Mul Singh filed a consumer case on 01 Apr 2015 against Director ,Shiv Sakhati Bio Plastic Ltd. in the Jalor Consumer Court. The case no is C.P.A 6/2014 and the judgment uploaded on 01 Apr 2015.
न्यायालयःजिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जालोर
पीठासीन अधिकारी
अध्यक्ष:- श्री दीनदयाल प्रजापत,
सदस्यः- श्री केशरसिंह राठौड
सदस्याः- श्रीमती मंजू राठौड,
..........................
....प्रार्थी।
बनाम
...अप्रार्थी।
सी0 पी0 ए0 मूल परिवाद सं0:- 06/2014
परिवाद पेश करने की दिनांक:-06-01-2014
अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ।
उपस्थित:-
1. श्री तरूण सोलंकी, अधिवक्ता प्रार्थी।
2. श्री ओमप्रकाश चैघरी, अधिवक्ता अप्रार्थी।
ःः निर्णय :ः दिनांक: 01-04-2015
1. संक्षिप्त में परिवाद के तथ्य इसप्रकार हैं कि प्रार्थी गांव दूटवा का निवासी हैं। तथा पेशे से काश्तकार हैं। तथा अप्रार्थी कम्पनी में कार्यरत श्री जूंजा राम ने प्रार्थी से दिनांक 19-11-2012 को गावं दूटवा में आकर सम्पर्क किया, तथा जूजांराम ने प्रार्थी से कहा कि अप्रार्थी कम्पनी के सागवान के पौधे खरीद कर अपनी आराजी पर पौधारोपण करने के नियमो एवं शर्तो के अनुसार कम्पनी द्वारा पौधे रौपं कर दिये जायेगें, जिनकी देखभाल कम्पनी द्वारा समय-समय पर तीन वर्षो तक निःशुल्क की जाती रहेगी, यदि इस अवधि में कोई भी पौधा खराब या नष्ट हो जाता हैं तो कम्पनी अपने खर्चे से नया पौधा आपको निःशुल्क 3 वर्ष की समयावधि में लगाकर देगी। तथा प्रार्थी , अप्रार्थी कम्पनी के कार्मिक द्वारा बताई गई योजना से प्रोत्साहित होकर 100 सागवान के पौधे दूटवा मे ही अपनी आराजी में रोपण करने हेतु बुक करवाये। तथा उसी रोज कुल 100 पौघो की रकम 8690/-रूपयै के टोकन पेटे 2000/-रूपयै जरिये रसीद संख्या- 5111 दिनांक 19-11-2012 को नकद जमा करवाये। तथा शेष 6690/- पौधारोपण करने के बाद जमा करवाना तय किया। तथा अप्रार्थी कम्पनी ने दिनांक 09-12-2012 को 100 सागवान के पौधे अप्रार्थी के निवास पर अपने कार्मिक जूंजा राम के साथ भेजे, जिन्हें प्रार्थी की आराजी पर अप्रार्थी के कार्मिक द्वारा पौधारौपण किया गया। उसके उपरान्त प्रार्थी ने अप्रार्थी को रूपयै 6690/- जरिये रसीद संख्या- 5111 दिनांक 09-12-2012 को अप्रार्थी के कार्मिक को अदा किये। तथा अप्रार्थी के कार्मिक जूंजा राम ने प्रार्थी से यह कहा कि यदि कोई भी पौघा नष्ट हो जावें, तो आप इसकी सूचना अप्रार्थी कम्पनी में तत्काल दे देवे, जिससे कम्पनी द्वारा हमारा कोई भी कार्मिक मौके पर आकर नया पौधा रोपण कर देगा। प्रार्थी ने अप्रार्थी कम्पनी के कार्मिक द्वारा बताये गये निर्देशो का पालन करते हूए सम्पूर्ण सावधानी के साथ दिन रात इन 100 सागवान के पौधो की समयानुसार सिचांई की व खाद इत्यादि दी जाती रही, परन्तु इसके बावजूद भी धीरे-धीरे प्रार्थी के यहंा लगाये हूए सारे पौधे नष्ट होने लगे, तब प्रार्थी ने इसकी सूचना अप्रार्थी कम्पनी को एवं