Rajasthan

Jaisalmer

04/13

DAMODAR MALI - Complainant(s)

Versus

DIPTI COMMISIONS ARGONISATIONS NACHNA AND OTHER - Opp.Party(s)

SATEY NARAYAN

28 Oct 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 04/13
 
1. DAMODAR MALI
POKARAN JSM
...........Complainant(s)
Versus
1. DIPTI COMMISIONS ARGONISATIONS NACHNA AND OTHER
NACHNA JSM
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA PRESIDENT
  SANTOSH VYAS MEMBER
  MANOHAR SINGH NARAWAT MEMBER
 
For the Complainant:SATEY NARAYAN, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जैसलमेर(राज0)

1. अध्यक्ष    ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या   : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य    ः श्री मनोहर सिंह नरावत।        
    
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 11.01.2013
मूल परिवाद संख्या:- 04/2013


श्री दामोदर पुत्र श्री किषन, जाति- माली,
निवासी- वार्ड नम्बर 02 बागवानों का वास पोकरण जिला जैसलमेर    
                        ............परिवादी।

बनाम

1.    आवंटन अधिकारी एवं उपायुक्त उपनिवेषन ई.गा.नि.प. नाचना उपनिवेषन तहसील नाचना, जिला जैसलमेर।
2.    उपनिवेषन तहसीलदार ई.गा.न.पा. नाचना नम्बर 1 जिला जैसलमेर।
3.    हल्का पटवारी चक नम्बर 11 के.डब्लु.डी. में मुरबा नम्बर 206/17 उपनिवेषन तहसील नाचना जिला जैसलमेर।
4.    क्षेत्रीय वन अधिकारी इ.गा.प. ईकाई टप् स्टेज प्प् स्टेज खण्ड प्प् बीकानेर।
                        .............अप्रार्थीगण


प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थित/-
1.    श्री सत्यनारायण पुरोहित, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2.    अप्रार्थीगण अनुपस्थित।

