Uttar Pradesh

StateCommission

a/2013/1427

Avdhesh Kumar Giri - Complainant(s)

Versus

Director Bajaj Auto finance - Opp.Party(s)

Mithlesh singh

27 Jun 2013

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. a/2013/1427
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Avdhesh Kumar Giri
-
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Jitendra Nath Sinha PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित।

अपील संख्‍या-1427/2013

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, उन्‍नाव द्वारा परिवाद संख्‍या-145/2012 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20-05-2013 के विरूद्ध)

 

अवधेश कुमार गिरि, पुत्र हरिहर प्रसाद गिरि, निवासी मकान नम्‍बर-152, केवटा तालाब सिविल लाइन्‍स, उन्‍नाव।

                                                                                               

                                          अपीलार्थी/परिवादी

                                                  बनाम्

  1. डाइरेक्‍टर, बजाज आटो फाइनेन्‍स, द्वितीय तल, सालीमार लाजिक्‍स राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ पिन कोड नम्‍बर-226001 द्वारा प्रबन्‍धक।
  2. डाइरेक्‍टर, बजाज आटो फाइनेंस लि0 अकुर्दी पुणे, पिन कोड-411035, इण्डिया, द्वारा प्रबन्‍धक।
  3. चतुर्भुज मोटर्स बजाज आटो लिमिटेड, शेखपुर उन्‍नाव द्वारा प्रबन्‍धक।                                                     

                                           प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

समक्ष :-

1-   मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2-   मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

1-  अपीलार्थी की ओर से उपस्थित -   सुश्री मिथिलेश सिंह।

2-  प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित -    कोई नहीं।

दिनांक :20-11-2014

मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य द्वारा उदघोषित निर्णय

अपीलाथी ने प्रस्‍तुत अपील विद्धान जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, उन्‍नाव द्वारा परिवाद संख्‍या-145/2012 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20-05-2013 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है, जिसमें, परिवाद एतदद्वारा खारिज किया गया है। परिवादी 2000/-रू0 की राशि परिवाद व्‍यय के रूप में विपक्षी संख्‍या-2 व 3 को अदा करेगा।

प्रस्‍तुत परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-12 के अन्‍तर्गत इस आशय की प्रार्थना के साथ योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षीगण से मोटर साईकिल एक्‍स सी0डी0-125 नम्‍बर यू0पी0 35 एल0-8610 का अदेयता प्रमाण पत्र दिलाया जाये तथा 73,000/-रू0 क्षतिपूर्ति के दिलाये जाये।

 

2

संक्षेप में इस केस के तथ्‍य इस प्रकार है कि    परिवादी ने शून्‍य प्रतिशत फाइनेंस स्‍कीम के अन्‍तर्गत एक मोटर साइकिल मु0 46,691/-रू0 में दिनांक 25-12-2008 को खरीदी और 21,860/-रू0 नगद भुगतान किया। मु0 रू0 28000/- की शेष राशि का शून्‍य प्रतिशत ब्‍याज पर परिवादीने 16 किश्‍तें बनवा ली और यह तय हुआ कि 16 किश्‍तों में यह राशि अदा करनी है। विपक्षी संख्‍या-3 ने 16 चेकें परिवादी से ले ल और यह आश्‍वासन दिया कि 1750/-रू0 प्रति किश्‍त की दर से यह भुगतान बैंक से परिवादी के खाते में ले लिया जायेगा। पॉंच चेकों का भुगतान विपक्षीगण ने दिनांक 05-02-2009से 19-05-2009 तक प्राप्‍त किया। इसी मध्‍य विपक्षी संख्‍या-3 के अभिकर्ता परिवादी के घर आये और उन्‍होंने किश्‍त की राशि की नकद मांग की और सम्‍पूर्ण भुगतान परिवादी कर चुका है। किश्‍तों का भुगतान पूर्ण हो जाने पर परिवादी ने अदेयता प्रमाण पत्र मांगा तो उसको बताया गया कि 41,700/-रू0 शेष है अत: प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता है और ध‍मकियॉं दी जानी लगी। परिवादी ने विपक्षीगण को नोटिस दी परन्‍तु फिर भी संतोषजनक उत्‍तर न मिलने पर प्रस्‍तुत परिवाद योजित किया गया।

