राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2003/2011
(जिला उपभोक्ता फोरम, ज्योतिबाफुले नगर द्वारा परिवाद संख्या 21/11 में पारित निर्णय दिनांक 10.08.11 के विरूद्ध)
1. यूनियन आफ इंडिया द्वारा सेक्रेटरी डिपार्टमेन्ट आफ पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ
न्यू दिल्ली।
2. पोस्ट मास्टर जनरल, बरेली रीजन, बरेली।
3. डिप्टी पोस्ट मास्टर, मेन पोस्ट आफिस-कोट चौराहा अमरोहा जिला
जे0पी0 नगर। .........अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम्
दिलशाद अमरोहवी पुत्र श्री अब्दुल गनी खान निवासी मोहल्ला 18, बड़ा
दरबार, अमरोहा, जिला जे0पी0 नगर। ........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री महेश चंद्र, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : डा0 उदयवीर सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 21.02.2017
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम ज्योतिबाफुले नगर द्वारा परिवाद संख्या 21/11 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 10.08.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। जिला मंच द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
'' परिवाद, आंशिक रूप से अंकन रू. 1000/- परिवाद व्यय सहित स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण परिवादी को अंकन रू. 1000/- क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान करें। आदेश का अनुपालन एक माह के भीतर किया जाए।''
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने दि. 11.05.10 को एक एयर पार्सल रजिस्टर्ड डाक द्वारा विपक्षी संख्या 3/अपीलार्थी संख्या 3 के माध्यम से नौटिघंम, यूनाइटेड किंगडम, एन 67-6 एच0एच0 9 को भेजा था। इस पार्सल में परिवादी द्वारा लिखित एक उर्दू की महत्वपूर्ण उपन्यास थी। परिवादी के अनुसार इस उपन्यास की कहानी को श्री डबल्यू0ए0 खान ने उससे 3000 पौंड जो लगभग भारतीय मुद्रा में रू. 240000/- में क्रय किया था। विपक्षीगण की लापरवाही से उपरोक्त पुस्तक समय से गंतव्य स्थान पर नहीं पहुंची, जिससे
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परिवादी को रू. 240000/- की क्षति पहुंची। परिवादी का यह भी कथन है कि परिवादी ने कई शिकायती पत्र व स्मरण पत्र भेजे, परन्तु विपक्षी संख्या 3 ने कोई जवाब नहीं दिया।
पीठ ने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का भलीभांति परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी का कथन है कि जिला मंच का निर्णय विधिसम्मत नहीं है। डाक विभाग की कोई गलती नहीं थी और न ही उसके द्वारा सेवा में कमी की गई है। अपीलार्थी ने यह स्वीकार किया कि परिवादी ने युनाइटेड किंगडम के लिए एक पार्सल बुक कराया था। इस पार्सल को उड़ान संख्या ए 10111 दिनांकित 13.05.10 को यू.के. के लिए भेजा गया था। डाक विभाग द्वारा यू.के. के लिए पार्सल को ट्रांसपोर्ट कर देने के बाद उनका उत्तरदायित्व समाप्त हो जाता है और पार्सल के न पहुंचने की जिम्मेदारी उसकी नहीं है। डाक विभाग एक सरकारी विभागीय एजेंसी है जो विभागीय नियमों के अंतर्गत कार्य करता है, किसी भी नियम के अंतर्गत किसी पार्सल के क्षतिग्रस्त होने या चोरी हो जाने की कोई उत्तरदायित्व विभाग का नहीं होता है। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि प्रश्नगत पार्सल दिए गए पते पर संभवत: पहुंच गया हो और पाने वाले व्यक्ति ने स्वयं या किसी उसके अन्य व्यक्ति ने उसको प्राप्त कर लिया हो, अत: इस आधार पर भी डाक विभाग को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादी ने अपीलार्थी के माध्यम से एक एयर पार्सल डबल्यू.ए. खान, 118 ईवार्ट रोड, फोरेस्ट फिल्ड, नौटिघंम, यूनाइटेड किंगडम, एन 67-6 एच0एच0 9 पते पर भेजा था जो परिवादी के अनुसार समय से गंतव्य स्थान पर नहीं पहुंचा। अपीलार्थी डाक विभाग भी आश्वस्त नहीं है कि भेजा गया पार्सल सही पते पर प्राप्त किया गया या नहीं। अपील के प्रस्तर-ई से भी स्पष्ट है, जिसमें उसने यह अंकित किया है कि प्रश्नगत पार्सल Might have been delivered at the address mentioned by the respondent and the same must have been received by the addressee or anyone posing for him. इस प्रकार डाक विभाग जिसने पार्सल इंग्लैण्ड के पते पर भेजा उसे यह भी ज्ञात नहीं है कि पार्सल मिला या नहीं। अत: इस प्रकरण में डाक विभाग की लापरवाही स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। जहां तक धारा 6 इंडियन पोस्ट आफिस एक्ट का प्रश्न है, जिसके आधार पर अपीलार्थी का यह कथन है कि वह इस पार्सल में होने वाली किसी क्षति के लिए जिम्मेदार
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नहीं है इस प्रकरण में लागू नहीं होता है। स्पष्टतया उनके द्वारा इस प्रकरण में लापरवाही बरती गई और सेवा में कमी की गई, जिसके कारण पार्सल परिवादी द्वारा भेजा गया समय से प्राप्तकर्ता को नहीं मिला है। जिला मंच ने साक्ष्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए अपना निर्णय दिया है और क्षतिपूर्ति के रूप में रू. 1000/- परिवादी को प्रदान किया है और वाद व्यय के रूप में रू. 1000/- दिलाया है, जिसमें हम कोई हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं पाते हैं, जिला मंच का निर्णय पुष्टि किए जाने योग्य है। प्रस्तुत अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है तथा जिला फोरम द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 10.08.2011 की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चंद्र)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-4