Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/333

Executive Engineer - Complainant(s)

Versus

Dilip Kumar Gupta - Opp.Party(s)

Mohan Agrwal

25 Apr 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/333
( Date of Filing : 14 Feb 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Executive Engineer
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Dilip Kumar Gupta
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 25 Apr 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-333/2008

एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, इलैक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन-I, लखीमपुर खीरी व दो अन्‍य

बनाम

दिलीप कुमार गुप्‍ता पुत्र स्‍व0 बद्री प्रसाद गुप्‍ता

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री मोहन अग्रवाल,  

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 25.04.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता          आयोग, लखीमपुर-खीरी द्वारा परिवाद संख्‍या-537/1998 दिलीप कुमार गुप्‍ता बनाम अधिशाषी अभियन्‍ता विद्युत वितरण खण्‍ड प्रथम, लखीमपुर-खीरी व दो अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.12.2007 के विरूद्ध योजित की गयी है। प्रस्‍तुत अपील विगत लगभग 16 वर्ष से लम्बित है।

मेरे द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री मोहन अग्रवाल को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा घरेलू विद्युत उपभोग के लिए 2 के0वी0ए0 का कनेक्‍शन लिया गया। विपक्षी द्वारा विद्युत सप्‍लाई के लिए परिवादी के इण्‍डस्‍ट्रीज परिसर में एक ट्रांसफार्मर लगाया गया, जिससे परिवादी को विद्युत प्राप्‍त  होती रही। मार्च 1996  में  उक्‍त  ट्रांसफार्मर  जल  गया,  जिससे

 

 

 

 

-2-

परिवादी की घरेलू उपयोग के लिए विद्युत सप्‍लाई बन्‍द हो गयी। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या-3 एस0आर0 अग्रवाल अवर अभियन्‍ता से व्‍यक्तिगत रूप से सम्‍पर्क कर ट्रांसफार्मर जल जाने की सूचना दी गयी तथा उसे बदलने का अनुरोध किया गया, साथ ही ट्रांसफार्मर के स्‍थान को भी बदलने का अनुरोध किया गया।

परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा परिवादी को लगभग एक वर्ष तक दौड़ाया गया, परन्‍तु ट्रांसफार्मर बदला नहीं गया तथा यह कि अत्‍यधिक अनुरोध करने पर कहा गया कि योजन सं0-314/12977 पर पुराना बिल बकाया है, जिसे जमा किया जावे व नया ट्रांसफार्मर बदलने का खर्चा 17 या 18 हजार रूपया बताया गया। परिवादी द्वारा बकाया बिल की जानकारी होने पर दिनांक 23.04.1997 को 4877/-रू0 जमा किया गया तथा खर्चा वहन करने को भी तैयार हो गया। विपक्षी द्वारा बिल जमा करने के बाद भी ट्रांसफार्मर बदला नहीं गया, जिस कारण परिवादी द्वारा दिनांक 02.05.1997 को विपक्षी संख्‍या-2 उप खण्‍ड अधिकारी को लिखित शिकायत पत्र भेजा तथा दिनांक 28.05.1997 व दिनांक 14.10.1997 को स्‍मरण पत्र प्रेषित किया, परन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी। तत्‍पश्‍चात् परिवादी द्वारा दिनांक 27.11.1997 को विपक्षी संख्‍या-1 अधिशाषी अभियन्‍ता को शिकायती प्रार्थना पत्र प्रेषित किया गया, जिनके द्वारा विपक्षी संख्‍या-2 व 3 को ट्रांसफार्मर अविलम्‍ब बदलने हेतु निर्देशित किया गया, परन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी।

परिवादी का कथन है कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या-1 को पुन: स्‍मरण पत्र दिनांक 24.12.1997 को प्रेषित किया गया। विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा प्रशासनिक दबाव में फरवरी 1998 के प्रथम सप्‍ताह में ट्रांसफार्मर तो बदला गया, परन्‍तु स्‍थान परिवर्तन नहीं किया गया, जिससे परिवादी की इण्‍डस्‍ट्रीज व उसकी सम्‍पत्ति को भविष्‍य में विद्युत प्रवाह होने पर गम्‍भीर खतरा  उत्‍पन्‍न  होने  की

 

 

 

