राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-359/2003
(जिला उपभोक्ता फोरम, फर्रूखाबाद द्वारा परिवाद संख्या-138/97 में पारित निर्णय दिनांक 30.11.2002 के विरूद्ध)
मैनेजर छिबरामऊ कोल्ड स्टोरेज, जी0टी0 रोड, छिबरामऊ जिला
फर्रूखाबाद। ...........अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम
ध्रुव पाल सिंह पुत्र विजय बहादुर निवासी असालयाबाद, पोस्ट खास
परगना एण्ड तहसील छिबरामऊ जिला फर्रूखाबाद। .......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री काशी नाथ शुक्ला, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 04.08.2021
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 138/1997 ध्रुव पाल सिंह बनाम प्रबंधक छिबरामऊ कोल्ड स्टोरेज में पारित निर्णय/आदेश दि. 30.11.2002 के विरूद्ध अपील प्रस्तुत की गई है, जिसके द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए अंकन रू. 7200/- बतौर क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश विपक्षी/अपीलार्थी को दिया गया है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने 28 बोरा आलू विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में भंडारण किया था। यह आलू विनष्ट हो गया, इसलिए अंकन रू. 30000/- की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
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3. विपक्षी का कथन है कि आलू विनष्ट होने में उनका कोई दायित्व नहीं है। विपक्षी ने परिवादी को आलू ले जाने के लिए कहा था, परन्तु वह स्वयं आलू ले जाने नहीं आया।
4. दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी 3 रूपये प्रति किलो की दर से 28 बोरा आलू 24 कुन्तल आलू की क्षति के लिए अंकन रू. 7200/- प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
5. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश तथ्य एवं विधि के विपरीत है। विपक्षी द्वारा लिए गए तर्कों को विचार में नहीं लिया गया। स्वयं अपीलार्थी द्वारा यह अनुरोध किया गया था कि परिवादी अपना आलू उठा ले, क्योंकि स्वयं उसने विकृत आलू कोल्ड स्टोरेज में रखा था। दिनांक 19.11.96 को पंजीकृत पत्र इस आशय का प्रेषित किया गया। वर्ष 1996 में आलू की कीमत 40 रूपये प्रति कुन्तल थी। परिवादी द्वारा भंडारण शुल्क जमा किया जाना था, इसलिए उसने आलू प्राप्त नहीं किया। अपीलार्थी हमेशा आलू की डिलीवरी अदा करने के लिए तत्पर रहा।
6. केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गई। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
7. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि स्वयं परिवादी ने खराब आलू उनके कोल्ड स्टोरेज में रखा। इस आलू को उठाने के लिए कहा गया। आलू की कीमत कम थी, इसलिए स्वयं परिवादी ने आलू नहीं उठाया, जबकि उसे भंडारण शुल्क भी जमा करना था। स्वयं अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क से साबित है कि अपीलार्थी को यह दायित्व स्वीकार है
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कि परिवादी द्वारा 28 बोरा आलू उनके कोल्ड स्टोरेज में रखा गया। यह आलू खराब स्थिति में थी या अच्छी स्थिति में थी यह बिन्दु उसी समय विचार में लिया जाना चाहिए था, जब आलू कोल्ड स्टोरेज में रखा गया था। दिनांक 19.11.96 का पत्र कोल्ड स्टोरेज की ओर से परिवादी को लिखा गया, जिसमें उल्लेख है कि आपके द्वारा आलू का एक लाट नहीं उठाया गया। इस पत्र में उल्लेख नहीं है कि परिवादी द्वारा विकृत आलू कोल्ड स्टोरेज में रखा गया, अत: इस तर्क में कोई बल प्रतीत नहीं होता है कि विकृत तरीके का आलू कोल्ड स्टोरेज में रखा गया था। जिला उपभोक्ता मंच ने तत्समय प्रचलित न्यूनतम बाजार भाव के अनुसार ही एक मामूली राशि के भुगतान का आदेश दिया है। इस निर्णय व आदेश में कोई हस्तक्षेप उचित/विधिसम्मत प्रतीत नहीं होता है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील-व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (विकास सक्सेना) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-3