Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/766

P N B - Complainant(s)

Versus

Digambar Jain - Opp.Party(s)

S M Bajpai

27 Jun 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/766
( Date of Filing : 05 May 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. P N B
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Digambar Jain
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 27 Jun 2024
Final Order / Judgement

                                                     (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-766/2010

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, ललितपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-103/2009 में पारित निणय/आदेश दिनांक 1.4.2010 के विरूद्ध)

 

पंजाब नेशनल बैंक, ब्रांच जखोरा, परगना तहसील व जिला ललितपुर द्वारा ब्रांच मैनेजर।

अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

दिगम्‍बर जैन अतिशय क्षेत्र प्रबंध समिति सेरोन, परगना तहसील व जिला ललितपुर, द्वारा सेक्रेटरी, श्री गुजाब चन्‍द्र जैन।

                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित        : श्री एस.एम. बाजपेयी के

सहायक श्री मनोज कुमार।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित         : श्री एस.के. वर्मा।

दिनांक:   27.06.2024  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-103/2009, दिगम्‍बर जैन अतिशय क्षेत्र प्रबंध समिति बनाम पंजाब नेशनल बैंक में विद्वान जिला आयोग, ललितपुर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 1.4.2010 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी बैंक को आदेशित किया है कि अंकन 64,692/-रू0 दिनांक 22.9.2009 से अदायगी की तिथि तक बचत खाते पर देय ब्‍याज के साथ भुगतान की जाए।

2.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी का विपक्षी बैंक में खाता संचालित है। परिवादी ने बैंक में 155 चेक जमा किए थे, जिसमें से 112 चेक क्‍लीयर होकर आए और उसकी राशि परिवादी के खाते में जमा हुई और 18 चेक क्‍लीयर न हो पाने के कारण मूल रूप से परिवादी को वापस कर दिए गए शेष 25 चेक की राशि परिवादी के खाते में जमा नहीं हुई और न ही चेक वापस किए गए। इन चेकों की कुल राशि का योग अंकन 64,692/-रू0 था। अत: इस राशि को प्राप्‍त करने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.         बैंक का कथन है कि परिवाद पत्र में वर्णित चेक राशि का भुगतान प्राप्‍त नहीं हुआ है, इसलिए परिवादी के खाते में राशि जमा नहीं हो सकी। अपीलार्थी द्वारा संबंधित बैंक को पत्र लिखे गए, परन्‍तु कोई जवाब नहीं दिया गया। विपक्षी के स्‍तर से परिवादी के प्रति सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।

4.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि चेक में वर्णित राशि अंकन 64,692/-रू0 परिवादी को ब्‍याज सहित अदा किया जाए।

5;         उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

6.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा बीमा क्‍लेम सुनिश्चित करने के लिए वांछित दस्‍तावेज उपलब्‍ध नहीं कराए गए। अवार्ड अत्‍यधिक उच्‍च दर से दिलाया गया है और क्षति का आंकलन साक्ष्‍य पर आधारित नहीं है।

7.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि परिवादी द्वारा 25 चेक की विस्‍तृत सूचना उपलब्‍ध नहीं कराई गई, जबकि प्रत्‍येक चेक की सूचना उपलब्‍ध कराना आवश्‍यक था। चेक जारी करने वाली तिथि का भी कोई उल्‍लेख नहीं किया गया। चेक जारी करने वाले बैंक शाखा का भी उल्‍लेख नहीं किया गया, इसलिए यह स्‍पष्‍ट नहीं हो सका कि चेक देय तिथि के पश्‍चात प्रस्‍तुत किए गए या पहले प्रस्‍तुत किए गए।

8.         परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में 155 चेक जमा करने पर 112 चेक की राशि क्‍लीयर होने और 18 चेक वापस करने का उल्‍लेख किया है, परन्‍तु जो चेक वापस नहीं किए गए, उन चेक के संबंध में विस्‍तृत विवरण अंकित नहीं किया गया। जैसे कि चेक जारी करने की तिथि, चेक जारी करने वाले बैंक शाखा का नाम, बैंक में चेक जमा करने की तिथि तक का कोई उल्‍लेख नहीं है। जिन व्‍यक्ति द्वारा चेक जारी किया गया है, वह राशि अभी भी उन व्‍यक्तियों के पास मौजूद है, क्‍योंकि चेक में वर्णित राशि का कभी भी संकलन नहीं हुआ है, इसलिए चेक राशि को परिवादी के खाते में जमा करने का आदेश विधि विरूद्ध है, जब तक चेक जारी करने वाली तिथि परिवाद पत्र में अंकित नहीं की जाती तब तक यह निर्णय देना संभव नहीं है कि परिवादी द्वारा चेक नियत अवधि के अंदर बैंक में प्रस्‍तुत किए गए, इसलिए बैंक के स्‍तर से सेवा में लापरवाही कारित होने के संबंध में निष्‍कर्ष देना संभव नहीं है। जिन व्‍यक्तियों द्वारा चेक प्रदान किए गए, उनसे चेक पुन: परिवादी द्वारा प्राप्‍त किए जा सकते हैं। यद्यपि बैंक द्वारा इस आशय का प्रमाण पत्र दिया जा सकता है कि जो 25 चेक जमा किए गए हैं, उसकी राशि की वसूली नहीं हो पायी है। उपरोक्‍त निर्देश के साथ प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

9.         प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा बैंक के विरूद्ध पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01.04.2010 अपास्‍त किया जाता है। यद्यपि अपीलार्थी बैंक से अपेक्षित है कि वह परिवादी को इस आशय का प्रमाण पत्र जारी करे कि जो 25 चेक जमा किए गए थे, उन चेकों में वर्णित राशि प्राप्‍त नहीं हुई है, इसलिए परिवादी के खाते में राशि जमा नहीं हो सकी। इस प्रमाण पत्र को प्राप्‍त करने के पश्‍चात परिवादी चेक जारी करने वाले व्‍यक्ति से पुन: चेक प्राप्‍त कर सकते हैं।

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

दिनांक  27.06.2024

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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