Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/2573

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Dinkar Agarwal - Opp.Party(s)

B L Jaiswal

26 Apr 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/2573
( Date of Filing : 18 Oct 2002 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Central Bank Of India
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Dinkar Agarwal
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 26 Apr 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-2573/2002

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या-29/99 में पारित निर्णय दिनांक 18.09.2002 के विरूद्ध)

सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया, ब्रांच कमला नगर, आगरा द्वारा ब्रांच

मैनेजर व एक अन्‍य।                      .....अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

 

दिनकर अग्रवाल पुत्र श्री दीन दयाल जौहरी आर/ओ.ए-6/166 कमला

नगर पी.एस. न्‍यू आगरा जिला आगरा व दो अन्‍य। ......प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री बी0एल0 जायसवाल, विद्वान

                            अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : श्री अशोक कुमार साहू, विद्वान

                            अधिवक्‍ता।

दिनांक 08.06.2022

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 29/99 श्री दिनकर अग्रवाल बनाम सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया व 3 अन्‍य में पारित निर्णय व आदेश दि. 18.09.2002 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया गया है कि स्‍वीकृत ऋण रू. 75000/- परिवादी को 45 दिन के अंदर उपलब्‍ध कराए।

2.   इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय विधि विरूद्ध है। ऋण स्‍वीकृत करने के पश्‍चात परिवादी द्वारा जो कोटेशन प्रस्‍तुत की गई थी वह सही नहीं थी, इसलिए ऋण राशि प्रदान नहीं की जा सकी। बैंक की सेवा में किसी प्रकार

 

-2-

की कोई त्रुटि नहीं है। स्‍वयं परिवादी ने औपचारिकताएं पूर्ण नहीं की, इसलिए स्‍वीकृत ऋण अदा करने का आदेश देना विधि विरूद्ध है।  

3.   दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।

4.   दोनों पक्षकारों को यह तथ्‍य स्‍वीकार है कि अंकन रू. 75000/- का ऋण स्‍वीकार किया गया। मुख्‍य विवाद यह है कि परिवादी ने मेसर्स जे.एम अरोरा से कोटेशन लेकर बैंक में जमा की,‍ जिस पर सेलटैक्‍स पंजीकरण नहीं था, जिसके कारण बैंक कर्मचारियों को संदेह हुआ, इसलिए इस कोटेशन की पुष्टि कराई गई और यह पाया गया कि कोटेशन पर हस्‍ताक्षरकर्ता श्री जे.एम. अरोरा ग्‍लास फिक्सिंग का कार्य नहीं करते। उनकी फर्नीचर की कोई दुकान नहीं है। श्री जे.एम अरोरा की पत्‍नी श्रीमती पूनम अरोरा के व्‍यापार में मदद करते हैं, इसलिए स्‍वीकृत ऋण रद्द कर दिया गया।

5.   किसी भी व्‍यापारी का ऋण स्‍वीकृत करने का तात्‍पर्य यह नहीं है कि बैंक द्वारा ऋण के भुगतान की गारंटी ली गई है। यदि ऋण स्‍वीकृत कराने वाले व्‍यापारी ने विधिसम्‍मत कोटेशन बैंक के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की है और एक संदेहास्‍पद कोटेशन प्रस्‍तुत की है तब बैंक को पूरा अधिकार प्राप्‍त है कि जो ऋण स्‍वीकार किया गया है उसे जारी न किया जाए। प्रस्‍तुत केस में बैंक की जांच के पश्‍चात यह पाया कि संदिग्‍ध कोटेशन प्राप्‍त कर बैंक में जमा की गई है, इसलिए ऋण राशि परिवादी के पक्ष में उन्‍मुक्‍त नहीं की गई। बैंक की इस कार्यवाही को सेवा में कमी नहीं कहा सकता। अत: जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है। तदनुसार अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

-3-

आदेश

6.   अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय अपास्‍त किया जाता है। परिवाद खारिज किया जाता है।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की

वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         

       (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित

किया गया।

 

        (राजेन्‍द्र सिंह)                        (सुशील कुमार)                                                                                                                                                  सदस्‍य                              सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2,

कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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