Krati Vijayvargiy filed a consumer case on 12 Mar 2015 against Director, Maa Bharti Girls P.G. College in the Kota Consumer Court. The case no is CC/223/2010 and the judgment uploaded on 25 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
पीठासीन:श्रीएम अनवर आलम,अध्यक्ष,श्रीमति हेमलताभार्गव सदस्या।
प्रकरण संख्या-223/2010
सुश्री कृति विजयवर्गीय पुत्री दामोदर प्रसाद विजयवर्गीय, आयु 20 साल जाति वैश्य निवासी 2-त-38, तलवंडी, कोटा, राजस्थान। -परिवादिया।
बनाम
01. निदेशक, माॅ भारती गल्र्स पी जी. कालेज, माहवीर नगर तृतीय, कोटा।
02. रजिस्ट्रार, कोटा विश्वविद्यालय, कोटा। -विपक्षीगण।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1. श्री रामचन्द्र गोयल, अधिवक्ता, परिवादिया की ओर से।
2. श्री संजीव विजय, अधिवक्ता, विपक्षी सं. 1 की ओर से ।
3. श्रीमती कल्पना शर्मा, अधिवक्ता, विपक्षी संख्या 2 की ओर से।
निर्णय दिनांक 12-03-2015
(1) प्रस्तुत परिवाद दिनांक 16-06-2010 को परिवादिया ने इन अभिकथनों के साथ पेष किया है कि उसने सत्र 2009-10 के बी एस सी आई टी कोर्स में प्रवेश एवं अध्य्यन के हेतु विपक्षी सं. 1 की माॅ भारती गल्र्स पी जी कालेज महावीर नगर तृतीय कोटा में रजिस्ट्रार कोटा विश्वविद्यालय, कोटा के नाम का 22,000/- रूपये का चैक एवं 500/- रूपये का चैक कुल 22,500/- रूपये की राशि जरिये रसीद दिनांक 30.07.09 जमा की थी। परन्तु विपक्षीगण द्वारा कोर्स चालू नहीं किया गया और 30 अक्टूबर 09 को विपक्षी सं. 2 द्वारा उक्त बी एस सी आई टी कोर्स मे सीटें रिक्त रह जाने का समाचार समाचार पत्रों में प्रकाशन किया गया। जिसके फलस्वरूप परिवादिया बी एस सी आई टी कोर्स में पढाई नहीं कर सकी और परिवादिया द्वारा जमा की गई फीस विपक्षी सं. 1 से मांग करने पर नहीं लौटाई। अतः परिवादिया ने प्रार्थना की है कि परिवादिया को उसके द्वारा जमा की गई 22,500/- रूपये मय मानसिक क्षति का प्रतिकर राशि एवं खर्चा मुकदमा दिलवाया जावे।
(2) विपक्षी सं. 1 ने जवाब पेश कर परिवादिया द्वारा 2,500/- रूपये की राशि को जमा करने के तथ्य को स्वीकार किया तथा शेष तथ्यों को मूल रूप से अस्वीकार करते हुये परिवादिया व उसके मध्य उपभोक्ता के संबंध नहीं है। प्रस्तुत परिवाद असत्य एवं निराधार तथ्यों पर आधारित है। विपक्षी के यहॅ 3 विद्यार्थी मित्रों के साथ कोटा विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोजित बी एस सी आई टी में प्रवेश लिया, किन्तु छात्र संख्या कम होने के कारण परिवादिया की सहपाठी छात्राओं ने बी एस सी आई टी के स्थान पर बी सी ए में प्रवेश प्राप्त कर लिया। परन्तु परिवादिया ने अपने अध्य्यन के प्रति कभी रूचि नहीं दिखाई। अतः विपक्षी ने प्रार्थना की है कि परिवादिया का परिवाद सव्यय खारिज किया किया जावे।
(3) विपक्षी सं. 2 ने भी परिवादिया द्वारा विपक्षी संख्या-1 के कालेज में प्रवेश लेना एवं निश्चित फीस कालेज में जमा कराने के तथ्यों को स्वीकार किया है। परिवाद के शेष मूल तथ्यों को अस्वीकार करते हुये विशेष आपत्तियों में स्पष्ट किया है कि उसने परिवादिया की सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादिया द्वारा जमा कराया गया ड्राफट केाटा विश्वविद्यालय कोटा के रजिस्ट्रार के नाम अवश्य होता है, परन्तु उक्त समस्त राशि विपक्षी सं. 2 द्वारा प्राप्त नहीं की जाती है वह राशि विपक्षी सं. 1 को भिजवाई जाती है। परिवादिया को जवाब नोटिस के जरिये भिजवा दिया गया है। विपक्षी संख्या 2 आवश्यक पक्षकार है, इसलिये उससे किसी भी प्रकार की मांग किया जाना विधि सम्मत् नहीं है। अतः विपक्षी संख्या 2 ने परिवादिया का परिवाद सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की है।
(4) परिवाद के समर्थन में परिवादिया ने स्वयं का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में दस्तावेज प्रदर्ष-1 लगायत प्रदर्ष-16 पेष किये गये है। विपक्षी सं. 2 ने डा. नीरज जैन का शपथ-पत्र पेश किया तथा कोई दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं की ।
(5) उभय पक्षों की बहस सुनी गई एवं प्रस्तुत शपथपत्र,दस्तावेजीं साक्ष्य एवं पत्रावली का अवलोकन कर विचार किया गया। प्रस्तुत मामले में मुख्य विचारणीय बिन्दु यह है कि -
(अ) क्या परिवादिया विपक्षीगण की उपभोक्ता है ?