-3-

सम्‍भावना बनी रही। मार्च 1996 से फरवरी 1998 तक ट्रांसफार्मर में कोई विद्युत प्रवाह नहीं हुआ, फिर भी विपक्षी द्वारा उक्‍त अवधि में मनमाने ढंग से विद्युत उपभोग के बिल भेजे गये तथा परिवादी पर 12,444/-रू0 का बकाया दर्शित करते हुए धमकी दी गयी तथा यह कि परिवादी विद्युत उपभोग से पूर्णत: वंचित रहा। इस प्रकार क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी को विद्युत आपूर्ति होती रही, परन्‍तु उसके द्वारा नियमित बिलों की अदायगी नहीं की गयी। परिवादी वर्ष 1997 तक बकायेदार था। परिवादी द्वारा दिनांक 23.04.1997 को 4877/-रू0 जमा करने के बाद भी परिवादी बकायेदार रहा तथा बकाये के आधार पर दिनांक 28.12.2001 को परिवादी का योजन वियोजित हुआ। परिवादी द्वारा ट्रांसफार्मर के स्‍थान परिवर्तन हेतु नियमानुसार कोई कार्यवाही नहीं की गयी। परिवादी द्वारा बकाया बिलों का भुगतान नहीं किया गया, इस कारण परिवादी का योजन वियोजित हुआ। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

''अत: यह‍ जिला उपभोक्‍ता संरक्षण फोरम लखीमपुर-खीरी विपक्षीगणों को आदेशित करता है कि वह आदेश के दिनांक से एक माह के अन्‍दर निम्‍नलिखित आदेशों का अनुपालन सु‍निश्चित करें:-

1- परिवादी को मार्च 1996 से फरवरी 1998 के मध्‍य की अवधि के भेजे गये विद्युत बिल जो मु0-12,444/-रू0 के हैं, को निरस्‍त करें।

 

 

 

 

-4-

2- परिवादी के इण्‍डस्‍ट्रीज परिसर में लगे हुये ट्रान्‍सफार्मर का स्‍थान परिवर्तन कर उचित स्‍थान पर स्‍थापित करें।

3- परिवादी को हुये शारीरिक और मानसिक कष्‍ट की क्षतिपू‍र्ति हेतु मु0-10,000/रू0 तथा वाद व्‍यय हेतु मु0-2000/रू0 का भुगतान किया जाये।

यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि क्षतिपूर्ति एवं वाद व्‍यय की धनराशि मु0 12,000/रू0 का भुगतान विपक्षी सं0-3 द्वारा व्‍यक्तिगत रूप से किया जायेगा।

आदेश का अनुपालन निर्धारित समयावधि में न किये जाने पर आदेशित धनराशि पर 9 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्‍याज के साथ निष्‍पादन की विधिसम्‍मत कार्यवाही सम्‍पन्‍न की जायेगी।''

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने तथा समस्‍त           तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता            आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण  करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता               आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, परन्‍तु मेरे विचार से जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा             जो शारीरिक और मानसिक कष्‍ट की क्षतिपूर्ति हेतु 10,000/-रू0 (दस हजार रूपये) की देयता निर्धारित की गयी है, उसे न्‍यायहित में कम कर 5,000/-रू0 (पॉंच हजार रूपये) किया जाना उचित है तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो वाद व्‍यय हेतु 2,000/-रू0 (दो हजार रूपये) की देयता निर्धारित की गयी है, उसे न्‍यायहित में कम कर 1,000/-रू0 (एक हजार रूपये) किया जाना उचित है, इसके साथ ही जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो आदेश का अनुपालन निर्धारित समयावधि में न किये जाने पर आदेशित धनराशि पर 09 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्‍याज की देयता  निर्धारित  की

 

 

 

 

-5-

गयी है, उसे न्‍यायहित में संशोधित करते हुए आदेशित धनराशि पर 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की देयता निर्धारित किया जाना उचित है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती              है तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग, लखीमपुर-खीरी द्वारा परिवाद संख्‍या-537/1998 दिलीप कुमार गुप्‍ता बनाम अधिशाषी अभियन्‍ता विद्युत वितरण खण्‍ड प्रथम, लखीमपुर-खीरी व दो अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.12.2007 को संशोधित करते हुए शारीरिक और मानसिक कष्‍ट की क्षतिपूर्ति हेतु 5,000/-रू0 (पॉंच हजार रूपये) तथा वाद व्‍यय हेतु 1,000/-रू0 (एक हजार रूपये) की देयता निर्धारित की जाती है। इसके साथ ही आदेशित/देय धनराशि पर जिला उपभोक्‍ता आयोग के निर्णय की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की देयता निर्धारित की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग का शेष आदेश यथावत् रहेगा।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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