(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-132/2007
मैनेजर, हरी कृष्ण बीज भण्डार
बनाम
दिनेश उपाध्याय (मृतक) प्रतिस्थापित विधिक उत्तराधिकारी श्रीमती कुसुमा तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्डन।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री ए.के. मिश्रा।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्री वी.पी. नाग।
दिनांक : 28.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-56/2005, दिनेश उपाध्याय बनाम प्रबन्धक हरी कृष्ण बीज भण्डार तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, एटा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.08.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री ए.के. मिश्रा एंव प्रत्यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्ता श्री वी.पी. नाग को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/ओदश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. अपीलार्थी द्वारा विक्रीत बीज के कारण फसल में हानि की क्षतिपूर्ति की मद में अंकन 10,000/-रू0 तथा बीज का मूल्य अंकन 1140/-रू0 अदा करने का आदेश विद्वान जिला आयोग ने दिया है।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि वह
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केवल विक्रेता है और बीज का प्रबंधन उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम द्वारा किया जाता है, इसलिए वह बीज की गुणवत्ता के लिए उत्तरदायी नहीं हैं, जबकि प्रत्यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कथन किया गया कि कभी भी अपीलार्थी को उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम द्वारा उनके बीज को विक्रय करने के लिए अधिकृत नहीं किया गया है, इसलिए केवल अपीलार्थी ही अपने कार्य के लिए उत्तरदायी हैं। फिर यह भी कि कभी भी उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम द्वारा खुला बीज विक्रय करने के लिए किसी को उपलब्ध नहीं किया जाता है, बल्कि सील लिफाफे में मौजूद बीज ही विक्रय के लिये उपलब्ध कराया जाता है, जबकि अपीलार्थी द्वारा जो बीज विक्रय किया गया है, वह खुले लिफाफे में मौजूद था, इसलिए जो हानि कारित हुई है, इसके लिए स्वंय परिवादी उत्तरदायी है। विद्वान जिला आयोग द्वारा दिये गये निष्कर्ष में हस्तक्षेप करने का कोई आधार प्रतीत नहीं होता है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-3