जूंजा राम कार्मिक को जरिये मोबाईल दे दी थी। परन्तु समय पर अप्रार्थी की कम्पनी से कोई भी कार्मिक पौधो की जाॅंच करने नहीं आया, जिससे प्रार्थी के यहंा लगाये गये तमाम सागवान के पौधे नष्ट हो गये। जबकि अप्रार्थी कम्पनी ने पौधे बेचने के समय 3 वर्षो तक निःशुल्क देखभाल करने की वारन्टी दी थी, मगर कम्पनी के द्वारा वारन्टी की शर्तो का पालन नहीं करने से प्रार्थी के तमाम पौधे नष्ट हो गये, जिससे प्रार्थी को मानसिक पीडा से गुजरना पडा और आर्थिक नुकसान भी हुआ, तथा प्रार्थी ने अपने अधिवक्ता से सम्पर्क कर एक रजिस्टर्ड नोटिस दिनांक 15-04-2013 को अप्रार्थी कम्पनी के पते पर प्रेषित करते हूए अपने यहंा लगाये हूए तमाम सागवान के पौधे नष्ट हो जाने की सूचना देते हूए 15 दिनो में नये अच्छे पौधे निःशुल्क लगवाने का निवेदन किया, लेकिन अप्रार्थी कम्पनी ने पुनः नये पौधे नहीं लगाये, इसप्रकार अप्रार्थी कम्पनी ने सेवा में त्रुटि कारित की हैं। इसप्रकार प्रार्थी ने यह परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व सागवान के 100 पौधे नये अथवा इनका मूल्य 8690/-रूपयै मय ब्याज दिलवाने एवं मानसिक संताप व शारीरिक पीडा के 10,000/- रूपयै, आर्थिक नुकसान के 15,000/- रूपयै , एवं परिवाद व्यय के पेटे 5,000/- रूपयै, कुल 30,000 /- रूपयै मय ब्याज दिलानेे हेतु यह परिवाद जिला मंच के समक्ष पेश किया हैं।
2. प्रार्थी केे परिवाद को कार्यालय रिपोर्ट के बाद दर्ज रजिस्टर कर अप्रार्थी को जरिये रजिस्टर्ड ए0डी0 नोटिस जारी कर तलब किया गया। जिस पर अप्रार्थी की ओर से अधिवक्ता श्री ओमप्रकाश चैधरी ने उपस्थिति पत्र प्रस्तुत कर पैरवी की। तथा अप्रार्थी ने प्रथम दृष्टया प्रार्थी का परिवाद अस्वीकार कर, जवाब परिवाद प्रस्तुत कर कथन किये, कि प्रार्थी स्वंय ने अप्रार्थी के बीकानेर स्थित कार्यालय में सम्पर्क किया था, जिस पर अप्रार्थी कम्पनी ने नियमानुसार प्रार्थी की कृषि आराजी पर नियमानुसार सागवान के पौधे दिये थे, तथा प्रार्थी को उक्त पौधो की देखभाल करने के भी निर्देश दिये थे। तथा साथ ही कम्पनी के नियमो एवं शर्तो के अनुसार कम्पनी आपको उक्त पौधे देगी व पौधो की देखभाल नियमित रूप से स्वंय को ही करनी पडेगी तथा देखभाल किस प्रकार करनी हैं, उसकी सम्पूर्ण प्रक्रिया भी प्रार्थी को समझा दी थी, तथा प्रार्थी को पौधो के लिए आवश्यक खाद भी उपलब्ध करवा दी थी। प्रार्थी का यह कहना कि कम्पनी समय-समय पर तीन वर्षो तक निःशुल्क देखभाल करेगी, यह पूर्णतया गलत हैं, क्यों कि कम्पनी के नियमो के अनुसार तीन वर्षो में अगर कोई पौधा जलकर नष्ट हो जाता हैं, या पौधे की गुणवत्ता में कमी के कारण वह पौधा विकसित नहीं होता हैं, तो कम्पनी उस पौधे की जगह दूसरा पौधा लगाकर देती हैं, लेकिन उपरोक्त मामले में प्रार्थी द्वारा पौधो की सही देखभाल नहीं करने, तथा प्रार्थी को उपलब्ध कराई गई खाद सही समय पर नहीं डालनंे तथा पौधो को सही समय पर पानी उपलब्ध नहीं करवाने के कारण पौधे नष्ट हूए हैं, जिसके