Rajasthan

Jalor

CC/109/2014

अशोक कुमार - Complainant(s)

Versus

Director, Princevision Public school - Opp.Party(s)

Jagdish Godara

10 Mar 2015

ORDER

न्यायालयःजिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जालोर

पीठासीन अधिकारी

अध्यक्ष:-  श्री  दीनदयाल प्रजापत,

सदस्यः-   श्री केशरसिंह राठौड

सदस्याः-  श्रीमती मंजू राठौड,

      ..........................

  1. अशोक कुमार पुत्र रगारामजी, जाति चैधरी, उम्र- 40 वर्ष, निवासी- दहीपुर, तह0 रानीवाडा, जिला- जालोर।

.......प्रार्थी।

                बनाम    

  1. स्ंाचालक , प्रिन्सविजन पब्लिक स्कूल, रानीवाडा।
  2. प्रधानाध्यापक, प्रिन्सविजन पब्लिक स्कूल, रानीवाडा।

       तहसील रानीवाडा, जिला- जालोर।
...अप्रार्थीगण।

                                सी0 पी0 ए0 मूल परिवाद सं0:-109/2014

परिवाद पेश करने की  दिनांक:-31-10-2014

अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता  संरक्षण  अधिनियम ।

उपस्थित:-

1.            श्री  जगदीश गोदारा,  अधिवक्ता प्रार्थी।

2.            अप्रार्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं।

 

निर्णय   दिनांक:  10-03-2015

1.              संक्षिप्त में परिवाद के तथ्य इसप्रकार हैं कि परिवादी स्थाई रूप से ग्राम दहीपुर का निवासी हैं,  तथा घन्धे के सिलसिले में कोयम्टूर रहता हैं, तथा प्रार्थी की पुत्री करीना व भावना तथा भाई का पुत्र महेन्द्रकुमार अप्रार्थीगण की स्कूल मंे अध्ययनरत हैं। तथा वर्ष 2012-13 में प्रार्थी ने अपनी पुत्री करीना को स्कूल में प्रवेश दिलवाया था। तथा वर्ष 2012-13 व 2013-14 में अध्ययनरत बाबत् प्रधानाध्यापक ने प्रार्थी को फोन किया, कि बच्चो की फीस जमा करवानी हैं, तब परिवादी ने रूपयै 50,000/- का चैक अप्रार्थीगण को दिनांक 01-08-2013 को दिया, तथा दिनांक 07-07-2014 को प्रार्थी , अप्रार्थी संख्या- 2 से अपने बच्चो की टी0 सी0 लेने गया, तो अप्रार्थी ने बच्चो की फीस बाकि होना कहा, तब प्रार्थी ने दिंनाक 07-07-2014 को रूपयै 9,000/-  जमा करवाये थे, तथा अप्रार्थी ने प्रार्थी को कहा कि आपकी पुत्री करीना का प्रवेश नहीं हुआ हैं। वह दो साल से ऐसे ही स्कूल आती हैं। तो प्रार्थी ने अप्रार्थी को कहा कि फीस किस बात की ली गई हैं। तथा अप्रार्थी ने करीना की फीस लेने के बाद भी टी0सी0 नहीं दी गई। तथा प्रार्थी की पुत्री करीना की उम्र 8 वर्ष हो गई हैं, जो शुल्क लेने के बावजूद प्रवेश नहीं देकर अप्रार्थीगण ने लापरवाही बरती हैं, तथा धोखा किया हैं, धोखे में रखकर फीस ली हैं, वह फीस भी ज्यादा ली गई हैं। प्रति छात्र स्कूल की फीस सालाना रूपयै 3,000/- हैं। वर्ष 2012-13 में टैक्सी किराया रूपयै  4,500/- व 2013-14 में रूपयै 5,500/- था। अप्रार्थीगण ने जो भी दस्तावेज मांगे एवं फीस मांगी, वह अदा कर दिये जाने के बावजूद करीना को स्कूल में प्रवेश न देना सेवा में कमी, त्रुटि एवं लापरवाही हैं। इसप्रकार प्रार्थी ने यह परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व पुत्री करीना की टी0सी0 दिलवाने, मानसिक क्षति व आर्थिक क्षति के रूप में रूपयै 70,000/- व परिवाद व्यय के रूपयै 5,000/-, व दो साल में ली गई फीस दिलाये जाने के आदेश हेतु यह परिवाद जिला मंच में पेश किया गया हैं।

 

2.                                 प्रार्थी केे परिवाद को कार्यालय रिपोर्ट के बाद दर्ज रजिस्टर कर अप्रार्थीगण को जरिये रजिस्टर्ड ए0डी0 नोटिस जारी कर तलब किया गया। अप्रार्थीगण बावजूद नोटिस तामिल के अनुपस्थित रहे, जिनके विरूद्व दिनांक 23-12-2014  को एकपक्षीय कार्यवाही की गई।

 

