Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/946

M/s Jaat Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Dheerendra Singh - Opp.Party(s)

R D Kranti

19 Aug 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/946
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/s Jaat Cold Storage
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dheerendra Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Jugul Kishor MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-946/2012

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या-281/2008 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.11.2010 के विरूद्ध)

 

मै0 जाट कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा0लि0 गोरई रोड इगलास द्वारा डायरेक्‍टर राहुल कुमार सिंह।

अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्      

धीरेन्‍द्र सिंह पुत्र श्री किशन सिंह, निवासी जटवार थाना व पर0 इगलास, जिला अलीगढ़।

                                 प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री चितरंजन अग्रवाल, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : श्री ओ0पी0 दुबेल, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 04.11.2015

मा0 श्री जुगुल किशोर, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

यह अपील, जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या-281/2008 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.11.2010 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है, जिसके अन्‍तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्‍नवत आदेश पारित किया गया :-

'' परिवादी का प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसके आलू की कीमत मु0 68100/- रू0 परिवाद प्रस्‍तुत करने की दिनांक से 7 प्रतिशत साधारण ब्‍याज के साथ इस आदेश की तिथि से 2 माह के अन्‍दर अदा करें। परिवादी विपक्षीगणसे मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु 3000/- रू0 तथा वाद व्‍यय हेतु 2000/- रू0 भी प्राप्‍त करने का अधिकारी है। ''

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री चितरंजन अग्रवाल तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री ओ0पी0 दुबेल उपस्थित हैं।  तदनुसार विद्वान अधिवक्‍तागण को विस्‍तारपूर्वक सुना गया एवं पत्रावली का अनुशीलन व परिशीलन किया गया।

पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रकरण के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी धीरेन्‍द्र सिंह द्वारा विपक्षी, जाट कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा0लि0 में बीज के लिए आलू रखवाया गया था, जिसकी रसीद सं0-899, 982, 981, 1326 द्वारा विभिन्‍न तिथियों में कुल 458 बोरी आलू जिसका प्रति बोरी वजन 52 से 53 किलोग्राम था। परिवादी जब अपना आलू दिनांक 25.09.2008 को लेने गया तो उसे पता चला कि वहां अधिकतर आलू सड़ व गल गये हैं, इसके बाद दिनांक 26.09.2008, 27.09.2008 को परिवादी ने विपक्षीगण से आलू लेने की बात की और अपना आलू मांगा तो विपक्षीगण ने आलू वापस नहीं दिया। इस प्रकार विपक्षीगण ने जानबूझकर उसका आलू खराब किया है। इस प्रकार सेवा में कमी को मानते हुए परिवादी द्वारा जिला फोरम के समक्ष प्रश्‍नगत परिवाद योजित किया गया, जिसमें जिला फोरम ने परिवादी को सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का परिशीलन करने के उपरान्‍त पाया गया कि कोल्‍ड स्‍टोरज में भण्‍डारण किये गये आलू कोल्‍ड स्‍टोरेज की देख-रेख में थे। विपक्षीगण ने न तो परिवादी को आलू लौटाय और न ही उसकी कीमत दी, जो स्‍पष्‍टया सेवा में कमी है। तदनुसार जिला फोरम ने आलू की कीमत दिलाये जाने हेतु आदेश दिनांक 08.11.2010 पारित किया, जिसकी प्रमाणित प्रतिलिपि अपीलार्थी को दिनांक 07.05.2012 को प्राप्‍त करने के पश्‍चात अपील योजित की गयी है।

अपील में अपीलार्थी की ओर से तर्क किया गया कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एक पक्षीय है। उन्‍हें जिला फोरम के समक्ष योजित परिवाद में साक्ष्‍य एवं सुनवाई का समुचित अवसर नहीं मिल सका, जिसके कारण वह अपना पक्ष नहीं रख सके। अपीलार्थी द्वारा यह भी तर्क किया गया कि प्रश्‍नगत परिवाद की कोई नोटिस भी उन्‍हें प्राप्‍त नहीं हुई। अपीलार्थी द्वारा यह भी तर्क किया गया कि मेसर्स जाट कोल्‍ड स्‍टोरेज एक पंजीकृत कम्‍पनी है, जो कि आलू के भण्‍डारण के रख रखाव का काम करती है। कम्‍पनी के 05 पार्टनर्स हैं, जो इसका संचालन अपने स्‍टाफ के द्वारा करते हैं। यह कम्‍पनी अधिनियम के तहत कानपुर से पंजीकृत है। इस कम्‍पनी के 05 पार्टनर्स को पक्षकार नहीं बनाया गया है, जो कि कानूनन आवश्‍यक था। बिना पार्टनर्स को पक्षकार बनाये कम्‍पनी के विरूद्ध आदेश पारित करना विधि विरूद्ध है, जो निरस्‍त होने योग्‍य है। अपीलार्थी द्वारा यह भी तर्क किया गया कि पार्टनर्स की ओर से कोई विधिक जवाब नियमानुसार जिला फोरम के समक्ष योजित नहीं किया जा सका है, क्‍योंकि वह पक्षकार नहीं थे। अत: उन्‍हें अपना जवाब प्रस्‍तुत करने का अवसर प्रदान किया जाये।

प्रत्‍यर्थी की ओर से तर्क किया गया कि जिला फोरम ने सभी तथ्‍यों को विचार में लाने के उपरान्‍त निर्णय प्रतिपादित किया है, जिसमें कोई त्रुटि नहीं है। अत: पीठ द्वारा विद्वान अधिवक्‍तागण को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का परिशीलन करने के उपरान्‍त यह पाया जाता है कि चूंकि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एक पक्षीय है एवं कम्‍पनी के पार्टनर्स को पक्षकार भी नहीं बनाया गया है, जो कि विधि विरूद्ध है। अत: प्रस्‍तुत प्रकरण जिला फोरम को पुन: निस्‍तारण हेतु प्रतिप्रेषित किये जाने योग्‍य है।

आदेश

     अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला फोरम अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या-281/2008 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.11.2010 अपास्‍त करते हुए जिला फोरम को प्रकरण इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि वह उभय पक्ष को साक्ष्‍य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए प्रकरण का पुन: निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर यथाशीघ्र करना सुनिश्‍चित करें।

 

 

           (राम चरन चौधरी)                     (जुगुल किशोर)

  पीठासीन सदस्‍य                            सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0

   कोर्ट-5

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Jugul Kishor]
MEMBER

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