लिए कम्पनी जिम्मेवार नहीं हैं। तथा प्रार्थी द्वारा पौधो की देखभाल के अभाव में पौधे नष्ट हो गये, इस बाबत् प्रार्थी ने सही समय पर कोई सूचना नहीं दी। तथा कम्पनी द्वारा नियमो के अनुसार व नियमित जाॅंच के तहत जब प्रार्थी के निवास पर गये, तो पौधो की जाॅंच की, तो पता चला कि पौधे नियमित पानी, खाद, व देखभाल के अभाव में नष्ट हो गये हैं, जिस पर कम्पनी ने नष्ट हूए पौधो की जगह दूसरे पौधे लगाये, व पुनः प्रार्थी को हिदायत दी, कि इस बार आप पुनः उक्त पौधो की सम्पूर्ण देखभाल करे, लेकिन प्रार्थी द्वारा पुनः उक्त पौधो की देखभाल नहीं करने के कारण पौधे नष्ट हो गये। अप्रार्थी कम्पनी ने कोई लापरवाही नहीं बरती हैं, बल्कि नियमानुसार प्रार्थी को पूरी सेवा दी हैं। प्रार्थी ने अप्रार्थी को गलत नोटिस भेजा था, जिसमें प्रार्थी ने अपने भाई के आवासीय प्लोट में पौधे लगाने की बात कही थी, जो पूर्णतया गलत थी, जिसके कारण नोटिस पूर्णतया गलत था। इसप्रकार अप्रार्थी ने जवाब पेश कर प्रार्थी का परिवाद मय खर्चा खारिज करने का निवेदन किया हैं।
3. हमने उभय पक्षो को साक्ष्य सबूत प्रस्तुत करने के पर्याप्त समय/अवसर देने के बाद, उभय पक्षो के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस एवं तर्क-वितर्क सुने, जिस पर मनन किया तथा पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन एवं अध्ययन किया, तो हमारे सामने मुख्य रूप से तीन विवाद बिन्दु उत्पन्न होते हैं जिनका निस्तारण करना आवश्यक हैें:-
1. क्या प्रार्थी, अप्रार्थी का उपभोक्ता हैं ? प्रार्थी
2 . क्या अप्रार्थी ने प्रार्थी को विक्रय किये गये पौधो की 3 वर्ष
तक नियमित देखभाल नहीं कर सेवा प्रदान करने में त्रुटि
एवं लापरवाही कारित की हैं ?
प्रार्थी
3. अनुतोष क्या होगा ?
प्रथम विधिक विवाद बिन्दु:-
क्या प्रार्थी, अप्रार्थी का उपभोक्ता हैं ? प्रार्थी
उक्त प्रथम विधिक विवाद बिन्दु को सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार प्रार्थी पर हैं। जिसके सम्बन्ध में प्रार्थी ने अप्रार्थी को जरिये रसीद क्रमांक-5111 दिनंाक 19-11-2012 को रूपयै 2000/- एवं शेष रूपयै 6690/- दिनांक 09-12-2012 को देने की रसीद की प्रतियां पेश की हैं। तथा अप्रार्थी ने जवाब परिवाद प्रस्तुत कर उक्त रसीदो के जरिये प्रार्थी को सागवान के पौधे विक्रय करने की राशि उक्त रसीदो के जरिये प्राप्त करना स्वीकार किया हैं। इसप्रकार प्रार्थी एवं अप्रार्थी के मध्य ग्राहक - सेवक का सीधा सम्बन्ध स्थापित होना सिद्व एवं प्रमाणित हैं। तथा प्रार्थी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 1 डी के तहत उपभोक्ता की परिभाषा में आता हैं, इसप्रकार प्रथम विवाद बिन्दु प्रार्थी के पक्ष में तथा अप्रार्थी के विरूद्व निस्तारित किया जाता हैं।
द्वितीय विवाद बिन्दु:-
क्या अप्रार्थी ने प्रार्थी को विक्रय किये गये पौधो की 3 वर्ष
तक नियमित देखभाल नहीं कर सेवा प्रदान करने में त्रुटि
एवं लापरवाही कारित की हैं ?
