जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 203/14
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
श्रीमती कल्पना देवी पत्नी श्री सूर्यकांत उम्र 45 साल जाति महाजन निवासी राणी सती रोड़ शीतला गली, वार्ड नम्बर 39 झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज.) प्रोपराईटर मोबाइल कैफे सोनू मोनू काॅम्पलेक्स के सामने, स्टेषन रोड़, झुंझुनू। - परिवादिया
बनाम0
प्रबंधक, दि ओरिएंटल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, शाखा कार्यालय स्टेषन रोड़, झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज.) - विपक्षी
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री इकरार अली, अधिवक्ता - परिवादिया की ओर से।
2. श्री कमलेष़, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।
- निर्णय - दिनांकः 16.03.2016
परिवादिया ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 09.04.2014 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादिया ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादिया ने कस्बा झुंझुनू में मोबाईल कैफे के नाम से मोबाइलों की दुकान कर रखी है। परिवादिया ने दिनांक 23.08.2012 को विपक्षी बीमा कम्पनी को सभी प्रकार के मोबाइलों व उनकी एसेसरिज की बीमा करवाई थी, जिसकी अवधि दिनांक 23.08.2012 से 22.08.213 तक थी। इस प्रकार परिवादिया, विपक्षी की उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादिया का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादिया की मोबाईल कैफे में दिनांक 30.03.2013 की रात्रि को चोरी हो गई। जिसकी पुलिस थाना, कोतवाली झुंझुनू में लिखित रिपोर्ट पेष की, जिस पर प्रथम सूचना 96/13 दर्ज की गई। परिवादिया ने विपक्षी बीमा कम्पनी को भी चोरी के संबंध दिनांक 31.03.2013 को ही सूचना दे दी । पुलिस ने बाद जांच एफ.आर. दिनांक 07.06.2013 को न्यायालय में पेष की, न्यायालय द्वारा उक्त एफ.आर. स्वीकार की गई। परिवादिया ने विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां उक्त चोरी हुये सामान के लिये 6,56,678.59 रूपये का क्लेम दावा पेष किया। परिवादिया ने विपक्षी द्वारा वांछित समस्त दस्तावेजात उपलब्ध करवा दिये। विपक्षी ने परिवादिया को दिनांक 23.05.2013 को एक नोटिस भेजकर पुनः दस्तावेजात की मांग की, जिस पर परिवादिया ने विपक्षी को समस्त दस्तावेजात उपलब्ध करवा दिये परन्तु विपक्षी द्वारा क्लेम का निस्तारण नहीं कर दिनांक 24.06.2013 को पुनः दस्तावेजात की मांग की गई। परिवादिया ने पुनः मांग किये गये दस्तावेजात भी विपक्षी को उपलब्ध करवा दिये परन्तु परिवादिया को चोरी हुये सामान के क्लेम पेटे वांछित राषि नहीं दी गई बल्कि विपक्षी ने कहा कि आपके चोरी हुये सामान के 1,75,000/-रूपये बनते हैं, जो विपक्षी देने को तैयार हैं अन्यथा परिवादिया की पत्रावली बंद करदी जावेगी। परिवादिया द्वारा बार-बार चोरी हुये सामान के अनुसार क्लेम पास करने हेतु निवेदन किया गया परन्तु विपक्षी ने स्पष्ट रूप से इन्कार कर दिया। इस प्रकार विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादिया ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार कर विपक्षी से चोरी हुये सामान की क्लेम राषि 6,56,678.59 रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया है।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादिया की दुकान का बीमा दिनांक 23.08.2012 से 22.08.2013 तक के लिये 10,00,000/-रूपये (दस लाख रूपये) तक के नुकसान के लिये किया जाना स्वीकार करते हुये कथन किया है कि परिवादिया द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को 90 मोबाईल चोरी की घटना के बाबत सूचित किये जाने पर विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा श्री विजय कुमार जानू सर्वेयर एण्ड लोस एसेसर को नियुक्त किया। सर्वेयर द्वारा अपनी रिपोर्ट परिवादिया द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजात के साथ कम्पनी में पेष करने पर कम्पनी द्वारा बापना राजेष एण्ड कम्पनी चार्टेट अकाउंटेन्ट्स सर्वेयर एण्ड लोस एसेसर,IRDA में विषेष योग्यता प्राप्त लाइसेंसषुदा स्वतंत्र कम्पनी है, जिसे सम्पूर्ण जांच कर परिवादिया को उक्त Burglary में हुये नुकसान का आंकलन कर रिपोर्ट पेष करने हेतु नियुक्त किया, जिसने गहनता से परिवादिया के पूरे अकाउंट क्रय विक्रय बिल, वेट बिल व परिवादिया द्वारा पुलिस में पेष की गई आई एम ई आई नम्बर की सूची आदि की जांच कर रिपोर्ट दिनांक 11.10.2013 को कम्पनी में पेष की। परिवादिया ने 98 मोबाइल चोरी होना एफ.आई.