(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2520/2012
The New India Assurance Company Limited
Versus
Dinesh Chandra Yadav, Son of Bansi Dhar Yadav
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री जे0एन0 मिश्रा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री हेमराज मिश्रा, विद्धान अधिवक्ता के
कनिष्ठ अधिवक्ता श्री रवि कुमार रावत
दिनांक :12.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0 172/2006, दिनेश चन्द यादव बनाम दि न्यू इंडिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 व अन्य में विद्धान जिला आयोग, बस्ती द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14.09.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए बीमा कम्पनी को निर्देशित किया है कि अंकन 61,356/-रू0 की अवशेष बीमित राशि 06 प्रतिशत ब्याज के साथ परिवादी को अदा की जाए।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा अपनी दुकान का बीमा कराया गया था। बीमित अवधि के दौरान इस दुकान में आग लग गयी। सर्वेयर की नियुक्ती की गयी। सर्वेयर द्वारा अंकन 50,804/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया, परंतु बीमा कम्पनी द्वारा केवल 38,644/-रू0 का प्रस्ताव दिया गया। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा 61,356/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया। चूंकि सर्वेयर रिपोर्ट के अनुसार 50,804/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया है। इसी रिपोर्ट के अनुसार क्षतिपूर्ति का आदेश देना उचित है। तदनुसार जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय इस प्रकार परिवर्तित होने योग्य है कि परिवादी को क्षतिपूर्ति की राशि के रूप मे अंकन 50,804/- प्राप्त होंगे। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट होने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी को क्षति के रूप में अंकन 50,804/-रू0 अदा किया जाये। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3