवसाय  करने के लिए यह गाडी खरीदी थी जो की उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते हैं विपक्षी के अनुसार आवेदक द्रारा अन्य मुकद्दमा 56/2013 गाडी संख्या JH076-3309  एवं JH02QA-1811 के सम्बन्ध में किया है जिससे यह स्पष्ट होता है की आवेदक यह गाडी व्यवसाय कार्य हेतु ख़रीदे है अतः यह मुकद्दमा चलने लायक नहीं है विपक्षी का यह भी कथन है की परिवादी एवं विपक्षी के साथ सम्बन्ध ऋणी और ऋण दाता  का है और इस तरह यह मुकद्दमा उपभोक्ता विवाद के अंतर्गत नहीं आता है परिवादी का मुकद्दमा ख़ारिज करने लायक है विपक्षियो का यह भी कथन है की विपक्षीगण वित्तीय सहायता एवं पुन; वित्तीय सहायता व्यवसाय वाहनों के लिए देती है और उसके लिये आवश्यक एग्रीमेंट करती है I तथा एग्रीमेंट में लिखित उपबंधो का पालन किया जाना बाध्यकारी होती है I विपक्षियो का यह भी कहना है की परिवादी विपक्षियो के पास व्यवसायिक वाहन खरीदने हेतु याचना किये I तदनुसार विपक्षी द्रारा उन्हें वाहन खरदीने हेतु वित्तीय सहायता मंजूरी दी गयी एवं ऋण एग्रीमेंट के अनुसार दी गयी तथा एग्रीमेंट में उल्लेखिक शर्तो का पालन करना परिवादी के लिए बाध्यकारी है I तदनुसार परिवादी एवं विपक्षी के बीच मुकद्दमा Arbitration and Conciliation Act 1996 के तहत आर्बिट्रेटर के द्रारा ही विचारनिय है I विपक्षियो का यह भी कथन है की परिवादी ने दो ट्रक पूर्ण रूपे से व्यवसाय के लिए ही खरीदा था और तदनुसार परिवादी का वाद उपभोक्ता संरक्षण  अधिनियम के अंतर्गत ग्रहनीय नहीं है I.
  4.               मुकद्दमा में परिवादी के और से अनपे पक्ष में कुछ कागजातों को दाखिल किया गया जिससे से यह विधित होता है की परिवादी को विपक्षी द्रारा जो ट्रक उपलब्ध करायी गयी थी उसके लिए परिवादी ने विपक्षियो को विभन्न समय अपना क़िस्त का रुपया जमा किया विपक्षियो द्रारा परिवादी के कागजातों के सम्बन्ध में किसी भी तरह की अप्पति व्यक्त की गयी है I
  5.              परिवादी इस मुकद्दमा में उपस्थित है परन्तु विपक्षी के कारण प्रीक्षा दाखिल करने के पश्चात कोई पैरवी नहीं कर रहे है I
  6.              परिवादी के परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षियो द्रारा परिवादी को जो ट्रक उपलब्ध कराई गयी वह टाटा मोटर्स को उपलब्ध में सूचि से मेल नहीं खाता है तथा परिवादी के अनुसार वह ट्रक Spurious है विपक्षी द्रारा इस सम्बन्ध में अपने कारण प्रिक्षi में किसी भी तरह की दर्ज नहीं कराई गयी है I
  7.                   उपरोक्त विवेचन का आलोक में फोरम इस निष्कर्ष पर पहुंची हिया की परिवादी को विपक्षी द्रारा दी गयी ट्रक टाटा मोटर्स की थी या नहीं तथा परिवादी विपक्षी को नियमित अदा करते थे या नहीं इस सभी बिन्दुओ पर पूर्ण साक्ष्य की आवश्यकता है I जिनका परीक्षण एवं प्रतिपरीक्षण की आवश्यकता है तथा ट्रक की सत्यापन एवं परिवादी की उपलब्ध कराई गयी ट्रक से सम्बन्धित कागजातों का भी पूर्ण सत्यापन की आवश्यकता है I जिसके लिए साक्ष्य न्यायलय द्रारा ही निर्णय लिया जाना उचित प्रतीत होता है I जो की उपभोक्ता फोरम मके शर्त अधिकार से बाहर है I
  8.                  उपरोक्त विवेचन के आलोक में परिवादी के वाद को इस सुझाव के साथ निरस्त किया जाता है की यदि परिवादी चाहे तो उनके उपर हुई अनियमयता के लिए वे विपक्षियो के विरुध सक्षम न्यायालय में बाध्य दायर कर सकते है I चूँकि परिवादी या मुकद्दमा 6/8/2013  को दाखिल किया था एवं इतने दिनों तक पैरवी करते रहा इसलिए यदि परिवादी का मुकद्दमा सक्षम न्यायालय में दाखिल करता है तो वह मुकद्दमा काल बाधित नहीं होगी I तथा समय की गणना इस मुकद्दमा के आदेश की तिथि से गणना की जाएगी I
  9.             तदनुसार परिवादी के वाद निष्पादित किया जाता है I   

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. MRITYUNJAY MAHATO]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM SHUBHAG SHAMRMA]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SHANDHYA SHANKAR]
MEMBER

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