(ब) क्या विपक्षीगण ने सेवा दोष किया है ?
(स) अनुतोष ?
(6) बहस सुनी जाकर परिवादिया द्वारा प्रस्तुत तर्को, शपथ-पत्र, दस्तावेजात और पत्रावली का अवलोकन कर विचार किया गया। प्रस्तुत मामलें में विपक्षीगण की ओर से जवाब में स्वीकार किया गया है कि परिवादिया ने प्रवेश हेतु फीस 22,500/- रूपये की राशि जमा की थी, उक्त कथन की पुष्टि रसीद प्रदर्श-1 से होती है। अतः परिवादिया विपक्षीगण की उपभोक्ता साबित है। अतः परिवादिया विपक्षीगण की उपभोक्ता है।
(7) परिवादिया द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना-पत्र प्रदर्श-3 के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादिया ने उसके द्वारा जमा की गई फीस की मांग दिनांक 13.03.2010 को की थी एवं इसके संबंध में परिवादियाने विपक्षीगण कोे अपने अभिभषक के जरिये नोटिस प्रदर्श-4 को दिलवाया था, उस नोटिस के जवाब में अभिभाषक रामचन्द्र गोयल, यूनिर्वसिटी आफ कोटा ने पत्र प्रदर्श-9 प्रस्तुत किया था, जिसमंे उन्होने स्पष्ट किया कि परिवादिया ने प्रवेश ठण्ैबण् ख् प्ज् , च्ज.1 में प्रवेश लिया था। परिवादिया ने कोटा विश्वविद्यालय से सूचना के अधिकार के अधिनियम के तहत सूचना चाही थी, जिसका पत्र प्रदर्श-14 के पत्र के जवाब में कुल सचिव एवं लोक सूचना अधिकारी ने प्रदर्श-15 पत्र पेश किया, जिसमें फेक्चवल पोजिशन के अनुसार बी एस सी आई टी कोर्स में 6 विद्यार्थियो ने प्रवेश लिया जिन्हे बी सी ए के कोर्स में ट्रान्सफर कर दिया गया । फलस्वरूप परिवादिया की ओर से पेश किये गये परिवाद से एवं विपक्षीगण की ओर से पेश किये गये जवाबों एवं दस्तावेजों से यह साबित है कि विपक्षी नं. 1 के संस्थान में बी एस सी आई टी कोर्स में के छा़त्रों का स्थानान्तरण बी सी ए कोर्स में कर दिया। परिवादिया बी सी ए का कोर्स करने की इच्छुक नही थी। विपक्षीगण ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया है, जिससे कि यह साबित होता हो कि परिवादिया बी एस सी आई टी कोर्स से बी सी ए कोर्स में जाने की इच्छुक न हो या खंडन किया हो। अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर हमारे विनम्र मत में विपक्षीगण ने परिवादिया द्वारा कोर्स बी एस सी आई टी में अध्य्यन हेतु सुविधा उपलब्ध नहीं करवा कर सेवा में कमी की है।
(8) परिवादिया ने विपक्षीगण का सेवा दोष साबित कर दिया है अतः परिवादिया, विपक्षीगण से उसके द्वारा उनके यहाॅ जमा कराई राशि 22,500/- रूपये, मानसिक संताप की राशि 5,000/- रूपये तथा 1,500/- रूपये प्राप्त करने की अधिकारणी है।
आदेष
(9) परिणामतः परिवादिया सुश्री कृति विजयवर्गीय का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि वे परिवादिया को उसके द्वारा विपक्षीगण के यहाॅ जमा की गई राशि 22,500/- रूपये अक्षरे बाईस हजार पांच सौ रूपये, मानसिक क्षति के रूप में 5,000/- रूपये अक्षरे पांच हजार रूपये, परिवाद खर्च 1,500/- रूपये अक्षरे एक हजार पांच सो रूपये, अदा करे। विपक्षीगण आदेश की पालना निर्णय की दिनांक से एक माह के अंदर करे। अन्यथा उक्त राशि पर 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक साधारण ब्याज्य निर्णय की दिनांक से ता अदायगी संम्पूर्ण राशि विपक्षीगण परिवादिया को अदा करेगा।
(श्रीमति हेमलता भार्गव) (मोहम्मद अनवर आलम)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,कोटा। मंच, कोटा।
(10) निर्णय आज दिनंाक 12-03-2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(श्रीमति हेमलता भार्गव) (मोहम्मद अनवर आलम)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,कोटा। मंच, कोटा।
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