(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या- 425/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या- 405/2010 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11-02-2019 के विरूद्ध)
रायल सुन्दरम जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0, नं०1 सेकेण्ड फ्लोर, सुब्रमणियम बिल्डिंग, क्लब हाउस रोड, चेन्नई 600002 द्वारा इट्स आफिस इंचार्ज
बनाम
- दिलीप तेवतिया पुत्र स्व० श्री नेत्रपाल निवासी- हाउस नं० ए-2, बसंन्त बिहार, जेल चुंगी मेरठ यू0पी0
- सुन्दरम फाइनेंस लि0 आफिस प्रथम तल, 81 डिफेन्स इन्क्लेव, विकास मार्ग न्यू दिल्ली।
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल
दिनांक : 10-11-2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी रायल सुन्दरम जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0, द्वारा विद्वान जिला आयोग मेरठ द्वारा परिवाद संख्या- 405/2010 दिलीप तेवतिया बनाम रायल सुन्दरम जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 व दो अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11-02-2019 के विरूद्ध इस आयोग के समक्ष योजित की गयी है।
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अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ट्रक संख्या– 15 जैड 9612 का पंजीकृत स्वामी था। प्रश्नगत ट्रक का बीमा विपक्षी संख्या-2 के माध्यम से विपक्षी संख्या-1 द्वारा प्रीमियम धनराशि अंकन 18,103/-रू० अदा करके दिनांक 13-06-2009 से दिनांक 12-06-2010 तक की अवधि हेतु बीमित धनराशि अंकन 9,00,000/-रू० के लिए बीमा कराया था। विपक्षी संख्या-2 द्वारा आश्वासन दिया गया था कि प्रश्नगत ट्रक के चोरी होने अथवा दुर्घटनाग्रस्त हो जाने की स्थिति में क्लेम दिलाने में सहयोग करेंगे। परिवादी के ट्रक में माल लेकर ट्रक चालक दिनांक- 24-09-2009 को मेरठ से जिला मथुरा गये थे। ट्रक खाली करके जब वापस आ रहे थे तभी होटल पर ट्रक खड़ा करके सो गये। जब सुबह देखा तो ट्रक गायब था। प्रश्नगत ट्रक गायब हो जाने की रिपोर्ट थाना मथुरा पर दर्ज करायी गयी तथा विपक्षीगण बीमा कम्पनी को भी सूचना दी गयी। परिवादी ने समस्त औपचारिकताएं पूर्ण की परन्तु विपक्षीगण द्वारा क्लेम का भुगतान नहीं किया गया तब विवश होकर परिवाद प्रस्तुत किया गया।
विपक्षीगण द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें परिवादी के प्रश्नगत ट्रक का बीमा विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहॉं दिनांक 13-06-2009 से दिनांक 12-06-2010 तक की अवधि हेतु किया जाना स्वीकार किया है। शेष कथन को अस्वीकार किया गया है। विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि वाद का कारण जनपद मेरठ में उत्पन्न नहीं हुआ है अत: जिला आयोग को प्रस्तुत वाद को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं प्राप्त है। परिवादी द्वारा चोरी की घटना की रिपोर्ट 13 दिन से अधिक विलम्ब से दर्ज करायी गयी है। अत: बीमा पालिसी की शर्त का उल्लंघन किया गया है।
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विपक्षी संख्या-3 की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर कहा गया है कि परिवादी ने प्रश्नगत ट्रक के लिए 11,49,000/-रू० का ऋण विपक्षी संख्या-3 फाइनेंस कम्पनी से लिया था जो 45 किस्तों में अदा किया जाना था। परिवादी ने 27 किस्तों का भुगतान देरी के साथ किया और शेष किस्तों का भुगतान नहीं किया। विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल उपस्थित हुए।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधि सम्मत नहीं है। परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को अत्यधिक विलम्ब से सूचना प्रदान की गयी जो कि बीमा पालिसी की शर्त का उल्लंघन है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी कथन है कि जिला आयोग मेरठ को परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि परिवाद झूठे कथनों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है जो निरस्त होने योग्य है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश विधि अनुकूल एवं उचित है जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
मेरे द्वारा उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्ताद्व्य के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का गहनता से परिशीलन किया गया तथा विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का भी अवलोकन किया गया।
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जिला आयोग ने अपने निष्कर्ष में अंकित किया है कि परिवादी का प्रश्नगत ट्रक विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहॉं 9,00,000/-रू० हेतु बीमित था अत: परिवादी प्रश्नगत ट्रक की बीमित धनराशि 09 प्रतिशत ब्याज सहित पाने का अधिकारी है साथ ही परिवादी 30,000/-रू० मानसिक कष्ट हेतु एवं 10,000/-रू० वाद व्यय भी पाने का अधिकारी है।
समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त यह स्पष्ट रूप से पाया गया कि परिवादी द्वारा अपने प्रश्नगत ट्रक की उचित देखभाल नहीं की गयी एवं ट्रक चोरी होने के उपरान्त विलम्ब से सूचना दर्ज करायी गयी। विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने उचित आधार पर परिवादी का क्लेम निरस्त किया है। परिवादी परिवाद-पत्र में कहे गये कथनों को साबित कर पाने में असफल रहा है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विपरीत है जो निरस्त किये जाने योग्य है तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11-02-2019 अपास्त किया जाता है।
अपील में उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
कृष्णा–आशु0 कोर्ट नं0 1