(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-373/2017
अनिल कुमार गुप्ता, मकान नं0-225/1, मोहल्ला मुन्नालाल इन्दिरा नगर, मवाना, मेरठ।
परिवादी
बनाम
1. डीएचएफएल प्रमेरिका लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, रजिस्टर्ड आफिस चतुर्थ तल, बिल्डिंग नं0-9बी, साइबर सिटी, डीएलएफ फेस-III, गुरगांव, हरियाणा-122002 द्वारा अथराइज्ड सिग्नेचरी।
2. आधार हाउसिंग फाइनेन्स लिमिटेड, आफिस प्रथम तल, आर्यन स्क्वायर, निकट पीवीएस माल, योजना नं0-3, आई.एस. 190, शास्त्री नगर, मेरठ, उत्तर प्रदेश 250002 द्वारा अथराइज्ड सिग्नेचरी।
विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री प्रशांत कुमार, विद्वान अधिवक्ता के
सहायक अधिवक्ता श्री देवेश श्रीवास्तव।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 06.01.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, विपक्षीगण बीमा कंपनी के विरूद्ध अंकन 26,13,919/- रूपये 18 प्रतिशत ब्याज सहित प्राप्त करने के लिए, मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 1,50,000/- रूपये प्राप्त करने के लिए तथा अंकन 55 हजार रूपये परिवाद व्यय प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी की पत्नी श्रीमती अर्चना गुप्ता द्वारा अंकन 25 लाख रूपये ऋण प्राप्त करने के लिए अनुरोध किया गया। विपक्षी संख्या-1 द्वारा ऋण की पूर्व शर्त के अनुसार बीमा कराने के लिए कहा गया। तदनुसार अंकन 26,13,919/- रूपये का ऋण स्वीकृत किया गया, जिसका भुगतान 15 वर्ष में 180 मासिक किस्तों में होना है। ऋण्ा जारी करने के पश्चात बीमा पालिसी जारी की गई, जो दिनांक 31.12.2015 से लेकर ऋण के भुगतान तक प्रभावी थी। परिवादी की पत्नी द्वारा नियमित रूप से किस्तों का भुगतान किया गया। दुर्भाग्य से दिनांक 17.01.2017 को परिवादी की पत्नी की मृत्यु हो गई। परिवादी नॉमिनी है, उसके द्वारा बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया तथा बकाया ऋण अदा करने का अनुरोध किया गया, परन्तु बीमा क्लेम अदा नहीं किया गया और केवल 86,991/- रूपये का भुगतान किया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत करते हुए उपरोक्त वर्णित अनुतोष की मांग की गई।
3. परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा संलग्नक संख्या-1 लगायत 6 प्रस्तुत किए गए।
4. विपक्षी संख्या-1 एवं 2 द्वारा प्रस्तुत लिखित कथन में यह कथन किया गया कि परिवादी द्वारा असत्य दुर्भावनापूर्ण परिवाद प्रस्तुत किया गया है और ऐसा केवल अनुचित तरीके से धन अर्जित करने के उद्देश्य से किया गया है। गुड़गांव (गुरूग्राम) से बीमा पालिसी जारी की गई है, इसलिए इस आयोग के समक्ष उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। बीमा प्रस्ताव का आवेदन भरते समय सभी आवश्यक सूचनाएं देनी होती हैं। दुर्व्यपदेशन करते हुए बीमा पालिसी प्राप्त की गई, इसलिए बीमा संविदा शून्य है। मृतक को बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व से ही कैन्सर की बीमारी थी, परन्तु इस तथ्य को छिपाया गया। इस सूचना को छिपाने के आधार पर बीमा क्लेम वैधानिक रूप से अस्वीकार किया गया है, इसलिए विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। बीमा पालिसी जारी करने के पश्चात IRDA की शर्तों के अनुसार कोई आपत्ति नहीं की गई।
5. लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र तथा संलग्नक संख्या-1 लगायत 5 प्रस्तुत किए गए।
6. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रशांत कुमार के सहायक अधिवक्ता श्री देवेश श्रीवास्तव उपस्थित आए। विपक्षीगण की ओर से बहस करने के लिए कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: केवल परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।
7. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि बीमा प्रस्ताव भरते समय मृतक/बीमाधारिका बीमार नहीं थीं। बीमारी के किसी तथ्य को नहीं छिपाया गया।
8. विपक्षीगण का यह कथन है कि बीमा प्रस्ताव भरने के 04 वर्ष पूर्व से ही बीमाधारिका कैन्सर से पीडित थी। Valentis Cancer Hospital, मेरठ में इलाज चल रहा था। इसी अस्पताल में दिनांक 17.01.2017 को उनकी मृत्यु हुई है। मैक्स हॉस्पिटल, पड़पड़गंज तथा जीटीबी हॉस्पिटल में भी कैन्सर का इलाज हुआ है। विपक्षीगण द्वारा बीमारी छिपाने के बिन्दु पर जो साक्ष्य प्रस्तुत की गई है, उनमे से प्रथम साक्ष्य धर्मशिला हॉस्पिटल के अभिलेख से संबंधित है, यह दस्तावेज संलग्नक संख्या-4 के साथ संलग्न किया गया है। यह संलग्नक Death Claim Investigation Report है। इस दस्तावेज के अनुसार श्रीमती अर्चना गुप्ता दिनांक 14.10.2015 को भर्ती हुई। इस दस्तावेज के अनुसार मरीज Cancer Cervix नामक बीमारी से ग्रसित है। डिसचार्ज समरी भी इसी संलग्नक के साथ संलग्न है। इस दस्तावेज के अवलोकन से जाहिर होता है कि दिनांक 14.10.2015 को भर्ती होने के पश्चात दिनांक 17.10.2015 को मरीज डिसचार्ज हुई, जबकि पालिसी दिनांक 31.12.2015 को जारी हुई है। अत: स्पष्ट है कि पालिसी प्राप्त होने से पूर्व ही बीमाधारिका बीमार थीं। डिसचार्ज समरी के अनुसार मरीज का केस ट्यूमर बोर्ड के समक्ष डिसकस किया गया और रेडियो थेरेपी की योजना बनाई गई।
9. इस अस्तपाल में इलाज के पश्चात बीमा कंपनी की ओर से इन्वेस्टिगेशन के दौरान Valentis Cancer Hospital, मेरठ में कराए गए इलाज से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। डिसचार्ज समरी के अनुसार मरीज श्रीमती अर्चना गुप्ता दिनांक 16.01.2017 को इस अस्पताल में इलाज के लिए उपस्थित हुईं तथा दिनांक 17.01.2017 को डिसचार्ज किया गया। इलाज के दौरान Recurrent Carcinoma Cervix नामक बीमारी मौजूद पायी गयी। यह दस्तावेज भी इस तथ्य की पुष्टि करता है कि बीमा पालिसी जारी होने से पूर्व से ही बीमाधारिका उपरोक्त वर्णित बीमारी से ग्रसित थी। इसी आधार पर बीमा कंपनी द्वारा बीमा क्लेम नकारा गया है, जैसा कि संलग्नक संख्या-5 के अवलोकन से जाहिर होता है।
10. इस बिन्दु पर विधिक स्थिति स्पष्ट है कि यदि बीमा प्रस्ताव भरते समय सही एवं तथ्यात्मक सूचनाएं उपलब्ध नहीं करायी जाती हैं तब बीमा कंपनी बीमा क्लेम अदा करने से इंकार कर सकती है। प्रस्तुत केस में बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व बीमाधारिका द्वारा इलाज कराए जाने के तथ्य को छिपाया गया, जबकि वह गंभीर बीमारी से ग्रसित थी, इसलिए बीमा क्लेम नकारने का आधार विधिसम्मत है। तदनुसार प्रस्तुत परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश
11. प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाता है।
पक्षकार परिवाद का व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2