ः- निर्णय -ः            दिनांक 28.10.2015


1.    परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी ने राजस्थान उपनिवेषन ( इन्दिरा गाॅधी नहर उपनिवेषन क्षेत्र मे सरकारी भूमि का आॅवटन एवं विक्रय) नियम 1975 के तहत् चक्र सं. 11 के डब्लू डी के मुरब्बा नम्बर 206/17 में 24.05 बीधा कमाण्ड भूमि का आॅवटन अप्रार्थी सं. 1 द्वारा किया गया तथा उसका आॅवटन आदेष दिनंाक 03.11.1999 जारी किया गया। उक्त भूमि की प्रथम किस्त मय ब्याज दिनांक 24.09.1999 को अप्रार्थी सं0 1 व 2 के यहा जमा करवायी। तत्पष्चात मेरे द्वारा हलका पटवारी के कई बार मौके पर चलकर आॅवटित भूमि का कब्जा देने की बात कही तो कई बार टालमटोल की तथा बार बार आना कानी करने के बाद वर्ष 2007 मे पैमाईष राषि जमा कराने पर हल्का पटवारी द्वारा मौके पर चलकर मुझे सीमा ज्ञान कराने पर पता चला कि 16-17 बीधा भूमि पर अप्रार्थी सं. 4 वन विभाग की नर्सरी व पौधे लगे है तब हल्का पटवारी से मैने वन विभाग का कब्जा खाली करवाकर मुझे कब्जा देने का कहा तब अप्रार्थी सं0 1 व 2 ने मुरब्बे की बकाया किस्ते अदा करने पर कब्जा दिलाने की बात कही तो परिवादी ने 29.03.2011 को बकाया राषि भी जमा करवा दी उक्त भूमि वन विभाग को आॅवटित नही हैै मुझ परिवादी द्वारा हजारो रूश्खर्च करने के पष्चात् भी भूमि का उपयोग नही कर सका हूॅ जिस कारण मुझे भारी मानसिक पीडा उठानी पड रही है। अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी को आॅवटित भूमि का मौके पर वास्तविक एवं भौतिक कब्जा नही देकर सेवा दोष कारित किया है। परिवादी ने आॅवटित भूमि का कब्जा दिलाये जाने के साथ ही आर्थिक एवं मानसिक क्षर्तिपूर्तिै पेटे 50,000 रू अप्रार्थीगण से दिलाये जाने का निवेदन किया।
2    अप्रार्थी सं. 1 व 2 ने जवाब पेष कर प्रकट किया है कि परिवादी को आॅवटित भूमि का कब्जा जरिये नामांन्तकरण सं. 38 दिनांक 12.12.2001 द्वारा रिकार्ड मे अंकन किया जा चूका है आॅवटी को मौके पर ही कब्जा सोपा गया था। तथा भौतिक रूप से ही नियमानुसार मौके पर पटवारी हल्का द्वारा कब्जा दिया जाता है। आॅवटी दामोदर दास का कब्जा वृक्षारोपण से पूर्व ही दिया जा चूका था। उनका यह भी जवाब है कि आॅवटित भूमि की कुल राषि 97,000 रू मेसे आॅवटी द्वारा 58,200 रू जमा कराये है। शेष 38,800 रू बकाया है। अतः अप्रार्थीगण का कोई सेवा दोष नही है। तथा विषेष रूप से यह भी आपति की कि उपनिवेषन क्षेत्र से सम्बधित परिवाद इस मंच को सुनने का क्षैत्राधिकार नही है क्योकि उपनिवेषन क्षेत्र मे कार्यवाही के सम्बंध मे अतिरिक्त उपचार उपलब्ध है। उनका यह भी कथन है कि आॅवटी को किया गया आॅवटन सामान्य श्रेणी का है जो अनुदान स्वरूप है। इसलिए परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी मे नही आता है। अतः परिवादी का परिवाद मंच के क्षैत्राधिकार मे नही होने के कारण खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
अप्रार्थी सं. 4 ने जवाब पेष कर बताया कि मौके कि वास्तविक स्थिति का इन्द्राज उपनिवेषन विभाग के रिकार्ड मे दर्ज नही किया गया था माननीय सर्वोच्य न्यायालय के आदेष मे यह निर्देषित किया जा चूका है कि यदि किसी कास्तकार की आॅवटित भूमि पर वृक्षारोपण कर दिया गया हो तो वन विभाग को अतिकर्मी न मानते हुए आॅवटी को अन्य भूमि आॅवटन की कार्यवाही की जावें।
3.   हमने विद्वान अभिभाषक एवं पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4.     विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है
1.    क्या परिवादी का परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार मे आता है या नही ?
2.    क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3.    अनुतोष क्या होगा ?
5.बिन्दु संख्या 1:-  जिसे साबित करने का संम्पूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी का परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार मे आता है या नही ? उस पर उभयपक्ष को सुना गया परिवादी विद्वान अभिभाषक की दलील है कि अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी को वास्तविक एवं भौतिक कब्जा नही दिया गया। मौके पर अप्रार्थी वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण किया जा चूका है। अप्रार्थी सं. 1 व 2 के द्वारा वन विभाग को हटाकर कब्जा नही दिया गया जो अप्रार्थीगण की उदासीनता व लापरवाही को दर्षाता हैै। जो अप्रार्थीगण का सेवा दोष है तथा इस मंच को परिवाद सुनने का क्षैत्राधिकार है। अपने तर्को के समर्थन मे 2012 (1) त्स्ॅ 73 ;त्ंरण्द्ध श्रवकीचनत क्मअमसवचउमदज ।नजीवतपजलए श्रवकीचनत टमतेने ैजंजम ब्वदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस थ्वतनउ - व्तेण् माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय का विनिष्चय पेष किया।