प्रार्थी
उक्त द्वितीय विवाद बिन्दु को सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार प्रार्थी पर हैं। जिसके सम्बन्ध में प्रार्थी ने परिवादपत्र एवं साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत कर कथन किये हैं कि अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी को विक्रय किये गये सागवान के 100 पौधे अपने खेत की आराजी में लगवाये थे, जिसके बारे में कम्पनी द्वारा तीन वर्षो तक निःशुल्क देखभाल कम्पनी द्वारा किये जाने के नियम एवं शर्ते थी, तथा इस अवधि में कोई पौधा खराब या जलकर नष्ट हो जाता हैं, तो कम्पनी अपने खर्चे से नया पौधा निःशुल्क 3 वर्षो की समयावधि में लगाकर देगी। उक्त कथनो के सत्यापन हेतु प्रार्थी ने ऐसा कोई दस्तावेज या नियम व शर्ते कम्पनी द्वारा लिखित में दी गई हो, ऐसी साक्ष्य या दस्तावेज प्रस्तुत नहीं की हैं। तथा प्रार्थी द्वारा जो रसीद क्रमांक-5111 दिनंाक 19-11-2012 को रूपयै 2000/- एवं शेष रूपयै 6690/- दिनांक 09-12-2012 की प्रति पेश की हैं, जिसमें टम्र्स एण्ड कण्डीशन की शर्तो में स्पष्ट रूप से लिखा हैं कि Company is no way responsible fiuctuation of growth and yield of the crop. Since the growth and yield of crop depend on the quality and suitability of soil. Water and cultivation practices तथा अप्रार्थी कम्पनी ने जवाब परिवाद प्रस्तुत कर परिवादी की साक्ष्य एवं शपथपत्र के खण्डन में यह कथन किया हैं कि प्रार्थी ने अपनी आराजी पर लगाये गये सागवान के पौधो की समय पर देखभाल नहीं की, एवं कम्पनी के निर्देशानुसार पौधो को खाद-पानी नहीं दिया, जिसके कारण पौधे जलकर नष्ट हो गये थे, जिसकी कोई सूचना भी प्रार्थी ने अप्रार्थी को नहीं दी थी, जबकि प्रार्थी स्वंय अपने परिवाद में स्वीकार करता हैं कि कम्पनी द्वारा तुरन्त सूचना देने हेतु अवगत कराया गया था। फिर भी अप्रार्थी कम्पनी द्वारा अपनी नियमित जाॅंच के दौरान पौधो की जाॅंच की गई, तो वहंा पर सारे पौघे जलकर नष्ट हो चुके थे, तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने फिर से प्रार्थी को नये पौधे रौपण कर के दिये थे। लेकिन उनकी भी देखभाल प्रार्थी द्वारा नहीं की गई, जिस कारण पुनः पौधे नष्ट हो गये। तथा प्रार्थी ने ऐसा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया हैं , जिसमें अप्रार्थी प्रार्थी के आराजी पर लगाये जाने वाले पौधो की तीन वर्ष तक देखभाल करके देगी। इसप्रकार हमारे सामने प्रार्थी द्वारा ऐसा कोई ठोस साक्ष्य मय दस्तावेज प्रस्तुत नहीं हुई है। जिसके कारण अप्रार्थी कम्पनी द्वारा नियम व शर्तो का उल्लघंन करने से प्रार्थी को सेवा दोष कारित करना माना जा सके। इसप्रकार विवाद का द्वितीय बिन्दु अप्रार्थी के पक्ष में एवं प्रार्थी के विरूद्व निस्तारित किया जाता हैं।
तृतीय विवाद बिन्दु-
अनुतोष क्या होगा ?
जब प्रथम विधिक विवाद बिन्दु के अनुसार प्रार्थी को अप्रार्थी का उपभोक्ता होना मान लिया गया हैं, लेकिन द्वितीय बिन्दु के अनुसार प्रार्थी , अप्रार्थी का सेवादोष कारित करना सिद्व एवं प्रमाणित नहीं कर सका हैं, जिसके कारण प्रार्थी को किसी प्रकार का अनुतोष दिलाया जाना उचित नहीं माना जाता हैं।
आदेश
अतः प्रार्थी म्ूालसिंह का परिवाद विरूद्व अप्रार्थी निदेशक, शिवशक्ति बायो प्लान्टिक लिमिटेड बध्व मोथासर हाउस, रावतो का मौहल्ला, किर्ती स्तम्भ के पास, नगर परिषद के पीछे, बीकानेर राज0 के विरूद्व कोई सेवादोष कारित करना सिद्व नहीं होने से प्रार्थी का परिवाद खारिज किया जाता हैं। खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करेगंे।
निर्णय व आदेश आज दिनांक 01-04-2015 को विवृत मंच में लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
मंजू राठौड केशरसिंह राठौड दीनदयाल प्रजापत
सदस्या सदस्य अध्यक्ष
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