आर. में अंकित किया जबकि आई एम ई आई की सूची में 22 मोबाइलों की सूचना चाही व मोबाइल खरीद बिल 20 मोबाइलों का पेष हुआ। इसी प्रकार अन्य सामान की स्थिति रही, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट जवाब के साथ पेष की है। सर्वेयर एण्ड लोस एसेसर की रिपोर्ट केे अनुसार कुल लोस 2,65,975/-रूपये माना व हानि के समय पर्याप्त बीमा राषि नहीं होने के कारण दस लाख के अनुपात में हानि का आंकलन एवरेज लोस से 2,33,339/-रूपये माना गया जिसमें से 25 प्रतिषत नोन स्टेण्डर्ड डिडक्षन करने के बाद शुद्ध भुगतान योग्य राषि 1,75,004/-रूपये माना गया। बीमा कम्पनी सर्वेयर एण्ड लोस एसेसर की रिपोर्ट से ज्यादा अदायगी नहीं कर सकती। उक्त राषि का भुगतान करने हेतु कम्पनी तत्पर रही तथा बार-बार परिवादिया को नोटिस जारी किये परन्तु परिवादिया भुगतान प्राप्त नहीं करना चाहती है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादिया का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादिया की मोबाईल कैफे में दिनांक 30.03.2013 की रात्रि को चोरी हो गई। परिवादिया की दुकान का बीमा दिनांक 23.08.2012 से 22.08.2013 तक के लिये 10,00,000/-रूपये (दस लाख रूपये) तक के नुकसान के लिये किया गया था। उक्त मोबाईल चोरी बीमा अविध में हुई है।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादिया द्वारा अपने मोबाइल कैफे में चोरी के संबंध में पुलिस थाना, कोतवाली झुंझुनू में लिखित रिपोर्ट पेष की, जिस पर प्रथम सूचना 96/13 दर्ज हुई । परिवादिया ने विपक्षी बीमा कम्पनी को भी चोरी के संबंध दिनांक 31.03.2013 को ही सूचना दी । परिवादिया की सूचना के क्रम में विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा श्री विजय कुमार जानू सर्वेयर एण्ड लोस एसेसर को नियुक्त किया। सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में परिवादिया द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजात को कम्पनी के यहां अपनी रिपोर्ट के साथ पेष किया। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त बापना राजेष एण्ड कम्पनी चार्टेट अकाउंटेन्ट्स सर्वेयर एण्ड लोस एसेसर ने गहनता से परिवादिया के पूरे अकाउंट क्रय विक्रय बिल, वेट बिल व परिवादिया द्वारा पुलिस में पेष की गई आई एम ई आई नम्बर की सूची आदि का सम्पूर्ण जांच कर परिवादिया को उक्त Burglary में हुये नुकसान का आंकलन कर दिनांक 11.10.2013 को विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां अपनी रिपोर्ट पेष की। सर्वेयर एण्ड लोस एसेसर की रिपोर्ट केे अनुसार स्पष्ट रूप से कुल लोस 2,65,975/-रूपये माना है, लेकिन जो कटौति करके शुद्ध भुगतान योग्य राषि 1,75,004/-रूपये बताई गई है, वह सन्दीग्धपूर्ण व त्रुटिपूर्ण होने पर विष्वास किये जाने योग्य नहीं है। बीमा पालिसी की किसी भी शर्त का उल्लंघन हुआ हो, विपक्षी बीमा कम्पनी साबित करने में असफल रही है, उसके बावजूद सर्वेयर द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर जब कुल लोस 2,65,975/-रूपये माना गया है, तो उसमें से कटौती किस आधार पर की गई है, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से पेष नहीं किया गया है। विपक्षी बीमा कम्पनी की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं होने पर विपक्षी बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति के उतरदायित्व से विमुख नहीं हो सकतीै।
हमारे द्वारा सर्वे रिपोर्ट के संबंध में निम्न न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया:-
I (2013) CPJ 440 (NC)- ANKUR SURANA VS. UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD. & ORS, II (2014) CPJ 593 (NC)- MURLI COLD STORAGE LIMITED VS ORIENTAL INSURANCE CO. LTD & ANR., I (2013) CPJ 40B (NC) (CN)- MANJULA DAS VS ASHOK LEYLAND FINANCE LTD & ANR.
उक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किये हंै, उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायदृष्टांतों में सर्वे रिपोर्ट को ही महत्व दिया है। अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादिया को 2,65,975/-रूपये दुकान में हुई चोरी की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादिया का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी बीमा कम्पनी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादिया विपक्षी बीमा कम्पनी से 2,65,975/-रूपये (अक्षरे रूपये दो लाख पैंसठ हजार नौ सौ पचहतर) बीमा क्लेम राषि बतौर क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने की अधिकारी है। परिवादिया उक्त क्लेम राषि पर विपक्षी से संस्थित परिवादपत्र दिनांक 09.04.2014 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 16.03.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।