6.    अप्रार्थीगण की ओर से दलील है कि राजस्थान उपनिवेषन इन्द्रिरा गाॅधी नहर क्षेत्र की भूमि के सम्बंध मे आॅवटन आदि के लिये अलग से अधिनियम बना हुआ है। जिसके तहत् कार्यवाही होती है इस सम्बंध मे राजस्थान उपनिवेषन ( इन्दिरा गाॅधी नहर उपनिवेषन क्षेत्र मे सरकारी भूमि का आॅवटन एवं विक्रय) नियम 1975 के नियम भी बने हुए है यह आॅवटन उक्त अधिनियम, नियमो से शासित है अतः परिवादी का परिवाद उपभोक्ता विवाद नही है जिस कारण क्षैत्राधिकार के अभाव मे परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया। अपने तर्को के समर्थन मे माननीय राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग सर्किट बैंच नम्बर 3 राजस्थान जयपुर का अपील सं0 2138/2004 सरकार बनाम भंवर लाल का विनिष्चय पेष किया। तथा परिवादी द्वारा पेष विनिष्चय जेडीए से सम्बंधित है जबकि परिवादी को राजस्थान उपनिवेषन नियम 1975 के तहत् आॅवटन किया गया है। अतः परिवादी द्वारा पेष विनिष्चय उक्त प्रकरण मे लागु नही होता है।
7.    हमने उभयपक्षो की दलील पर मनन किया पत्रावली का ध्यानपूर्वक परिषिलन किया गया। परिवादी का परिवाद राजस्थान उपनिवेषन ( इन्दिरा गाॅधी नहर उपनिवेषन क्षेत्र मे सरकारी भूमि का आॅवटन एवं विक्रय) नियम 1975 से सम्बंधित हैै। परिवादी ने अपने परिवाद मे यह भी बताया है कि उसे नहरी कृषि भूमि अप्रार्थी सं. 1 द्वारा चंक सं. 11 के. डब्लू डी के मुरब्बा नम्बर 206/17 मे 24.05 कमाण्ड भूमि का आॅवटन किया गया था तत्पष्चात परिवादी ने प्रथम किस्त चालान सं. 1224/23.09.1999 को रू 4850 व ब्याज चालान सं. 1225/29.09.1999 रूश्146 दिनांक 24.09.1999 को राजकोष मे जमा कराई जिसके पश्चात् आवष्यक कार्यवाही कर आॅवटन आदेष व पट्टा डायरी प्रार्थी के नाम जारी की गई। अतः परिवाद से यह प्रकट है कि परिवादी का आॅवटित भूमि राजस्थान उपनिवेषन ( इन्दिरा गाॅधी नहर उपनिवेषन क्षेत्र मे सरकारी भूमि का आॅवटन एवं विक्रय) नियम 1975 के तहत् आॅवटित है। माननीय राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग सर्किट बैच सं. 3 राजस्थान जयपुर द्वारा अपील सं0 2138/2004 सरकार बनाम भंवर लाल मे आदेष दिनांक 09.03.2011 मे यह प्रतिपादित किया है कि राजस्थान उपनिवेषन इन्द्रिरा गाॅधी नहर क्षेत्र की भूमि आॅवटन आदि के लिए अलग से विषेष अधिनियम बना हुआ है जिसके तहत् कार्यवाही होती है। तथा इस सम्बंध मे संन् 1975 के भी नियम बने हुए है अतः यह आॅवटन उक्त अधिनियम एवम् नियमो से शासित है। धारा 25 मे विषेष प्रावधान कर दीवानी न्यायालय का क्षैत्राधिकार बाहर किया है। तथा अधिनियम अपने आप मे सम्पूर्ण है। व अग्रिम कार्यवाही करने के लिए प्रावधान किये हुए है। ऐसी स्थिति मे यह उपभोक्ता विवाद नही हैै।
8.    प्रष्नगत परिवाद मे परिवादी ने अपने परिवाद मे यह नही बताया है कि इस मंच को सुनने का अधिकार कैसे है। केवल यह तथ्य प्रकट किया है कि माननीय मंच को परिवाद को सुनने का श्रवणाधिकार व क्षैत्राधिकार है। जबकि अप्रार्थीगण द्वारा स्पष्ट रूप से यह आपति उठाई गई है कि उपनिवेषन क्षेत्र से सम्बंधित परिवाद इस मंच को सुनने का क्षैत्राधिकार नही है। क्योकि उपनिवेषन क्षेत्र मे कार्यवाही के लिए अतिरिक्त उपचार उपलब्ध है। अतः हमारे विनम्र मत मे ऐसी परिस्थिति मे जबकि राजस्थान काॅलोनाईजेषन इन्दिरा गाॅधी नहर क्षेत्र के भूमि आॅवटन आदि के लिए अलग से विषेष अधिनियम बना हुआ है जिसके तहत् कार्यवाही होती है। इस सम्बंध मे सन् 1975 के नियम भी बने हुए है। यह आॅवटन उक्त अधिनियम व नियमो से शासित है। धारा 25 मे विषेष प्रावधान कर दीवानी न्यायालय का क्षैत्राधिकार बाहर किया है तथा अधिनियम अपने आप मे सम्पूर्ण है व अग्रिम कार्यवाही करने के लिए प्रावधान किये हुए है ऐसी स्थिति मे यह उपभोक्ता विवाद नही है।  
अतः बिन्दू सं. 1 परिवादी के विरूद्व व अप्रार्थीगण के पक्ष मे निर्णित किया जाता है।
9. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 1  अप्रार्थीगण के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद क्षैत्राधिकार से बाहर होने के कारण खारिज किये जाने योग्य है।
ः-ः आदेष:-ः
        परिणामतः परिवादी का परिवाद क्षैत्राधिकार से बहार होने के कारण खारिज किया जाता है । दौनों पक्षकारान अपना-अपना खर्चा स्वयं वहन करेंगें ।


     ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।

 

   आदेष आज दिनांक 28.10.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 


     ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।

 

 

 

 
 
[JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA]
PRESIDENT
 
[ SANTOSH VYAS]
MEMBER
 
[ MANOHAR SINGH NARAWAT]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.