Uttar Pradesh

StateCommission

A/1030/2015

Sanjivani Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Dhurendra Singh - Opp.Party(s)

Amit Shukla

26 Jul 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1030/2015
(Arisen out of Order Dated 28/04/2015 in Case No. C/178/2013 of District Bulandshahr)
 
1. Sanjivani Cold Storage
Bulandshahr
...........Appellant(s)
Versus
1. Dhurendra Singh
Bulandshahr
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Bal Kumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 26 Jul 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखन

अपील संख्‍या-1030/2015

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, बुलन्‍दशहर द्वारा परिवाद संख्‍या-178/2013 में पारित आदेश दिनांक 28.04.2015 के विरूद्ध)

 

प्रबन्‍धक मैसर्स संजीवनी कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आईस फैक्‍ट्री, रानऊ डा0 शिकारपुर जनपद बुलन्‍दशहर।             

                                                             अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्

धुरेन्‍द्र सिंह पुत्र श्री जितेन्‍द्र प्रताप सिंह निवासी ग्राम नंगला दलपतपुर डा0 करौरा जिला बुलन्‍दशहर।..

                                 प्रत्‍यर्थी/परिवादी.

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान,  अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी,             सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :    श्री अमित शुक्‍ला।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   :   श्री सुशील कुमार शर्मा।

 

दिनांक : 24-08-2016

माननीय श्रीमती बाल कुमारी सदस्‍य द्वारा उदघोषित निर्णय

 

     परिवाद संख्‍या-178/2013 धुरेन्‍द्र सिंह बनाम् प्रबन्‍धक मैसर्स संजीवनी कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आईस फैक्‍ट्री में जिला फोरम, बुलन्‍दशहर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 28.04.2015 के विरूद्ध यह अपील अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत की गयी है। विवादित निर्णय इस प्रकार है :-

     ''परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी को इस निर्णय की तिथि से 30 दिन के अंदर मु0 99,000/-रू0 आलू के नुकसान के मद में बतौर क्षतिपूर्ति मय 6 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज दावा दायर करने की तिथि से तायोम अदायगी तथा 2000/-रू0 बतौर वाद व्‍यय अदा करें।

 

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     संक्षेप में इस केस के सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी के कोल्‍डस्‍टोरेज में दिनांक 22-02-2013 को 99 बोरी यानि 49 कुन्‍टल 50 किलोग्राम तथा दिनांक 31-03-2013 को 77 बोरी यानि 38 कुन्‍तल 50 किलोग्राम आलू का भंडारण किया था। इस प्रकार परिवादीने कुल 176 बोरी आलू विपक्षी के यहॉं भण्‍डारित किया। परिवादी अपने भण्‍डारित किये गये आलू को निकालने के लिए दिनांक 02-10-2013 व दिनांक 03-10-2013 को विपक्षी के यहॉं गया जिस पर उसने 4-5 दिन के बाद आने के लिए कहा। परिवादी इसके बाद दिनांक 07-10-2013 को विपक्षी के यहॉं गया जिस पर विपक्षी ने आलू देने से मना कर दिया और कहा कि उसका कोल्‍डस्‍टोरेज बैठ गया है जिसके कारण उसका आलू खराब हो गया है और वह उसको कहीं से आलू खरीद कर दे देगा। दिनांक 24-10-2013 को परिवादी पुन: विपक्षी के यहॉं आलू लेने गया लेकिन विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। परिवादी ने अपने खेत की बुवाई हेतु अन्‍य जगह से 1050/-रू0 प्रति बोरी के हिसाब से 176 बोरी आलू मु0 1,84,000/-रू0 में क्रय किया। परिवादी ने इस संबंध में विपक्षी को दिनांक 28-10-2013 को नोटिस भी दिया जिसका कोई जवाब विपक्षी द्वारा नहीं दिया गया। इस प्रकार परिवादी का आलू विपक्षी की लापरवाही के कारण खराब हुआ। इसलिए परिवादी को मजबूरन परिवाद विपक्षी के विरूद्ध प्रस्‍तुत करना पड़ा।

     विपक्षी ने अपने प्रतिवाद पत्र में परिवादी के कथनों का खण्‍डन करते हुए कहा है कि परिवादी ने जो 99 बोरी आलू उत्‍तरदाता विपक्षी के कोल्‍डस्‍टोरेज में दिनांक 22-02-213 एवं 77 बोरी आलू दिनांक 31-03-2013 को रखे थे वह आलू बीज दागी, मिट्टी लगा व भीगा हुआ था जो उसी के रिस्‍क पर भण्‍डारित किया गया था। परिवादी उत्‍तरदाता के संस्‍थान पर

 