विपक्षी संख्‍या-3 ने अपने को अनावश्‍यक पक्ष बताया है उसका कहना है कि उसने केवल मोटर साइकिल की बिक्री की थी जिसकी धनराशि उसको प्राप्‍त हो चुकी है। 21,860/-रू0 परिवादी ने नकद दिये थे और 28000/-रू0 ऋण सुविधा से प्राप्‍त हुए थे। वर्तमान में संख्‍या-3 से इसका कोई लेना देना नहीं है।

विपक्षी संख्‍या-1 व 2 का कथन है कि परिवादी से उनका करार हुआ था जिसके आधार पर उसको 28,000/-रू0 की राशि शून्‍य प्रतिशत ब्‍याज पर 16 महीने के लिए ऋण दिया था और ऋण का करार भी निष्‍पादित हुआ था। यह राशि करार के अनुसार 1750/-रू0 मासिक किश्‍तों में 16 महीनों तक की अदा की जानी थी करार की अवधि दिनांक 15-01-2009 से 15-04-2010 तक थी। परिवादी को करार की शर्तें समझा दी गयी थी परिवादी ने जो चेक दिये थे उसमें केवल 5 चेक की धनराशि प्राप्‍त हुई। शेष सभी चेक बाउन्‍स हो गये परिवादी द्वारा दिनांक 30-06-2010 को 1750/-रू0 नकद देना बताया है परन्‍तु यह राशि प्राप्‍त नहीं हुई। बाकी सभी राशि विपक्षीगण को प्राप्‍त हो चुके हैं। परिवादी ने किश्‍तों की धनराशि समय पर अदा नहीं की है। उसके विरूद्ध 5230/-रू0 की राशि किश्‍तों की 36,050/-रू0 अन्‍य बकाया की राशि शेष रही और दिनांक 21-12-2012 को उसके विरूद्ध 42,200/-रू0 शेष थे। इसके बावजूद विपक्षी संख्‍या-1 व 2 ने परिवादी को केवल 22,825/-रू0 की राशि भी बतायी। मामला निपटाने को कहा परन्‍तु

 

3

परिवादी द्वारा राशि अदा नहीं की गयी। प्रस्‍तुत मामले में आर्बीट्रेटर का प्राविधान है और प्रस्‍तुत परिवाद कालबाधित है तथा खारिज किये जोन योग्‍य है।

पीठ के समक्ष अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं।

हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता सुश्री मिथिलेश सिंह के तर्क सुने तथा विद्धान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय एवं पत्रावली का भली-भॉंति अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला मंच द्वारा बिना किसी ठोस आधार के उसके परिवाद को खारिज कर दिया गया है जबकि उसके द्वारा मोटर साईकिल क्रय करते समय नगद भुगतान कर दिया गया था एवं बकाया धनराशि भी किश्‍तों में अदा कर दी गयी थी, किन्‍तु बिना अभिलेखीय साक्ष्‍य के आधार पर विवेचना किये जिला मंच ने गलत निर्णय पारित कर दिया है और परिवादी का परिवाद गलत तरीके से खारिज कर दिया है।

  प्रश्‍नगत निर्णय का अवलोकन किया गया जिससे कि यह विदित होता है कि जो धनराशि का चेक अपीलार्थी/परिवादी ने समय-समय पर भुगतान हेतु दिया था एवं कतिपय रसीदों की फोटोप्रति परिवादी ने दाखिल की है उनका उल्‍लेख करते हुए उन पर गुणदोष के आधार पर कोई निर्णय पारित नहीं किया है अत: ऐसी परिस्थिति में अपील स्‍वीकार करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। विद्धान जिला मंच द्वारा पुन: परिवाद को गुणदोष के आधार पर निर्णित किया जाना न्‍याय के हित में है।

आदेश

  अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्धान जिला मंच द्वारा परिवाद संख्‍या-145/2012 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20-05-2013 अपास्‍त करते हुए उक्‍त परिवाद को विद्धान जिला मंच, उन्‍नाव के समक्ष इस आशय से प्रतिप्रेषित किया जाता है कि वह उक्‍त उभयपक्ष को सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर किया जाना सुनिश्चित करें।

 

 

 

( अशोक कुमार चौधरी )                      ( बाल कुमारी )

      पीठासीन सदस्‍य                              सदस्‍य

कोर्ट नं0-3

प्रदीप मिश्रा

 
 
[HON'ABLE MR. Jitendra Nath Sinha]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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