Uttar Pradesh

StateCommission

A/2069/2023

Himanshu Dev Tiwari - Complainant(s)

Versus

Dhiraj Enterprises & Other - Opp.Party(s)

Satya Prakash Pandey, Anushka Chaturvedi & Dr. Madan Lal Jaiswal

09 Aug 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2069/2023
( Date of Filing : 27 Dec 2023 )
(Arisen out of Order Dated 10/11/2023 in Case No. Complaint Case No. CC/44/2020 of District Balrampur)
 
1. Himanshu Dev Tiwari
R/O Village-Dhushah, Post & Dist.- Balrampur
...........Appellant(s)
Versus
1. Dhiraj Enterprises & Other
Naushhara, Station Road, Balrampur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 09 Aug 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-2069/2023

हिमांशु देव तिवारी पुत्र श्री सच्चिदानन्‍द

बनाम

प्रोपराइटर धीरज इण्‍टर प्राइजेज व एक अन्‍य

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री सत्‍य प्रकाश पाण्‍डेय

प्रत्‍यर्थीगण के अधिवक्‍ता        : कोई नहीं।

दिनांक :- 09.8.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी/परिवादी श्री हिमांशु देव तिवारी द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, बलरामपुर द्वारा परिवाद सं0-44/2020 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.11.2023 के विरूद्ध प्रश्‍नगत आदेश को संशोधित किये जाने हेतु योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 के प्रतिष्ठान से दिनांक 01.9.2018 को जीवकोपार्जन हेतु एक ई-रिक्शा रू0 1,35,000.00 का भुगतान कर क्रय किया गया था, जिसका पंजीयन क्रमांक यू.पी. 47 टी.4053 है। जिसे प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 ने बजाज एलियान्ज जनरल इन्श्योरेन्श कम्पनी लिमिटेड द्वारा दिनांक 07.09.2018 से 06.09.2019 तक की अवधि हेतु बीमित कराया था। बाद में ज्ञात हुआ कि उक्त ई-रिक्शा में लगी एक्साइड कम्पनी की बैट्रियां खराब थी जिसे एक्‍साइड कम्‍पनी उपलब्ध कराती थी। जिन बैट्रियों की वारण्टी क्रय तिथि से 06 माह तथा ई-रिक्शा की बाड़ी व चेचिस की वारण्टी 01 साल थी। ई-रिक्शा खरीदने के 25-30 दिन में ही बैट्री खराब होने लगी। लगभग डेढ़ माह

-2-

में चारों बैट्रियां पूर्णतया खराब हो गयी। फुल चार्जिंग पर 8-10 कि०मी० ही चलती थी, जिसकी शिकायत अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 से करके बैट्री बदलने की बात कही।

परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि  नवम्बर के तीसरे सप्ताह में अपीलार्थी/परिवादी व प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 ने चारों बैट्रियां जिनका क्रमांक क्रमशः A3F8D014142 व Type ZSCO-ERFLPLUS100L, A3F8B011571, व Type ZSCO-ERFLPLUS100L, A3F8B011572, व Type ZSCO-ERFLPLUS100L, A3F8D014389, व Type ZSCO-ERFLPLUS100L, प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 के प्रतिष्ठान पर बदलने हेतु जमा किया, जिन्हे प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 ने अपीलार्थी/परिवादी को दिनांक 05.12.2018 को यह कहकर वापस कर दिया कि बैट्री एकदम ठीक है तथा बैट्री की चार्जिग क्षमता भी दुरुस्त है। तब उक्त्त बैट्रियों को अपीलार्थी/परिवादी अपने ई-रिक्शा में लगवाकर वापस लाया और 12-13 कि०मी० चलने पर ही चारों बैट्रियां बैठ गई तब अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 से पुनः शिकायत की गई तो प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 ने कहा कि बैट्री की वारण्टी एक्साइड कम्‍पनी की है केवल रिक्शे की बाड़ी व चेचिस की जिम्मेदारी ही प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 कम्पनी की है। तदोपरांत अपीलार्थी/परिवादी उक्त बैट्रियों को बदलने हेतु विपक्षीगण से कई बार मिला, किन्तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।  

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से नोटिस तामीला के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही उनकी ओर से कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया अत्एव जिला

 

-3-

उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से अग्रसारित की गई।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवादी के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद हाजा आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए जरिये डिक्री विपक्षी सं0-1 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी के ई-रिक्शे उपरोक्त में लगी सभी खराब बैट्रियों को वापस लेकर उक्त के स्थान पर नई बैट्रियां लगवाकर परिवादी को सन्तुष्ट करे। यदि यह सम्भव न हो तो उक्त चारों बैट्रियों का मूल्य मय सर्विस चार्ज मु० 35,000.00 तथा वाद व्यय के रूप में मु० 6000.00 रू० एवं मानसिक व शारीरिक कष्ट के रूप में मु0 5000.00 रु० अन्दर दो माह परिवादी को अदा करे। चूंकि परिवादी का कोई सीधा सम्बन्ध विपक्षी सं0-2 के साथ नहीं पाया जाता अतः विपक्षी सं0-2 के प्रसार तक परिवाद खारिज किया जाता है। परिवादी अपने व्यय पर इस निर्णय की प्रति अनुपालनार्थ शीघ्रातिशीघ्र विपक्षी सं0-1 को प्रेषित करे। बाद आवश्यक कार्यवाही पत्रावली अभिलेखागार में संचित हो।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी की ओर से अनुतोष में अभिवृद्धि हेतु अपील प्रस्‍तुत की गई है।  

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 पाण्‍डेय द्वारा कथन किया गया कि यद्यपि परिवाद को विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवादी के पक्ष में निर्णीत किया गया है, परन्‍तु प्रश्‍नगत निर्णय को पारित करते समय डिक्रीटल धनराशि पर ब्‍याज की देयता सुनिश्चित नहीं की गई है।

-4-

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुनने के पश्‍चात तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों पर विचार करने के उपरांत जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है वह पूर्णत: विधि सम्‍मत है एवं विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित जो अनुतोष अपने प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश में अपीलार्थी/परिवादी को प्रदान किया गया है, वह उचित एवं न्‍यायसंगत है, उसमे उसमें किसी प्रकार की कोई बढोत्‍तरी अथवा संशोधन किये जाने का कोई पर्याप्‍त एवं उचित आधार नहीं पाया जाता है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

   

 

                          (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                

                                           अध्‍यक्ष                                                                                                                        

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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