3

अपना आलू लेने के लिए नहीं आया। विपक्षी ने कभी भी परिवादी से कोल्‍ड स्‍टोरेज बैठने या खराब होनेकी बात नहीं कही है और न ही आलू बीज खरीदकर देने के लिए कहा। उत्‍तरदाता विपक्षी द्वारा कोल्‍डस्‍टोरेज का रख-रखाव आधुनिक सुविधा जनरेटर व बिजली से किया जाता है। परिवादी जब दिनांक 24-10-2013 को अपना आलू लेने उत्‍तरदाता विपक्षी के यहॉं आया और उसका आलू निकलवाया तो उस समय तक परिवादी के आलू में 10 से 15 प्रतिशत तक की क्षति हो गयी थी जिसको उसने नहीं उठाया और नाजायज कीमत मांगने लगा। इस प्रकार परिवादी की स्‍वयं की लापरवाही के कारण उसका आलू क्षतिग्रस्‍त हुआ है जिसके लिए वह कोई क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। उत्‍तरदाता विपक्षी द्वारा परिवादी को बार-बार सूचना देने पर भी उसने अपना आलू नहीं उठाया इसलिए उत्‍तरदाता विपक्षी ने नवम्‍बर माह के प्रथम सप्‍ताह में परिवादी का आलू लेवर द्वारा कोल्‍ड स्‍टोरेज से बाहर निकलवा दिया। विपक्षी का परिवादी से मु0 110/-रू0 प्रति बोरी के हिसाब से किराया तय हुआ था। इस प्रकार परिवादी विपक्षी से कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं ह। इस परिस्थितियों में प्रस्‍तुत परिवादी विपक्षी के विरूद्ध सव्‍यय निरस्‍त होने योग्‍य है।

     पीठ के समक्ष अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री अमित शुक्‍ला तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित आए।

     हमने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क सुने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं आक्षेपित निर्णय और आदेश का अवलोकन किया है।

    

 

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     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी का आलू निकालते समय मात्र 10 से 15 प्रतिशत की ही क्षति हुई थी, परिवादी/प्रत्‍यर्थी खुद ही अपना आलू उठाने नहीं आया इसलिए नवम्‍बर के प्रथम सप्‍ताह में परिवादी का आलू लेवर द्वारा कोल्‍ड स्‍टोरेज से बाहर निकलवा दिया और परिवादी ने 110/-रू0 प्रति बोरे के हिसाब से किराया भी नहीं दिया इसलिए अपील स्‍वीकार कर जिला फोरम के आदेश को निरस्‍त किया जाए।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में 176 बोरे आलू बीज के लिए रखे गये थे, परिवादी जब आलू लेनेगया तो आलू खराब था। परिवादी ने सही आलू की मांग की किन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी ने उसे कोई आलू नहीं दिया और परिवादी को बीज का आलू दूसरी जगह से खरीदना पड़ा। जिला फोरम ने अपने विवेक से जो कीमत व क्षति दिलायी है वह उचित है इसलिए अपील निरस्‍त कर जिला फोरम के आदेश की पुष्टि की जाए।

     पत्रावली का परिशीलन यह दर्शाता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने विपक्षी/अपीलार्थी  के कोल्‍ड स्‍टोरेज में 176 बोरे आलू बीज के लिए रखे थे यह तथ्‍य उभयपक्ष को स्‍वीकार है। आलू परिवादी/प्रत्‍यर्थी को वापस नहीं मिला यह भी दोनों पक्षों को स्‍वीकार है। अपीलार्थी/विपक्षी के अनुसार 10 से 15 प्रतिशत ही आलू खराब था अत: 85 से 90 प्रतिशत आलू ठीक था और बीज का था। जो विपक्षी/अपीलार्थी के कथनानुसार बाहर रख दिया गया था। अत: परिवादी/प्रत्‍यर्थी के पास  आलू नहीं पहुँचा अर्थात आलू परिवादी को नहीं मिला। परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने 1000/-रू0 प्रति बैग के हिसाब से आलू की कीमत अदा की है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने 176 बोरे आलू विपक्षी/अपीलार्थी के

 

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कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा था और जिला फोरम ने दोनों पक्षों के कथनों पर विचार करते हुए 99 बोरे आलू की कीमत 99,000/-रू0 अदा करने का विपक्षी को आदेश दिया है जो कि न्‍यायोचित है। जिला फोरम ने सभी तथ्‍यों व साक्ष्‍यों पर विचार करते हुए विधि अनुरूप आदेश पारित किया है जिसमें हस्‍तक्षेप की कोई आवश्‍यकता नहीं है। तद्नुसार अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

                         आदेश

     अपील निरस्‍त की जाती है। जिला उपभोक्‍ता फोरम, बुलन्‍दशहर द्वारा परिवाद संख्‍या-178/2013 में पारित आदेश दिनांक 28.04.2015 की पुष्टि की जाती है। उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                  (बाल कुमारी)

       अध्‍यक्ष                                 सदस्‍य

कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Bal Kumari]
MEMBER

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