3.           हमने प्रार्थी को साक्ष्य सबूत प्रस्तुत करने के पर्याप्त समय/अवसर देने के बाद प्रार्थी अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस सुनी, जिस पर मनन किया तथा पत्रावली का ध्यानपूर्वक  अध्ययन एवं अवलोकन किया।

 

4.           प्रार्थी ने रसीद दिनांक 07-07-2014 की प्रति पेश की हैं। जो अप्रार्थी  प्रिन्स विजन पब्लिक स्कूल रानीवाडा   ने  महेन्द्रकुमार पुत्र गेनाराम, भावना पुत्री अशोकजी, करीना पुत्री अशोकजी  के नाम जारी हैं, जो रूपयै 9,000/- शिक्षण शुल्क जमा करवाने की हैं। तथा उक्त रसीद में अंकित विधार्थियोें के संरक्षण प्रार्थी के होने से उक्त फीस प्रार्थी द्वारा अप्रार्थीगण को अदा करने से प्रतिफल/शिक्षण शुल्क अदा कर, शिक्षा ग्रहण करना ग्राहक-सेवक का सीधा सम्बन्ध स्थापित होने से प्रार्थी , अप्रार्थीगण का उपभोक्ता होना सिद्व एवं प्रमाणित हैं।

 

5.           प्रार्थी ने तीन बच्चो को अप्रार्थीगण के निजी स्कूल में अध्ययन कराने की 2 वर्ष की फीस पेटे रूपयै 50,000/- चैक संख्या- 752807 के जरिये तथा रूपयै 9,000/- रसीद दिनांक 07-07-2014 के जरिये अप्रार्थीगण को अदा करने बताये हैं, जिसमें टैक्सी किराया भी शामिल होना बताया हैं, तथा प्रार्थी ने प्रत्येक विद्यार्थी की प्रतिमाह या वार्षिक स्कूल फीस  कितनी निश्चित थी, एवं कितनी अधिक दी, इसके बारे में कोई कथन परिवाद में नहीं किये हैं  तथा तीनो विद्यार्थी, अप्रार्थी की स्कूल में प्रवेशरत थे, इसके बारे में कोई दस्तावेजी सबूत स्कूल द्वारा जारी विप्रार्थी का पहचान पत्र, अंकतालिका, प्रवेशपत्र, प्रवेश आवेदनपत्र आदि प्रस्तुत नहीं किये हैं, जिसके कारण प्रार्थी की पुत्री करीना का अप्रार्थी विद्यालय में प्रवेश होकर दो वर्ष से नियमित अध्ययनरत होने के तथ्य साबित नहीं होते हैं।

 

6.           प्रार्थी ने तीन विद्यार्थियों के अध्ययन की 2 वर्ष की फीस चैक संख्या- 752807 दिनांक 01-08-2013 के जरिये रूपयै  50,000/- बैंक खाता से दिनांक 05-08-2013 को विड्रो होना बताया हैं, तथा प्रार्थी ने रसीद दिनांक 07-07-2014 रूपयै 9,000/- अप्रार्थी को अदा करने की रसीद पेश की हैं। इसप्रकार दो वर्ष में प्रार्थी ने रूपयै 59,000/- अप्रार्थी विद्यालय को तीन विद्यार्थियों की फीस व टैक्सी किराये के अदा करने के कथन किये, जो उक्त दस्तावेजो से साबित हो रहे हैं। तथा प्रार्थी उक्त 59,000/-रूपयै का पूर्ण एवं विस्तृत हिसाब अप्रार्थी विद्यालय  से प्राप्त करने का अधिकारी माना जाता हैं। इस प्रकार प्रार्थी का परिवाद आशिंक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य हैं।

 

आदेश

 

                 अतः प्रार्थी अशोककुमार का परिवाद विरूद्व अप्रार्थीगण  स्ंाचालक , प्रिन्सविजन पब्लिक स्कूल, रानीवाडा के विरूद्व आशिंक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता हैं कि आदेश की तिथी से 30 दिन के भीतर अप्रार्थीगण, प्रार्थी द्वारा चैक संख्या-752807 रूपयै 50,000/- एवं रसीद संख्या दिनंाक 07-07-2014 के जरिये कुल रूपयै 59,000/- की अदायगी की हैं, उक्त राशि किस-किस विद्यार्थी के फीस पेटे कब से कब तक, कितनी-कितनी फीस टैक्सी किराया आदि का विवरण एवं हिसाब लिखित में प्रार्थी को देवे, तथा प्रार्थी द्वारा अप्रार्थीगण का सेवादोष कारित करना सिद्व एवं प्रमाणित नहीं हो सकने से खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करे।

                निर्णय व आदेश आज दिनांक 10-03-2015 को विवृत मंच में  लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

 

 मंजू राठौड               केशरसिंह राठौड                   दीनदयाल प्रजापत

     सदस्या                   सदस्य                                            अध्यक्ष

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