Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/362

Dr R K Agarwal - Complainant(s)

Versus

Dinesh - Opp.Party(s)

Pratyush Tripathi

31 Jan 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/362
( Date of Filing : 22 Feb 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Dr R K Agarwal
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dinesh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 31 Jan 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-362/2012

डा0 आर.के. अग्रवाल पुत्र स्‍व0 धनश्‍याम दास

 

बनाम

 

दिनेश पुत्र श्री राम दरश तथा एक अन्‍य

 

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित      : श्री प्रत्‍यूष त्रिपाठी।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री ए.के. मिश्रा।

दिनांक : 31.01.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-62/2007, दिनेश तथा एक अन्‍य बनाम डा0 आर.के. अग्रवाल में विद्वान जिला आयोग, मऊ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.1.2012 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रत्‍यूष त्रिपाठी तथा प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए.के. मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.        परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि विपक्षी द्वारा दिनांक 22.4.2006 को परिवादी सं0-2 की किडनी में पथरी का आपरेशन किया गया। आपरेशन के बाद दिनांक 22.4.2006 से दिनांक 1.5.2006 तक मरीज विपक्षी के अस्‍पताल में भर्ती रही। दिनांक 1.5.2006 को अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गयी। उस समय अंकन 11,000/-रू0 प्राप्‍त किये गये और पूर्व में दवाओं के पैसे प्राप्‍त

-2-

किए गए, जिनकी रसीद नहीं दी गयी। इसके पश्‍चात उल्‍टी, दर्द की शिकायत उत्‍पन्‍न हो गयी। विपक्षी ने पुन: मरीज को अस्‍पताल में भर्ती कर लिया और दिनांक 13.5.2006 को अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गयी, परन्‍तु जिस स्‍थान से आपरेशन हुआ था वहां से मवाद, पानी आना बंद नहीं हुआ, इसलिए पुन: दिनांक 24.5.2006 एवं दिनांक 30.5.2006 को विपक्षी को दिखाया गया, परन्‍तु केवल दवा लिख दी गयी और इसके बाद दिनांक 8.6.2006 को डा0 पी.के. केसरी, वाराणसी में दिखाने के लिए कहा गया जहां पर दिनांक 13.6.2006 को दिखाया गया, उनके द्वारा पुन: आपरेशन करने के लिए कहा गया तथा अंकन 15,000/-रू0 जमा करने के लिए भी कहा गया, परन्‍तु  परिवादीगण के पास इस धन की व्‍यवस्‍था नहीं थी, इसलिए दिनांक 18.12.2006 को डा0 फैयाज अहमद गोरखपुर को दिखाया गया, जिनके द्वारा बी.एच.यू. के लिए रेफर कर दिया गया फिर बी.एच.यू. में आपरेशन कराया गया, वहां पर किडनी निकालनी पड़ी, क्‍योंकि गलत इलाज के कारण किडनी खराब हो चुकी थी।

3.        विपक्षी द्वारा परिवादी सं0-2 के गुर्दे की पथरी को आपरेशन द्वारा निकालना स्‍वीकार किया गया। अंकन 8,500/-रू0 शुल्‍क भी प्राप्‍त करना स्‍वीकार किया गया। यह भी स्‍वीकार किया गया कि आपरेशन के घाव से रिसाव हो रहा था और पेट में दर्द एवं उल्‍टी की शिकायत भी मौजूद थी, इसलिए डिसचार्ज करने के बाद मरीज को पुन: भर्ती किया गया और इसके बाद दिनांक 13.5.2006 को  डिसचार्ज  किया  गया।  यह भी स्‍वीकार किया गया कि 5 दिन

 

-3-

पश्‍चात आपरेशन के स्‍थान से स्राव हो रहा था, इसके बाद 7 दिन बाद दिखाया गया तब भी स्राव बना रहा, इसलिए डा0 पी.के. केसरी के पास जाने की सलाह दी गयी।

4.        दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा निष्‍कर्ष दिया गया कि यद्यपि द्वितीय आपरेशन देरी से कराने के लिए परिवादी सं0-2 को भी दोषी पाया गया, परन्‍तु प्रथम आपरेशन में लापरवाही बरतने के लिए केवल 1 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है।  

5.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि उनके स्‍तर से कोई लापरवाही नहीं बरती गयी। गुर्दे में पथरी थी, जिसका सफल आपरेशन किया गया, परन्‍तु यह तर्क इस आधार पर विफल हो जाता है कि स्‍वंय लिखित कथन में इस कथन को स्‍वीकार किया गया है कि आपरेशन वाले स्‍थान से रिसाव हो रहा था, रिसाव को रोकने का प्रयास किये बिना ही दिनांक 13.5.2006 को मरीज को अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गयी, जबकि इसी तिथि को दूसरे अस्‍पताल के लिए रेफर करना चाहिए था। अत: स्‍वंय लिखित कथन के विवरण अपीलार्थी की लापरवाही के तथ्‍य को दर्शित करते हैं। अपीलार्थी द्वारा रिसाव को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया गया और मरीज को सर्वप्रथम दिनांक 1.5.2006 को एवं दिनांक 13.5.2006 को सम्‍पूर्ण इलाज किये बिना मरीज को अस्‍पताल से छुट्टी देना अपीलार्थी की सेवा में कमी का द्योतक है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधिसम्‍मत है, इसमें हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

 

-4-

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

6.        प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

                       

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

   कोर्ट-3

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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